Sunday, January 17, 2016

Thanks Bhawana Arora #KejriwalTheatrics #IncompetentDelhiPolice

धन्यवाद भावना अरोड़ा जी,
आपने आज जो भी किया उससे भी कई लोगों  पोल खुल गयी और एक सबसे बड़ी बात जो अरविन्द केजरीवाल सदा कहता है कि ये सुरक्षा नहीं दे रखी है बल्कि पुलिस के भेष में जासूस छोड़ रखे है को और भी स्पष्ट कर दिया।

अरविन्द केजरीवाल ने एक बार नहीं हजार बार कहा है मुझे नहीं चाहिए ये सुरक्षा वापिस ले लीजिये, लेकिन हकीकत यही है की सुरक्षा का तो केवल बहाना है मोदीजी ने अपने जासूस लगा रखे है ये पता करने के लिए की अरविन्द से कौन कौन मिलने आते है वो कहाँ कहाँ जाते है आदि आदि।

यदि सच में जो ये पुलिस मोदीजी ने अरविंदजी  आगे पीछे लगा रखी है वो उनकी सुरक्षा के लिए होती तो क्या आज भावना जी अपने जेब में स्याही लेकर अरविंदजी के ठीक सामने पहुँच पाती? क्या सच में  सुरक्षा होती तो ये पुलिस वाले जो सुरक्षा के नाम पर तैनात थे वो उस भावना जी अरविन्द जी तक पहुँचने से पहले रोककर ये नहीं जानना चाहते की वो महिला कौन है क्यों वो अरविंदजी के पास जाना चाहती है?

लेकिन सुरक्षा के नाम पर तैनात दिल्ली पुलिस के इन जासूसों ने ऐसा कुछ नहीं किया और भावना अरोड़ा को आसानी से अरविंदजी तक पहुँचने दिया तो स्तिथि स्वतः स्पष्ट हो जाती है की दिल्ली पुलिस अरविन्द के इर्द गिर्द उनकी सुरक्षा में नहीं अपितु उनकी जासूसी में तैनात है।

भावना जी आपकी स्याही ने कईयों के चेहरे से नकाब उतार दिए आज, पहला तो इससे दिल्ली पुलिस पूर्णतया बेनकाब हो गयी।
Bhawana Arora BJP Supporter working for BJP in Aam Aadmi Sena
भावना अरोड़ा, Bhawana Arora, BJP Supporter
मैं तो अब आपके बारे में सोच रहा हूँ भावनाजी, आपने स्याही तो किसी के कहने पर या किसी लालच में आकर फेंक दी लेकिन अपने खुद के लिए एक मुसीबत पाल ली आपने, जिसके भी कहने से आपने ये स्याही फेंकी है कल को वो आपको इसी घटना को लेकर कोई और अपराध करने का दबाव बना सकता है, वरना आपको कहेगा की अब ये नहीं करोगी तो मैं सबके सामने तुम्हारा सच बता दूंगा की कैसे और कितने रूपये लेकर आपने उस समय अरविंदजी पर स्याही फेंकी थी। कुछ तो सोचती ऐसा करने से पहले भावना जी, आप एक औरत है कल को एक माँ भी बनेगी क्या आप यही शिक्षा अपने बच्चे को भी देंगी की स्कूल में टीचर पर स्याही फेंक देना, नौकरी करो तो बॉस पर स्याही फेंक देना?

चलो आप अपने बच्चे को ये शिक्षा नहीं देंगी पर कोई ना कोई तो उसे ये बता ही देगा की उसकी माँ ने कैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री पर स्याही फेंकी, और हो सकता है वो भी आपके नक्से कदम पर चले और एक दिन आपको अपने बच्चे के स्कूल की अनुशासन समिति से लेटर मिले की आपके बच्चे को टीचर पर स्याही फेंकने के कारण स्कूल से निष्काषित किया जाता है और उसके चरित्र वाले कॉलम में ये रिमार्क लगा दे तो आप क्या करोगी?
आप अपने बच्चे को किस मुहं से कहोगी की उसने ऐसा क्यों किया? उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था? यदि आप उसे ऐसा कहेंगी तो वो आपको कहेगा की ये सब तो उसने आपसे ही सीखा है!!!

भावना जी कुछ लोगों के बहकावे में आकर क्या आपने सच में एक बहुत बड़ी गलती कर दी है?

चलो आपने जो भी किया कभी न कभी आप जब शांत मन से इस बारे में सोचेंगी तो स्वतः खुद को लानत देने लगेंगी और समझ जायेगी की आपने एक अच्छे नागरिक होने का परिचय तो नहीं दिया है। मैं तो आपको फ्हिर भी धन्यवाद ही करना चाहूँगा क्योंकि आपने एक तो सारे दिल्ली वासियों और भारत वर्ष के लोगो को ये दिखा दिया है की जो दिल्ली पुलिस अरविन्द जी के आगे पिछे लगा रखी है वो उनकी सुरक्षा के लिए कतई नहीं है अपितु वो उनकी जासूसी के लिए है, सुरक्षा के लिए होती तो आप  अरविंदजी तक पहुँच पाती और यदि पहुँच पाती तो उससे पहले आपकी तलाशी होती जिसमे आपके पास स्याही मिलते ही आपको सवाल किये जाते और आपको अरविंदजी के पास जाने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया जाता।

खैर आपने एक और बात साबित करदी आज की अरविंदजी अब भी आम आदमी ही है और आम जनता उन तक अासानी से पहुँच सकती है जो की भारत के किसी भी मुख्यमंत्री के पास नहीं पहुँच सकती, अरविंदजी के पास आम आदमी तब भी पहुँच पाता था जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे और आज भी पहुँच पाता है जब वो मुख्यमंत्री है, ऐसा मुख्यमंत्री भारत को पहली बार मिला है जिस तक हर कोई  पहुँच सकता है, मिल  सकता है, जिस मुख्यमंत्री के पास पहुँचने से पहले आपको कोई रोकता या टोकटा नहीं है, कितना आम और साधारण है ना अरविंदजी आज भी जब वो एक राज्य के मुख्यमंत्री है॥

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