Thursday, January 29, 2015

Is Kiran Bedi a liar? तो क्या किरण बेदी झूठी है?

यही कहानी सुनते सुनते हम बड़े गए है "एक बहादुर पुलिस अधिकारी जिसने अपनी ड्यूटी निभाते हुए प्रधानमन्त्री की कार उठवा दी थी" और जब ये सुनते थे हम भी बहुत गर्व करते थे और दिल से यही निकलता था शाबास किरण बेदी तुम करोड़ो हिन्दुस्तानियों के  प्रेरणा हो। हमारे माँ बाप ने हमे यह कहानी सुनाई किरण बेदी की बहादुरी की मिसाल देते हुए और हम ये कहानी अपने बच्चो को सुनाते रहे उसी किरण बेदी की बहादुरी की मिसाल देते हुए पर ये क्या आज हमे पता लगा की ये सब झूठ था!!!
हमे पता लगा की किरण बेदी कैसे दुनिया से झूठ बोलती रही!!!
कैसे भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनने वाली किरण बेदी अपनी शान में झूठ बोलकर लोगो को गुमराह करती रही?
आज मेरे ही बच्चो के सामने मैं झूठा हो गया, आज मेरे बच्चे मुझसे ये  सवाल करते है पापा आपने हमे झूठी कहानी क्यों सुनाई?
खैर मैंने तो इसलिए सुनाई क्योंकि ये झूठ खुद किरण बेदी ने फैलाया था और मैंने उस पर भरोषा कर लिया मुझे क्या पता था की किरण बेदी भरोषे करने लायक नहीं है, जो औरत इतना बड़ा झूठ बोल सकती है किसी और का काम का श्रेय भी खुद लेती है उस पर कोई कैसे भरोषा करे।
अब जैसे की वो भारतीय जनता पार्टी की सदस्य है (अभी दिल्ली बीजेपी की तरफ से विधानसभा चुनाव भी लड़ रही है और दिल्ली बीजेपी के मुख्यमंत्री पद की दावेदार भी) तो जरूर भाजपा के कार्यकर्ता ये सवाल करेंगे की नहीं उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा ये तो लोगो ने अफवाह फैला दी, तो दोस्तों यहाँ मैं कुछ ऐसे सबूत रखना चाहता हूँ जहाँ खुद बेदी ने कहा की उन्होंने कार उठायी थी, और अफ़सोस उन्हें जरा भी शर्म नहीं आई छोटे छोटे बच्चो के सामने झूठ बोलते हुए।
ये टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के 27  अप्रेल 2010  के अखबार में छपी हुयी खबर है   
Times of India 27 April 2010
Cutting of News Paper Times of India
“I knew I will be transferred when I decided to tow Indira Gandhi’s car (for illegal parking). I gave a thought to it and decided to do what was right then,” Bedi said at a programme in Bhopal School of Social Sciences here She was replying to a student,who asked her about the daring incident to remove the car of the all-powerful Indira Gandhi. “I was transferred to Goa the next day, but that did not deter me from doing right things,” Bedi said.  B h o p a l : Going nostalgic, former IPS officer Kiran Bedi on Monday said she went on to remove former Prime Minister Indira Gandhi’s car for illegal parking despite being fully aware her action might earn her a transfer.


एक स्कूल के फंक्शन में खुद किरण बेदी ने ये बहुत बड़ा झूठ बच्चो के सामने कहा!
कुछ दिन पहले तक सोशल साईट ट्वीटर पर अपनी प्रोफाइल के बायो ने भी बड़ी शान से अपनी उपलब्धियों को गिनाती हुयी वो लिखती है 

Kiran Bedi (@thekiranbedi)
Former Cop, Magsaysay Awardee, UN Police Advisor, Asian Tennis Champion, Towed PM's car for Traffic violation, Voted Most Trusted Woman, Founded two NGOs, Author+

अब जब विवाद बढ़ा तो उन्होंने ये लाइन अपनी प्रोफाइल से डिलीट कर दी, लेकिन वेब की दुनिया भी निराली है बेदी की ट्वीटर प्रोफाइल की बैकअप फोटो इंटरनेट पर उपलब्ध है। 

इतना बड़ा झूठ बोलने वाली महिला को मोस्ट ट्रस्टेड वुमन भी चुना गया वाह क्या बात है !
धन्य है NDTV India के निर्भीक और ईमानदार पत्रकार रविश कुमार जिन्होंने इस गुत्थी को सुलझाया और सच हम सब तक पहुंचाया की वो कार किरण बेदी ने नहीं उठायी थी, इतना ही नहीं उन्होंने बहुत ही बहादुरी से इस पूरे घटनाक्रम और किरण बेदी के बड़े झूठ का पर्दाफ़ाश किया। 
वो कार बेदी ने नहीं बल्कि सब इंस्पेक्टर निर्मल सिंह ने उठायी थी और उस समय तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गांधी भारत में भी नहीं थी और कार भी उनकी निजी ना होकर प्रधानमन्त्री कार्यालय की कार थी अब कार्यालय की कार मतलब किसी की भी हो सकती है, बाबू अफसर कर्मचारी। और वो कार वहाँ पर मिस्त्री के यहाँ ठीक करवाने के लिए आई थी। 
चलो देर ही सही कम से कम धन्यवाद रविश जी का की आज उनकी बदौलत एक बहुत बड़ा झूठ जो दशको से चला आ रहा था खत्म हुआ और लोगो को सच का पता लगा। 

 Tag: Liar Bedi, Kiran Bedi, IPS officer, Indian lady IPS, PM's Car, BJP, BJP delhi CM, Ravish kumar, NDTV india, Big lier, Bhopal school function 

Friday, January 23, 2015

किरण बेदी में नहीं है कोई प्रशासनिक क्षमता

मेरी नजर में किरण बेदी में कोई प्रशासनिक क्षमता नहीं है,  हाँ उसमे जो क्षमता मुझे दिखाई दी वो है मौका परस्ती और महत्वाकांक्षी होना और अपनी महत्वाकांक्षा को पूरी करने के लिये वो किसी भी हद तक गिर सकती है ये हाल ही मैं उनके राजनीति में आने के निर्णय से साफ़ झलकता है। 
जिस आन्दोलन की वजह से उन्हें दुनिया में पहचान मिली वो इन सभी भ्रष्ट राजनैतिक दलों के भ्रष्टाचार के खिलाफ था और आज वो खुद इन्हीं भ्रष्ट दलों में से एक दल भारतीय जनता पार्टी की सदस्य है। 
आखिर कौनसे ऐसे कारण थे जिनकी वजह से उन्होंने अपने जमीर को भी गिरवी रख दिया? शायद पैसा? या फिर उनके द्वारा किया गया ऐसा कोई भ्रष्टाचार जो की बीजेपी के हाथ लग गया और जैसे की अब बीजेपी की सरकार है सम्भवतः बीजेपी ने उन्हें ऑफर रख दिया होगा कि या तो उनकी पार्टी  में शामिल हो या फिर उन्हें उस कथित भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा जाएगा। 
कुछ तो जरूर हुआ है, वो केवल सेवा करने के लिए तो बीजेपी में नहीं आई है ये काम तो बखूबी वो पार्टी से बाहर रहकर भी कर सकती थी। जो भाजपा अपने सभी पुराने बड़े नेताओ को किनारे करकर किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद  सकती है क्या वो किरण बेदी कोई सुझाव बिना पार्टी में शामिल हुए देती तो बीजेपी उस पर गौर नहीं करती क्या? यदि नहीं करती तब तो सवाल बीजेपी पर भी खड़े होते है कि क्या इस देश के नागरिक से भी बड़ी उनके लिए पार्टी हो गयी?
जो कार्यकर्ता भाजपा में वर्षो से अपना खून पसीना बहा रहे थे उनपर एकदम  पानी फेर दिया और उन सब नेताओं और कार्यकर्ताओं को ताक पर रखते हुए किरण बेदी को लाकर सबके ऊपर बैठा दिया। 
और मजे की बात है की किसी ने इसका खुलकर विरोध भी नहीं किया क्योंकि सबको पता है उसके ऊपर मोदी और अमित शाह का हाथ है और इसका विरोध करना यानी खुद ही अपनी मौत को बुलावा देना। 
शुरुआत में मैंने बेदी के प्रशासनिक क्षमताओं पर सवाल खड़ा किया क्योंकि जो मैंने उन्हें जाना है वो शोशल मीडिया पर जाना है और सोशल  पर उनका व्यवहार उनकी अपरिपक्वता को दर्शाता है। यदि कोई बेदी से सवाल करले तो वो उन्हें ब्लॉक कर देती है जिससे आप उन्हें सवाल नहीं कर सकते, उनसे बात केवल वो ही कर सकते है जो उनकी प्रशंसा करते हो। 
तो क्या कल को वो अपने क्षेत्र में निकलेंगी और कोई उनसे कहेगा मैंने आपको वोट दिया मेरे घर पानी क्यों नहीं आता है तो वो उसे जेल में डाल देंगी क्योंकि यहाँ पर ब्लॉक करने वाला ऑप्शन तो है नहीं तो जरूर वो उन्हें जेल   डालेंगी,यानी जनता उन्हें कोई सवाल करेगी तो वो सब को जेल में ब्लॉक कर देंगी?
एक अच्छा प्रशानिक अधिकारी यह नहीं  करता,वो जनता  के सवाल सुनेगा और उनके सवाल का जवाब देने की कोशिश करेगा, उनकी समस्याओं  का निदान करेगा। 
सवालों से भागना आपकी कायरता को दर्शाता है नाकि आपकी क्षमताओं को। । 
वन्दे मातरम ॥ जय हिन्द ॥ 


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Tuesday, January 13, 2015

Asaram witness murdered - क्या आसाराम को गवाहों के अभाव में निर्दोष साबित करने की तैयारी चल रही है?

जैसे ही भाजपा सरकार में आती है एक के बाद एक आसाराम के खिलाफ सरकारी गवाह बने व्यक्तियों की हत्या हो रही क्या ये गवाहों के अभाव में आसाराम को निर्दोष साबित करने की एक कोशिश है?

Asaram Akhil Gupta witness
Akhil Gupta Witness Surat Rape case
रविवार 11 जनवरी 2015 को आसाराम प्रकरण में अहम सरकारी गवाह अखिल गुप्ता की मुजफ्फरनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

इससे पहले एक अन्य अहम सरकारी गवाह अमृत प्रजापति की गोली मारकर हत्या करदी गई
पढ़े मेरा लेख

आसाराम बलात्कार प्रकरण में अहम गवाह की हत्या  

अब दूसरे महत्वपूर्ण गवाह की हत्या, अभी तक अमृत प्रजापति के हत्यारों को सरकार और प्रशासन पकड़ ही नहीं पायी और अब दूसरे गवाह की भी हत्या करवा दी गयी है।

हमारी सरकार क्या सन्देश देना चाहती है जनता है? कि  सरकार किसी भी सरकारी गवाह की रक्षा करने में समर्थ नहीं है? यदि ऐसा ही होता रहा तो कौन सरकारी गवाह बनेगा, कौन अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करेगा?

हमारी वर्तनाम भाजपा सरकार क्या केवल यही सन्देश देना चाहती है की अब यहां पर केवल तानाशाही चलेगी।
हाँ मुझे पता है कि मैं मेरे इस लेख में सरकार पर अंगुली उठा रहा हूँ जबकि मुद्दा आसाराम है, मैं बीजेपी सरकार पर अंगुली इसलिए उठा रहा हूँ की यदि वाकई में सरकार इस मामले में निष्पक्ष है तो क्यों नही तुरंत सरकार ने इन दोनों हत्याओ पर एक सीबीआई जाँच के आदेश दिए और उन हत्यारों को पकड़ कर सजा दिलवाने की कोशिश की यदि सरकार ये कदम नहीं उठा रही है तो सरकार पर अंगुली उठाना स्वाभाविक है।

किसी ने आसाराम जैसे लोगो के सच को उजागर करने की कोशिश की लेकिन हमारा भ्रष्ट तंत्र और तानाशाह सरकार उस आवाज को दबाने को भरपूर कोशिश कर रही है चाहे बदले में किसी को जान ही क्यों ना लेनी पड़े।

लोगो को इस षड़यंत्र का पता नहीं लगे इसके लिए समाचार पत्रो के मुख्य पृष्ठ पर गवाह की हत्या की खबर को जगह तक नहीं मिल पायी इसी से यह साफ़ हो जाता है की कैसे तानाशाही चल रही है इस महान भारत देश में, अब यदि कल को आसाराम को सरकार निर्दोष साबित करके बरी कर देती है इसमें कोई आश्चर्य वाली बात  नहीं होगी।
जैसे बीजेपी ने सत्ता में आते ही अमित शाह को निर्दोष साबित कर दिया तो आसाराम को भी करने की कवायद तेज हो चुकी है।

जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का ॥

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