सच
में बहुत कुछ बदल गया है पहले जब हमारे सैनिक बहादुरी से दुश्मनों को जवाब
देते थे तब गुणगान उन सैनिकों की बहादुरी का ही होता था, हालांकि सरकार सदा
इसका श्रेय लेना चाहती थी और चाहती रहेगी लेकिन फिर भी पहले सैनिकों को
आगे रखा जाता था और अब सैनिकों की बहादुरी पर सबसे पहला श्रेय सरकार लेना
चाहती है जैसा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद में पूरे देश भर में लगे होर्डिंग
और अखबारों में छपे विज्ञापन में सैनिकों का नाम बारीक अक्षरों में और मोदी
सरकार भाजपा के नाम मोटे मोटे अक्षरों में और बड़ी-बड़ी तस्वीरों में थे,
जिनमें यह दिखाया गया हो मानो सीमा पर सैनिकों ने तो कुछ किया ही नहीं
मोदी ही बंदूक लेकर सीमा पर दुश्मनों से लड़ कर आया हो|
चलो ठीक है सरकार
ने एक साहसिक कदम उठाया और हम मानते हैं कि सरकार को इसका श्रेय लेना चाहिए
और लिया भी, लेकिन अभी कुछ दिन पहले जब नक्सलियों ने हमारे सीआरपीएफ के जवानों
पर हमला किया और 26 जवान शहीद हुए तब यह सरकार मुंह छुपाती फिर रही थी और
अपने एजेंट मीडिया के द्वारा इस तरीके से माहौल बनाने की कोशिश की जा रही
थी कि कोई सरकार से सवाल करे ही नहीं की
- यह घटना क्यों हुई?
- क्यों सरकार और सरकारी एजेंसियां हमारे सैनिकों को बचा नहीं पाई?
- गृह मंत्रालय क्या कर रहा था?
- हमारा इंटेलिजेंस ब्यूरो क्या कर रहा था?
ऐसे एक
नहीं खाने को उदाहरण आप को गिना सकता हूं जिनमें सरकार ने अपनी नाकामी तो
औरों पर थोपने की कोशिश की और किसी भी व्यक्ति या संस्था के अच्छे कामों का
श्रेय खुद लेना चाहा| चाहे फिर वह हमारे वैज्ञानिकों द्वारा मंगलयान का
प्रक्षेपण हो या फिर हमारे सैनिकों द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक हर अच्छे काम
का श्रेय मोदी को चाहिए हर काम के पीछे ऐसे दिखाया जाता है जैसे मानो वह
सबकुछ मोदी ने ही किया हो| मंगलयान के पीछे वैज्ञानिकों को तो कोई काम ही
नहीं था, मोदी ने ही मंगलयान बनाया और खुद ही लेकर मंगल तक पहुंच भी गया
हो|
सर्जिकल स्ट्राइक में मानो सैनिकों ने तो कुछ किया ही नहीं हो मोदी ही
पीएमओ से निकलकर सीमा की तरफ दौड़ा दौड़ा गया और दुश्मनों को मार कर वापस आ
गया लेकिन यही मोदी इस समय कहां छुप जाता है जब हमारे सैनिक शहीद होते हैं
तब भी उन्हें सामने आ कर कहना चाहिए कि हां हमारी भूल हुई हमारी कमी रह गई
हम इससे बच सकते थे|
यदि श्रेय लेना चाहते हो तो नाकामियों को भी अपने माथे
पर लीजिए जनाब और मीडिया के द्वारा जो लोगों के दिलों में जहर घोला जा रहा
है भगवान के लिए इसे बंद कीजिए क्योंकि नफरत है वह सब कुछ जला देती है|
मोदी
के सत्ता में आने से पहले जब भी दुर्भाग्य से हमारे सैनिक शहीद होते थे तो
तमाम मीडिया और खुद भाजपा बहुत तीखे सवाल करती थी
गृहमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए
प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए,
यह प्रधानमंत्री की नाकामी है
इस सरकार की नाकामी हैहमारे सैनिकों को शहीद होना पड़ा
और आज वही मोदी
और भाजपा अपने समर्थकों द्वारा अपनी नाकामी को इस तरीके से छुपाते हैं
सैनिकों पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए इस मुद्दे पर हमें कोई कमेंट नहीं
करना चाहिए या अब कहां है वह जो अमन की बात करते हैं अब कहां गए वह जो कहते
हैं कि वह निर्दोष हैं बजाय इसके कि अब भी वह कहें कि हां हमारे गृह
मंत्रालय की कुछ ना कुछ कमी रही है और आगे से हम इसका ध्यान रखेंगे हम
इसमें सुधार लाएंगे|
यदि मोदी समर्थक भाजपा समर्थक सच में खुद को देशभक्त
मानते हैं तो हमारे सैनिकों के बलिदान पर उन्हें अपनी सरकार से सवाल करना
चाहिए कि कैसे हमारे सैनिक शहीद हो गए जवाबदेही तय कीजिए सुनिश्चित कीजिए
हमारे सैनिकों को कि आगे से ऐसा नहीं होगा|
मैंने हाल ही में हुई नक्सली
घटना में बयान सुने हैं जिनमें कहा गया है कि नक्सलियों को हमारी हर
एक्टिविटी का पूरा पता था उन्होंने उसे पूरा मॉनिटराइज कर रखा था कि हम
कैसे-कैसे मूव करते हैं और किस समय वह हम पर हमला कर सकते हैं जब उन
नक्सलियों के पास में इतनी क्षमता है कि वह हमारे सैनिकों के हर एक्टिविटी
को मॉनिटर कर सकते हैं तो हमारे सरकार के पास में क्या ऐसी कोई संस्था
नहीं है कि जो हमारे सैनिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें और नक्सलियों
या माओवादियों की एक्टिविटी को मॉनिटर कर सके कि वह कब और कैसे हमला
कर सकते हैं? या हमला करने वाले हैं उससे पहले ही हमारे सैनिकों को बचा
लिया जाए|
प्रीति गाँधी का ट्वीट जब वो विपक्ष में थे, और अब जब वो सत्ता में है- देखिये इन लोगो का दोगलापन
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