Saturday, April 21, 2018

चाट भाई चाट

“चाट भाई चाट” के एक एपिसोड में एक मोहल्ले में चौराहे की ट्रेफिक लाईट बहुत समय से ख़राब थी, जिससे कोई नियमों का पालन नहीं करता था क्योंकि बत्ती नहीं तो नियम नहीं और रोज एक्सीडेंट होने लग गए, मोहल्ले के लोगो ने बहुत बार शिकायत की लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं था, रोज होते एक्सीडेंट पर कोई बोलता तो सरकार में बैठे लोग उन्हें ही गलत ठहराकर उन्हें चुप करा देते या उलटे उन्हें ही आरोपी बनाकर सजा सुना देते।

इस तानाशाही के चलते धीरे धीरे लोगो ने चुप रहना स्वीकार कर लिया, रोज होती मौत से सभी आहत थे लेकिन बोलने की हिम्मत कोई नही कर पा रहा था! अंत में मोहल्ले की एक बहादुर शेरनी ने प्रण किया की जब तक बत्ती ठीक नहीं होते और ट्रेफिक के नियम सही तरीके से लागू नहीं होते वो भोजन ग्रहण नहीं करेगी चाहे उसकी जान ही क्यों ना चली जाये।

पहले कुछ दिन तो सबने उसे नजर अंदाज किया, जिन्हें वो बत्ती ठीक करनी थी वो अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए वहाँ से कुछ दिनों के लिए पलायन कर गया, सोचा 1-2 दिन में खुद ही भूख लगेगी तो अपनी हठ छोड़ देगी और उन्हें वो बत्ती ठीक नहीं करनी पड़ेगी, लेकिन वो शेरनी अपनी जिद्द की पक्की थी क्योंकि रोज होने वाले एक्सीडेंट उसे झकझोर रहे थे।  

धीरे धीरे लोग उस शेरनी के साथ अपनी आवाज बुलंद करने और बत्ती ठीक करने की मांग चारों तरफ से उठने लगी, अब तो धीरे धीरे देश के हर कौने में जहाँ भी बत्ती ख़राब थी वहाँ से लोग अपनी आवाज उठाने लग गए की ये ट्रेफिक लाईट ठीक होनी ही चाहिए कब तक लोग यो ही एक्सीडेंट में मरते रहेंगे।

अब तो जो अधिकारी विदेश भाग गया था उसे लोग विदेशों में भी कोसने लग गए की आखिर तुम बत्ती ठीक क्यों नहीं करना चाहते रोज एक्सीडेंट में लोग मर रहे है क्या तुम यही चाहते हो लोग ऐसे ही मरते रहे और उस अधिकारी के पास मुहं छुपाने के अलावा और कोई उपाय शेष नहीं था। दुनिया कहाँ की कहाँ पहुँच गयी है और तुम्हारे देश में अभी भी एक ट्रैफिक लाईट ठीक करवाने के लिए किसी को आमरण अनशन करना पड़ रहा है।

नौ दिन तक वो अपनी जिम्मेदारी से भागता रहा लेकिन वो बहादुर शेरनी भी अपनी जिद्द पर अड़ी रही, वो अधिकारी आखिर कितने दिन तक अपनी जिम्मेदारी से भाग सकता था, आखिर में उसे वापस देश में तो लौटना ही था।

चारों तरफ से जो आलोचना हो रही थी और देश और विदेशों में उस अधिकारी की जो थू थू रही थी उससे बचने का केवल एक ही उपाय था की ट्रेफिक लाईट को सही किया जाया अब मरता क्या ना करता आख़िरकार ना चाहते हुए भी उसे वो ट्रेफिक लाईट ठीक करने के आदेश जारी करने ही पड़े।

एक औरत की जिद्द और पूरे देश से उसे मिले सर्मथन के आगे वो अधिकारी हार गया और वो बहादुर शेरनी जीत गयी।

अब वो घमंडी अधिकारी ये कैसे स्वीकार कर सकता था की लोग ये कहे की एक औरत ने उस अधिकारी को आखिर झुका ही दिया तो इससे बचने के वो अधिकारी और उसके कुछ चापलूस चारों तरफ ये कहने लग गए की देखो हमारे साहब ने आपके मोहल्ले की बत्ती ठीक करने के आदेश दे दिए है।

“बलात्कार-मृत्यदंड के प्रावधान का श्रेय लेने की से इसका कोई लिंक नहीं है ।"

 

#DeathForChildRapists
 

 
 
 

 
 
 


Wednesday, April 18, 2018

आपको ये गुलामी मुबारक हो

स्वाति किसके लड़ रही है?
क्या मांग है उसकी?
यदि उसकी मांग मोदी सरकार मान ले तो फायदा स्वाति को होगा
या पूरे हिंदुस्तान की बेटियाँ, बहने, माँ-बाप-भाई-पति को होगा?

फिर हिन्दुस्तान एक आवाज में स्वाति के साथ खड़ा क्यों नहीं है?
इसे ही कहते है गुलामी
आपको गुलाम बना दिया गया है
अब आप स्वविवेक से स्वयं और समाज के हित के लिए ना बोलते है, ना लिखते है और ना ही सड़को पर निकलते है
लेकिन जिसने आपको गुलाम बना लिया है
उसकी सेना के किसी सिपाही का छोटा सा झूंठा मेसेज भी व्हाट्सअप्प पर आपको मिल जाए तो
आप तुरंत गुस्से में लाल पिले होते हुए जो हथियार मिलेगा उसे लेकर सड़को पर निकल आते है

इसे ही गुलामी कहते है
जब आपका विवेक मर जाता है
और आपकी जिंदगी पर किसी और का कंट्रोल हो जाता है

आपको ये गुलामी मुबारक हो

जो ये गुलामी स्वीकार नहीं कर रहे है वो स्वाति के साथ खड़े है
अपने देश के बेटियों को इन्साफ दिलाने के लिए

 

Monday, April 16, 2018

बलात्कार नहीं, मेरी आस्था तार तार हुई है

कठुआ में आठ साल की मासूम से बच्ची के साथ जो उन दरिंदों ने किया है वो महज एक बलात्कार नहीं है वो पूरी मानवता को झकझोर देने वाला वो घिनोना कृत्य है जिसने मेरी आस्था को भी तार तार किया है।

जिस मंदिर मुझ जैसे असंख्य लोग पवित्र जगह समझकर परेशानियों से भरी अपनी जिंदगी से कुछ पल निकालकर ईश्वर का धन्यवाद करने और कुछ पलों के लिए सकून महसूस करने जाते है उसी मंदिर में एक सप्ताह से भी अधिक समय तक महज एक आठ साल की गुड़िया को बंदी बनाकर, जबरदस्ती ड्रग्स देकर लगातार बलात्कार किया गया? (खबर का लिंक1 ) (खबर का लिंक २)

सोचिये जब मुझ जैसा कोई व्यक्ति मंदिर में शृद्धा के साथ सर झुकाकर प्रार्थना कर रहा होगा उसी समय उसी मंदिर के एक हिस्से में उस देवस्थान का पुजारी और कुछ लोग मिलकर एक मासूम सी  साल की बेटी को अपनी हवस और घृणा का शिकार बना रहे होंगे, सोचकर ही सहम जाता हूँ, मैं तो उस मंदिर में नहीं जाता क्योंकि मैं वहाँ का रहने वाला नहीं हूँ पर सोचो वहां रहने वाले लोग क्या ये सब जानने के बाद भी उस मंदिर में कैसे सकून से अपना सर झुका सकेंगे? क्या उस समय उनके जहन में उस मासूम सी आठ साल की आसिफा की चीख नहीं गूंज रही होगी? जिस समय वो ईश्वर को धन्यवाद कर रहे होंगे उस समय क्या सवाल उनके मन में नहीं आएगा की किस बात का धन्यवाद करू? कुछ दिन पहले इसी जगह एक आठ साल की बेटी की चीख किसी को सुनाई नहीं दे रही थी?
इसीलिए कह रहा हूँ की ये महज बलात्कार नहीं है बल्कि मेरी आस्था को तार तार किया है गया है, जिस जगह पर जाकर मैं सकून से बैठकर अपने ईष्ट का ध्यान कर सकता था अब वहाँ जाने पर मुझे एक मासूम बेटी की चीख सुनाई देंगी और कुछ दरिंदो के चेहरे जो एक समुदाय विशेष के प्रति अपनी नफरत की आग में इस कदर तक गिर गए की ना केवल उन्होंने अपने धर्म का अपमान किया बल्कि वो समूचे विश्व के अपराधी बन गए क्योंकि उन्होंने मेरी आस्था को भी तार तार किया है।

यदि आपके भीतर तनिक भी इंसानियत जिन्दा है तो जम्मू कश्मीर की क्राइम ब्रांच ने जो अपनी चार्जशीट में लिखा है उसे पढ़ेंगे तो आपकी रातों की नींद गायब हो जाएगी।

(चार्जशीट में जो लिखा था उसे सुनिए रविश कुमार की जुबानी)


उस आठ की मासूम के साथ जो हुआ वो तो एक घिनोना कृत्य था ही उससे से भी ज्यादा शर्मनाक था वो देखना जब कुछ लोग जिसमे भारतीय जनता पार्टी के मंत्री भी शामिल थे का तिरंगे के साथ सड़कों पर आना, आप सोच रहे होंगे शायद वो बलात्कारियों को सजा दिलाने के लिए तिरंगा लेकर निकले होंगे, अफ़सोस ऐसा नहीं था उलटे वो तिरंगा लेकर निकले थे उन बलात्कारियों को बचाने के लिए, क्राइम ब्रांच जो चार्जशीट पेश करने जा रही थी उसे रोकने के लिए और इसके लिए उन्होंने तिरंगे का इस्तेमाल किया तो जय श्री राम का भी इस्तेमाल किया, भारत माता की जय, जय श्री राम और तिरंगे हाथ में लिए भाजपा के मंत्री और कार्यकर्ता उस समय हिन्दू एकता मंच बनाकर बलात्कारियों को बचाने के लिए सड़कों पर निकले थे।
कोनसे भगवान को मानकर उनकी जय जयकार कर रहे है ये लोग? कौनसा भगवान खुश होगा की आज उसकी जय जयकार वो लोग लगा रहे है को एक बलात्कारी को बचाने के लिए सड़को पर आ गए है महज इसलिए की किसी एक समुदाय विशेष के प्रति वो नफरत पाले हुए है?

क्या हमारे देश के असंख्य लोगो ने इसीलिए अपने प्राणों की आहुति देकर हमे आजादी और तिरंगा दिया था की कल को इसी आजादी और तिरंगे का इस्तेमाल कर वो किसी बलात्कारी को बचा सकेंगे?

और क्या भारत माता अपने इस हाल पर रो नहीं रही होगी की पहली तो उसी भारत माता की एक आठ साल की बेटी के साथ कई दिनों तक बलात्कार होता है और फिर उस बेटी को इन्साफ दिलाने के बजाय लोगो का एक समूह भारत माता की जय बोलता हुआ बलात्कारियों को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आएगा?

यदि कुछ लोग बलात्कारियों को सजा दिलाने की मांग करेंगे तो उन्हें ही डराया धमकाया जायेगा?

सोचिये ये कहाँ आ गए हम!
निर्भया - आसिफा
निर्भया से लेकर आसिफा तक कुछ नहीं बदला, बदली है तो केवल सरकारें बदली है और सरकार में बैठे लोगो की नीयत बदली है, जब सत्ता में नहीं थे इन्ही लोगो को देश के किसी भी कोने में होने वाले हर बलात्कार की चीख सुनाई देती थी आज सत्ता पाकर इन्हे उन मासूमों की चीख सुनाई देना तो दूर उलटे बलात्कारियों को बचाने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है।

पूरा देश गुस्से में है लेकिन ना सरकार में बैठी महिलाओं को इस बात का दर्द है और ना ही सत्तानशीनों की इस बात की परवाह, शायद वो इस बात से आश्वस्त है की उन्होंने धर्म और जाति के नाम पर पर्याप्त जहर लोगो को जहन में भर दिया है की अब लोग बलात्कार जैसी नीचता को भी महज इसलिए स्वीकार कर लेंगे की वो किसी और समुदाय के साथ हुआ है।



भाजपा नेताओं के शर्मनाक बयान