रविश कुमार का ये लेख बहुत कुछ कह जाता, समय निकालकर सभी जरूर पढ़े
कंटेंट की कॉपी पेस्ट नहीं कर रहा हूँ क्योंकि लेख रविश का है तो अच्छा होगा उन्ही के ब्लॉग पर जाकर पढ़े।
यही ईमानदारी होगी।
जब जनता ही साथ नहीं है तो पत्रकार क्या करे। बेहतर है अख़बार के उस कागज़
पर जूता रगड़ दिया जाए जिस पर लिखकर हम कमाते हैं। उसे न तो पत्रकारिता की
ज़रूरत है न पत्रकार की। एक भांड चाहिए,सो हज़ारों भांड दे दो उसे। ठूंस दो
इस देश के दर्शकों के मुंह में भांड।
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Ravish Kumar - http://naisadak.org/desh-ka-manobal-and-journalism/ |
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Ravish Kumar NDTV - Blog Nai Sadak |
केवल ये कुछ लाइन कॉपी पेस्ट की है बाकि सब रविश के ब्लॉग नई सड़क पर मिलेगा
धन्यवाद
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