Monday, April 16, 2018

बलात्कार नहीं, मेरी आस्था तार तार हुई है

कठुआ में आठ साल की मासूम से बच्ची के साथ जो उन दरिंदों ने किया है वो महज एक बलात्कार नहीं है वो पूरी मानवता को झकझोर देने वाला वो घिनोना कृत्य है जिसने मेरी आस्था को भी तार तार किया है।

जिस मंदिर मुझ जैसे असंख्य लोग पवित्र जगह समझकर परेशानियों से भरी अपनी जिंदगी से कुछ पल निकालकर ईश्वर का धन्यवाद करने और कुछ पलों के लिए सकून महसूस करने जाते है उसी मंदिर में एक सप्ताह से भी अधिक समय तक महज एक आठ साल की गुड़िया को बंदी बनाकर, जबरदस्ती ड्रग्स देकर लगातार बलात्कार किया गया? (खबर का लिंक1 ) (खबर का लिंक २)

सोचिये जब मुझ जैसा कोई व्यक्ति मंदिर में शृद्धा के साथ सर झुकाकर प्रार्थना कर रहा होगा उसी समय उसी मंदिर के एक हिस्से में उस देवस्थान का पुजारी और कुछ लोग मिलकर एक मासूम सी  साल की बेटी को अपनी हवस और घृणा का शिकार बना रहे होंगे, सोचकर ही सहम जाता हूँ, मैं तो उस मंदिर में नहीं जाता क्योंकि मैं वहाँ का रहने वाला नहीं हूँ पर सोचो वहां रहने वाले लोग क्या ये सब जानने के बाद भी उस मंदिर में कैसे सकून से अपना सर झुका सकेंगे? क्या उस समय उनके जहन में उस मासूम सी आठ साल की आसिफा की चीख नहीं गूंज रही होगी? जिस समय वो ईश्वर को धन्यवाद कर रहे होंगे उस समय क्या सवाल उनके मन में नहीं आएगा की किस बात का धन्यवाद करू? कुछ दिन पहले इसी जगह एक आठ साल की बेटी की चीख किसी को सुनाई नहीं दे रही थी?
इसीलिए कह रहा हूँ की ये महज बलात्कार नहीं है बल्कि मेरी आस्था को तार तार किया है गया है, जिस जगह पर जाकर मैं सकून से बैठकर अपने ईष्ट का ध्यान कर सकता था अब वहाँ जाने पर मुझे एक मासूम बेटी की चीख सुनाई देंगी और कुछ दरिंदो के चेहरे जो एक समुदाय विशेष के प्रति अपनी नफरत की आग में इस कदर तक गिर गए की ना केवल उन्होंने अपने धर्म का अपमान किया बल्कि वो समूचे विश्व के अपराधी बन गए क्योंकि उन्होंने मेरी आस्था को भी तार तार किया है।

यदि आपके भीतर तनिक भी इंसानियत जिन्दा है तो जम्मू कश्मीर की क्राइम ब्रांच ने जो अपनी चार्जशीट में लिखा है उसे पढ़ेंगे तो आपकी रातों की नींद गायब हो जाएगी।

(चार्जशीट में जो लिखा था उसे सुनिए रविश कुमार की जुबानी)


उस आठ की मासूम के साथ जो हुआ वो तो एक घिनोना कृत्य था ही उससे से भी ज्यादा शर्मनाक था वो देखना जब कुछ लोग जिसमे भारतीय जनता पार्टी के मंत्री भी शामिल थे का तिरंगे के साथ सड़कों पर आना, आप सोच रहे होंगे शायद वो बलात्कारियों को सजा दिलाने के लिए तिरंगा लेकर निकले होंगे, अफ़सोस ऐसा नहीं था उलटे वो तिरंगा लेकर निकले थे उन बलात्कारियों को बचाने के लिए, क्राइम ब्रांच जो चार्जशीट पेश करने जा रही थी उसे रोकने के लिए और इसके लिए उन्होंने तिरंगे का इस्तेमाल किया तो जय श्री राम का भी इस्तेमाल किया, भारत माता की जय, जय श्री राम और तिरंगे हाथ में लिए भाजपा के मंत्री और कार्यकर्ता उस समय हिन्दू एकता मंच बनाकर बलात्कारियों को बचाने के लिए सड़कों पर निकले थे।
कोनसे भगवान को मानकर उनकी जय जयकार कर रहे है ये लोग? कौनसा भगवान खुश होगा की आज उसकी जय जयकार वो लोग लगा रहे है को एक बलात्कारी को बचाने के लिए सड़को पर आ गए है महज इसलिए की किसी एक समुदाय विशेष के प्रति वो नफरत पाले हुए है?

क्या हमारे देश के असंख्य लोगो ने इसीलिए अपने प्राणों की आहुति देकर हमे आजादी और तिरंगा दिया था की कल को इसी आजादी और तिरंगे का इस्तेमाल कर वो किसी बलात्कारी को बचा सकेंगे?

और क्या भारत माता अपने इस हाल पर रो नहीं रही होगी की पहली तो उसी भारत माता की एक आठ साल की बेटी के साथ कई दिनों तक बलात्कार होता है और फिर उस बेटी को इन्साफ दिलाने के बजाय लोगो का एक समूह भारत माता की जय बोलता हुआ बलात्कारियों को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आएगा?

यदि कुछ लोग बलात्कारियों को सजा दिलाने की मांग करेंगे तो उन्हें ही डराया धमकाया जायेगा?

सोचिये ये कहाँ आ गए हम!
निर्भया - आसिफा
निर्भया से लेकर आसिफा तक कुछ नहीं बदला, बदली है तो केवल सरकारें बदली है और सरकार में बैठे लोगो की नीयत बदली है, जब सत्ता में नहीं थे इन्ही लोगो को देश के किसी भी कोने में होने वाले हर बलात्कार की चीख सुनाई देती थी आज सत्ता पाकर इन्हे उन मासूमों की चीख सुनाई देना तो दूर उलटे बलात्कारियों को बचाने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है।

पूरा देश गुस्से में है लेकिन ना सरकार में बैठी महिलाओं को इस बात का दर्द है और ना ही सत्तानशीनों की इस बात की परवाह, शायद वो इस बात से आश्वस्त है की उन्होंने धर्म और जाति के नाम पर पर्याप्त जहर लोगो को जहन में भर दिया है की अब लोग बलात्कार जैसी नीचता को भी महज इसलिए स्वीकार कर लेंगे की वो किसी और समुदाय के साथ हुआ है।



भाजपा नेताओं के शर्मनाक बयान




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