Thursday, February 11, 2016

है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर - Dr. Kumar Vishvash

Lance Naik Hanamanthappa Koppad


है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये है,
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये है.....
पिता,जिस के रक्त ने उज्जवल किया कुल-वंश-माथा,
माँ, वही जो दूध से इस देश की रज तोल आई ,
बहन,जिसने सावनों मे, भर लिया पतझर स्वयं ही,
हाथ ना उलझें, कलाई से जो राखी ख़ोल लाई
बेटियाँ,जो लोरियों मे भी प्रभाती सुन रही थीं,
"पिता तुम पर गर्व है" चुपचाप जा कर बोल आईं
प्रिया,जिस की चूड़ियों मे सितारे से टूटते थे,
मांग का सिंदूर दे कर जो उजाले मोल लाई
है नमन उस देहरी को जहाँ तुम खेले कन्हैया,
घर तुम्हारे, परम तप की राजधानी हो गये है....
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय ....
हमने लौटाए सिकन्दर सर झुकाए मात खाऐ,
हमसे भिडते है वे जिनका मन,धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी,
उन के माथों पर हमारी ठोकरों का ही बयाँ है
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे,
शीश देने की कला में क्या गजब है? क्या नया है?
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी,
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन,
काल-कौतुक जिनके आगे पानी-पानी हो गये है
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय........
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य-लेखे,
विजय के उदघोष! गीता के कथन! तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा! सिन्दूरदानों की व्यथाऒं!
देशहित प्रतिबद्ध-यौवन कै सपन! तुमको नमन है
बहन के विश्वास! भाई के सखा! कुल के सहारे!
पिता के व्रत के फलित! माँ के नयन! तुमको नमन है
कंचनी-तन, चाँदनी-मन, आह,आंसू,प्यार,सपने,
राष्ट्र के हित कर गए सब कुछ हवन ,तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन,
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये है.
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये....

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