राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने अपने दो साल पूरे होने पर एक भव्य आयोजन किया जिसमे पूरे प्रदेश से बसे भरकर भरकर लोगो को इस समारोह को सफल बनाने और भीड़ जुटाने के लिए लाया गया।
खैर मैं ही लेट हूँ ये ब्लॉग लिखने में वसुंधरा राजे ने ये महोत्सव कई दिन पहले ही मना लिया था।
मैंने काफी कश्मकश के बाद भी इस सवाल का जवाब नहीं खोज पाया कि आखिर ये किस बात का जश्न मनाया गया?
ऐसा कौनसा काम राजस्थान की भाजपा सरकार ने इन 2 साल में कर दिया जिससे की उसे एक जश्न मनाकर प्रदेश की जनता को दिखाने की जरुरत पड़ गयी। मैंने वसुंधराजी के सम्बोधन को भी सुना ये जानने के लिए कि आखिर वे कुछ तो बताएंगी प्रदेश की जनता को की आखिर वो क्या दिखाने के लिए जश्न मना रही है।
अफ़सोस उनके सम्बोधन में भी मेरे इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ पाया।
फिर मुझे ख्याल आया अपने कुछ भाजपा मित्रों को फोन करने का, तो लगे हाथो मैंने राजस्थान भाजपा के दो सक्रिय कार्यकर्ताओ को फ़ोन करके उनसे कुशल क्षेम पूछने के बाद मैं अपने असली मुद्दे पर आ गया।
अब तो ये सवाल और पेचीदा होने लग गया और खुद को संतुष्ट करने के लिए एक तर्क संगत जवाब पाना भी जरुरी था, खैर वसुंधरा राजे ने अपने सम्बोधन में दो तीन बार ये तो जरूर कहा की उन्होंने इन दो सालो में बहुत काम किये है, पर बताया एक भी नहीं, अब कौनसे काम किये है वो ही जाने, प्रदेश की जनता त्राहि त्राहि कर रही है, बिजली की दाम दोगुने से भी ज्यादा कर दिए, सरकारी प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र को निजी हाथो में दे दिया, रोडवेज कर्मचारी कई महीनों से बिना तनख्वाह के बैठे है और अंततः मजबूर होकर धरने प्रदर्शन भी करते है, बिजली विभाग के कर्मचारी भी हड़ताल पर चले जाते है, महंगाई तो बेटी की तरह बढ़ती ही जा रही है और आम आदमी रोज इसी चिंता में डूबा रहता है की आज का दिन तो निकल गया अब कल का कैसे निकलेगा।
खैर मैंने जो एक तर्क संगत निष्कर्ष निकाला उससे ये निकलकर सामने आया कि कहीं ये सारी कवायद मोदीजी को ये दिखाने के लिये तो नहीं की कैसे उनकी लाख कोशिशो के बावजूद भी वो उस कुर्सी पर मजबूती से टिकी हुयी है और मोदीजी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाये, बिगाड़ पाना तो दूर उनसे इस्तीफा भी नहीं ले पाये।
मोदीजी और वसुंधरा राजे के बीच में रिश्ते सामान्य नहीं है ये तो सर्व विदित है, चाहे वो राजे के बेटे दुष्यंत कुमार को मंत्री पद का मामला हो, या ललित गेट कांड में मोदीजी सहित केंद्र भाजपा की चुप्पी, या फिर वसुंधरा सरकार के एक चहेते अधिकारी के यहां CBI का छापा, अब मोदीजी की इतनी तो हिम्मत नहीं हुयी की अरविन्द केजरीवाल के दफ्तर की तरह वसुंधरा राजे के दफ्तर में CBI भेज सकते पर किसी तरह है उन्हें आरोपों के घेरे में लेने के लिए उनके एक अधिकारी के यहां तक CBI जरूर भिजवा दी गयी।
ललित मोदी काण्ड के समय तो समस्त भाजपा चुप थी, आज जिस तरह अरुण जेटली को बचाने तमाम भाजपा नेता उनके पक्ष में सामने आ रहे है, या फिर इसी ललित मोदी काण्ड में सुषमा स्वराज को बचाने के लिए जिस तरह भाजपा आगे आई वो फुर्ती वसुंधरा राजे के लिए केंद्र भाजपा द्वारा नहीं दिखाई गई, जैसे की मोदी मण्डली को मौका मिल गया हो वसुंधरा को घेर कर उन पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाने का।
खुद अमित शाह राजस्थान में आये ये पता करने के लिए की यदि वसुंधरा को जबरदस्ती पद छोड़ने पर मजबूर किया जाए तो पार्टी को क्या नुक्सान हो सकता है, पर इस बात की तो तारीफ़ करनी पड़ेगी की राजस्थान भाजपा का एक बहुत बड़ा हिस्सा मजबूती से वसुंधरा राजे के साथ खड़ा था, तो अमित शाह को जब लगा की इससे तो पार्टी में बड़ी भयंकर गुटबाजी सामने आएगी और इसका खामियाजा उन्हें अन्य प्रदेशों में भी भुगतना पड़ सकता है, हो सकता है फिर एंटी मोदी गुट वाली भाजपा एकजुट हो जाये और शायद एक बहुत बड़ी विद्रोह की लहर सामने आ जाए।
जब इन सारे पहलुओ पर विचार किया तब कही जाकर केंद्र भाजपा की तरफ से वसुंधरा के बचाव में कुछ आवाजे मज़बूरी में निकलकर सामने आई।
तो जरूर वसुंधरा राजे को हक़ बनता है कि वो मोदीजी को एक जश्न के माध्यम से ये सन्देश दे सके की देखलो कर दिए दो साल पूरे, कोशिश करने वालो ने बहुत की थी इस कुर्सी से धकेलने की पर मैं फिर भी बैठी हूँ और अपनी इस कामयाबी को दिखाने के लिए एक जश्न तो बनता ही है.....
मेरे इस लेख से किसी की भावनाए आहत हुयी हो तो मैं उनसे करबद्ध क्षमा चाहता हूँ, मन के विचार यदि यहां भी नहीं लिखूंगा तो कहाँ लिखू, खैर मैं ये सब बाते बिना किसी प्रमाण के लिए लिख रहा हूँ, सब मेरे अपने निजी विचार है।
धन्यवाद । जय हिन्द । वन्दे मातरम
खैर मैं ही लेट हूँ ये ब्लॉग लिखने में वसुंधरा राजे ने ये महोत्सव कई दिन पहले ही मना लिया था।
मैंने काफी कश्मकश के बाद भी इस सवाल का जवाब नहीं खोज पाया कि आखिर ये किस बात का जश्न मनाया गया?
ऐसा कौनसा काम राजस्थान की भाजपा सरकार ने इन 2 साल में कर दिया जिससे की उसे एक जश्न मनाकर प्रदेश की जनता को दिखाने की जरुरत पड़ गयी। मैंने वसुंधराजी के सम्बोधन को भी सुना ये जानने के लिए कि आखिर वे कुछ तो बताएंगी प्रदेश की जनता को की आखिर वो क्या दिखाने के लिए जश्न मना रही है।
अफ़सोस उनके सम्बोधन में भी मेरे इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ पाया।
फिर मुझे ख्याल आया अपने कुछ भाजपा मित्रों को फोन करने का, तो लगे हाथो मैंने राजस्थान भाजपा के दो सक्रिय कार्यकर्ताओ को फ़ोन करके उनसे कुशल क्षेम पूछने के बाद मैं अपने असली मुद्दे पर आ गया।
मैंने कहा: और तो ज्यां आया के वसुंधरा का जश्न में
दोस्त: क्याका ज्या आया यार, फ़ालतू में कतरी जनता परेशान होगी, जोरामरदी लोगां ने पकड़ पकड़ कर लेगा और सगळा बठै थू थू ही कर रया हां, बिना फ़ालतू का नाटक।
अब तो ये सवाल और पेचीदा होने लग गया और खुद को संतुष्ट करने के लिए एक तर्क संगत जवाब पाना भी जरुरी था, खैर वसुंधरा राजे ने अपने सम्बोधन में दो तीन बार ये तो जरूर कहा की उन्होंने इन दो सालो में बहुत काम किये है, पर बताया एक भी नहीं, अब कौनसे काम किये है वो ही जाने, प्रदेश की जनता त्राहि त्राहि कर रही है, बिजली की दाम दोगुने से भी ज्यादा कर दिए, सरकारी प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र को निजी हाथो में दे दिया, रोडवेज कर्मचारी कई महीनों से बिना तनख्वाह के बैठे है और अंततः मजबूर होकर धरने प्रदर्शन भी करते है, बिजली विभाग के कर्मचारी भी हड़ताल पर चले जाते है, महंगाई तो बेटी की तरह बढ़ती ही जा रही है और आम आदमी रोज इसी चिंता में डूबा रहता है की आज का दिन तो निकल गया अब कल का कैसे निकलेगा।
खैर मैंने जो एक तर्क संगत निष्कर्ष निकाला उससे ये निकलकर सामने आया कि कहीं ये सारी कवायद मोदीजी को ये दिखाने के लिये तो नहीं की कैसे उनकी लाख कोशिशो के बावजूद भी वो उस कुर्सी पर मजबूती से टिकी हुयी है और मोदीजी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाये, बिगाड़ पाना तो दूर उनसे इस्तीफा भी नहीं ले पाये।
मोदीजी और वसुंधरा राजे के बीच में रिश्ते सामान्य नहीं है ये तो सर्व विदित है, चाहे वो राजे के बेटे दुष्यंत कुमार को मंत्री पद का मामला हो, या ललित गेट कांड में मोदीजी सहित केंद्र भाजपा की चुप्पी, या फिर वसुंधरा सरकार के एक चहेते अधिकारी के यहां CBI का छापा, अब मोदीजी की इतनी तो हिम्मत नहीं हुयी की अरविन्द केजरीवाल के दफ्तर की तरह वसुंधरा राजे के दफ्तर में CBI भेज सकते पर किसी तरह है उन्हें आरोपों के घेरे में लेने के लिए उनके एक अधिकारी के यहां तक CBI जरूर भिजवा दी गयी।
ललित मोदी काण्ड के समय तो समस्त भाजपा चुप थी, आज जिस तरह अरुण जेटली को बचाने तमाम भाजपा नेता उनके पक्ष में सामने आ रहे है, या फिर इसी ललित मोदी काण्ड में सुषमा स्वराज को बचाने के लिए जिस तरह भाजपा आगे आई वो फुर्ती वसुंधरा राजे के लिए केंद्र भाजपा द्वारा नहीं दिखाई गई, जैसे की मोदी मण्डली को मौका मिल गया हो वसुंधरा को घेर कर उन पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाने का।
खुद अमित शाह राजस्थान में आये ये पता करने के लिए की यदि वसुंधरा को जबरदस्ती पद छोड़ने पर मजबूर किया जाए तो पार्टी को क्या नुक्सान हो सकता है, पर इस बात की तो तारीफ़ करनी पड़ेगी की राजस्थान भाजपा का एक बहुत बड़ा हिस्सा मजबूती से वसुंधरा राजे के साथ खड़ा था, तो अमित शाह को जब लगा की इससे तो पार्टी में बड़ी भयंकर गुटबाजी सामने आएगी और इसका खामियाजा उन्हें अन्य प्रदेशों में भी भुगतना पड़ सकता है, हो सकता है फिर एंटी मोदी गुट वाली भाजपा एकजुट हो जाये और शायद एक बहुत बड़ी विद्रोह की लहर सामने आ जाए।
जब इन सारे पहलुओ पर विचार किया तब कही जाकर केंद्र भाजपा की तरफ से वसुंधरा के बचाव में कुछ आवाजे मज़बूरी में निकलकर सामने आई।
तो जरूर वसुंधरा राजे को हक़ बनता है कि वो मोदीजी को एक जश्न के माध्यम से ये सन्देश दे सके की देखलो कर दिए दो साल पूरे, कोशिश करने वालो ने बहुत की थी इस कुर्सी से धकेलने की पर मैं फिर भी बैठी हूँ और अपनी इस कामयाबी को दिखाने के लिए एक जश्न तो बनता ही है.....
मेरे इस लेख से किसी की भावनाए आहत हुयी हो तो मैं उनसे करबद्ध क्षमा चाहता हूँ, मन के विचार यदि यहां भी नहीं लिखूंगा तो कहाँ लिखू, खैर मैं ये सब बाते बिना किसी प्रमाण के लिए लिख रहा हूँ, सब मेरे अपने निजी विचार है।
धन्यवाद । जय हिन्द । वन्दे मातरम
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