Friday, October 18, 2019

जरूर सुने बहुत ही शानदार गीत "बता तेरे राज में चौकीदार"

जरूर सुने
बहुत ही शानदार गीत
"बता तेरे राज में चौकीदार"
 
Bata tere raj me Choukidar

Thursday, October 17, 2019

नोएडा फिल्म सिटी के निचे है प्राचीन हनुमान मंदिर


आज गुरुवार को ट्व‍िटर पर #NoidaFilmCityExcavation अचानक ट्रेंड (Twitter Trends) करने लगा। जिसमे बजरंग बलि हनुमान जी से जुडी एक रोचक कहानी बताई गई है
कहानी बताने वाले RoflGandhi_ के अनुसार
रोहतक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बलवान दहिया जी हिंदू अध्यात्म के रिसर्चर हैं। हनुमानजी पर गहरा अध्ययन किया है। उनकी रिसर्च है कि जब हनुमानजी संजीवनी लेकर लौट रहे थे तो उनकी गदा पर लगा एक मनका नीचे गिर गया था। हजारों साल बीत गये। नौवीं सदी में वो मनका एक गरीब कृपाराम को मिला।
देखते-देखते कृपाराम की किस्मत बदल गयी।उसने चावल का काम शुरू किया और वो लखपति हो गया। तब उस रहस्यमयी मनके की महिमा समझ आयी। उसकी पत्नी भामादेवी ने मनके को मंदिर में स्थापना करने की सलाह दी। कृपाराम ने भव्य बजरंगी मंदिर बनवाकर मनका स्थापित कर दिया।


मंदिर के आस-पास शहर बस गया। शहर इतना खुशहाल था कि सोने की ईंटों के फर्श लगे थे। शहर का नाम था नवोदय। फिर 11वीं शताब्दी में नवोदय नगरी के राजा अजेयनाथ और टीपू खान के बीच भयंकर जंग हुई। इससे पहले की टीपू नवोदय नगर को लूट पाता कुलदेवी महामाया ने शहर को पाताल में छुपा दिया।
प्रोफेसर दहिया की रिसर्च और मशहूर पुरातत्व विशेषज्ञ कगिशो आर्चर की रिपोर्ट कहती है कि जहाँ सोने की नवोदय नगरी थी, वहाँ आज नोयडा शहर आबाद है। मनका जड़ित भव्य बजरंगी मंदिर की अग्जेक्ट लोकेशन सेक्टर 16 A फ़िल्म सिटी बतायी गयी है। शायद मंदिर भूतल से लगभग 3000 मीटर नीचे है।
प्रोफेसर दहिया के दादाजी भलेराम दहिया भी एक बार नेहरू जी से मिले थे और बजरंगी मंदिर की खोज के लिये खुदाई की माँग की थी। लेकिन उन्हें अनसुना कर दिया गया। आज फ़िल्म सिटी में बहुत सारे न्यूज़ स्टूडियो आबाद हैं और धरातल में कैद है एक चमत्कारी रहस्य जो भारत की किस्मत बदल सकता है।


प्रोफेसर दहिया अब प्रधानमंत्री जी से उम्मीद कर रहे हैं जैसे वो नेहरू जी की अन्य गलतियों को सुधार रहे हैं, वैसे ही नवोदय नगरी के बजरंगी मंदिर की खोज करके एक और इतिहास ठीक कर देंगे। न्यूज़ स्टूडियो तो कहीं भी बस सकते हैं, लेकिन बजरंगी का निवास एक विशेष स्थल ही होता है।
आज नहीं तो कल देश की जनता इसका जवाब जरूर मांगेगी। आस्था के ऊपर कुछ नहीं, न्यूज स्टूडियो तो बिल्कुल नहीं।
वर्तमान में भूख से कुपोषित बच्चों के मामलो में भारत पाकिस्तान और नेपाल से भी नीचे चला गया, यानि पाकिस्तान नेपाल अधिक समर्थ हो गए और भारत पीछड़ गया, RoflGandhi_ का ये भी मानना है की इस भूख का एक ही इलाज है 'मनका'। जब नोयडा में मनका मिलेगा, बच्चे बच्चे को उसके मन का खाना मिलेगा।
एक अन्य यूजर ने बताया : कहा जाता है कि मनका पोटली में रखा हुआ है।ध्यान से देखने पे आपको इस मीडियाप्लेक्स का आकार भी पोटली जैसा दिखेगा।इससे ये बात साफ हो जाता है कि मनका इसी जगह पर है। अब हमें जल्द से जल्द इस पवित्र स्थल को खाली करा एक भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण करना चाहिए।

प्राचीन हनुमान मंदिर
Hanuman mandir
Hanuman ji ka mandir, Noida
Hanuman ji ki gada ka manka, noida






Sunday, October 13, 2019

प्रधानमंत्री द्वारा जनता के पैसो की बर्बादी - Publicity Stunt



प्रधानमंत्री मोदीजी ने आज तमिलनाडु में समुद्र किनारे से कचरा साफ किया इस पर मेरे विचार
ये प्रधानमंत्री मोदी के अनेको पब्लिसिटी स्टंट (खुद के प्रचार) में से एक है इसके अलावा कुछ नहीं है, जनता के पैसो की बर्बादी, केवल खुद को पूरे दिन टीवी पर दिखाने के लिए।

एक प्रधानमंत्री का काम कचरा उठाना नहीं होता है बल्कि ऐसे कानून बनाना होता है जिनसे कचरा फैले ही ना, लेकिन ऐसा करने से उनका वीडियो फोटो टीवी पर नहीं आती।

जनता के पैसे की बर्बादी:  जब प्रधानमंत्री कहीं भी जाते है, ठहरते है तो उस जगह और उसके आस पास के इलाके की पूरी तरह से चेकिंग की जाती है जिसमे पूरा प्रशासन और हजारों कर्मचारी लगे होते है, तभी आपने देखा होगा ना तो उस वीडियो में दूर दूर तक कही कोई व्यक्ति दिखाई दे रहा था और ना ही समुद्र के अन्दर कोई जहाज या व्यक्ति था क्योंकि वो जगह पहले खाली करवाई जाती है फिर उसकी हजारों कर्मचारियों द्वारा पूरी जांच होती है, सिक्युरिटी आदि की। कुछ भी संदिग्ध वस्तु/कचरा दिखाई देता है उसे हटाया जाता है उसके बाद प्रधानमंत्री उस जगह पर जा स

PM Narendra Modi: Plogging at a beach in Mamallapura
अब ये पब्लिसिटी स्टंट करवाना था तो सारी जाँच होने के बाद वहाँ पर ये दो चार पेपर प्लास्टिक आदि (जिनकी पहले से जांच की गई होगी) वहां पर डाले जाते है और फिर प्रधानमंत्री जी कैमरे के साथ वहाँ पर जाते है, उसकी फिल्म बनवाते है, कैमरामेन भी एक्सपर्ट होता है कभी वो उसमे मोदी का हाथ दिखाता है कभी ज़ूम करके कचरे की थैली और फिर अंत में कचरा जिस व्यक्ति को दिया जाता है उसे बोलते हुए वो शब्द, इतना ही नहीं शूटिंग होने के बाद पूरी फिल्म की एडिटिंग होती है कौनसा सीन रखना है कौनसा हटाना है आदि। किसलिए इतनी सब नौटंकी? क्या देश का पैसा अपने इन फिजूल के प्रचार प्रसार में खर्च किया जा रहा है?


तो मेरी नजर में प्रधानमंत्री मोदी यदि आज ये कचरा उठाने का इवेंट ना करते तो देश की जनता की गाढ़ी मेहनत की कमाई के करोडो रूपये और हजारों कर्मचारियों को जो इस इवेंट में शामिल किया गया उससे बचा जा सकता था

Tuesday, October 8, 2019

क्या आपको सर्दी नहीं लग रही?

"क्या आपको सर्दी नहीं लग रही है?"
मेरे इस सवाल का जो जवाब उनसे मिला अचानक मेरी सर्दी गायब हो गई हो और मैं उस शख्श  की और देखता रहा जब तक वो मेरी आँखों से ओझल नहीं हो गया।

पिछले माह परिवार सहित माता वैष्णो देवी के दर्शन को गए थे, कटरा से माता वैष्णो देवी दर्शन के लिए चढ़ाई शुरू होती है, कोई पैदल ये चढ़ाई पार करता है तो कोई घोड़े, पालकी या हेलीकॉप्टर से इसे पार कर माता रानी के भवन पहुँच कर माँ वैष्णो देवी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करता है।

हमारे साथ छोटे बच्चे थे तो हमने घोड़े लेना ठीक समझा और ये चढ़ाई घोड़ो पर बैठकर तय की, माता के भवन पहुँच चुके थे, आरती का समय हो गया था तो 2 घंटे के लिए दर्शन बंद थे, लाइन में लगकर माता रानी को याद करते, धन्यवाद देते समय बीत गया और आख़िरकार माता रानी के दर्शन हो गए, बहुत ही सुखद अनुभव रहा।  रात के 11 बज चुके थे, अब बाहर आकर एक रेस्टोरेंट में खाना खाने लगे इतने में तेज बारिश ने अचानक मौसम बदल दिया, जहाँ  कुछ देर पहले तक गर्मी लग रही थी वो मौसम अचानक से सर्द  हो गया।  वैष्णों  माता के दर्शन के बाद 3.5 KM की ऊंचाई पर स्तिथ भैंरो बाबा के दर्शन करने की मान्यता है तो खाना खाने के बाद हम सब इस चढ़ाई को चढ़ने के लिए निकल पड़े, रास्ते में फिर बारिश शुरू हो गई, कभी रुकते कभी तेज तेज मंजिल की तरफ बढ़ते जा रहे थे, आधे से ज्यादा रास्ता तय हो चूका था, लेकिन इस बार बहुत तेज हवा और बारिश ने सब को कँपकँपा के रख दिया, हर कोई खुद को सर्द हवा से बचाने के लिए कोई छिपने की जगह ढूंढ रहा था या बैग में जो कुछ ओढ़ने की चीज थी उसका सहारा ले रहा था, हमारे पास भी टॉवल और एक एक एक्स्ट्रा टी-शर्ट थी, जिनमे से कुछ से कुछ को ढका तो कुछ बच्चों को ढकने में काम ली, पर सर्दी फिर भी लग रही थी।  मुझे एक दीवार की ओट में बैठने की जगह मिल गई, आरामदायक तो नहीं थी पर सीधी हवा से वो दीवार मुझे बचा रही थी, इतने में मेरी नजर एक परिवार पर पड़ी जो थोड़ी देर पहले ठीक मेरे पास वाली सीट पर खाना खा रहे थे, वो भी सर्दी से काँप रहे थे उनके साथ एक गुड़िया थी वो भी काँप रही उसे मैंने अपने पास बुलाकर अपने सीने से लगाकर हवा से बचाने का प्रयास किया। थोड़ी देर में बारिश कम हुई तो थोड़ी हलचल हुई लोग आगे बढ़ने लगे भैरों बाबा के दर्शन के लिए,  हम भी चल पड़े।


एक घुमाव पर मैं कुछ लोगो से आगे निकल रहा था की अचानक मेरी नजर उस नौजवान पर पड़ी जिसकी वजह से ये पोस्ट लिख रहा हूँ।
जहाँ सभी लोग सर्दी से काँप रहे थे वही वो व्यक्ति एक सेंडो बनियान में चल रहा था, मेरे मुहं से अचानक निकल गया
"सभी सर्दी से काँप रहे है और आप बनियान में है, आपको सर्दी नहीं लगती?"
उसका जवाब सुनकर मेरी सर्दी अचानक गायब हो गयी और मेरी आँखों में आंसू थे।
उस युवक ने कहा, "सर्दी तो लगती है सर, लेकिन मेरा बेटा सर्दी से काँप रहा था तो मैंने अपना शर्ट निकालकर उसे उढ़ा (ओढ़ा) दिया।"
कुछ देर तक मैं वही खड़ा खड़ा उसे देखता रहा और सोचता रहा एक पिता अपने संतान के लिए कितना त्याग करता है, कितना सहन करता है।

पिता के त्याग की बहुत कम कहानियाँ देखने को मिलती है, लेकिन इस पिता के त्याग को आप सब तक पहुंचाने का प्रयास किया है यदि अच्छी लगी हो तो जरूर अपने कमेंट से मुझे बताये।
पढ़ने के लिए धन्यवाद
राम किरोड़ीवाल