Monday, April 14, 2014

Gujraat model is really an ideal model of development?

गुजरात मॉडल, गुजरात मॉडल मीडिया और बीजेपी ने इस नाम को इतना उछाला है की देश विदेश में रहने वाले सभी भारतीय सुन सुनकर बोर हो चुके है, अब बीजेपी इसी गुजरात मॉडल पर इस विशाल भारत देश के चुनाव लड़ रही है, मेरे मन में भी कई तरह के सवाल आये क्या वाकई में ये गुजरात मॉडल ऐसा है जिसे पूरे देश में लागू करना चाहिए और इस मॉडल से पूरे देश का भला हो जाएगा? बीजेपी का हर नेता टीवी पर बड़ी शान से बोलता है गुजरात मॉडल के बारे और गर्व से कहता है हमारे नेता नरेंद्र मोदी ने गुजरात का विकास किया है और हम यही गुजरात मॉडल पूरे देश में अपनाना चाहते है जिससे देश का विकास होगा, पर क्या हकीकत में ये गुजरात मॉडल इतना अच्छा है? क्या इसी से देश का उद्दार हो जाएगा?

यदि ऐसा ही है तो फिर ये गुजरात मॉडल भाजपा शाषित अन्य प्रदेशो ने क्यों नहीं अपनाया? अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय और नरेंद्र मोदी से भी ज्यादा चुनाव जीतने वाले शिवराज सिंह चौहान इसे अपने राज्य में क्यों नहीं अपनाना चाहते? उन्हें इसमें कौनसी बुराई लगती है? क्या मोदी और बीजेपी नहीं चाहती की मध्य प्रदेश का भी गुजरात की तरह विकास हो? या शिवराज सिंह को पता है की जैसा मॉडल वो पेस कर रहे है उसमे कोई दम नहीं है? कुछ तो बात जरूर है, यदि शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में तीसरी बार सरकार में है और वो तो सांसद भी है तो फिर क्यों भाजपा कभी उनके कार्यो का बखान नहीं करती? क्या शिवराज सिंह ने अपने राज्य में ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिसका श्रेय भाजपा पूरे देश में नहीं लेना चाहती? जिस तरह गुजरात मॉडल को पूरे देश में प्रचारित कर रही है वैसे ही क्या कोई भी ऐसा काम मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने नहीं किया जिसका उल्लेख मोदी और बीजेपी देश में हो रही अपनी सभाओ में कर सके और देश और दुनिया को बता सके की भाजपा शासित अन्य राज्य भी बहुत ही उल्लेखनीय कार्य कर रहे है, या फिर केवल मोदी और गुजरात का ही गुणगान एक बार फिर इस बात को सिद्ध करता है की बीजेपी अब कोई संगठन या पार्टी नहीं रही यह केवल और केवल मोदी ही के इर्द गिर्द घूम रही है?

क्या इस देश को ऐसा प्रधानमन्त्री चाहिए जो संगठन से भी ऊपर खुद को समझता हो? जो अपनी ही पार्टी के अन्य उच्च पदाधिकारियों का सम्मान नहीं करता हो? जिस तरह से पार्टी के पुराने नेता अपनी ही पार्टी में खुद को इन दिनों घुटा हुआ महसूस कर रहे है क्या ये साबित नहीं करता की मोदी जब अपने संगठन में लोगो का आदर नहीं कर सकते तो इस देश के दबे कुचले आम आदमी का आदर कहाँ से करेंगे? कुछ नेता जो अपने आप को पार्टी में व्यर्थ समझ रहे थे उन्होंने बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया और बहुत ही दुखद शब्दों में अपना दर्द भी व्यक्त किया की अब भाजपा वो भाजपा नही रही जिसके नेता कभी अटल बिहारी वाजपेयी जी थे, जिस संगठन को श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे लोगो ने खड़ा किया आज वो संगठन अपने सिद्धांत से भटक गया है जैसे की पूरे संगठन की किसी एक आदमी ने हाई जेक कर लिया हो |

हमे ऐसे प्रधानमंत्री की जरुरत है जो केवल और केवल खुद को ही सबसे ऊपर रखना चाहताा है या ऐसे प्रधानमंत्री की जो देश के दबे कुचले हर वर्ग हर तबके को सबसे आगे रखकर इस देश में हर उस आदमी, हर उस ओरत का नेतृत्व करना चाहता है जो आज तक वंचित और उपेक्षित रहा है?

निर्णय हमे लेना है, ये ताकत हमारे पास है इस देश की बागडोर किसके हाथो में देनी है, तो सोच समझकर निर्णय ले, वोट चाहे किसी भी पार्टी के सदस्य को दे लेकिन कम से कम एक संकल्प तो ले की मेरा वोट ईमानदार आदमी को जाएगा, भ्रष्ट और अपराधी व्यक्ति को वोट नहीं दूंगा चाहे फिर वो किसी भी पार्टी का उम्मीदवार क्यों ना हो!
वन्दे मातरम
जय  हिन्द 


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Friday, April 11, 2014