Monday, September 21, 2015

मोदी, मिडिया, केजरीवाल और प्याज

देश के एक जाने माने समाचार चैनल "आजतक" पर आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार को लेकर एक अफवाह सुबह से चल रही थी, प्याज घोटाला, कहाँ गए प्याज के पैसे सोशल मिडिया भी कहाँ पीछे रहने वाला था अपनी तरफ से सवालों की बौछार करने लगा। 

बिना सत्य को जाने कुछ लोगो ने एक ईमानदार सरकार को अपराधी बनाकर कटघरे में खड़ा कर दिया। यही वो टीस है जिस देश के लाडले पत्रकार सुपर जर्नलिस्ट रविश कुमार भी लिखते है, भाड़े की गैंग सोशल मिडिया पर बिना तथ्य को जाने झूठ को भी सच बनाकर परोस देती है। 

कुछ ही घंटो  में सरकार की तरफ से भी  अपना पक्ष रखा गया स्तिथि को स्पष्ट करने के लिए और जनता के सामने आया की दिल्ली सरकार ने कही ऐसा कोई घोटाला नहीं किया गया या जिस तरह का आरोप दिल्ली सरकार पर लगाया गया की 18 रूपये किलो  में प्याज खरीदकर 40 रूपये किलो में बेचे गए ऐसा कहीं नहीं पाया गया, सरकार ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए प्याज की खरीद के सभी दस्तावेज मीडिया के बुद्धिजीवी वर्ग के बीच रख दिए। 

अब जिस समाचार चैनल ने ये खबर चलायी वो इतना बेवकूफ तो नहीं होगा की उसे सच्चाई का पता पहले से नहीं हो, और यदि सच में उन्हें नहीं पता था तब तो आजतक की विश्वशनीयता पर ये बहुत बड़ा प्रशन चिन्ह होगा की एक समाचार चेनल बिना किसी बात की पूरी जांच पड़ताल किये यो ही झूठी खबरे चला देता है?

मैंने स्वविवेक से इस पूरी घटना को समझकर ये समझने की कोशिश कीआखिर क्यों एक समाचार चेनल झूठी खबर दिखाएगा। 

जाहिर सी बात है किसी भी भले आदमी को बदनाम करना हो तो उसके खिलाफ मनगढ़न्त और झूठी कहानी बनाकर लोगो को सुनाओ और उसे बदनाम करदो, बिलकुल ठीक उसी तर्ज पर इस समाचार चेनल ने किसके इशारे पर ये सब किया वो तो वो खुद ही बता सकते है पर दिल्ली और पूरे देश में दिन-ब-दिन लोकप्रिय होती जा रही आम आदमी पार्टी की सरकार को बदनाम करने के इस काम को उन्होंने अंजाम दे ही दिया।

अब भाजपा और समाचार चेनल ने दावा किया की 18 रूपये किलो में प्याज खरीदकर 40 रूपये किलो में बेचे, अब इसमें ये बात तो सही है की जहाँ से प्याज चला यानी नासिक मंडी से वहाँ पर प्याज 18 रूपये किलो ही बिका था, लेकिन ये प्याज दिल्ली सरकार ने नहीं बल्कि केंद्र सरकार की एक एजेंसी SFAC ने नासिक से ख़रीदे और दिल्ली सरकार को 32.86 रूपये किलो में बेचे, अब इस पर ट्रांसपोर्ट, बेचने के लिए टेम्पो और कर्मचारी की तनख्वाह आदि मिलाये तो प्याज की दिल्ली सरकार को लागत मूल्य आई 39.86 रूपये प्रति किलो। राज्य सरकार ने अपनी तरफ से 9.86 रूपये प्रति किलो सब्सिडी देकर दिल्ली की जनता को 30  रूपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज उपलब्ध करवाये। 

अब सवाल केंद्र में बैठी मोदी सरकार की नियत पर उठता है, जब नासिक मंडी में प्याज 18 रूपये/किलो मिल रहा था तो केंद्र सरकार ने क्यों प्याज के बढ़ते हुए दामों पर अंकुश नहीं लगाया, पूरे देश में प्याज 70 से लेकर 100 रूपये किलो तक बिका और मोदी सरकार इस पर मौन होकर बैठी रही, आखिर केंद्र सरकार व मोदीजी किन लोगो को फायदा पहुँचाना चाह रहे थे? जाहिर सी बात है आम जनता को तो नहीं पहुँचा रहे थे तो फिर फायदा केवल और केवल इन पूँजीपति मुनाफाखोरों को हो रहा था जिसे यदि  सरकार चाहती तो रोक सकती थी और जिस प्रकार दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने सस्ते दामों में जनता को प्याज उपलब्ध करवाकर चंद पूँजीपति मुनाफाखोरों पर अंकुश लगाया उसी प्रकार पूरे देश में ये किया जा सकता है। 

पर मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया अर्थात देश की गरीब जनता के हित में ना सोचकर कुछ पूँजीपतियों को देश की आम जनता को लूटने की खुली छूट दे दी। 

पर दिल्ली में वो ऐसा नहीं कर पाये, शायद यही आग उनके सीने में सुलग रही थी की इस केजरीवाल ने कुछ गिने चुने पूँजीपतियों की बजाय दिल्ली की आम जनता को राहत  दी, बस उसी बदला लेने के लिए ऐसी मनगढ़ंत और झूठीं खबर चलाकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार बदनाम करने की साजिश रची गयी। 

और यदि ये खबर सच है तो इस कथित समाचार चैनल की जनता के प्रति  जवाबदेही बनती है की वो इसके पक्ष में सारे सबूत जनता के सामने रखे और यदि वो ऐसा करने में फ़ैल होते है तो उसी समाचार चैनल में जिस तरह चौबीस घंटे ब्रेकिंग न्यूज़ झूठी खबर की चलायी गयी ठीक उसी तरह 24 घंटे ब्रेकिंग न्यूज़ जनता को गुमराह करने के लिए जनता से और दिल्ली सरकार को  करने के लिए  दिल्ली सरकार और केजरीवाल से इसके लिए माफ़ी की खबर भी चलानी चाहिए। 



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