Wednesday, January 22, 2014

CM sleeping on Road-अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री सर्दी की रात में खुली सड़क पर

अरविन्द मेरी नजरो में एक बार और महान हो गया है

20 दिसंबर की दिल्ली की सर्द रात में एक देशभक्त अपने सैकड़ो साथियों के साथ खुली सड़क पर धरने पर बैठा हुआ, और वो भी किसके लिए? इस देश की जनता को सुरक्षित करने के लिए, दिल्ली पुलिस के अमानवीय रवैये के खिलाफ, अब शायद ये लिखना तो जरुरी नहीं होगा की दिल्ली पुलिस अमानवीय कैसे हो गयी? खैर शायद दिल्ली पुलिस खुद अमानवीय ना हो उन्हें भी अपने आकाओ के हुकुम का पालन करना पड़ता है पर आखिरकार जवाबदेह तो वही होगा ना जो कार्यवाही करता है!

बीते तीन सालो में दिल्ली पुलिस ने अपनी अमानवीयता को प्रदर्शित करने का एक भी अवसर हाथ से नहीं जाने दिया, चाहे वो बाबा रामदेव का आंदोलन हो, दामिनी और गुड़िया का रैप हो या आज का "आम आदमी पार्टी" का शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन, हर बार उन्होंने अपनी लाठियो का जमकर प्रयोग किया है दिल्ली की जनता को ये दिखाने के लिए "उखाड़ लो जिसे उखाड़ना है" हम तो ऐसा ही करेंगे !

लेकिन इस बार एक देशभक्त ने ये सब चुपचाप सहन नहीं किया और जिसे लोग जिद्दी कहते है वो अपनी उसी जिद्द के साथ गृह मंत्रालय के बाहर धरना देने अपने पुरे मंत्री मंडल के साथ पहुँच गया, सियासी ताकतो ने उन्हें रेल भवन के पास ही रोक लिया और ये देशभक्त वही पर बैठ गया धरने पर, दिल ढलने लगा, रात का अन्धेरा और दिल्ली की सर्दी अपना पाँव पसार रही थी मुझे यहाँ इटली में भी उस देशभक्त को सर्दी की रात में सड़क पर लेता देखकर ना नींद आ रही थी और ना ही कुछ खाने की इच्छा हो रही थी, दो बार कोशिश की खाने की पर कुछ भी गले से नीचे नहीं जा रहा था, आखिर क्यों ये आदमी इस सर्दी में दिल्ली की सड़क पर सोने को मजबूर हो रहा है, किस चीज की कमी है, एक परिवार है, पत्नी है, बच्चे है, माँ बाप है ये भी मेरे और लाखो लोगो के जैसे मस्ती से गर्म रजाई में अपने बच्चो के पास सो सकता था लेकिन उससे दिल्ली पुलिस की ये ज्यादती स्वीकारी ना गयी और भीड़ गया अपने विशवास और जनता के मुद्दो पर पूरी सियासत से, और मजे की बात है की जैसे ही अरविन्द ने धरने की घोषणा की, वे सभी लोग जो दिल्ली पुलिस को निकम्मी और भ्रष्ट बताते थे वो अचानक से दिल्ली पुलिस को सही बताने लग गए और अरविन्द के धरने को गलत, इनमे एक नाम खुद पुलिस में रह चुकी किरण बेदी का भी है, बाकी बीजेपी की तो बात ही क्या करनी वो तो हर उस काम को गलत बताएँगे जो अरविन्द करेगा और फिर ये भी कहेगे की वो तो ये सब पहले से ही कर रहे है इसमे अरविन्द ने नया क्या कर दिया, कई बार तो मुझे हंसी आ जाती है बीजेपी के लोगो को टीवी दिबते पर सुनता हूँ तो|

खैर अरविन्द का धरना जारी था सर्दी बढ़ रही थी और ये लो कांग्रेस की एक और चाल, धरनास्थल के आस पास की स्ट्रीट लाइट बंद करवा दी गयी, कम से कम ये स्ट्रीट लाइट कुछ गर्माहट का आभास तो करवा रही थी और कुछ नहीं तो उजाला ही था, लेकिन वो भी अब नहीं रहा, लेकिन इन देशभक्तो का जज्बा कहाँ कम होने वाला था |

हाँ कांगेस और बीजेपी जिस तर्क से "आप" को घेर रही थी "इस धरने की वजह से दिल्ली में जाम लग रहा है, आम आदमी परेशान हो रहा है" वो भी कांग्रेस की ही एक सुनियोजित चाल थी, जिसके तहत उन्होंने दिल्ली मेट्रो के चार स्टेशन बंद कर दिए, तो जाहिर सी बात है को लोग मेट्रो से जाते थे, वे सब अपनी कार से जा रहे है और ट्राफिक का बढ़ना स्वाभाविक था, पर बड़ी चतुराई से ये भी "आप" के मत्थे मढ दिया गया |

देशभक्तो को इन आरोपो की कहाँ चिंता थी, वो तो वही डटे हुए थे अपने और आम आदमी के हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए, करते करते सुबह हो गयी, और ये लो मौसम ने रही सही कसर पूरी करदी बारिश शुरू हो गयी पर ये देशभक्त वही डटे रहे अपनी मांगो के साथ |

धीरे धीरे दिन चढ़ने लगा, दिल्ली के लोग धरने को अपना समर्थन देने खुल कर सामने आने लगे, और केंद्र सरकार को थोड़ा सोचने पर मजबूर कर दिया, किसी तरह दिल्ली के उप राजयपाल महोदय की मदद से जिन पुलिस अधिकारियो पर इल्जाम था उन्हें लम्भी छुट्टी पर भेजा गया और गणतंत्र दिवस को मध्य नजर रखते हुए उप राज्यपाल महोदय के आग्रह को स्वीकार कर अपना धरना समाप्त किया|

बहुत से सवाल अब भी बीजेपी.कांग्रेस ने खड़े कर दिए क्या मिला इस धरने से, मिला ये की इन सरकारो को पता चल गया की देश का यवा अब गुस्से में है और अब भी नहीं सुधरी ये सरकारे तो आने वाले लोकसभा चुनाव में यही जनता इन सबका जवाब अपने वोट से देगी |

दोस्तों अरविन्द जैसा देशभक्त मैंने आज तक नहीं देखा और वो खुद ही नहीं उनके सभी साथी, मंत्री मंडल के सभी साथी, ऐसे ही देशभक्त है, एक मंत्री आम जनता की आवाज पर खुद जनता के साथ आधी रात को निकल जाता है, उन्हें ये जवाब नहीं देता आप अपनी शिकायत लिखकर दे दो हम कार्यवाही करेगे वो तो उसी समय जनता के साथ निकल पड़ते है |