Friday, June 27, 2014

Vasundhara raje motorcade hit motorcyclist 2 died - वसुंधरा राजे के काफिले से मोटर साइकिल सवार की टक्कर दो की हादसे में मौत

वसुंधरा राजे के काफिले से कल एक मोटर साइकिल सवार की टक्कर हो गयी और अफ़सोस मोटर साइकिल पर सवार दोनों व्यक्ति इस दुर्घटना में अपना जीवन खो चुके, टक्कर इतनी भयंकर थी की मोटर साइकिल सवार दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया । 

दुर्घटना से भी ज्यादा बड़ी दुर्घटना तो ये हुयी की टक्कर राजस्थान के बीजेपी की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काफिले के साथ हुयी और इसे मिडिया में तोड़ मरोड़ कर सच को छुपाते हुए बहुत ही अलग तरह से प्रस्तुत किया । 
वसुंधरा की जान लेने वाली ना बताकर बचाने वाली के रूप में पेश किया गया । 

इसका तो पता भी नहीं चलता वो तो दैनिक भास्कर ने ट्वीट कर दिया जिससे पता चला की कार वसुंधरा के काफिले से हुयी हो सकता है खुद वसुंधरा की कार से हुयी हो, जो भी इन दो लोगो की मौत की जिम्मेदार वसुंधरा राजे है ।  

अब दैनिक भास्कर ने ट्वीट तो कर दिया पर मुझे लगता है उन पर तुरंत दबाव, धमकी या लालच का डंडा चलाया गया होगा और आनन फानन में दैनिक भास्कर ने अपना वो ट्वीट डिलीट कर दिया, बस शक की सुई यही से घूमती है यदि वो ट्वीट भूल में हो गया था तो भास्कर को एक और ट्वीट में माफ़ी मांगनी चाहिए थी ये कहते हुए की पहले गलती में ट्वीट हो गया लेकिन वाकई में हादसा ये था । 

लेकिन इस मामले पर दैनिक भास्कर की चुप्पी यही दर्शाती है की मामले को दबाया गया है, अब राजस्थान में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है तो कौन हिम्मत कर सकता है उनके खिलाफ लिखने की, परिणाम ये हुआ की एक बार फिर सच ने सत्ता और ताकत के सामने घुटने टेक दिए ।

ये केवल पहली बार नहीं हुआ है पहले भी ऐसे कई समाचार जो बीजेपी के काले कारनामो को उजागर करते हो डिलीट करवाये गये है और इसीलिए मैंने मौका रहते भास्कर के उस ट्वीट का स्क्रीनशॉट ले लिया था जिसमे उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी की राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काफिले से टक्कर में दो मोटर साइकिल सवारों की मौत । 

ये है वो ट्वीट जो दैनिक भास्कर ने किया था 
Tweet dainik bhaskar, vasundhra raje
#DainikBhaskar #Raje #VasundharaRaje #BJP #Rajsthaan #CM #Truth

अब इस मामले को दबाने के लिए तुरंत हमारे प्रधानमंत्रीजी नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया राजे की प्रशंशा में की उन्होंने एक्सीडेंट में घायलों के लिए अपना काफिला रोका और मानवता का उदाहरण पेश किया, वसुंधरा राजे ने भी अपने बचाव में तुरंत ट्वीट किया की एक्सीडेंट ETV की वैन से हुआ था । 

ये है वसुंधरा राजे के ट्वीट 
#वसुंधराराजे #दैनिकभास्कर #श्रीगंगानगर #एक्सीडेंट #राजस्थान 

अब यदि ये हादसा Etv की वैन से हुया तो क्यों दैनिक भास्कर ने दुबारा ट्वीट कर इस घटना में माफ़ी माँगते हुयी सत्य सामने रखा, क्यों Etv की तरफ से कोई ट्वीट नहीं है की दुर्भाग्यवश उनकी वैन से टक्कर हो गयी जिसने दो जिंदगियां लील ली? इसके उलट Etv ने वसुंधरा राजे की प्रशंसा में ट्वीट किये । 

ये है etv, राजस्थान के ट्वीट 

अब जिस तरह से वसुंधरा अपने मंत्री चिकित्सा मंत्री को आदेश देती है, इन सब से यही लगता है की कहीं ना कहीं मामले को दबाने की कोशिश की गयी है और गलत जानकारी लोगो के सामने रखी गयी है । 


राजस्थान में क्या पूरे देश में रोज एक्सीडेंट होते है पर कितने एक्सीडेंट ने वसुंधरा राजे चिकित्सा मंत्री को आदेश देती है? कितने दुर्घटना ने घायलो से मिलने जाती है? अब तो वो पूरे  राज्य ने घूम रही है कितनी बार अब तक वो किसी दुर्घटना ने घायल लोगो से मिलने गयी है ? इस मामले में ही क्यों नरेंद्र मोदी भी ट्वीट करते है, क्या और कोई मुख्यमंत्री कोई सराहनीय कार्य नहीं कर रहे? जिस तरीके से ये सब हुआ है इसीसे स्पष्ट होता है की मामला कुछ और था उसे दबाकर किसी और तरह से पेश किया गया है । 

मैंने दैनिक भास्कर को भी ट्वीट किया की वो इस मामले में अपना ट्वीट डिलीट कर चुप क्यों है, उसका भी कोई जवाब दैनिक भास्कर की तरफ से नहीं आया, चुप रहने से सत्य को छुपाया नहीं जा सकता । 


अब किस पर विशवास करे जब भारत का मीडिया भी सच को झूठ और झूठ को सच दिखाने लग जाए, इस बार तो सच और झूठ से ऊपर उठकर दो जिंदगियां थी, किस माँ-बाप ने अपना बेटा खोया है और गुनाहगार खुला घूम रहा है, उलटे गुनाहगार को देवता के रूप में पेश किया जा रहा है, कब तक मीडिया यों ही चुप रहेगा, ताकत और सत्त्ता के सामने घुटने टेकता रहेगा?

यदि दैनिक भास्कर इस मामले में कुछ स्पष्टीकरण देता तो शायद ये शक इतना गहरा नहीं होता , लेकिन दैनिक भास्कर की चुप्पी और मंत्रियों की इस मामले इतनी गहरी दिलचस्पी इसी बात को दर्शाती है की मामले को पूरी तरह से दबाया गया और असली गुनाहगार को बचाया गया है । 

#BJP #Rajsthaan, #VasundhraRaje, accident victims, emergency care, Vasundhara Raje, Narendra modi, Dainik Bhaskar, Midia not show truth, Sriganganagar

Friday, June 20, 2014

मोदी का हिंदी के साथ खिलवाड़ - Modi playing with emotion of Indians and Hindi

मोदी का हिंदी के साथ खिलवाड़

राष्ट्रवाद, जातिवाद, धर्म की छवि बने बीजेपी और नरेंद्र मोदी बहुत से मुद्दो को लेकर सरकार में आये |

जब सत्ता संभाली तो इन सभी मुद्दो जिन पर वो चुनाव जीतकर आये है अभी तक एक भी काम नहीं किया, ऐसे लगता है जैसे बीजेपी और मोदी सरकार अपने हर वादे पर उलटे पाँव लौट रही है और अब उन्हीं के वोट बैंक में कुछ कमी आने लग गयी है तो लोगो को फिर से बेवकूफ कैसे बनाया जाए बिना अम्बानी अडानी को नुक्सान पहुंचाए तो एक अच्छा सी चाल उनके कुटिल दिमाग में आ ही गयी "हिंदी" हिंदी हिन्दुस्तान की माँ है और ये क्या बीजेपी और मोदी ने तो इसी माँ के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया?

बहुत अच्छा निर्णय है हिंदी को बढ़ावा देने का मैं इसका विरोध नहीं कर रहा है पर ये समझाने की कोशिश कर रहा हूँ की कैसे ये बीजेपी और मोदी की एक कुटिल चाल है लोगो को बेवकूफ बनाने के लिए |

मोदी कभी हिंदी से प्रेम नहीं करते और अब जो कर रहे है वो केवल और केवल दिखावे के लिए कर रहे है |

गुजरात विधानसभा

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि यदि मोदी को हिंदी से प्यार होता तो बताओ उन्होंने गुजरात में हिंदी के लिए क्या किया? गुजरात विधानसभा की वेबसाइट केवल दो ही भाषाओ में उपलब्ध है गुजराती और अंग्रेजी यानी मोदी के लिए अंग्रेजी हिंदी से भी बड़ी हो गयी?
यदि उन्हें हिंदी की इतनी ही चिंता थी तो आज तक गुजरात में हिंदी के लिए कुछ क्यों नहीं किया?



Blog Narendra Modi
चलो ये तो सरकारी है, नरेंद्र मोदी ब्लॉग भी लिखते है उसमे क्यों वो केवल अंग्रेजी में लिखते है? कभी हिंदी में नहीं लिखा? तो क्या मोदी के लिए हिंदी माँ केवल खिलवाड़ करने के लिए है और अंग्रेजी से मोदी को प्यार है?
मोदी सोशल नेटवर्क पर भी है और सब जगह केवल अंग्रेजी काम में लेते है तो ये सब क्या साबित करता है? मोदी का हिंदी के लिए आदर या हिंदी के साथ खिलवाड़?


जो आदमी हिंदी को सम्मान देने की बात करता है वो खुद तो उसका हर रोज अपमान कर रहा है |

ये तो वही हो गया की आप दूसरों को कहे की रोज सुबह अपने माता पिता की चरण स्पर्श करे और खुद उठते ही माता पिता को दो चार गालिया निकालते हो |

अब कोई आपको ये कहते सुने की माता पिता के चरण स्पर्श करने चाहिए तो जरूर यही कहेगा की देखो कितना आदर्शवादी इंसान है पर आपकी करतूत को भी तो कोई जाने |


हिंदी को सम्मान के लिए आपके आदेश की जरुरत नहीं है प्रधानमंत्रीजी, उसे अपनाओ सबसे पहले अपने जीवन में अपनाओ और लोगो को दिखाओ की आपने अपनाया लोग स्वतः ही उसे अपना लेंगे |

तो ये हिंदी के नाम पर नाटक करना बंद करे और कृपया हिंदी माँ के साथ खिलवाड़ ना करे |

मेरा उद्देश्य किसी को आहात करना नहीं है और यदि मेरे इस लेख से किसी को चोट पहुंचती है तो क्षमा चाहता हूँ पर सच्चाई तो आपके सामने रख ही सकता हूँ |

#Modi, #Hindi, #ModiSarkar, #AchchheDin, #Hindustaan, #BJP, #AAP, #NarendraModi

Wednesday, June 11, 2014

आसाराम बलात्कार प्रकरण में अहम गवाह की हत्या

Aasaaram baapu 
आसाराम प्रकरण बहुत लम्बे समय से हमारे सामने है, कुछ भी नया नहीं है और जिस तरह से आसाराम के खिलाफ गवाही देने वालो को डराया धमकाया जा रहा है वो भी सबको ज्ञात है । 

पिछले महीनों में आसाराम के खिलाफ गवाही देने वालो पर बहुत बार हमले हुए, उन्हें डराया जा रहा है की किसी भी तरह से वो आसाराम के खिलाफ गवाही ना दे लेकिन इस बार जो कुछ हुआ वो एक सोचे समझे षडयंत्र का हिस्सा लग रहा है । 

और षडयंत्र है आसाराम को गवाहों के अभाव में बाइज्जत बरी करवाने का । 

इसी के तहत दिनाँक 10 जून  2014, मंगलवार को आसाराम के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक अहम गवाह (अमृत प्रजापति) को जान से मार दिया गया । 

हालांकि अमृत प्रजापति बहुत वर्षो से आसाराम के काले कारनामो के खिलाफ आवाज उठाते आ रहे है लेकिन गत 23 मई को गुजरात के राजकोट में उन्हें गोली मर दी गई इसके बाद उनका अलग अलग अस्पताल में इलाज हुआ लेकिन सब व्यर्थ रहा अंततः मंगलवार 10 जून  को उनका देहावसान हो गया । 

हो सकता है इसमें कुछ भी ऐसा ना हो जो मैं सोच रहा हूँ लेकिन फिर भी सवाल तो पैदा हो ही जाते है । 

वर्षो से अमृत प्रजापति आसाराम के खिलाफ आवाज बुलंद किये हुए है । 

Amrit Prajaapti
आसाराम प्रकरण में अमृत प्रजापति एक अहम गवाह है । 
पिछले महीनो में कई गवाहों पर हमले किये गए । 
तो क्या प्रशाशन की जवाबदेही नहीं थी अमृत प्रजापति को सुरक्षा मुहैया करवाना?
चलो माना चूक हो गयी प्रसाशन से तो जब उन पर गोली लगी लेकिन क्या उसके बाद प्रसाशन की जिम्मेदारी नहीं थी उन्हें उचित चिकित्सा उपलब्ध करवाना?
और उससे भी बड़ा सवाल बनता है समय को लेकर । 
जब बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिल गया और नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद के शपथ की घोषणा हो चुकी उसके बाद उन पर हमला होना । 
हमला गुजरात में होना और गुजरात पुलिस द्वारा अब तक भी हत्यारे को नहीं पकड़ना । 

बहुत से सवाल खड़े हो जाते है । 

अमृत प्रजापति को मारना इसीलिए जरुरी था की वो केवल बलात्कार प्रकरण ही नहीं बल्कि आश्रम में होने वाली हर काली करतूत के बारे में जानता था, वो हर एक राज से वाकिफ था और उसकी गवाही आसाराम उसके बेटे नारायण साईं और आश्रम सबकी पोल खोल सकती थी, यदि वो केवल बलात्कार की घटना का ही गवाह होता तो इतना अहम नहीं था क्योंकि यदि जिसने बलात्कार का आरोप लगाया है उसे ही चुप करवा दिया जाए तो अमृत प्रजापति की गवाही कोई मायना नहीं रखती लेकिन वो तो आश्रम में होने वाली हर काली करतूत का प्रत्यक्ष गवाह था । 

तो कहीं ना कहीं ये मेसेज देने की कोशिश की गयी की देखो आसाराम के खिलाफ गवाही देने पर ये हाल होगा, अब सारे काले कारनामो का अहम गवाह नहीं रहा और अन्य गवाह इसी डर से शायद कोर्ट ही ना आये और आसाराम को गवाहों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया जाए । 

हो सकता है अब अन्य गवाहों को खरीद लिया जाए और वे अब कोर्ट में आसाराम के खिलाफ गवाही देने के बजाय ये गवाही दे दे की वो सब अब तक ये ऐसा कर रहे थे क्योंकि अमृत प्रजापति उनसे ये करवा रहा था, उसका आसाराम से झगड़ा हो गया था और वो आश्रम से अलग हो गया तब से वो आसाराम से बदला लेना चाहत था और इसके लिए प्रजापति ने इन सब गवाहों को आसाराम के खिलाफ गवाही देने पर मजबूर कर दिया । 

अगर ऐसा होता है तो हमारे कानून पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग सकता है । 

इस पूरे प्रकरण में यदि कोई गैर जिम्मेदार है तो वो है प्रसाशन, गुजरात में बीजेपी की सरकार है और अब तो देश में भी बीजेपी की सरकार है प्रसाशन की जिम्मेदारी थी अमृत प्रजापति और उनके ही जैसे अन्य सभी गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करवाना और जब प्रजापति को गोली लगी तो उनका उचित इलाज करवाना, और कम से कम प्रजापति को गोली लगने के बाद उनका बयान रेकॉर्ड करना जिससे आसाराम के खिलाफ उसकी गवाही कोर्ट में पेश की जा सकती । 

कहीं ना कहीं प्रसाशन की मिली भगत लगती है आसाराम को जेल से बाहर लाने में । 

खैर ये सब केवल मेरे मन में उठ रही शंकाए है हो सकता है इनमे अंश मात्र भी सच्चाई ना हो यदि ऐसा होता है तो मैं अपने लिखे हुए शब्दों के लिए पहले से ही माफ़ी मांगता हूँ, लेकिन फिर भी बार बार ये सवाल मन को झकझोरता है की बीजेपी के सत्ता में आते ही ऐसा क्यों हुआ की आसाराम के खिलाफ बने अहम गवाह को जान से मार दिया गया और जिस गुजरात की मोदीजी इतनी तारीफ़ करते है उस गुजरात पुलिस से अभी तक हत्यारों को पकड़ा नहीं गया हो?

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