Friday, December 18, 2020

गौमांस की कमी नहीं आने देंगे - मोदी के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत का बयान

एक तरफ भाजपा गौमांस के नाम पर लोगो के घर में घुसकर गुंडागर्दी/हत्या तक कर आती है वही दूसरी तरफ ये भी सुनिश्चित करती है लोगो को खाने के लिए गौमांस की कमी ना हो।  

जी हाँ, आप ये पढ़कर सोच रहे होंगे ये कैसी बकवास है बीजेपी तो हिन्दू धर्म के रक्षा के लिए ही है, भाजपा तो गाय को देवता समझकर पूजा करती है उलटे जो गाय का मांस खाते है उन पर एक्शन लेती है तो ऐसे कैसे हो सकता है।  

लेकिन दुर्भाग्य से ये सच है, यही इन फर्जी हिन्दुवादियों का असली चेहरा है, यकीं नहीं आता तो निचे Press Trust of India का ट्वीट देखिये, इसका स्क्रीनशॉट भी डाल  रहा हूँ क्या पता कल सुबह तक भाजपा अपनी किरकिरी होने पर इस ट्वीट को ही डीलीट करवा दे।  

भारतीय जनता पार्टी के गोआ  के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत ने गोवा में गौमांस की कमी पर ये बयान  दिया है की जल्द ही वो प्रदेश में हो रही गौमांस की कमी को पूरा करेंगे, दूसरे प्रदेशो से गौमांस आयात कर इस कमी को पूरा करेंगे।  

Goa CM Pramod Sawant says his government is aware about beef shortage in state and arrangements are being made to resolve the issue.

 


यही है इन भाजपाइयों का असली चेहरा, पता नहीं इस देश की भोली भाली जनता को ये बात कब समझ में आएगी की ये लोग सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते है।  

आपके लिए गाय पूजनीय है तो आपके यहाँ गाय के नाम पर वोट मांगेंगे, गोवा में गाय का मीट खाया जाता है तो वहां पर गाय के मांस के नाम पर वोट मांगेंगे।  

इन लोगो ना गाय से मतलब है, ना हिन्दू धर्म से और ना ही आपकी भावनाओं से इनका उल्लू सीधा होना चाहिए बस वोट मिलने चाहिए वो गौमांस पर मिलेंगे तो ये लोग गौमांस बेचेंगे और वो गाय माता के नाम पर  मिलेंगे तो गाय माता के नाम आपकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके लेंगे। 


Sunday, November 1, 2020

कपड़ों से पहचाने जा सकते हैं हिंसा भड़काने वाले : PM Narendra Modi

पहले सुनिए  क्या कहा हमारे प्रधानमंत्री जी ने 

कपड़ो से ही पहचाने जा सकते है

अब देखिये गाजियाबाद पुलिस का ये tweet

 

गाजियाबाद पुलिस ने tweet मेंबताया की शातिर चोर को गिरफ्तार किया है औरजो फोटो फोटो में जिन्हें अरेस्ट किया उनमे से एक ने नमो अगेन की टीशर्ट पहन रखी तो ट्विटर यूजर्स ने तुरंत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कही बात को quot करना शुरू कर दिया

गाजियाबाद पुलिस ने ट्वीटर पर लोगो की प्रतिक्रिया देखि तो तुरंत अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया 

गाजियाबाद पुलिस ने पता नहीं क्यों ये tweet डीलीट कर दिया, खैर screenshot की सुविधा उपलब्ध है 


 

Sunday, August 16, 2020

स्वतंत्रता दिवस और मैं - उन दिनों SMS के भी पैसे लगते थे

तब मेसेज भेजना आज की तरह फ्री नहीं था, ना ही सबके पास स्मार्टफोन और इंटरनेट होता था।  

उन दिनों SMS के भी पैसे लगते थे, उसमे भी अक्षर ज्यादा हो जाते तो 1 की जगह कई SMS गिने जाते है।  मेरा SMS इतना बड़ा बन ही जाता था की एक में ही दो के पैसे लगते थे, फिर भी हर स्वतंत्रता दिवस पहले से तैयारी करके रखता था और मेरे मोबाइल में जितने नम्बर सेव होते थे सभी को देशभक्ति से भरा शहीदों के गुणगान वाला और तब की सरकार की कमी का कुछ हिस्सा मेरे मेसेज में शामिल होता था जिसे भेजते समय मेरे मन में जो उमंग उत्साह होता था वो शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।  

 जिसे भी मेरा SMS मिलता वो उसकी प्रशंसा भी करता, मेरे विचारो की तारीफ़ करता या यों  कहे की कई दोस्त तो मेरे SMS का इंतज़ार करते थे की इस बार क्या लिखकर भेजेगा।  

आज भी स्वतंत्रता दिवस था, मेसेज भी फ्री है और लिखकर भेजना भी बहुत आसान है लेकिन मन में वो उत्साह नहीं  था, कुछेक दोस्तों के मेसेज के जवाब के अतिरिक्त किसी को चलाकर मेसेज नहीं भेजा।  

पिछले कुछ साल में बहुत कुछ बदल गया, पहले देशभक्ति का अर्थ वतन से प्यार ही होता था, सत्ता से हर रोज सवाल करते थे, महंगाई पर सरकार के खिलाफ बोलते थे पुतले जलाते थे, यदि कही कोई अवव्यस्था होती थी तो प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते थे ये सब तब देशभक्ति की  श्रेणी में ही आता था। 

अब देशभक्ति के मायने बदल गए, सरकार से सवाल करना देशद्रोह कहलाता  है,सरकार के किसी निर्णय का विरोध करना देश के खिलाफ बोलना होता है, सीमा पर मेरे ही भाई बहन शहीद हो और उनके परिवार को न्याय  दिलाने के लिए बोलने पर उसे शहीदों/सैनिको का अपमान समझा जाने लगा है।  

अब देशभक्ति का अर्थ है दूसरे देश को गालियां निकालों, यदि मैं केवल अपने देश ही प्यार करू तो उसे देशभक्ति में शामिल नहीं किया जाता, जब तक की मैं बार बार अपने कथन से पलटने वाली सरकार के अनुसार दूसरे देश को गाली ना निकालूँ, अपने  देश के नागरिकों में से कुछ एक को गद्दार न कह दूँ, या उन्हें पाकिस्तान चले जाओ कहकर धमका  नहीं दूँ, या फिर ये साबित नहीं कर दूँ की वो भारत में जन्म लेकर भी पाकिस्तानी है तब तक मेरी देशभक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगा रहता है।  

तो आज मेरा मन विचलित सा था, सवालों से उलझा हुआ था, किसे स्वतंत्रता दिवस की बधाई दूँ, उन्हें जिन्होंने आजादी  गिरवी रखकर गुलाम रहना स्वीकार कर लिया। 

"गुलाम" हाँ, गुलाम ही तो है यदि आप बढ़ती महंगाई पर 5-6  पहले तक बोलते थे और आज नहीं बोल पा रहे तो क्यों न इसे गुलामी कहा जाए।  

जब आपके बच्चे को अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही हो, या फिर शिक्षा महंगी हो और आप केवल इसीलिए चुप रहते है की अब सरकार से इस पर सवाल करने का मतलब देश के खिलाफ बोलना है तो फिर ये गुलामी ही तो है।  

और सबसे बड़ी बात आजकल जो एक नई प्रजाति पैदा हुई है जो हर किसी को पकड़कर बोलती है बोल "वन्दे मातरम" यदि कोई तुम्हे पकड़कर कहे की ये बोल और नहीं  बोलो आपके साथ बदतमीजी से लेकर हाथापाई और कई बार हत्या तक की नौबत आ जाए तो कैसे कह सकते हो की तुम आजाद हो, ये तो गुलामी ही हुई ना।  

बस इन्ही सवालों से पूरे दिन जूझता रहा और इस बार का स्वतंत्रता दिवस बीत गया।  

इस बार मैं वो सन्देश नहीं भेज पाया जो हर बार भेजता था। 

उम्मीद है अभी भी मैं देशभक्त ही कहलाऊंगा। 

जय हिन्द 

जय भारत 

वन्दे मातरम


Saturday, June 20, 2020

न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है


दो किसान थे, दोनों की जमीन एक दुसरे से सटी हुई थी, दोनों ही अपने आप में काफी सामर्थ्यवान थे
जहाँ दोनों की सीमाए लगती थी वहां कभी कभी दुसरे किसान के बेटे इधर वाले किसान के खेत में घुस आते थे, फिर इधर वाले किसान के बेटे उन्हें समझा देते की भाई सीमा वहां पर आप हमारे खेत में घुस आये हो, कई बार बोलने पर मान जाते थे, कई बार थोड़ी तू तू मैं मैं हो जाती तो कई बार बड़ो को बीच में आना पड़ता लेकिन आखिर बात सुलट जाती थी, दुसरे वाले किसान के बेटे अपने खेत में चले और इधर वाले तो अपने खेत में थे ही।

जिंदगी चलती रही दोनों किसान खूब तरक्की करते रहे।
लेकिन अचानक से दोनों किसानो के बीच सम्बन्ध बढ़ने लगे, उधर वाला किसान इधर वाले किसान के घर आया तो इधर वाले किसान ने अपने बेटो से उस किसान की खूब आव भगत करवाई, उसकी जय जयकार के नारे लगवाये उसे मीठे मीठे पकवान खिलाये, झूला झुलाया, यहाँ तक की अपने बेटो को मजबूर कर दिया उस किसान के चेहरे के मास्क पहनकर उसके सामने बैठकर उसे खुश करने के लिए।

यहाँ तक की घर के एक काम करने वाले के मुहं से उधर वाले किसान के नाम का सही उच्चारण नहीं हुआ तो उसे नौकरी तक से निकाल दिया।
पूरे परिवार ने ये सब किया क्योंकि सबको लगता था की आपसी सम्बन्ध अच्छे हो तो दोनों की किसानो के लिए अच्छा है।

इधर वाला किसान बड़ी शान से सबको बताता कि उधर वाले किसान के साथ उसकी दोस्ती कितनी गहरी है, दोनों की बीच मिलने का सिलसिला जारी रहा।

एक दिन फिर से वैसा ही हुआ जो पहले होता था उधर वाले किसान के बेटे इधर वाले किसान की जमीन में घुस आये, और सदा की तरह इधर वाले किसान के बेटे उन्हें समझाने लगे की आप हमारी जमीन में आ गये हो, बात ज्यादा बढ़ गई और नौबत हाथा पाई पर आ गई, उधर वाले किसान के बेटे आक्रामक हो गए और इधर वाले किसान के कुछ बेटे इस झगड़े में मारे गए।

इधर वाले किसान के बेटे आश्वस्त थे की उनका बाप उधर वाले किसान को सबक सिखाएगा, लेकिन ये क्या इधर वाला किसान तो उधर वाले किसान की भाषा बोलने लग गया।
इधर वाले किसान ने अपने बेटो को कहाँ कि "उधर वाले किसान के बेटे ना तो हमारी जमीन में घुसे है, ना हमारी जमीन पर कब्जा किया है"
अब इधर वाले किसान के बेटे तो वैसे ही अपने परिवार के सदस्य की मौत से दुखी थे, ऊपर से उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था की उनके बाप ने उधर वाले किसान की भाषा क्यों बोली, जिस जमीन को सदा वो अपनी समझकर उसकी हिफाजत करते आये उसके लिए उन्ही का बाप ऐसा क्यों बोल रहा है?

अब जब इधर वाले किसान ने जो कहा उसका पता उधर वाले किसान को चला तो वो सीना चौड़ा करके उस जमीन पर अपना हक़ ये बोलकर जताने लग गया की इधर वाले किसान ने खुद कहा की जहाँ पर मेरे बेटे खड़े थे वो जमीन उसकी है ही नहीं।


दुनियाँ से शिकायत क्या करते जब तूने हमें समझा ही नहीं गैरों को भला क्या समझाते जब अपनों ने समझा ही नहीं।

जो शहीद हुए है उनकी  जरा याद करो कुर्बानी
जो शहीद हुए है उनकी  जरा याद करो कुर्बानी

Tuesday, April 7, 2020

सोचो भारत कब मजबूत था?

PM Modi Vs PM Dr. Manmohan Singh
PM Modi Vs PM Dr. Manmohan Singh

एक वो दिन था जब भारत ने यूरोप को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था, जब इटली ने हमारे मछुआरो के हत्यारों सैनिको को इटली बुलाकर वापस नहीं भेजा तो तात्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने इटली के राजदूत को ही भारत में बंदी बनाकर इटली को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था और जो इटली बोल रही थी की हम सैनिको को वापस इंडिया नहीं भेजेंगे उन्हें झक मारकर वापस भेजना पड़ा.. उसे कहते है देश का सम्मान बढ़ाना, देश के सम्मान के आगे कोई समझोता नहीं

एक आज का दिन है की जिस ट्रंप के लिए अभी 1 महीने पहले ही सब कुछ दांव पर लगा दिया, करोडो रूपये पानी की तरह बहा दिया और आज वही ट्रम्प खुले आम धमकी देता है की यदि भारत Hydroxychloroquine की सप्लाई नहीं करता है तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे, जिस ट्रम्प के लिए भारत का करोडो रुपया बर्बाद कर दिया और मिडिया दिखा रहा था की कैसे मोदी और ट्रम्प दोस्त है और अमेरिका भी भारत के आगे कुछ नहीं वही अमेरिका भारत को धमकी देता है और भारत फिर तुरंत झुक जाता है और कहता है की हम Hydroxychloroquine की सप्लाई अमेरिका को भेज रहे है

सोचो भारत कब मजबूत था?
जब भारत ने इटली को झुकने पर मजबूर कर दिया तब या
आज जब भारत अमेरिका के आगे झुक गया तब?