Sunday, March 13, 2016

क्या सच में अब आम आदमी पार्टी बदल गयी है?

 एक बार फिर कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी के समर्थक, वॉलिटियर्स पार्टी के खिलाफ बोल रहे है और  मुद्दा है "यमुना"।

यमुना किनारे हो रहे श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ़ लिविंग का विश्व स्तरीय आयोजन।

सभी आरोप लगा रहे है की अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध क्यों नहीं किया? उन्होंने क्यों इन सबसे समझोता कर लिया? तो क्या अब अरविन्द बदल गया है? बहुत से सवाल है और कई बार इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं होता है या यो कहे जवाब हमे खुद ही तलाशना होता है। अरविंदजी और आम आदमी पार्टी को तो हमने कटघरे में खड़ा कर ही दिया है तो अब वो तो आरोपी हो गए और इसके उत्तर में वो केवल जवाब ही दे सकते है और जो भी जवाब देंगे उसी जवाब से फिर नए सवाल खड़े होंगे और इसी तरह हम और ज्यादा उलझते जाएंगे। सवाल का जवाब ही नया सवाल बन जाएगा अतः कई बार ऐसे सवालों को नजर अंदाज भी करना जरुरी हो जाता है और इस परिस्तिथि में विशेष रूप से क्योंकि आप केवल उसका विरोध ही कर सकते थे उसे रोक नहीं पाते किसी भी हालत में। जब सीधे सीधे केंद्र सरकार और मोदीजी इसमें सरकारी पैसा, सरकारी संसाधन, हमारी सेना जो दुश्मनो से हमारी रक्षा करती है उसे भी श्री श्री रविशंकर की खिदमत में मोदीजी ने लगा दिया तो आप समझ सकते है अरविन्द केजरीवाल के विरोध करने से ये इवेंट कभी नहीं रूकता उलटे इसके कई नकारात्मक प्रभाव होते है।

खैर मैं आपको स्पष्ट करदु, ये केवल मेरे विचार है जैसा मैं सोच रहा हूँ, इसका पार्टी या पार्टी की विचारधारा या उनकी सोच से कहीं कोई सम्बन्ध नहीं है।

नकारात्मक प्रभाव की बात कर रहा था, जैसे की यदि आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती तो सबसे पहले तो हिन्दू विरोधी, पाकिस्तान प्रेमी, इस तरह के आरोपों की बौछार हो जाती, तरह तरह की कहानियाँ, कार्टून गालियाँ सोशल मीडिया पर चल जाती जिसमे एक बार फिर से अरविन्द जी को हिन्दू विरोधी के तौर पर पेश किया जाता, वैसे Art of living के इस आयोजन का विरोध नहीं किया तो भी कुछ एक मेसेज तो विरोधियों की मिडिया सेल ने सोशल मिडिया पर चला दिए ऐसा लगता है जैसे उन्होंने पहले से ही तैयार कर रखे थे जैसे की उन्हें भी पूरा भरोसा था की अरविंदजी यमुना के लिए इसका विरोध करेंगे तो विरोधियों की साइबर सेल ने इसके लिए पहले से मेसेज तैयार कर लिए थे और विरोध ना करने पर भी इन्हे चला दिया।

यानि अरविन्द जी के विरोध पर ये इवेंट तो नहीं रूकता लेकिन एक बार फिर मिडिया को अरविंदजी के खिलाफ नेगेटिव चलाने का अच्छा मौका मिल जाता, पूरे दिन मिडिया में यही बहस चलती "आखिर क्यों हिंदुओ के खिलाफ है आम आदमी पार्टी" जबकि इसमें वास्तिवकता या सत्य की कही कोई जगह नहीं है। आम आदमी पार्टी ही वो पार्टी है जो "सर्व धर्म समभाव" जो हमारे संविधान में है को पूरी तरह मानती है।

तो शायद इस बार अरविंदजी और आम आदमी पार्टी ने इन सब तरह के सवालों को रोकने के लिए ये निर्णय लिया होगा, हालाँकि सवाल तो खड़े हुए ही अब दूसरे सवाल खड़े हो गए पर शायद उन सवालो से कही कम? या यों कहे अपने इस निर्णय से पार्टी और पार्टी के तमाम प्रवक्ताओ को कई कठिन सवालों का सामना करने से बचा लिया?

एक और कारण हो सकता है इस आयोजन का विरोध ना करने का, की शायद इसी बहाने "यमुना" पर बात तो हुयी, और लोगो का "यमुना" की तरफ दिन आकर्षित हुआ और शायद "यमुना" को साफ़ करने और "गंगा" की तरह ही "यमुना के घाट" को विकसित करने और सुन्दर बनाने में मदद मिलेगी?

खैर जो भी हो केवल इस एक निर्णय से हम ना तो अरविंदजी पर सवाल खड़े कर सकते है और ना ही आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार पर। हमारे विचार भिन्न हो सकते है मेरे खुद के विचार भिन्न है पर जरूर कुछ अच्छे के लिए पार्टी और दिल्ली सरकार ने इसका विरोध ना करने निर्णय लिया होगा।

जय हिन्द
वन्दे मातरम

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