Sunday, February 28, 2016

Rohith Vemula's body was used as a political tool Smriti Irani Speech

Smriti Zubin Iraani, HRD Minister in Rajya Sabha
राज्य सभा में स्मृति जुबिन ईरानी जी का भाषण सुना।

यही वो भाषण था  जिसे देखने और सुनने की फुरसत हमारे प्रधानमंत्री जी नरेन्द्र मोदी को भी थी और उस पर तुरंत ट्वीट भी कर दिया।

वरना तो पिछले दिनों में जो देश में हो रहा है उस पर ना कोई ट्वीट ना मोदीजी के मुँह से दो शब्द। वैसे तो उनसे कोई सवाल करे ये किसी पत्रकार की हिम्मत ही नहीं है पर यदि कोई पूछ भी ले तो उनका बयान होगा मैंने अभी वीडियो नहीं देखी है या मुझे अभी इसकी कोई जानकारी नहीं है बोल देते। जैसा की अक्सर सभी राजनैतिक दल जिस घटना पर नहीं बोलना चाहते उसके लिए इस्तेमाल करते है।
Rohith Vemula

सबसे पहले तो स्मृति जी रोहित वेमुला जो की एक 28 साल का नौजवान युवा है को बच्चा कहकर सम्बोधित किया यही से उनकी सोच पर हंसी आती है, चाइल्ड? ईरानी जी फिल्मो की तरह ही राज्य सभा में डायलॉग डिलिवरी कर रही थी।

चलो ये सब छोटी बाते है बच्चा बोला या बूढ़ा बोला उनकी सोच, यदि स्मृति समझती है की वो 150 साल की बुढ़िया है तो बेशक उन्हें हक़ है रोहित वेमुला को बच्चा कहने का।

लेकिन मैं यहाँ पर स्मृति जुबिन ईरानी जी का वो व्यक्तव्य कोट करना चाहूँगा जहां पर वो कहती है "रोहित वेमुला की बॉडी को राजनैतिक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है"

बिलकुल मैं आपसे सहमत हूँ स्मृति जी पर इसी पर मेरे कुछ सवाल है आपसे है क्या आप इस अवस्था में है की इनके जवाब दे पाएंगी?

 उस जीते जागते होनहार रोहित वेमुला को बॉडी किसने बनाया?  

कौन  जिम्मेदार है उस जीते जागते हँसते खेलते संघर्ष करते रोहित वेमुला को एक बॉडी बनाने के लिए?
आप खुद माननीया HRD मिनिस्टर जी आप खुद जिम्मेदार है उस जीवित इंसान को बॉडी में बदलने के लिए, यदि आप चाहती तो समय पर उस पर एक्शन लेकर एक युवा नौजवान जिसे आप बच्चा कहती है को  बचा सकती है, बल्कि इससे उल्ट आपने तो विश्वविद्यालय प्रशासन को बार बार पत्र लिखकर उस नौजवान रोहित वेमुला का जीवन दूभर कर दिया और आखिर उसने पानी हार मान ली वो हार गया इस गन्दी राजनीती से लड़ने में और उसने वो रास्ता चुन लिया जो किसी को नहीं चुनना चाहिए और वो बॉडी बन गया।

अब बात आती है उसकी बॉडी पर राजनीती की, हाँ!  हूँ उसकी बॉडी पर राजनीती हो रही है पर मेडम कौन नहीं कर रहा है उसकी बॉडी राजनीती? सबसे ज्यादा राजनीती किसी ने रोहित वेमुला पर की है तो वो खुद आप हो स्मृति ईरानी जी! हाँ यही वो कड़वा सत्य है की बीजेपी ने जितनी राजनीती है और मैं तो कहूँगा जितनी घटिया राजनीती की है उतनी किसी ने नहीं की।

कभी आप उनकी माँ की जाति अरु गोत्र लोगो को बताती है, कभी रोहित दलित नहीं है ये बयान देती है, कभी आप जिस राजनैतिक दल से सम्बन्ध रखती है वो उस पर दोशद्रोही होने का आरोप मंढने की कोशिश करता है। तो कुल मिलाकर अगर रोहित वेमुला की बॉडी पर किसी ने गन्दी राजनीति की है तो वो खुद भारतीय जनता पार्टी है

और हाँ एक बात और अगर आपको सच में दर्द  होता की रोहित की बॉडी पर राजनीती हो रही है तो आपके पास वो सारी पावर है जिससे ये राजनीति बंद की जा सकती है! दो रोहित वेमुला को न्याय, दो उन लोगो को सजा जिन्होंने रोहित को ये कदम उठाने पर मजबूर किया, स्वतः ही रोहित के शरीर पर राजनीति होना बंद हो जाएगी और ये नहीं आप एक अच्छा उदाहरण पेश कर पाएंगी की आपने एक दलित छात्र के न्याय किया। पर आप और केंद्र में बैठी भाजपा सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि आपको तो खुद उसके शरीर पर राजनीती करनी है, यही सत्य हा मैडम, आपको रोहित के शरीर पर राजनीति करनी है और इसलिए रोहित वेमुला की माँ न्याय की मांग में दर दर भटक रही है और केंद्र सरकार के इसारो पर दिल्ली पुलिस उस बेचारी रोहित की माँ को सड़क पर घसीटती है पीटती है।

डायलॉग बहुत अच्छा बोल लेती है स्मृति जी आप, पर शायद आप भूल गयी की राज्य सभा किसी धारावहिक की शूटिंग का सेट नहीं था वहाँ केवल डायलॉग के लिए शॉट ही नहीं देना था बल्कि कुछ करके भी दिखाना होता है और कुछ करके दिखाना आपके बस की बात नहीं है।

अगर आप सच में चाहती है की रोहित वेमुला की बॉडी पर कोई राजनीति नहीं हो तो कल ही उसे न्याय दीजिये और करवाइये बंद इस राजनीति को वरना आपके इन ढोंग और बनावटी चेहरों को अब जनता भली भांति जानने लग गयी है।

जय हिन्द
वन्दे मातरम


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Monday, February 22, 2016

#CongressBurningHaryana Jat agitation in Haryana तो फिर भाजपा ने हरियाणा को जलने क्यों दिया?

हरियाणा में जाट आरक्षण को लेकर जो कुछ हुआ वो बहुत ही निंदनीय है। प्रोटेस्ट करना लोकतंत्र में हमारा अधिकार है, सरकार को अपनी बात मनवाने के लिए प्रदर्शन करना, धरना देना ये सभी लोकतंत्र में हमारे अधिकार है पर इन आरक्षण की लड़ाई लड़ने वालो को किसी के घर जलाने का अधिकार किसने दिया?

एक विधवा औरत दो बेटियों की माँ अपना छोटा सा रोजगार का साधन लिए बैठी थी, इन प्रदर्शनकारियों का उस विधवा औरत ने क्या बिगाड़ा था की उसकी रोजी रोटी देनी वाली उसकी दुकान ही जला डाली? क्या उस महिला के पास अधिकार था उन्हें आरक्षण देने का और वो दे नहीं रही थी तो उसकी दूकान जला डाली?
जो भी प्रदर्शन के नाम पर गुंडा गर्दी हुयी  वो बहुत ही गलत है उसे इस देश का प्रबुद्ध नागरिक कभी स्वीकार नहीं करेगा।

जिन लोगो की आपने गाड़ियाँ जला डाली उन्होंने आपका क्या बिगाड़ा था? क्या पता कितनी मेहनत से किसी ने अपने सपनो को साकार करते हुए वो कार या मोटर साइकिल खरीदी थी जो आपके इस प्रदर्शन की भेंट चढ़ गयी। ऐसा करना भी देशद्रोह से कम नहीं है, आपने किसी और को नहीं अपने ही भाइयो को नुकसान पहुंचाया है।

एक तरफ जहाँ प्रदर्शनकारियों ने इसे हिंसक रूप दिया वो गलत है वही दूसरी तरफ भाजपा राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने जिस तरह इस मामले को हेंडल किया वो दोनों सरकारों की नाकामी को दर्शाती है, 12 लोग मर गए, अरबों रूपये की दूकान, फैक्ट्री, गाड़ी जला दी गयी और इस सबके बार राज्य सरकार घोषणा करती है की प्रदर्शनकारियों की मांग मान ली गयी है? सब कुछ जलाकर क्या माँग मान रहे हो साहब? क्या समय रहते सरकार अपने अहंकार को छोड़कर प्रदर्शनकारियों से बात कर लेती तो ये सब तबाही नहीं रोक सकती थी? लेकिन भाजपा सरकार जिस अहंकार में सत्ता में बैठी है उसने उन 12 का जीवन छीन लिया और हरियाणा में अरबो रूपये के कारोबार का नुक्सान हो गया तब जाकर सत्ता में बैठे लोगो की आँखे खुली।

अचंभित तो मैं तब रहा जब आज बीजेपी की IT cell सोशल मिडिया पर #CongressBurningHaryana ट्रेंड करवा रहे थे, ये क्या भाजपा कह रही है कांग्रेस ने हरियाणा को जला दिया? मैं यहाँ किसी का बचाव नहीं कर रहा हूँ मैं केवल ये बताना चाह रहा हूँ की ठीक है कांग्रेस ने हरियाणा जला दिया, मान लिया पर सत्ता में कौन बैठा है? भाजपा, केंद्र में सरकार किसकी भाजपा की, गृह मंत्रालय किसका भाजपा का सारी ताकत किसके पास है? भाजपा के पास?

तो फिर भाजपा ने हरियाणा को जलने क्यों दिया? 
 यही है मेरा सवाल!!

जब आपके पास सत्ता है, पुलिस है, सेना है सभी संसाधन है तो फिर आपने हरियाणा को जलने क्यों दिया? #CongressBurningHaryana ट्रेंड करवाकर आप भाजपा सरकार की कमजोरी ही लोगो को दिखा रहे है की उन्होंने जलाया पर हम हाथ में हाथ धरे बैठे रहे और तमाशा देखते रहे? या सरकार इतनी कमजोर है की वो हरियाणा को जलने से बचा नहीं सकी।

देश के प्रधानमंत्रीजी श्री नरेंद्र मोदी भाषण पर भाषण पेलने में लगे हुए थे पर उनके पास हरियाणा के लोगो को शांति बनाये रखने की अपील करने के लिए दो शब्द नहीं थे। हरियाणा के लोगो ने भी आपको वोट दिया था मोदीजी, और इन्ही प्रदर्शनकारियों ने भी आपको उस कुर्सी तक पहुचने में पूरा सहयोग किया था, ये ही नहीं उन्होंने तो केंद्र की सत्ता भी आपके हाथो में दे दी और राज्य की सत्ता भी आपकी लुभावनी बातो में आकर आपकी अपील पर आपके ही दल भारतीय जनता पार्टी को सौप दी, फिर भी अफ़सोस आपके पास अपने ही देश के उन नागरिको को सम्बोधित  करने के लिए दो शब्द  नहीं थे? ना आपने हरियाणा के लोगो से शान्ति बनाये रखने की अपील की और नाही हरियाणा में आपके द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री को कोई आदेश दिए की अपने ही राज्य के नागरिको को ऐसे  बर्बादी करने से रोके। या फिर सच में आप यही चाहते थे की  कैसे भी करके हिंसा फैले?

लानत है ऐसी  सरकार पर जो अपने ही देश के नागरिको को सुरक्षा नहीं दे सकती, कोई आपके देश को जलाएगा और आप जलने देंगे? हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे? बस ज्यादा से ज्यादा आप ट्वीटर पर उन लोगो को ट्रेंड करवा देंगे जिन्होंने देश जलाया? यही है सरकार चलाना? क्या ऐसे ही अब भाजपा सरकार काम करेगी?

जहाँ तक मुझे पता है हर पुलिस थाने में गाँव के हर इलाके से मुखबिर होते है(मुझे सही नाम याद नहीं आ रहा) पर गाँव के कुछ लोग मनोनीत होते है जो उनके इलाके में कुछ भी घटना होती है तो सच्चाई बता सके या कोई षड्यंत्र रचा जा रहा है तो पहले से उसकी खबर पुलिस तक पहुँचा सके ताकि समय रहते उसे रोका जा सके।
अब यदि हरियाणा में ये सब सिस्टम है तो हरियाणा की पुलिस को ये खबर क्यों नहीं मिली की कांग्रेस हरियाणा को जलाने वाली है? और यदि मिल गयी तो भाजपा सरकार ने उसे रोका क्यों नहीं?

यानी टोटल सिस्टम फेलियर? 

गजब के लोग को सत्ता में बैठा दिया भाई जिनसे ना प्रदेश की सुरक्षा हो रही है ना देश की।
भगवान देश की रक्षा करे।

जय हिन्द
वन्दे मातरम
भारत माता की जय
जय वीर बजरंग बलि हनुमान

Sunday, February 21, 2016

JNU विवाद और अचानक से जागी देशभक्ति

जो कुछ इन दिनों देश में चल रहा है क्या सच में कुछ ऐसा ही है? या कही इन सबके पीछे कोई और कारण है?

मैं भी कुछ दिनों से यही सोच रहा हूँ और मैंने अपने विवेक से जो कल्पना की वो आप सबके साथ शेयर कर रहा हूँ, जो लिख रहा हूँ वो मेरी सोच और मेरी मान्यता है। यदि कुछ गलत हो तो मुझे क्षमा करे मेरा उद्देश्य किसी का दिल दुखाना नहीं है, मैं एक सच्चा राष्टवादी हूँ, देश में नहीं रहता फिर भी खुद के भारतीय होने पर गर्व है और भारत माता के लिए दिल में उतना ही सम्मान और गर्व है जितना देश में बैठे एक देशवासी के दिल में है।

तो चलो शुरुआत यहाँ  से करते है!

आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार का एक साल पूरा होने वाला है, पार्टी ने बड़ा जश्न (जैसा की राजस्थान की भाजपा मुख्यमंत्री ने किया) ना करते हुए इसे अपने एक साल में किये गए कामो की उपलब्धि गिनाने में करने का निर्णय लिया था।

सारी तैयारी हो चुकी, शोशल मीडिया टीम जोश के साथ एक एक काम की लिस्ट बनाने में लग गयी, खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, सभी मंत्री अपने अपने विभाग में किये गए कामो की लिस्ट बना चुके ताकि दिल्ली की जनता ने जितने विशवास के साथ आम आदमी  पार्टी  की सरकार चुनी उन्हें एक साल का हिसाब दे सके।
आखिर जनता ही तो असली मालिक है इस लोकतंत्र की, तो उन्हें हक़ है ये जानने का की एक साल में उनके द्वारा चुनी हुयी सरकार ने क्या किया।

मीडिया में भी इसकी सुगबुगाहट होने लगी, चर्चाये होने लगी की वाह एक साल में इतने सारे काम कर दिए, बाकायदा मेनिफेस्टो उठा कर एक एक बिंदु की जांच करने लगे की कितने वादे पूरे हो चुके कितनो पर काम चल रहा है, बचे हुए कब तक पुरे हो जायेंगे।
जब ये सब तैयारी चल रही थी तो किसी एक सरकार को बहुत बड़ा संकट सामने दिखाई देने लगा, ऐसे सवाल सामने आते दिखाई देने लगे जिनके जवाब उनके पास नहीं है, क्योंकि जवाब के लिए केंद्र सरकार के पास केवल एक ही जवाब है 60 सालों का हिसाब ना देने वाले हमसे हिसाब मांगते है? यानि कुल मिलाकर मोदीजी के पास अपनी सरकार की उपलब्धि गिनाने के लिए कुछ नहीं था, जिन वादो के लेकर भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में उतरी थी उन सब पर  फ़ैल होती नजर आ रही थी, और मोदीजी और भाजपा को ये कतई मंजूर नहीं था की देश की जनता वो अधिकाँश भाग जो सोशल मिडिया पर एक्टिव नहीं है उन तक ये बात पहुँच जाए की मोदी सरकार हर वादे  फ़ैल हो चुकी है, चाहे वो फिर महंगाई का हो या पाकिस्तान का मसला, विदेश नीति हो या गिरता हुआ रुपया और सेंसेंक्स हर मुद्दे पर भाजपा सरकार की नाकामी। तो इसे छिपाना तो बहुत जरुरी है। बीजेपी और मोदी जी को डर हुआ की कहीं अब इस पर टीवी स्टूडियो में डिबेट ना होने लगे की अरविन्द केजरीवाल ने एक साल में इतने काम करके दिखा दिए तो अन्य राज्यों की सरकार  क्यों नहीं कर सकती, या केंद्र की मोदी सरकार क्यों नहीं कर रही है।
तो मेरा मानना है की अपनी ये चिंता उन्होंने अपने रक्षक दल(मिडिया, नजीब जंग, भीम बस्सी आदि) के सामने रखी और जैसे ही उन्होंने अपनी ये चिंता प्रकट की होगी इन सभी परम भक्त में होड़ लगी नंबर बनाने की, जो सबसे पहले इस मुद्दे से  भटकाकर दिखा देगा वही अपनी वफादारी ज्यादा दिखा पायेगा। तो मीडिया की नजर पड़ी JNU पर कन्हैया के उस भाषण पर जिसमे वो पूंजीपति, गरीबी, भुखमरी आदि से आजादी की बात कर रहा था, तो ये कुछ मिडिया वाले जो मोदी भक्त बने बैठे है अपनी कुटिल दिमाग से उस भाषण से बाकी बात काटकर केवल आजादी आजादी को जनता के सामने रखा और वो उसमे कामयाब रहे तुरंत चारो तरफ बाकि सभी मुद्दे भूलकर केवल  देशद्रोही और देशभक्त की बाते होने लग गयी।
अब बस्सी जी थोड़े  दिनों में सेवानिवृत होना है तो वो इस मौके पर किसी और को खुद से ज्यादा मोदी का वफादार होना कैसे स्वीकारते? तो वो भी तुरंत दौड़ पड़े और आनन फानन में कन्हैया कुमार को गिरफ्तार लिया और वो देशद्रोह के जुर्म में। जो आदेश थे वो तो पुरे कर दिए गए मीडिया और देश की जनता का सारा ध्यान अब देशद्रोही और देशप्रेमी की बहस पर केंद्रित हो गया, ना कोई अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली सरकार द्वारा किये गए कामो की बात कर रहा है और ना कोई मोदीजी की केंद्र सरकार से सवाल कर रहा है। अपने इस लक्ष्य में तो ये कामयाब हो गए पर जल्दबाजी में कदम गलत उठा लिए जो की उन्हें महंगा पड़ गया।
धन्यवाद ABP न्यूज़ जिसने पूरा विडियो जनता के सामने रखा वरना तो देश ने तो कन्हैया पर देशद्रोही का  ठप्पा लगा ही दिया था, बस यही से भाजपा और दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े होने लगे, और बस्सी बैकफुट पर नजर आने लगे, गिरफ्तारी के समय ठोस  सबूत होने के दावे करने वाले बस्सी जी मिडिया में आकर कहने लगे यदि कन्हैया अपनी जमानत की अर्जी लगाए तो दिल्ली पुलिस इसका विरोध नहीं करेगी, अरे ये क्या? जब आप कह रहे है कि आपके पास ठोस सबूत है तो फिर आप किसी देशद्रोही को  यों ही छोड़ देंगे? उन्हें किसी को छोड़ने से  मतलब नहीं था वो जल्द जल्द अपनी इस गलती से छुटकारा पाना चाहते थे। पर अब इस बहस ने कुछ ज्यादा ही जोर पकड़ लिया और ये केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के गले की हड्डी बन चुका था, अब इससे पीछा कैसे छुड़ाए? तो नंबर आया भाजपा की हरियाणा सरकार को अपनी वफादारी दिखाने का। शुरू हुआ जाट आरक्षण का मुद्दा, यदि राज्य सरकार चाहती तो आंदोलनकारियों से बात कर सहमति बना सकती थी पर ऐसा तो उन्हें करना ही नहीं था, उन्हें तो मीडिया जो अब कन्हैया पर केंद्रित हो गया  था को किसी दूसरी तरफ मोड़ना था। तो आंदोलनकारियों को ना विरोध किया और ना बात उन्हें छोड़ दिया मनमर्जी करने को, दुकाने लूटी गयी, मॉल लुटे गए, कार बसे आग की भेंट चढ़ गयी, कर्फ्यू लगा दिया गया, इंटरनेट सेवा हरियाणा में ठप्प कर दी इस बार भी बात नहीं बनी गोलीबारी के आदेश दिए गए और चार भारतीय इस आन्दोलन की भेंट चढ़ गए, शायद ही कोई ऐसा मौका हो जहां पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोलियाँ चलायी हो। खैर चार आदमियों की जान गयी पर खट्टर साहब अपनी वफादारी दिखाने में कामयाब हुए और एक बार टीवी बहस की दशा मोड़ दी गयी।
अब बजट सत्र में अपनी नाकामी फिर छिपानी है तो मेरा मानना है की उस समय कन्हैया को रिहा कर दिया जायेगा, शायद बस्सी या किसी मिडिया हॉउस को भी थोड़ा और अपनी वफ़ादारी दिखाने पड़े पर जुगाड़ पूरा है की कोई मोदी सरकार से सवाल ना कर बैठे की आपने दो साल  में क्या किया? जो पाँच साल के लिए आपने वादे किये थे उसमे से आपने अभी तक किसी पर भी काम क्यों नहीं किया? एक तरफ केंद्र शासित राज्य होने के बावजूद भी अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने अपने घोषणा पत्र से 70 में 17 वादे पूरे दिए है 30 पर काम चल रहा है।
हो सकता है मेरी समझ गलत हो पर जो मेरी सोच है मैंने यहाँ लिख दी, मेरा उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं है केवल अपने विचार व्यक्त करना है। मेरे इस लेख से मेरी देशभक्ति पर शक ना किया जाए, मैं इसी भारत माँ का लाल हूँ।
जय हिन्द
वन्दे मातरम
भारत माता की जय

|| वक्र-तुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघनम कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा ||

Thursday, February 11, 2016

है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर - Dr. Kumar Vishvash

Lance Naik Hanamanthappa Koppad


है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये है,
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये है.....
पिता,जिस के रक्त ने उज्जवल किया कुल-वंश-माथा,
माँ, वही जो दूध से इस देश की रज तोल आई ,
बहन,जिसने सावनों मे, भर लिया पतझर स्वयं ही,
हाथ ना उलझें, कलाई से जो राखी ख़ोल लाई
बेटियाँ,जो लोरियों मे भी प्रभाती सुन रही थीं,
"पिता तुम पर गर्व है" चुपचाप जा कर बोल आईं
प्रिया,जिस की चूड़ियों मे सितारे से टूटते थे,
मांग का सिंदूर दे कर जो उजाले मोल लाई
है नमन उस देहरी को जहाँ तुम खेले कन्हैया,
घर तुम्हारे, परम तप की राजधानी हो गये है....
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय ....
हमने लौटाए सिकन्दर सर झुकाए मात खाऐ,
हमसे भिडते है वे जिनका मन,धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी,
उन के माथों पर हमारी ठोकरों का ही बयाँ है
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे,
शीश देने की कला में क्या गजब है? क्या नया है?
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी,
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन,
काल-कौतुक जिनके आगे पानी-पानी हो गये है
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय........
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य-लेखे,
विजय के उदघोष! गीता के कथन! तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा! सिन्दूरदानों की व्यथाऒं!
देशहित प्रतिबद्ध-यौवन कै सपन! तुमको नमन है
बहन के विश्वास! भाई के सखा! कुल के सहारे!
पिता के व्रत के फलित! माँ के नयन! तुमको नमन है
कंचनी-तन, चाँदनी-मन, आह,आंसू,प्यार,सपने,
राष्ट्र के हित कर गए सब कुछ हवन ,तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन,
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये है.
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये....

Tuesday, February 2, 2016

Delhi Police brutally assaulting student protesters outside RSS office

बहुत ही दुःखद जो कुछ आज देश की राजधानी दिल्ली में हुआ।
शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा जब पुलिस और एक संगठन के लोग मिलकर एक दूसरे संगठन के लोगो को पीट रहे हो।
दिल्ली पुलिस की दरिंदगी का नंगा नाच जो इस वीडियो में दिखाई दिया और देखकर हर कोई बोल उठेगा, क्या? दिल्ली में आपातकाल लागू हो गया है? जिस तरह से दिल्ली पुलिस और आरएसएस के लोग मिलकर कुछ शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों पर अचानक लाठी, डंडे, लात घूंसे बरसाने लगते है उसे देखकर तो यही महसूस होता है जैसे दिल्ली में मोदी सरकार ने आपातकाल लागु कर दिया है।
चलो आज तक आंदोलन और पर्दशन में पुलिस का बल प्रयोग तो सुना था पर पुलिस की सुरक्षा में उनके सहयोग से सरेआम RSS के लोग प्रदर्शनकारियों को दौड़ा दौड़ा कर पीटे ये कहाँ और किस देश का न्याय है?
उन प्रदर्शनकारियों का दोष केवल यही था की उनकी रैली RSS के ऑफिस के सामने से गुजरनी थी? क्या अब आरएसएस देश  संविधान से भी बड़ा हो गया है?
और दिल्ली पुलिस ने ये किसके दबाव में आकर किया? या किसके आदेश पर ये सब किया? ऐसे ही तो ये सब नहीं हुआ है, मैं फिर कह रहा हूँ लाठीचार्ज पहले भी होते आये है और इस सरकार ने पहले की सरकारों से हटकर कुछ नहीं किया। मोदी सरकार ने भी आंदोलन की आवाज कुचलने की कोशिश की। पर उससे भी हटकर जो हुआ की पुलिस और आरएसएस के लोग मिलकर सरेआम किसी की पिटाई करे?
उससे भी शर्म की बात है पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओ के बाल पकड़कर घसीटे और लात घूंसों से छात्राओ की भी पिटाई करे, और पुलिस के सरक्षण में आरएसएस के गुंडे भी छात्राओ के कपड़े फाड़ दे ये कहाँ का न्याय है? ये तो सच में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जिस आपातकाल की तरफ इशारा कर रहे थे ये कहीं ये उसी आपातकाल की एक झलक तो नहीं है? जहां आप यदि आरएसएस और मोदी सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलेंगे तो पुलिस और आरएसएस के गुंडे आपकी पिटाई कर देंगे?
अफ़सोस छोटी से छोटी घटना पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले देश के सवा सो करोड़ भारतियों की बात करने वाले हमारे प्रधानमंत्री ही इस घटना पर चुप्पी साध लेते है, क्या देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उनकी जवाबदेही नहीं है की जिन पुलिसकर्मियों ने ये अमानवीय कार्य किया है उन्हें तुरंत सजा दे?
मोदीजी आपकी तो कथनी और करनी में रात दिन का अंतर आ गया, कहाँ आप बात करते है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और आज जब उन्ही बेटियों को दिल्ली पुलिस और आरएसएस के गुंडे सड़क पर दौड़ा दौड़ा कर पीट रहे है तो आप चुपचाप सब कुछ होने देते है, क्या आपकी चुप्पी इन सबको मौन स्वीकृति तो नहीं है?
सवा सो करोड़ का नाम भाषण में लेकर ताली बजवाना  आसान है मोदीजी पर  सवा सो करोड़  समान समझकर सबको न्याय और समान अधिकार दिलाने  की हिम्मत तो आपमें भी दिखाई नहीं देती है।
ये वो वीडियो है जिसमे आप साफ़ देख सकते है कैसे दिल्ली पुलिस बर्बरता पूर्वक आंदोलनकारियों को पीट रही है, कुछ युवक पुलिस की मौजूदगी में खुद भी प्रदर्शनकारियों को पीट रहे है, कैसे पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओ को पीट रही है और कुछ न्यूज़ रिपोर्टर ने भी ट्वीट कर बताया की उन्हें भी कवरेज करने के कारण पीटा गया।
गजब की गुंडागर्दी है भाई, यानी दिल्ली पुलिस की गुंडागर्दी?

 
 Delhi Police and RSS Goons brutally assaulting student protesters outside RSS office