व्यापम में एक के बाद एक व्यापक स्तर पर हो रही मौत और प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी बहुत से सवाल खड़े करती है|
क्या मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल होता तो प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी इसी तरह चुप्पी साधे रखते? सारी दुनिया जानती है की वो बिलकुल इस तरह चुप्पी साध कर नहीं बैठते बल्कि अपने सारे तंत्र का उपयोग कर अब तक तो केजरीवाल को जेल में डाल चुके होते और वहाँ पर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया होता|
यानि जो कुछ मध्यप्रदेश में हो रहा है उसमे बिना कोई फेरबदल किये केवल वहाँ का मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल होता तो प्रधानमंत्रीजी तुरंत एक्शन लेते और अब तक इस सभी हत्याओं के आरोपी के तौर पर अरविन्द केजरीवाल को जेल करवा चुके होते|
क्या सिद्ध करना चाहते है हमारे प्रधानमंत्रीजी? आखिर वो क्यों भूल जाते है की अब वो देश के प्रधानमंत्री पहले है और किसी पार्टी के सदस्य बाद में है!!
पुरे देश में किसान आत्महत्या कर रहे थे और अभी भी कर रहे है लेकिन प्रधानमंत्रीजी कभी भी इस पर नहीं बोले, दिल्ली में एक किसान ने आत्महत्या की और तुरंत मोदीजी का ट्वीट आता है, भाजपा के सभी प्रवक्ता सुबह से लेकर शाम तक टीवी स्टूडियो में बैठकर खुद ही जज बनकर अरविन्द और आम आदमी पार्टी को सजा सुनाने में लगे हुए थे|
जिस प्रदेश से वो किसान आता है उसी प्रदेश राजस्थान में ठीक उसी दिन एक और किसान ने आत्महत्या की और उसके अगले कुछ दिनों में ४ किसानो ने पर किसी भी मौत पर प्रधानमन्त्री को दर्द नहीं हुआ क्योंकि वहाँ पर उस पार्टी की सरकार है जिस पार्टी से वे खुद ताल्लुक रखते है भारतीय जनता पार्टी|
तो प्रधानमंत्री की के लिए अब दो तरह के मापदंड है एक वो राज्य जहां पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और एक वो राज्य जहां पर बीजेपी की सरकार नहीं है| जिन गैर भाजपा शासित राज्यों में कुछ भी होगा तो प्रधानमंत्रीजी तुरंत उस पर बोलेंगे भी और कार्यवाही भी तुरंत करेंगे, और भाजपा शासित राज्यों में यदि कुछ भी गलत होगा तो प्रधानमंत्रीजी मनमोहन सिंह अवतार धारण कर चुप्पी साध लेंगे और उनके तमाम प्रवक्ता स्टूडियों में आकर उन्हें क्लीन चिट देने में लगे रहेंगे और इसके पीछे उनके तर्क वही रहेंगे कानून अपना काम कर रहा है, इस मामले पर जांच चल रही है, आदि आदि
तो क्या अब हमे हर प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सरकार चुननी पड़ेगी ताकि प्रधानमंत्रीजी उस पर अपनी पैनी नजर गडाए बैठे रहे और कुछ भी गलत हो तो तुरंत उस पर कार्यवाही कर सके?
फिर तो सच में भारत वासियों को चाहिए की हर प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाए चाहे वो इस पार्टी से प्यार करते हो या नहीं करते हो, पर अपने प्रदेश के भले के लिए झाड़ू वालो की सरकार बनाए, क्योंकि ऐसा करने पर वो पूर्ण रूप से आश्वस्त हो सकते है की पहली बात तो आम आदमी पार्टी कभी को गलत काम करेगी नहीं और अगर संयोंग से उनसे कुछ गलती हो जायेगी तो मोदीजी तुरंत अपने पुरे तंत्र का प्रयोग करके उनको सजा दिला देंगे| जैसे अभी फर्जी डिग्री केस में आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली के भूतपूर्व कानून मंत्री जीतेन्द्र तोमर के केस में हुआ|
आम आदमी पार्टी से गलती हो गयी की उन्होंने तोमर की बातो पर भरोसा कर लिया लेकिन केंद्र और भाजपा ने उस पर कानून से ऊपर उठकर भी कार्यवाही करते हुए उन्हें बिना किसी पूर्व नोटिस के एक आतंकवादी की तरह भारी पुलिस दल के साथ उनके ऑफिस से उठवा लिया गया, जब उन्हें कोर्ट में पेश किया तो खुद कोर्ट ने इस कार्यवाही पर सवाल खड़े किये की आखिर ऐसा क्यों किया गया? जब पहले से ही इस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है, अगली सुनवाई की तारीख भी तय कर चुके है तो फिर क्यों उन्होंने ऐसा किया, क्या कोर्ट की कार्यवाही पर उनका भरोषा नहीं है?
खैर मैं यहाँ पर जीतेन्द्र तोमर की वकालत नहीं कर रहा हूँ, और नाही पार्टी की तरफ से उन्हें बचाने की कोई कोशिश की गयी, पार्टी का साफ़ मानना है की अगर जीतेन्द्र तोमर सही है तो वो सभी कानूनी प्रकिया से गुजरे और अपने आप को सही साबित करदे और अगर वो गलत है तो उन्हें सजा जरुर मिलनी चाहिए|
लेकिन इस मामले में इतनी जल्दी सभी कार्यवाही केवल इसीलिए हो पायी क्युकी ये मामला आम आदमी पार्टी से जुड़ा हुआ है वरना तो आप देख रहे है कितनी ही मंत्री और विधायको की फर्जी डिग्री के मामले में रोज खबर आती है पर कार्यवाही आजतक किसी पर भी नहीं हुयी|
तो इन सब से सिद्ध तो यही होता है की अगर हम चाहते है की किसी प्रदेश में कुछ भी गलत नहीं हो तो वहाँ पर अगले चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाये और सरकार बनाए फिर देखें वहाँ पर एक साफ़ सुथरी सरकार चलेगी, वो स्वतः ही साफ़ सुथरी सरकार होगी और गलती से कही कोई गन्दगी आ भी जायेगी तो
केंद्र में बैठ सरकार उसे एक पल भी बर्दाश्त नहीं करेगी|
जय हिन्द वन्दे मातराम
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