बहुत ही दुःखद जो कुछ आज देश की राजधानी दिल्ली में हुआ।
शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा जब पुलिस और एक संगठन के लोग मिलकर एक दूसरे संगठन के लोगो को पीट रहे हो।
दिल्ली पुलिस की दरिंदगी का नंगा नाच जो इस वीडियो में दिखाई दिया और देखकर हर कोई बोल उठेगा, क्या? दिल्ली में आपातकाल लागू हो गया है? जिस तरह से दिल्ली पुलिस और आरएसएस के लोग मिलकर कुछ शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों पर अचानक लाठी, डंडे, लात घूंसे बरसाने लगते है उसे देखकर तो यही महसूस होता है जैसे दिल्ली में मोदी सरकार ने आपातकाल लागु कर दिया है।
चलो आज तक आंदोलन और पर्दशन में पुलिस का बल प्रयोग तो सुना था पर पुलिस की सुरक्षा में उनके सहयोग से सरेआम RSS के लोग प्रदर्शनकारियों को दौड़ा दौड़ा कर पीटे ये कहाँ और किस देश का न्याय है?
उन प्रदर्शनकारियों का दोष केवल यही था की उनकी रैली RSS के ऑफिस के सामने से गुजरनी थी? क्या अब आरएसएस देश संविधान से भी बड़ा हो गया है?
और दिल्ली पुलिस ने ये किसके दबाव में आकर किया? या किसके आदेश पर ये सब किया? ऐसे ही तो ये सब नहीं हुआ है, मैं फिर कह रहा हूँ लाठीचार्ज पहले भी होते आये है और इस सरकार ने पहले की सरकारों से हटकर कुछ नहीं किया। मोदी सरकार ने भी आंदोलन की आवाज कुचलने की कोशिश की। पर उससे भी हटकर जो हुआ की पुलिस और आरएसएस के लोग मिलकर सरेआम किसी की पिटाई करे?
उससे भी शर्म की बात है पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओ के बाल पकड़कर घसीटे और लात घूंसों से छात्राओ की भी पिटाई करे, और पुलिस के सरक्षण में आरएसएस के गुंडे भी छात्राओ के कपड़े फाड़ दे ये कहाँ का न्याय है? ये तो सच में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जिस आपातकाल की तरफ इशारा कर रहे थे ये कहीं ये उसी आपातकाल की एक झलक तो नहीं है? जहां आप यदि आरएसएस और मोदी सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलेंगे तो पुलिस और आरएसएस के गुंडे आपकी पिटाई कर देंगे?
अफ़सोस छोटी से छोटी घटना पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले देश के सवा सो करोड़ भारतियों की बात करने वाले हमारे प्रधानमंत्री ही इस घटना पर चुप्पी साध लेते है, क्या देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उनकी जवाबदेही नहीं है की जिन पुलिसकर्मियों ने ये अमानवीय कार्य किया है उन्हें तुरंत सजा दे?
मोदीजी आपकी तो कथनी और करनी में रात दिन का अंतर आ गया, कहाँ आप बात करते है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और आज जब उन्ही बेटियों को दिल्ली पुलिस और आरएसएस के गुंडे सड़क पर दौड़ा दौड़ा कर पीट रहे है तो आप चुपचाप सब कुछ होने देते है, क्या आपकी चुप्पी इन सबको मौन स्वीकृति तो नहीं है?
सवा सो करोड़ का नाम भाषण में लेकर ताली बजवाना आसान है मोदीजी पर सवा सो करोड़ समान समझकर सबको न्याय और समान अधिकार दिलाने की हिम्मत तो आपमें भी दिखाई नहीं देती है।
ये वो वीडियो है जिसमे आप साफ़ देख सकते है कैसे दिल्ली पुलिस बर्बरता पूर्वक आंदोलनकारियों को पीट रही है, कुछ युवक पुलिस की मौजूदगी में खुद भी प्रदर्शनकारियों को पीट रहे है, कैसे पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओ को पीट रही है और कुछ न्यूज़ रिपोर्टर ने भी ट्वीट कर बताया की उन्हें भी कवरेज करने के कारण पीटा गया।
गजब की गुंडागर्दी है भाई, यानी दिल्ली पुलिस की गुंडागर्दी?
शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा जब पुलिस और एक संगठन के लोग मिलकर एक दूसरे संगठन के लोगो को पीट रहे हो।
दिल्ली पुलिस की दरिंदगी का नंगा नाच जो इस वीडियो में दिखाई दिया और देखकर हर कोई बोल उठेगा, क्या? दिल्ली में आपातकाल लागू हो गया है? जिस तरह से दिल्ली पुलिस और आरएसएस के लोग मिलकर कुछ शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों पर अचानक लाठी, डंडे, लात घूंसे बरसाने लगते है उसे देखकर तो यही महसूस होता है जैसे दिल्ली में मोदी सरकार ने आपातकाल लागु कर दिया है।
चलो आज तक आंदोलन और पर्दशन में पुलिस का बल प्रयोग तो सुना था पर पुलिस की सुरक्षा में उनके सहयोग से सरेआम RSS के लोग प्रदर्शनकारियों को दौड़ा दौड़ा कर पीटे ये कहाँ और किस देश का न्याय है?
उन प्रदर्शनकारियों का दोष केवल यही था की उनकी रैली RSS के ऑफिस के सामने से गुजरनी थी? क्या अब आरएसएस देश संविधान से भी बड़ा हो गया है?
और दिल्ली पुलिस ने ये किसके दबाव में आकर किया? या किसके आदेश पर ये सब किया? ऐसे ही तो ये सब नहीं हुआ है, मैं फिर कह रहा हूँ लाठीचार्ज पहले भी होते आये है और इस सरकार ने पहले की सरकारों से हटकर कुछ नहीं किया। मोदी सरकार ने भी आंदोलन की आवाज कुचलने की कोशिश की। पर उससे भी हटकर जो हुआ की पुलिस और आरएसएस के लोग मिलकर सरेआम किसी की पिटाई करे?
उससे भी शर्म की बात है पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओ के बाल पकड़कर घसीटे और लात घूंसों से छात्राओ की भी पिटाई करे, और पुलिस के सरक्षण में आरएसएस के गुंडे भी छात्राओ के कपड़े फाड़ दे ये कहाँ का न्याय है? ये तो सच में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जिस आपातकाल की तरफ इशारा कर रहे थे ये कहीं ये उसी आपातकाल की एक झलक तो नहीं है? जहां आप यदि आरएसएस और मोदी सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलेंगे तो पुलिस और आरएसएस के गुंडे आपकी पिटाई कर देंगे?
अफ़सोस छोटी से छोटी घटना पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले देश के सवा सो करोड़ भारतियों की बात करने वाले हमारे प्रधानमंत्री ही इस घटना पर चुप्पी साध लेते है, क्या देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उनकी जवाबदेही नहीं है की जिन पुलिसकर्मियों ने ये अमानवीय कार्य किया है उन्हें तुरंत सजा दे?
मोदीजी आपकी तो कथनी और करनी में रात दिन का अंतर आ गया, कहाँ आप बात करते है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और आज जब उन्ही बेटियों को दिल्ली पुलिस और आरएसएस के गुंडे सड़क पर दौड़ा दौड़ा कर पीट रहे है तो आप चुपचाप सब कुछ होने देते है, क्या आपकी चुप्पी इन सबको मौन स्वीकृति तो नहीं है?
सवा सो करोड़ का नाम भाषण में लेकर ताली बजवाना आसान है मोदीजी पर सवा सो करोड़ समान समझकर सबको न्याय और समान अधिकार दिलाने की हिम्मत तो आपमें भी दिखाई नहीं देती है।
ये वो वीडियो है जिसमे आप साफ़ देख सकते है कैसे दिल्ली पुलिस बर्बरता पूर्वक आंदोलनकारियों को पीट रही है, कुछ युवक पुलिस की मौजूदगी में खुद भी प्रदर्शनकारियों को पीट रहे है, कैसे पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओ को पीट रही है और कुछ न्यूज़ रिपोर्टर ने भी ट्वीट कर बताया की उन्हें भी कवरेज करने के कारण पीटा गया।
गजब की गुंडागर्दी है भाई, यानी दिल्ली पुलिस की गुंडागर्दी?
Delhi Police and RSS Goons brutally assaulting student protesters outside RSS office
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