जैसे ही इन पदम अवार्ड की घोषणा हुयी एक गीत कानों में गूंजने लगा
ये जो पब्लिक है सब जानती है ..... ये जो पब्लिक है
ठीक ही तो कहा है और इन अवार्ड की लिस्ट देखे तो आप समझ ही गए होंगे की इनमे से अधिकतर लोगो को ये पुरस्कार इनकी काबिलियत पर कम और किन्ही और कारणों से ज्यादा मिला है।
मैं कतई ये नहीं कह रहा की इन लोगो में काबिलियत नहीं है, हाँ इनमे काबिलियत है पर अफ़सोस ये पुरूस्कार इन्हे इनकी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ने से मिला है।
खुद ये लोग अवार्ड लेकर खुश भले ही होंगे और अपने बायोडाटा में सोशल साइट पर प्रोफाइल में पदम भूषण, पदम विभूषण, पदम श्री लिख लेंगे लेकिन जब कभी आईने के सामने खड़े होकर खुद से बात करेंगे तो इनका जमीर यदि ज़िंदा रहेगा तो कभी ये गवाही नहीं देगा की ये अवार्ड अपनी काबिलियत के दम पर मिला है।
कैसे ये नजरे मिलाएंगे अपने आप से? क्या किस्से सुनाएंगे अपने बच्चों या भावी पीढ़ी को? यही की हममे काबिलियत तो बहुत थी पर जब हमने सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ा तो हमे ये अवार्ड मिला।
हम सब जानते है ये अवार्ड का केवल नाटक होता है जिन्हे दिया जाता है वो सब पहले से ही फिक्स होता है, और ऐसा मैं नहीं खुद अवार्ड पाने फ़िल्मी कलाकार और बीजेपी संसद किरण खैर के पति अनुपम खैर भी ये मानते है की अवार्ड पहले से फिक्स होते है और ये अवार्ड केवल एक मजाक बनकर रह गए।
अनुपम खैर का वो ट्वीट जिनमे वो खुद स्वीकार करते है की अवार्ड एक मजाक है और ये पहले से फिक्स होते है।
अब आप कहेंगे नहीं भाई अनुपम खैर को उनके काबिलियत के दम पर ये अवार्ड मिला है, चलो कुछ पल के लिए मैं आपकी बात मान भी लेता हूँ, तो भाई ये पुरूस्कार उन्हें आज से पहले क्यों नहीं मिला?
अब आप कहेंगे पहले कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तो उन्होंने नहीं दिया! भाई पिछले साल तो भाजपा की ही सरकार थी यही मोदीजी प्रधानमंत्री थे फिर ये पुरूस्कार उन्हें पिछले साल क्यों नहीं मिला?
जब आप इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे की आखिर इस एक साल में इन जनाब ने ऐसा क्या कर दिया जिससे उन्हें पदम अवार्ड से सम्मानित किया गया? तो आपको जवाब में अपने आप पता लग जाएगा की ये अवार्ड उन्हें उनकी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि चापलूसी और सत्ता के हाथो नाचने के लिए मिला है। अभिनय तो खैर साहब है बहुत वर्षो तक किया है और कर भी रहे है बल्कि सत्ता के लिए किया गया अभिनय उन सभी फ़िल्मी दुनिया के अभिनय (जिनसे आप और हम अनुपम खैर को जानते है) पर भारी पड़ गया और आखिर ये अवार्ड उन्हें मोदी वफादारी के लिए मिल ही गया।
जिस समय देश में अहिष्णुता के खिलाफ समाज के जाने माने लेखक, कवि, फ़िल्मी कलाकार, समाज सेवी अपने अवार्ड वापस करने लगे और देश और दुनिया में मोदी सरकार की फजीहत होने लगी तब इन्ही अनुपम खैर ने मोदी की इज्जत एक मार्च निकालकर बचायी थी, उस इज्जत बचाने के बदले आखिर मोदीजी ने भी उन्हें इस इज्जत से नवाज ही दिया।
पर ये क्या अनुमप खैर साहब आप तो ये अवार्ड पाकर घमंड में आ गए? घमंड कभी भी किसी के लिए अच्छा नहीं होता और ना ही वो ज्यादा समय के लिए टिक पाता है।
अवार्ड मिलते ही आप जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पब्लिक के बीच खड़े होकर माँ बहन की गाली निकालने लगते हो? खुद की इज्जत ना करते कम से कम इस अवार्ड की तो इज्जत करते जिससे आपको नवाजा गया है? एक मंच से खड़े होकर बेहन्चो*** बोलना आपको कहाँ तक शोभा देता है?
यही नहीं क्या आपका ये ट्वीट एक पद्म भूषण अवार्ड प्राप्त व्यक्ति का सा लगता है? जिसमे आपके बेहद ही छिछोरे और गली के आवारा लड़के की भाषा का उपयोग किया?
अर्थात 2010 में और 2013 में जब आपने ये ट्वीट किये थे तब क्या आपने बरनोल का सारा स्टॉक अकेले ने खरीद कर काम में लिया था? तभी तो शायद आपको ये अनुभव होगा की ऐसे समय में बर्नोल को उपयोग होता है? इतने सालो तक आपने तो खूब बरनॉल का उपयोग किया होगा?
सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ कर या उनके आदेश से दुम हिलाकर तो ये अवार्ड कोई भी हासिल कर लेता है सरजी, मजा तो तब आता जब आप अपनी काबिलियत के दम पर ये अवार्ड पाते और गर्व से सीना तानकर सबको कह सकते की मुझे पदम भूषण अवार्ड मिला है, नाकि इस घमंड भरी भाषा का उपयोग करते।
"AWARDS in our country have become a mockery of our system.There is NO authenticity left in any one of them.B it films, National or now PADMA"
"Happy, Humbled & Honoured to share that i have been awarded The PADMA BHUSHAN by the Govt. of India. Greatest news of my life:)#JaiHind"
#PadmaAward4Bhakts, #PadmaBhushan, #Award, #AnupamKher, #KiranKher, #Kiran, #Jaipur, #LitFest, #LitratureFestival
ये जो पब्लिक है सब जानती है ..... ये जो पब्लिक है
ठीक ही तो कहा है और इन अवार्ड की लिस्ट देखे तो आप समझ ही गए होंगे की इनमे से अधिकतर लोगो को ये पुरस्कार इनकी काबिलियत पर कम और किन्ही और कारणों से ज्यादा मिला है।
मैं कतई ये नहीं कह रहा की इन लोगो में काबिलियत नहीं है, हाँ इनमे काबिलियत है पर अफ़सोस ये पुरूस्कार इन्हे इनकी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ने से मिला है।
खुद ये लोग अवार्ड लेकर खुश भले ही होंगे और अपने बायोडाटा में सोशल साइट पर प्रोफाइल में पदम भूषण, पदम विभूषण, पदम श्री लिख लेंगे लेकिन जब कभी आईने के सामने खड़े होकर खुद से बात करेंगे तो इनका जमीर यदि ज़िंदा रहेगा तो कभी ये गवाही नहीं देगा की ये अवार्ड अपनी काबिलियत के दम पर मिला है।
कैसे ये नजरे मिलाएंगे अपने आप से? क्या किस्से सुनाएंगे अपने बच्चों या भावी पीढ़ी को? यही की हममे काबिलियत तो बहुत थी पर जब हमने सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ा तो हमे ये अवार्ड मिला।
Anupam Kher Padma Bhushan Award |
अनुपम खैर का वो ट्वीट जिनमे वो खुद स्वीकार करते है की अवार्ड एक मजाक है और ये पहले से फिक्स होते है।
AWARDS in our country have become a mockery of our system.There is NO authenticity left in any one of them.B it films, National or now PADMA
— Anupam Kher (@AnupamPkher) 26 Gennaio 2010
Most of them.:) @Harshal_Tank: you can yes or no. Awards are fixed....”
— Anupam Kher (@AnupamPkher) 27 Dicembre 2013
अवार्ड मिलने से ख़ुशी सबको होती है और होनी भी चाहिए ये गर्व की बात है चाहे फिर वो आपको अपने कार्य क्षेत्र में उपलब्धि से मिला हो या फिर किसी एक ख़ास राजनैतिक दल के लिए काम करने पर मिला हो।अब आप कहेंगे नहीं भाई अनुपम खैर को उनके काबिलियत के दम पर ये अवार्ड मिला है, चलो कुछ पल के लिए मैं आपकी बात मान भी लेता हूँ, तो भाई ये पुरूस्कार उन्हें आज से पहले क्यों नहीं मिला?
अब आप कहेंगे पहले कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तो उन्होंने नहीं दिया! भाई पिछले साल तो भाजपा की ही सरकार थी यही मोदीजी प्रधानमंत्री थे फिर ये पुरूस्कार उन्हें पिछले साल क्यों नहीं मिला?
जब आप इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे की आखिर इस एक साल में इन जनाब ने ऐसा क्या कर दिया जिससे उन्हें पदम अवार्ड से सम्मानित किया गया? तो आपको जवाब में अपने आप पता लग जाएगा की ये अवार्ड उन्हें उनकी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि चापलूसी और सत्ता के हाथो नाचने के लिए मिला है। अभिनय तो खैर साहब है बहुत वर्षो तक किया है और कर भी रहे है बल्कि सत्ता के लिए किया गया अभिनय उन सभी फ़िल्मी दुनिया के अभिनय (जिनसे आप और हम अनुपम खैर को जानते है) पर भारी पड़ गया और आखिर ये अवार्ड उन्हें मोदी वफादारी के लिए मिल ही गया।
जिस समय देश में अहिष्णुता के खिलाफ समाज के जाने माने लेखक, कवि, फ़िल्मी कलाकार, समाज सेवी अपने अवार्ड वापस करने लगे और देश और दुनिया में मोदी सरकार की फजीहत होने लगी तब इन्ही अनुपम खैर ने मोदी की इज्जत एक मार्च निकालकर बचायी थी, उस इज्जत बचाने के बदले आखिर मोदीजी ने भी उन्हें इस इज्जत से नवाज ही दिया।
पर ये क्या अनुमप खैर साहब आप तो ये अवार्ड पाकर घमंड में आ गए? घमंड कभी भी किसी के लिए अच्छा नहीं होता और ना ही वो ज्यादा समय के लिए टिक पाता है।
अवार्ड मिलते ही आप जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पब्लिक के बीच खड़े होकर माँ बहन की गाली निकालने लगते हो? खुद की इज्जत ना करते कम से कम इस अवार्ड की तो इज्जत करते जिससे आपको नवाजा गया है? एक मंच से खड़े होकर बेहन्चो*** बोलना आपको कहाँ तक शोभा देता है?
यही नहीं क्या आपका ये ट्वीट एक पद्म भूषण अवार्ड प्राप्त व्यक्ति का सा लगता है? जिसमे आपके बेहद ही छिछोरे और गली के आवारा लड़के की भाषा का उपयोग किया?
Sunn raha hoon hai aaj bazaar mein Burnol bahut zoro shoro se bik raha hai.
— Anupam Kher (@AnupamPkher) 25 Gennaio 2016
अर्थात 2010 में और 2013 में जब आपने ये ट्वीट किये थे तब क्या आपने बरनोल का सारा स्टॉक अकेले ने खरीद कर काम में लिया था? तभी तो शायद आपको ये अनुभव होगा की ऐसे समय में बर्नोल को उपयोग होता है? इतने सालो तक आपने तो खूब बरनॉल का उपयोग किया होगा?
सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ कर या उनके आदेश से दुम हिलाकर तो ये अवार्ड कोई भी हासिल कर लेता है सरजी, मजा तो तब आता जब आप अपनी काबिलियत के दम पर ये अवार्ड पाते और गर्व से सीना तानकर सबको कह सकते की मुझे पदम भूषण अवार्ड मिला है, नाकि इस घमंड भरी भाषा का उपयोग करते।
"AWARDS in our country have become a mockery of our system.There is NO authenticity left in any one of them.B it films, National or now PADMA"
"Happy, Humbled & Honoured to share that i have been awarded The PADMA BHUSHAN by the Govt. of India. Greatest news of my life:)
#PadmaAward4Bhakts, #PadmaBhushan, #Award, #AnupamKher, #KiranKher, #Kiran, #Jaipur, #LitFest, #LitratureFestival
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