Friday, January 29, 2016

तो क्या अब मोदीजी देश द्रोही हो गए?

चौंक गए पोस्ट का टाईटल देखकर?

बिलकुल मैं यही सवाल आपसे करना चाहता हूँ, क्या अब मोदीजी देश द्रोही हो गए? खैर मेरा ये सवाल एक ख़ास वर्ग के लिए है जो अत्यधिक भावुक वर्ग है, अपने आप को राष्ट्रवादी कहता है और राष्ट्रवाद के नाम पर उन्हें कोई कुछ भी कह दे वो बिना उस मामले को जाने, तुरंत भावावेश में आ जाते है, सोशल मिडिया पर गालियों की बौछार के साथ अपने देशभक्त होने का परिचय देने लगते है।
सामने वाले को पाकिस्तानी, देश्द्रोशी और बहुत ही अभद्र भाषा का प्रयोग केवल उस व्यक्ति ही नहीं बल्कि उसके पूरे खानदान को लेकर किया जाता है। इस पर भी यदि जिसे ये लोग कटघरे में खड़ा कर देते है उसका धर्म उनसे भिन्न हो तब तो मानो सामने वाले पर कहर टूट पड़ता है।
बस इस वर्ग विशेष की इसी भावुकता का फायदा कुछ राजनैतिक दल उठाते है और वो भी आग में घी डालने के लिए  संबंधित मुद्दे पर अभद्र कॉमेंट कर देते है।
बस अब क्या चाहिए इस भावुक जमात को हो जाते है अपने नेताओ के पीछे और सामने वाले की इज्जत की धज्जियाँ उड़ा देते है।
उनके ऐसा करने से सम्बंधित व्यक्ति थोड़ा हताश तो हो जाता है पर बेनकाब ये भीड़ हो जाती है जो बिना किसी तथ्य को जाने अंध भक्ति में मगन होकर अपना आपा खो बैठते है। यदि ये आपा  केवल सोशल  में ही खोते है तो कम से कम उन्हें कोई शारीरिक हानि नहीं होती है पर सोचो यदि  ये ऐसा वास्तविक जीवन में करने लगे तो अपना जीवन बर्बाद ही कर बैठेंगे और आपकी बर्बादी के दम पर ये राजनैतिक दल सत्ता हासिल कर जाते है और चाहकर भी वहाँ  वापस नहीं लौट पाते जहाँ पर आप इस भावुकता में बह गए थे।

ऐसा ही एक वाक्या 26 जनवरी 2015 को हुआ था।
अचानक से सोशल मिडिया के जरिये एक तस्वीर देश विदेश में सबके मोबाइल/कंप्यूटर पर शेयर होने लगी जिसमे भारत के उप-राष्ट्रपति महोदय हामिद अंसारी जी के तिरंगे को सलामी ना देने की तस्वीर दिखाई गयी और इस तस्वीर के जरिये इस भावुक वर्ग के दिलों में जहर घोलने की भरपूर कोशिश की गई।
शर्म तो तब आती है जब इसमें मिडिया भी शामिल हो जाता है, सुदर्शन चैनल ने इस पर पूरा 1 घंटे का प्रोग्राम कर डाला जिसमे वो उप राष्ट्रपति महोदय की देशभक्ति पर प्रश्न चिन्ह लगाते है।
सोशल मिडिया पर मानो आंधी आ गयी हो, ये भावुक वर्ग अँधा होकर उस आँधी के साथ उड़ने लगा और उप राष्ट्रपति महोदय के देश भक्ति पर एक बड़ा सा प्रश्न चिन्ह लगा दिया।
ये कुछ ट्वीट है जिनमे उप राष्ट्रपति महोदय को लेकर भद्दी टिप्पणी  की गयी



Is Narendra Modi insulted Tri Color, Modi deshdrohi hai? why Modi not salute Tiranga?
Is Narendra Modi Desh Drohi as he not salute TriColor?
अब आते है 26 जनवरी 2016 पर, वही स्थान, वही मौका और वही लोग पर इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने तिरंगे को सलामी नहीं दी!!!
तो यदि ये राष्ट्रभक्ति का ढोंग रचने वाले चंद लोग उस समय उप राष्ट्रपति महोदय को देशद्रोही और अन्य गलत शब्दों से सम्बोधित कर सकते है तो आज वही मापदंड नरेन्द्र मोदी के लिए क्यों नहीं? उस हिसाब से तो इस बार नरेंद्र मोदी देशद्रोही हो गए, उन्हें भारत में रहने का कोई हक नहीं रहा, वो तो पाकिस्तान जाकर वहाँ चरण वंदना करके आते है तो शायद इस बार उनके इस पाकिस्तान प्रेम ने उन्हें तिरंगे को अपमानित करने को उकसाया हो? शायद उन्होंने नवाज शरीफ के घर जाकर केक खाकर आये उसका कर्ज तिरंगे को सलामी ना देकर अदा किया हो? ऐसे हजारो बेहूदे सवाल हम भी उन अंध भक्तो और फर्जी राष्ट्रवादियों की तरह खड़े कर  सकते है पर हम ऐसा नहीं करेंगे।
हम केवल उन अंध भक्तो और फर्जी राष्ट्रवादियों को आइना दिखाना चाहेंगे की इस तरह गलत अफवाह फैलाकर देश में नफ़रत  का जहर मत घोलिये, इस भावुक वर्ग की भावनाओ के साथ मत खिलवाड़ करे, वरना जिस दिन ये भावुक वर्ग अपने आपे से बाहर आ गया तुम्हारे तख़्त और ताज को कोई बचाने वाला नहीं मिलेगा।
साथ ही साथ इस भावुक वर्ग से भी मैं अनुरोध करूँगा की किसी भी बात पर इतनी आसानी से आवेश में ना आये, कम से कम थोड़ा बहुत प्रयत्न सच्चाई जानने का भी करे, जितने देश भक्त आप है उतना ही देश भक्त भारत की धरती पर रहने वाला हर वो शख्स है जो इस मातृ भूमि से अपना पालन पोषण करता है।
धन्यवाद
वन्दे मातरम


"Jihadi sympathiser", "anti-India", "traitor", these were some of the names that the vice president of India was hurled at on the country's 66th Republic Day. Many tweeted demanding that Ansari be impeached, the more moderate ones wanted him to resign, the more outraged ones advised him to join the ISIS.

Line in english from the article: http://www.dailyo.in/politics/why-should-hamid-ansari-prove-his-patriotism-republic-day-narendra-modi-aamir-khan-pk-muslims/story/1/1684.html

Tuesday, January 26, 2016

Padma Bhushan Anupam Kher #Award used word BhenCho*** after getting Award

जैसे ही इन पदम अवार्ड की घोषणा हुयी एक गीत कानों में गूंजने लगा

ये जो पब्लिक है सब जानती है ..... ये जो पब्लिक है

ठीक ही तो कहा है और इन अवार्ड की लिस्ट देखे तो आप समझ ही गए होंगे की इनमे से अधिकतर लोगो को ये पुरस्कार इनकी काबिलियत पर कम और किन्ही और कारणों से ज्यादा मिला है।
मैं कतई ये नहीं कह रहा की इन लोगो में काबिलियत नहीं है, हाँ इनमे काबिलियत है पर अफ़सोस ये पुरूस्कार इन्हे इनकी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ने से मिला है।
खुद ये लोग अवार्ड लेकर खुश भले ही होंगे और अपने बायोडाटा में सोशल साइट पर प्रोफाइल में पदम भूषण, पदम विभूषण, पदम श्री लिख लेंगे लेकिन जब कभी आईने के सामने खड़े होकर खुद से बात करेंगे तो इनका जमीर यदि ज़िंदा रहेगा तो कभी ये गवाही नहीं देगा की ये अवार्ड अपनी काबिलियत के दम पर मिला है।
कैसे ये नजरे मिलाएंगे अपने आप से? क्या किस्से सुनाएंगे अपने बच्चों या भावी पीढ़ी को? यही की हममे काबिलियत तो बहुत थी पर जब हमने सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ा तो हमे ये अवार्ड मिला।

Anupam kher Padma Bhushan Award March protest
Anupam Kher Padma Bhushan Award
हम सब जानते है ये अवार्ड का केवल नाटक होता है जिन्हे दिया जाता है वो सब पहले से ही फिक्स होता है, और ऐसा मैं नहीं खुद अवार्ड पाने फ़िल्मी कलाकार और बीजेपी संसद किरण खैर के पति अनुपम खैर भी ये मानते है की अवार्ड पहले से फिक्स होते है और ये अवार्ड केवल एक मजाक बनकर रह गए।

अनुपम खैर का वो ट्वीट जिनमे वो खुद स्वीकार करते है की अवार्ड एक मजाक है और ये पहले से फिक्स होते है।

अवार्ड मिलने से ख़ुशी सबको होती है और होनी भी चाहिए ये गर्व की बात है चाहे फिर वो आपको अपने कार्य क्षेत्र में उपलब्धि से मिला हो या फिर किसी एक ख़ास राजनैतिक दल के लिए काम करने पर मिला हो।

अब आप कहेंगे नहीं भाई अनुपम खैर को उनके काबिलियत के दम पर ये अवार्ड मिला है, चलो कुछ पल के लिए मैं आपकी बात मान भी लेता हूँ, तो भाई ये पुरूस्कार उन्हें आज से पहले क्यों नहीं मिला?

अब आप कहेंगे पहले कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तो उन्होंने नहीं दिया! भाई पिछले साल तो भाजपा की ही सरकार थी यही मोदीजी प्रधानमंत्री थे फिर ये पुरूस्कार उन्हें पिछले साल क्यों नहीं मिला?

जब आप इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे की आखिर इस एक साल में इन जनाब ने ऐसा क्या कर दिया जिससे उन्हें पदम अवार्ड से सम्मानित किया गया? तो आपको जवाब में अपने आप पता लग जाएगा की ये अवार्ड उन्हें उनकी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि चापलूसी और सत्ता के हाथो नाचने के लिए मिला है। अभिनय तो खैर साहब है बहुत वर्षो तक किया है और कर भी रहे है बल्कि सत्ता के लिए किया गया अभिनय उन सभी फ़िल्मी दुनिया के अभिनय (जिनसे आप और हम अनुपम खैर को जानते है) पर भारी पड़ गया और आखिर ये अवार्ड उन्हें मोदी वफादारी के लिए मिल ही गया।

जिस समय देश में अहिष्णुता के खिलाफ समाज के जाने माने लेखक, कवि, फ़िल्मी कलाकार, समाज सेवी अपने अवार्ड वापस करने लगे और देश और दुनिया में मोदी सरकार की फजीहत होने लगी तब इन्ही अनुपम खैर ने मोदी की इज्जत एक मार्च निकालकर बचायी थी, उस इज्जत बचाने के बदले आखिर मोदीजी ने भी उन्हें इस इज्जत से नवाज ही दिया।

पर ये क्या अनुमप खैर साहब आप तो ये अवार्ड पाकर घमंड में आ गए? घमंड कभी भी किसी के लिए अच्छा नहीं होता और ना ही वो ज्यादा समय के लिए टिक पाता है।
अवार्ड मिलते ही आप जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पब्लिक के बीच खड़े होकर माँ बहन की गाली निकालने लगते हो? खुद की  इज्जत ना करते कम से कम इस अवार्ड की तो इज्जत करते जिससे आपको नवाजा गया है?  एक मंच से खड़े होकर बेहन्चो*** बोलना आपको कहाँ तक शोभा देता है?
यही नहीं क्या आपका ये ट्वीट एक पद्म भूषण अवार्ड प्राप्त व्यक्ति का सा लगता है? जिसमे आपके बेहद ही छिछोरे और गली के आवारा लड़के की भाषा का उपयोग किया?

अर्थात 2010 में और 2013 में जब आपने ये ट्वीट किये थे तब क्या आपने बरनोल का सारा स्टॉक अकेले ने खरीद कर काम में लिया था? तभी तो शायद आपको ये अनुभव होगा की ऐसे समय में बर्नोल को उपयोग होता है? इतने सालो तक आपने तो खूब बरनॉल का उपयोग किया होगा?

सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ कर या उनके आदेश से दुम हिलाकर तो ये अवार्ड कोई भी हासिल कर लेता है सरजी, मजा तो तब आता जब आप अपनी काबिलियत के दम पर ये अवार्ड पाते और गर्व से सीना तानकर सबको कह सकते की मुझे पदम भूषण अवार्ड मिला है, नाकि इस घमंड भरी भाषा का उपयोग करते।

"AWARDS in our country have become a mockery of our system.There is NO authenticity left in any one of them.B it films, National or now PADMA"

"Happy, Humbled & Honoured to share that i have been awarded The PADMA BHUSHAN by the Govt. of India. Greatest news of my life:) "

, #PadmaBhushan, #Award, #AnupamKher, #KiranKher, #Kiran, #Jaipur, #LitFest, #LitratureFestival 

Sunday, January 17, 2016

Thanks Bhawana Arora #KejriwalTheatrics #IncompetentDelhiPolice

धन्यवाद भावना अरोड़ा जी,
आपने आज जो भी किया उससे भी कई लोगों  पोल खुल गयी और एक सबसे बड़ी बात जो अरविन्द केजरीवाल सदा कहता है कि ये सुरक्षा नहीं दे रखी है बल्कि पुलिस के भेष में जासूस छोड़ रखे है को और भी स्पष्ट कर दिया।

अरविन्द केजरीवाल ने एक बार नहीं हजार बार कहा है मुझे नहीं चाहिए ये सुरक्षा वापिस ले लीजिये, लेकिन हकीकत यही है की सुरक्षा का तो केवल बहाना है मोदीजी ने अपने जासूस लगा रखे है ये पता करने के लिए की अरविन्द से कौन कौन मिलने आते है वो कहाँ कहाँ जाते है आदि आदि।

यदि सच में जो ये पुलिस मोदीजी ने अरविंदजी  आगे पीछे लगा रखी है वो उनकी सुरक्षा के लिए होती तो क्या आज भावना जी अपने जेब में स्याही लेकर अरविंदजी के ठीक सामने पहुँच पाती? क्या सच में  सुरक्षा होती तो ये पुलिस वाले जो सुरक्षा के नाम पर तैनात थे वो उस भावना जी अरविन्द जी तक पहुँचने से पहले रोककर ये नहीं जानना चाहते की वो महिला कौन है क्यों वो अरविंदजी के पास जाना चाहती है?

लेकिन सुरक्षा के नाम पर तैनात दिल्ली पुलिस के इन जासूसों ने ऐसा कुछ नहीं किया और भावना अरोड़ा को आसानी से अरविंदजी तक पहुँचने दिया तो स्तिथि स्वतः स्पष्ट हो जाती है की दिल्ली पुलिस अरविन्द के इर्द गिर्द उनकी सुरक्षा में नहीं अपितु उनकी जासूसी में तैनात है।

भावना जी आपकी स्याही ने कईयों के चेहरे से नकाब उतार दिए आज, पहला तो इससे दिल्ली पुलिस पूर्णतया बेनकाब हो गयी।
Bhawana Arora BJP Supporter working for BJP in Aam Aadmi Sena
भावना अरोड़ा, Bhawana Arora, BJP Supporter
मैं तो अब आपके बारे में सोच रहा हूँ भावनाजी, आपने स्याही तो किसी के कहने पर या किसी लालच में आकर फेंक दी लेकिन अपने खुद के लिए एक मुसीबत पाल ली आपने, जिसके भी कहने से आपने ये स्याही फेंकी है कल को वो आपको इसी घटना को लेकर कोई और अपराध करने का दबाव बना सकता है, वरना आपको कहेगा की अब ये नहीं करोगी तो मैं सबके सामने तुम्हारा सच बता दूंगा की कैसे और कितने रूपये लेकर आपने उस समय अरविंदजी पर स्याही फेंकी थी। कुछ तो सोचती ऐसा करने से पहले भावना जी, आप एक औरत है कल को एक माँ भी बनेगी क्या आप यही शिक्षा अपने बच्चे को भी देंगी की स्कूल में टीचर पर स्याही फेंक देना, नौकरी करो तो बॉस पर स्याही फेंक देना?

चलो आप अपने बच्चे को ये शिक्षा नहीं देंगी पर कोई ना कोई तो उसे ये बता ही देगा की उसकी माँ ने कैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री पर स्याही फेंकी, और हो सकता है वो भी आपके नक्से कदम पर चले और एक दिन आपको अपने बच्चे के स्कूल की अनुशासन समिति से लेटर मिले की आपके बच्चे को टीचर पर स्याही फेंकने के कारण स्कूल से निष्काषित किया जाता है और उसके चरित्र वाले कॉलम में ये रिमार्क लगा दे तो आप क्या करोगी?
आप अपने बच्चे को किस मुहं से कहोगी की उसने ऐसा क्यों किया? उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था? यदि आप उसे ऐसा कहेंगी तो वो आपको कहेगा की ये सब तो उसने आपसे ही सीखा है!!!

भावना जी कुछ लोगों के बहकावे में आकर क्या आपने सच में एक बहुत बड़ी गलती कर दी है?

चलो आपने जो भी किया कभी न कभी आप जब शांत मन से इस बारे में सोचेंगी तो स्वतः खुद को लानत देने लगेंगी और समझ जायेगी की आपने एक अच्छे नागरिक होने का परिचय तो नहीं दिया है। मैं तो आपको फ्हिर भी धन्यवाद ही करना चाहूँगा क्योंकि आपने एक तो सारे दिल्ली वासियों और भारत वर्ष के लोगो को ये दिखा दिया है की जो दिल्ली पुलिस अरविन्द जी के आगे पिछे लगा रखी है वो उनकी सुरक्षा के लिए कतई नहीं है अपितु वो उनकी जासूसी के लिए है, सुरक्षा के लिए होती तो आप  अरविंदजी तक पहुँच पाती और यदि पहुँच पाती तो उससे पहले आपकी तलाशी होती जिसमे आपके पास स्याही मिलते ही आपको सवाल किये जाते और आपको अरविंदजी के पास जाने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया जाता।

खैर आपने एक और बात साबित करदी आज की अरविंदजी अब भी आम आदमी ही है और आम जनता उन तक अासानी से पहुँच सकती है जो की भारत के किसी भी मुख्यमंत्री के पास नहीं पहुँच सकती, अरविंदजी के पास आम आदमी तब भी पहुँच पाता था जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे और आज भी पहुँच पाता है जब वो मुख्यमंत्री है, ऐसा मुख्यमंत्री भारत को पहली बार मिला है जिस तक हर कोई  पहुँच सकता है, मिल  सकता है, जिस मुख्यमंत्री के पास पहुँचने से पहले आपको कोई रोकता या टोकटा नहीं है, कितना आम और साधारण है ना अरविंदजी आज भी जब वो एक राज्य के मुख्यमंत्री है॥

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दिल्ली सरकार की प्रदूषण के खिलाफ जंग #OddEvenPolicy

सबकी पोल खोलता दिल्ली सरकार की प्रदूषण के खिलाफ जंग Odd ईवन फार्मूला 

अब आप कहेंगे इसमें पोल खोलने वाली कौनसी बात है भाई? दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए एक फार्मूला Odd Even अपनाया जिसके तहत सम दिवस को सम नंबर की गाड़ियाँ और विषम दिवस पर विषम नम्बर की गाड़ियाँ चलेगी, बस इतना ही तो है इसमें किसकी क्या पोल खुल गयी?

अभी आप जैसे जैसे ये पढ़ते जायेंगे आपको समझ आएगी कैसे और किन किन लोगो की पोल दिल्ली सरकार के इस एक निर्णय ने खोल दी है। 

चलो इससे पहले की मैं दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के odd even फोर्मुले का जिक्र करूँ मैं आपको भूतकाल की और लेकर जाना चाहता हूँ, जब केंद्र की मोदी सरकार ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत की, क्या आपमें से कोई भी बता सकता है किसी ने उस स्वच्छता अभियान की खिलाफत की? नेता, पार्टी, सामाजिक संगठन, अभिनेता, टीवी चेनल, न्यूज़ एंकर कोई भी ऐसा होगा जिसने इसकी विरोध में कुछ कहा? मैं अभियान के घोषणा और शुरुआत की बात कर रहा हूँ, आप भ्रमित न हो जाए? क्यों इसके विरोध में भी बाते हुयी थी लेकिन वो बाद में जब मोदी सरकार के मंत्री केवल एक फोटोशूट के लिए हाथ में झाड़ू लेकर खड़े जाते है और सफाई का नाटक करने के लिए पहले कुछ कार्यकर्त्ता पेड़ो पत्ते वहाँ पर बिखेर देते है और बाद में भाजपा मंत्री हाथ में झाड़ू लेकर फोटो शेसन करके चले जाते है। 

मुझे तो कही भी ऐसा याद नहीं आ रहा जहाँ पर किसी भी टीवी चैनल, एंकर, संवाददाता किसी ने भी इसका विरोध किया हो या इसकी खिल्ली उड़ाई हो। 

चलो अब आते है आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण के खिलाफ जंग में सम विषम नियम की घोषणा, जैसे ही दिल्ली सरकार ने इसकी घोषणा की कुछ टीवी चैनल, एंकर और भाजपा व कांग्रेस के तमाम नेता व प्रवक्ताओ ने इसकी जबरदस्त खिलाफत की, चेनलो ने अपने आप से केवल इस अभियान की घोषणा भर मात्र पर प्रश्नचिन्ह लगाकर कुछ इस तरह की कोशिश की जैसे वो इस स्कीम के शुरू होने से पहले ही दिल्ली में ऐसा माहोल बनाने की कोशिश कर रहे हो की दिल्ली की जनता इसके खिलाफ होकर सड़को पर उत्तर आये और इस स्कीम को लागु न होने दिया जाए। 

आखिर क्या चाहते है ये टीवी चैनल व भाजपा कांग्रेस के नेता? दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है, डॉ त्रेहान ने तो दिखाया है कैसे दिल्ली के लोगो के फेफड़े काले है जबकि अन्य राज्य के लोगो के फेफड़े काले नहीं है, उस कालेपन का कारण दिल्ली की हवा में घुला हुआ जहर है जिसे दिल्ली की जनता श्वांश के दवारा अंदर लेने को मजबूर है, ऐसी स्तिथि में यदि किसी सरकार इसे प्राथमिकता पर लेते हुए कुछ कठोर कदम उठाये है तो बजाय इसके की इस मुहीम का समर्थन किया जाए और इसे सफल बनाने में जितना योगदान दिया जा सके उतना योगदान दे के विपरीत सब के सब लग गए की कैसे भी करके इस  योजना को फेल किया जाए? भारतीय जनता पार्टी की सोशल मिडिया टीम ने बिलकुल इसके विरोध में सोशल मिडिया पर #OddEven_का_रायता नाम से हेश टैग भी लॉन्च किया। 

यदि किसी ने इसका विरोध नहीं किया तो वो थी दिल्ली की जनता, हाँ बिलकुल दिल्ली की जनता ने इस मुहीम का खुले दिल से स्वागत किया और दिल्ली की आबो हवा को साफ़ करने के लिए इस कठोर कदम का स्वागत ही नहीं किया अपितु अपनी तरफ से पूरा सहयोग किया, मानो  जनता ने इसे सरकारी आदेश ना मानते हुए  एक आंदोलन, एक मुहीम केरूप में स्वतः ही अपना लिया हो। 

जब जनता का साथ हो तो और क्या चाहिए, और वैसे भी ये दिल्ली की जनता के  लिए किया जा रहा था तो जो भाजपा, कांग्रेस के नेता और कुछ मीडिया वाले इसके खिलाफ थे उनकी क्या परवाह करना आखिर दिल वालो की दिल्ली का समर्थन जो मिल चुका था। 

हाँ यदि किसी चैनल ने इसका समर्थन किया तो मेरी नजर में वो चैनल है NDTV इंडिया हिंदी चैनल जिसने इस मुहीम का खुला समर्थन किया और अपनी तरह से भी एक मुहीम #ICantBreath शुरू की जिसमे वो बार बार दिल्ली की जनता से अपील करते रहे ओड ईवन का पालन करने की। 

प्राइम टाइम शो में रविश कुमार ने तो इस बार खुली बहस भी करवाई और कई रिपोर्ट पेश कर इसका समर्थन करते हुए यहां तक कहा की 1 जनवरी का इन्तजार क्या करना इसे तुरंत लागू करना  चाहिए दिल्ली की हवा पूरी तरह जहरीली हो चुकी  थी और इसे रोकना अत्यधिक जरूरी थी, ये भले किसी को बाहरी तौर पर आसानी से दिखाई ना दे पर इसे आप एक महामारी से भयंकर मान सकते हो, दिसंबर माह में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर हर दिन खतरे से ऊपर था जिसे रोकना बेहद जरुरी था, अब इन सब बातो का तमाम समाचार चैनल वालो, भाजपा, कांग्रेस सबको पता था लेकिन फिर भी दल्ली सरकार के इस कदम का साथ ना देकर इसकी खिलाफत करना? 
क्या सिद्ध करता है? की अपनी राजनितिक विरोधी पार्टी को निचा दिखाने के लिए वो किसी भी हद्द तक गिर सकते है? बहुत अफ़सोस होता है इन पार्टियों के नेताओ पर जो इस तरह की ओछी हरकत से भी बाज नहीं आये, ये तो लाख लाख शुक्र है दिल्ली की जनता का हो इनके किसी बहकावे ने नहीं आई और खुले दिल से इस मुहीम का स्वागत ही नही किया अपितू पूरी दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया की कैसे दिल्ली की जनता सरकार के इस फैसले के साथ खड़ी होकर इसे सफल करवाती है। 

आया समझ में कैसे और किनकी पोल खोली इस मुहीम ने? 

ये मिडिया वाले कुछ चैनल, और देश के  प्रमुख पार्टियाँ जिन्होंने अब तक इस देश पर राज किया वो तो बिलकुल से ही बेनकाब हो गयी, चलो इसी बहाने लोगो को इन पार्टियों और मीडिया हॉउस की सच्चाई और मानसिकता तो पता लगी। 

जब दिल्ली में ओड ईवन चल रहा था तब NDTV ने इसकी सच्चाई जानने के लिए एक एम्बुलेंस के द्वारा परीक्षण किया तो पाया की एक निश्चित दुरी जिसे पूरा करने में इस मुहीम के शुरू होने  35  मिनट लगती थी, ओड इवन के दौरान वहीं दूरी मात्र 18 मिनट में पूरी की। तो आप अंदाजा लगा  सकते है कैसे ये स्कीम  के हित में थी। 
धन्यवाद दिल्ली ये सब केवल आपके सहयोग से संभव हो पाया। 

#OddEvenPolicy, #OddEvenFormula, #OddEven, #OddEvenSuccess, #ThanksDelhi, #धन्यवाद_दिल्ली, #सम_विषम_नियम, Aam Aadmi party, Delhi Government, Arvind Kejriwal

Friday, January 15, 2016

वाह मोदीजी वाह - Vaah Modiji Vaah #MakeInIndia

वाह मोदीजी वाह,
मेरा भारत, सवा सो करोड़ भारतीय, हिन्दुस्तान की काबिलियत
आप ने एक पल में इन सबको ताक पर रख दिया?
भारत माँ के लाडलो पर एक तरफ जहाँ सारी दुनिया नाज करती है और उनकी बुद्धिमता का लोहा मानती है आपने उसी भारत माँ के लाडलो पर तनिक भी भरोसा नहीं किया?
अफ़सोस!!!
अफ़सोस आपने एक पल के लिए भी नहीं सोचा की  इन सवा सो करोड़ भारतीयों में इस अदने से काम के लिए किसी में  भी काबिलियत नहीं है?
मेक इन इंडिया Make In India
बात करते हो मेक इन इंडिया "Make In India" की और उसी की नींव आपने विदेशी हाथो में दे दी?
जी हाँ मैं उसी मेक इन इण्डिया की बात कर रहा हूँ,  जिसकी बात आप बड़े गर्व से करते है, पर अफ़सोस इसकी नींव रखने का मौका भी आपने उस भारत को नहीं दिया जिस भारत में आप बनाना चाहते है।
क्या करूँ आपके इस दोगलेपन पर हंसु या गुस्सा करूँ या सारी दुनिया के सामने चिल्ला चिल्ला कर कहूँ की ये देखो हमने शुरुआत की मेक इन इंडिया की लेकिन हमे उसी इंडिया पर कोई भरोसा नहीं है जिसके लिए हम आपसे कह रहे है की आओ और हमारे भारत  में निर्माण करो।
हाँ आपसे कहूँगा  की भारत में आकर बनाओ, मेक इन इंडिया लेकिन मैं इसी मेक इन इंडिया का लोगो तक इस भारत में नहीं बनवाऊंगा।
कितने दुर्भाग्य की बात है भारत और भारतवासियों के लिए की मोदीजी ने उन्हें इस लायक भी नहीं समझा की वो एक लोगो तैयार कर सके।
मैं तो सोच रहा हूँ आप किस मुहँ से दुनिया को कह रहे हो की आइये और हमारे भारत में निर्माण कीजिये, निवेश कीजिये।
सोचो आप किसी देश में बड़े बड़े पूंजीपतियों, आद्योगिक घरानो के सामने आवाहन कर रहे है "आइये और  हमारे भारत में निवेश कीजिये, आप भारत में अपना प्रोडक्शन किजिये, हममे मेक इन इंडिया  शुरू की है"
और ठीक उसी पल उस  भीड़ में से कोई एक आदमी खड़ा होकर आपसे कहे
"मोदीजी किस भारत मैं आकर निवेश करे? उसी में जो अपनी इस मुहीम का लोगो तक नहीं बना सकता, एक छोटा सा लोगो तो आपको विदेशो में बनवाना पड़ता है और हमे आप कह रहे है की भारत में आकर निर्माण करे?"
क्या आप उस समय उन सब लोगो से नजरे मिलाकर बात कर सकोगे?
क्या मजबूरियां है आपकी मोदीजी जो आप इस सवा सो करोड़ भारतीयों को इस गर्व का मौका नहीं देना चाहते?
कितना अच्छा होता इसी भारत का कोई लाल ये #मेक_इन_इंडिया का लोगो बनाता और उसकी पीढ़िया भी ये किस्से दुनिया भर को सुनाती की हमारे वंशज ने मेक इन इंडिया की नींव में अपना योगदान दिया था।
भारतीय बहुत ही खुले दिल के होते है मोदीजी आपकी जो  मजबूरियां है सबके सामने सच्चे दिल से रखो, ये भारत माँ के लाल आपके साथ खड़े दिखाई देंगे पर ऐसे इनका अपमान तो मत करो प्लीज॥
ये रही वो RTI की खबर के लिंक जिनसे इस बात का खुलासा हुआ कि "#MakeInIndia" का लोगो विदेश में बना है।
 http://economictimes.indiatimes.com/news/economy/policy/make-in-india-logo-designed-by-foreign-firm-says-rti/articleshow/50574597.cms?platform=hootsuite

 

Wednesday, January 13, 2016

#OddEvenFormula - सम विषम नियम विदेशी मिडिया कवरेज

#सम_विषम_फार्मूला #OddEvenPolicy
अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व ने बनी आम आदमी पार्टी की  दिल्ली सरकार ने दिल्ली वासियों के काले फेफड़ो की कालिख को मिटाने का ऐतिहासिक और बहुत साहसिक कदम उठाया, जिसे दिल्ली की जनता ने ही नहीं देश और विदेशो में भी सराहा गया।

एक तरफ दुनिया भर के तमाम मिडिया में इसे कवरेज मिला तो दूसरी तरफ दिल्ली की जनता ने इसे दिल सा प्यार किया और अपनाया, आखिर दिल्ली की जनता की ही भलाई के  लिए था तो अपनाना तो स्वाभाविक था।
दिल्ली सरकार द्वारा हाई कोर्ट  में पेश की गयी रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली में प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है।

इटली की सबसे प्रमुख समाचार एजेंसी ANSA ने भी इसे कुछ इस तरह अपनी वेबसाइट पर लिखा है।

Link of original news

हिंदी अनुवाद :-

दिल्ली में अल्टेरनेटिव नंबर प्लेट, धुंध(smog) में गिरावट 

सरकार का कहना १० दिन बाद ५०% तक गिरावट 


नई दिल्ली सरकार का कहना है की पहली जनवरी से लागू किये गए अल्टरनेटिव नंबर प्लेट फॉर्मूले की वजह से यातायात ट्राफिक में भारी गिरावट आई और इसकी वजह से दिल्ली में वातावरण प्रदूषण ५०% तक कम हुआ है।
विशेष रूप से PM 10 और PM ,5 बहुत तेजी से गिरा है।

(और यहां पर भारतीय मीडिया की पोल भी खोल दी ये लाइन मेरा कमेंट है ANSA की न्यूज़ का अंश नहीं है )

हालांकि भारतीय मिडिया का कहना है की हवाओं की वजह से महानगर पर छाया धुआँ (कोहरा, स्मोग) हट गया। अल्टेरनेटिव नंबर प्लेट 15 जनवरी तक जारी रहेगी।