Tuesday, December 31, 2013

Delhi Aam Adami Party in Power - आम आदमी पार्टी सरकार में उपलब्धि

दिल्ली में शनिवार को नये मुख्यमंत्री ने शपथ ली, पूरे देश और विदेशो में बसे मुझ जैसे भारतीयों में ख़ुशी का माहौल था
शायद देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री  बनने की ख़ुशी देश और विदेशों में मनायी गयी ।
खैर इतिहास के बारे ज्यादा नहीं जानता इसीलिए पक्का नहीं कह सकता पर शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत के एक राज्य के मुख्यमंत्री बनने की खबर देश और विदेशों के अखबारो कि सुर्खियां बनी हो, बधाई हो अरविन्द आपने देश कि राजनीती में परिवर्तन का जिम्मा लिया है वो सकारात्मक दिशा में जा रहा है ।
शनिवार को शपथ लेने और कार्यभार सम्भालने के बाद यो तो अपना काम तुरंत ही शुरू कर दिया था, अपने चुनावी संकल्प पत्र में आम आदमी पार्टी ने संकल्प लिया था कि वो कोई सुरक्षा नहीं लेंगे और इसे पूरा किया पुलिस विभाग कि तरफ से आये सुरक्षा कर्मियों को बड़ी शालीनता से हाथ जोड़कर अरविन्द ने कहा "मेरी सुरक्षा नहीं दिल्ली की जनता की सुरक्षा करो" ये भी अपने आप में अनूठा ही रहा होगा जब एक मुख्यमंत्री पुलिसकर्मियों के सामने हाथ जोड़े खड़ा देखा गया, वरना तो केवल ऐसी ही तस्वीरे देखने को मिलती है जहां पुलिसकर्मी पैर छूते हो, या जूते चप्प्ल उठाते हो इन नेताओं की।
खैर वादे पुरे करने के क्रम में अगला कदम कोई VIP नहीं रहेगा, कोई लालबत्ती नहीं लेगा और ये लो तुरंत सभी गाड़ियों की लालबत्ती उतरवा दी गयी ।
अब भाजपा-कांग्रेस वाले चिल्ला रहे है ये कोई काम नहीं किया, लालबत्ती तो इलीगल थी तो उन्होंने कौनसा नया काम कर दिया वो तो पहले से ही इल्लीगल थी, मुझे हंसी निकल पड़ी जब टीवी पर बहस के दौरान भाजपा नेता को ये कहते सुना ।
"भाई जब ये इल्लीगल ही था तो पहली बात इतने वर्षो तो दिल्ली में कांग्रेस ये इल्लीगल काम करती रही? दूसरी बात बीजेपी की आँखों के सामने ये इल्लीगल काम होते रहे और वो आँखे बंद करके सोयी रही? फिर जरुरत क्या थी विपक्ष में बैठने की जब आप प्रमुख विपक्षी होकर कोई इल्लीगल कार्य नहीं रोक सकते?"
तो कुल मिलाकर जो बात समझ में आती है वो यही है कि बीजेपी ऐसी बयानबाजी कर रही है शायद इस डर के मारे कि इन अब कार्यो का श्रेय आम आदमी पार्टी ना ले जाए ।
अब जनता बेवकूफ थोड़े ही है जो समझती नहीं है? जनता सब कुछ समझती है और देखती है बस फर्क इतना था कि अब तक समझते हुए भी चुप चाप सब कुछ देखना पड़ता था क्योंकि जनता के पास कोई विकल्प नहीं था, आज उनके पास विकल्प है और वर्षो से जो कुछ भी गलत जनता के साथ हुआ है उसका गुस्सा वोट में तब्दील होकर एक नये विकल्प को इस देश कि बागडोर देने की और अग्रसर है ।
ये पुरानी पार्टियां अब भी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में ही लगी हुयी है, अभी भी समझ नहीं पा रहे कि समय आरोप प्रत्यारोप का नहीं है, समय है इस देश के लिए कुछ कर गुजरने का, वरना देश कि जनता दिल्ली जैसे परिणाम पूरे भारत में देने के लिए बहुत उत्साहित है, पता नहीं ये पुरानी पार्टियां इसे देख नहीं पा रही या जान बूझकर इसे नजर अंदाज कर रही है जैसे दिल्ली में चुनावो से पहले कर रही थी ।
आज इतना ही.………………………………
 अगले पोस्ट में दिल्ली सरकार की उपलब्धि और लिखूँगा
इसी के साथ सभी को आने वाले नये साल कि हार्दिक बधाई
नये साल का कैलेंडर बिलकुल वैसा है जैसा 1947 का था, शायद कुछ सन्देश देना चाहता हो!!! दूसरी आजादी का !!!
 वन्दे मातरम
भारत माता की जय "अबके बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे ………"

शपथ ग्रहण समारोह में उमड़ी भीड़ 

Saturday, December 28, 2013

Italian News paper Aam adami party-नई दिल्ली, "भारतीय ग्रिलो" सत्ता में

(Italian news paper TGcom 24 talk about aam adami party)

Original link:
http://www.tgcom24.mediaset.it/mondo/2013/notizia/new-delhi-il-grillo-indiano-al-potere_2017167.shtml#

Translated by me in Hindi:

नई दिल्ली, "भारतीय ग्रिलो" सत्ता में 

(il partito dell'uomo       ..................    alle elezioni)

केजरीवाल कि आम आदमी पार्टी ने सोनिया गांधी कि पार्टी(चुनाव में बुरी तरह हारी) के बाहरी समर्थन से राजधानी को चलाना स्वीकार किया है 

(10:57-Arvind Kejriwal.................................. riduzione delle bollette)

10:57- अरविन्द केजरीवाल, आम आदमी पार्टी (इटालियन मोविमेन्टो 5 स्टेले के जैसी) के लीडर ने अपने समर्थको से विमर्श के बाद दिल्ली में सरकार बनाना स्वीकार किया है। आखिरी चुनावो में बुरी तरह हारी सोनिया गांधी कि पार्टी कांग्रेस से बाहरी समर्थन मिला है। "भारतीय ग्रिलो" ने अपना चुनाव  भ्रष्टाचार,सबके लिए पानी और बिजली बिल कम करने के मुद्दो पर लड़ा है । 

(Tra le altre proposte .............. difensore civico)
अन्य प्रस्तावो में एक प्रस्ताव युआवो को अपने साथ जोड़ना, 272 सभाए कर आम आदमी कि परेशानियो पर  विचार विमर्श करना था । 

(Creato solo un anno fa .................. partito del congresso)
पार्टी का गठन केवल एक साल पहले हुआ था, आम आदमी पार्टी ने 70 में 28 सीटो पर विजय हासिल कि। लेकिन अकेले सरकार बनाने के लिए बहुत कम, लेकिन कांग्रेस पार्टी कि आठ सीटे मिलाकर पर्याप्त । 

(All'opposizione .............. della maggioranza assoluta)
विपक्ष में चुनावो में 32 सीटो (बहुत से  कुछ कम)  के साथ  विजयी पार्टी बीजेपी बैठेगी, जिसने सरकार बनाने से मना कर दिया । 

(Prima di sciogliere la ............. Prossimi cinque anni)
अरविन्द केजरीवाल ने सरकार बनाने से पहला एक एक सच्चा रेफेरेंडम करवाया, जनता से उनका विचार पुछा गांधी के पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए। ४ में से ३ लोगो ने आप को सरकार बनाने के लिए हाँ कहा, इसके बाद आप के लीडर राजयपाल नजीब जंग से मिले और उन्हें  पाँच  साल तक दिल्ली में सरकार चलाने  पत्र दिया 

Ramleela Maidan, Delhi- Arvind kejrival - दिल्ली में स्वराज

इतिहास लिखा जा रहा  है आज 
और शुरुआत हो रही है रामलीला मैदान दिल्ली से
ना जाने कितने ही आंदोलन, जन सभाए, धरने आदि देखे है इस रामलीला मैदान, लेकिन आज जो  देखेगा वो अभूतपूर्व होगा
भारत में एक सच्चे बेटे, साधारण बेटे, आम आदमी को एक खास जिम्मेदारी
ये रामलीला मैदान भी गवाह होगा उस ताज़पोशी का जो आज से पहले कभी नहीं हुयी
एक आम आदमी, जो  मुझ जैसे करोडो भारतीयों कि तरह रहता है, उन्ही करोडो भारतियों कि तरह पहनता है, उसका चलना, बोलना, सोचना हर बात में मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं खुद अरविन्द हूँ, या अरविन्द मेरी ही बात कर रहा है ।
रामलीला मैदान तैयार है अपने उस ईमानदार शासक कि ताजपोशी  के लिए
देश और  पूरी दुनिया कि नजर है इस ख़ास नज़ारे पर, जहाँ  राजनीती के मायने बदलते नजर आ रहे है ।
पहली  बार जनता के बीच से, जनता के द्वारा चुना  आदमी उस दिल्ली के शासन पर बैठने वाला है ।
दिल्ली के आम आदमी को काफी उम्मीदे है इस आम आदमी से,
और मैं दिल से यही प्रार्थना करता हूँ कि भगवान  उसे इतनी शक्ति दे कि आम आदमी को इतना सक्षम बना सके कि आम आदमी अपने पैरो पर स्वाभिमान से खड़ा हो सके।
आम आदमी अपने चुने हुए प्रतिनिधि पर गर्व कर सके
सुबह का इन्तजार है
नया सवेरा सब कुछ नया लेकर आयेगा

Thursday, December 12, 2013

Aam Aadami Party (AAP) rally Jantar Mantar-11 December 2013 (11-12-13)

बहुत दिनों से राजनीति में दो ही नाम थे राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी और दोनों की मीडिया का बहुत अच्छा कवरेज मिलता है, तो दोनों के ही सम्बोधन सदैव सुनता हूँ, लेकिन आज जब जंतर मंतर से अरविन्द केजरीवाल को सुना तो लगा कुछ तो है इसकी बातो में, कितना निश्छल, कितना निर्मल, एक एक शब्द जैसे कान से प्रवेश करके ह्रदय में समाता जा रहा हो, कही कोई अहंकार नहीं, इतनी बड़ी जीत के बाद भी वैसा का वैसा, मैं सोच रहा था शीला दीक्षित को हरा दिया तो जरुर कुछ तो गुरुर में बोलेगा, मगर नहीं आज भी वही सीधा साधा अरविन्द बोल रहा था, कुछ शब्द जो मेरे दिल को छू गये यहाँ लिख रहा हूँ,

"कुछ लोग कह रहे है हम आज जश्न मनाने यहाँ इकट्ठे हुए है"

"हम कैसे जश्न मना सकते है?"

"जब तक इस देश के अंदर भ्रष्टाचार रहेगा"

"जब तक इस देश के अंदर गरीबी रहेगी"

"जब तक इस देश के अंदर भुखमरी रहेगी"

"जब तक इस देश के अंदर लोग अशिक्षित रहेगे"

"जब तक इस देश के अंदर लोगो को पीने का पानी नहीं मिलेगा"

"जब तक इस देश के अंदर लोगो को स्वास्थ्य सेवाए नहीं मिलेगी"

 "हम जश्न नहीं मना सकते"

"कोई चुनाव जीत के सता में आना हमारा मकसद थोड़े ही था"

"इस देश को एक ना एक दिन भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाकर ही रहेग"

"अभी लड़ाई शुरू हुयी है, अभी बहुत लम्बा सफ़र तय करना बाकी है"
"यहाँ पर हमारे जितने साथी बैठे है, विधायक बने है, मैं उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करूंगा घमंड में मत आ जाना"
"आज हम लोगो ने बीजेपी और कांग्रेस वालो का अहंकार तोड़ा है, कल ऐसा ना हो कि आम आदमी को खड़ा होकर हमारी पार्टी का अहंकार तोड़ना पड़े"
"आप लोगो के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है लोगो ने, आपको नेता नहीं बनना, आपको विधायक नहीं बनना, आपको लोगो की सेवा करनी है और आज से ही लग जाओ लोगो की सेवा करने में"

"मुझे पता चला की कुछ जगहो पर जश्न मनाया गया, पटाके चलाये गये
किस चीज का जश्न मना रहे है हम लोग? 
किसकी जीत हुयी है, हमारी जीत हुयी है क्या? 
इस देश के लोगो की जीत हुयी है, और आपका काम पटाखे फोड़ने का नहीं है, हमारा काम है जनता के बीच जाकर जनता की सेवा करना"

""दोस्तो ज़रा भी घमंड मत ले आना, नहीं तो जिस चीज को बदलने चले थे, कही हम उसका हिस्सा ना बन जाए-अरविन्द केजरीवाल ""

धन्य है वो माँ जिसने अरविन्द जैसे देशभक्त को जन्म दिया

Saturday, December 7, 2013

Aam adami party already WIN - no need to results - जीत सुनिश्चित है, अभी विशवास है

मुझे कल आठ दिसंबर को आने वाले परिणाम कि कोई चिंता नहीं है
चाहे परिणाम कैसा भी आये, आप की जीत तो उसी समय हो गयी
जब ये भाजपा और कांग्रेस वाले, ये मानने लग गए की उनका मुकाबला आप से,
कल तक जो शीला कह रह थी "नाम मत लो उसका, वो कुछ नहीं"
जब NDTV कि एंकर ने जैसे ही कहा अरविन्द केजरीवाल तो शीलाजी ऐसे
तिमतिमा कर बोली, "नाम मत लो मेरे सामने उसका, वो कुछ भी नहीं है,
आप लोग उसे ना जाने क्या बनाकर पेश कर रहे है, वो कुछ भी नहीं है"
जो गडकरी कहता था "कुछ नहीं दम है इनमे, एक भी सीट नहीं मिलेंगी"
कम से कम आज वही बीजेपी कहती है की आप नहीं होती तो हमारी सरकार बनती
और अभी तो ठहरो आगे और भी बयान बदलेगा भाजपा और कांग्रेस वालो,
क्योंकि ये तो इन दोनों पार्टियों (भाजपा - कांग्रेस ) के सविंधान में लिखा है
"पहले कुछ कह देना और फिर अपनी बात से बदल जाना"
जो अपने कहे हुए बात पर नहीं रह सकते वो क्या इस देश के साथ रहेगे !!
बहुत गौर से सुनता था हर डिबेट टीवी पर और जैसे ही भाजपा और कांग्रेस वालो से ये पूछा जाता,
इस बार एक नयी पार्टी आम आदमी पार्टी भी चुनाव में है, क्या इससे कोई फर्क पडेगा,
और दोनों ही पार्टियों का एक जैसा ही बयान होता था,
नहीं नहीं, वो कुछ भी नहीं, उनका कही कोई नाम ही नहीं है, एक दो सीट भी नहीं आएंगी उनकी,
आज कम से कम सब कह रहे है, नहीं हमारी टक्कर आम आदमी से ही है, हुआ परिवर्तन!!!!
उससे भी बड़ा परिवर्तन और हुआ -
कल शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज आपस में  गले मिल रही थी,
और सुषमा ने शीला को सखी कह कर सम्बोधित किया,
अरविन्द और आम आदमी की जीत तो उसी समय हो गयी
यही तो होती है जीत, कल तक जिन्हे आपस में गालियां निकालते थे,
एक दूसरे (भाजपा - कांग्रेस) के लिए केवल अपशब्द ही निकलते थे,
आज कम से कम आपस में सखी कह कर बुला रहे है,
और फिर बड़े ही प्यार से सुषमा स्वराज शीला दीक्षित को गले लगा रही है,
यही है वो परिवर्तन, अरविन्द हमेशा गाता है
"इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा"
वाह अरविन्द वाह, वाह भारत में सच्चे सपूत कमाल कर दिया आपने,
अब वो गले चाहे निजी स्वार्थ से ही मिले होंगे, लेकिन आखिर गाली को छोड़कर गले मिलने पर आ गए !!
परिवर्तन शुरू हो चुका, राह बड़ी मुश्किल है लेकिन देश आपके साथ खड़ा है,
और जब देश साथ खड़ा है तो घबराना कैसा

Read also this article http://indiatoday.intoday.in/story/dont-worry.-everything-will-be-alright-sushma-to-sheila/1/328208.html

Sanjay Dutt on Parol is it correct?

संजय दत्त को पेरोल मिली और एक बार फिर से वो जैल से बाहर है, मुझे इसमे कोई परेशानी नहीं कि संजय दत्त को पेरोल क्यों मिली, मैं तो केवल ये जानना चाहता हूँ कि क्या ऐसे एक आम कैदी, एक गरीब कैदी, या जिसकी कही कोई पहुँच नहीं हो उसे भी ये सरकारे पेरोल दे देती है?
आखिर ऐसा क्या है हमारे न्यायपालिका में कि आसानी से ये नजर आ जाता है कि हमारे देश में गरीब और अमीर के लिए अलग अलग कानून बनना हुआ है l क्यों ऐसा होता है, मैं जब जब ये विशवास करना चाहता हूँ कि नहीं मेरे देश में सबके लिए समान कानून है, सबके लिए समान अधिकार है तब तब ऐसा कुछ सामने आ जाता है जिससे मेरा ये विशवास एक बार फिर कमजोर पड़ जाता है l आखिर सच्चाई विशवास को जीत ही लेती है l  
फिर ख़ास तौर से यदि संजय दत्त का मामला ही लिया जाए तो ऐसा लगता ही नहीं कि उन्हें सजा भी हुयी है, एक कलाकार के रूप में मुझे संजय दत्त बहुत पसंद है, मैं जो सब कुछ लिख रहा हूँ वो इसलिए नहीं लिख रहा कि मुझे संजय दत्त पसंद नहीं है, उनकी फिल्मे मुझे बहुत अच्छी लगाती है और आज भी उनकी फिल्मे देखता हूँ, तो ये स्पष्ट कर दूं कि मेरा कोई उद्देश्य उन्हें ठेस पहुचाना  नहीं है l मैं तो केवल उन लोगो से जिन्होंने संजय दत्त के लिए ये स्पेसल पेरोल कि व्यवस्था कि है उनसे पूछना चाहता हूँ कि क्या एक गरीब को भी ऐसे ही पेरोल मिल जाती है, जब उसकी माँ बीमार होती है?
अब संजय दत्त को कितने साल कि सजा मिली है? और अब तक कितनी बार पेरोल पर बाहर आ चुके? आपको नहीं लगता कि वो कोई सजा नहीं काट रहे बल्कि अपनी मर्जी से जब चाहे जैल में चले जाते है और जब उनकी इच्छा होती है तब जैल से बाहर आ जाते है, कहीं ऐसा तो नहीं कि जेल में वे शूटिंग करने जाते है अपनी किसी फ़िल्म के लिए?
क्या हमारी न्यायपालिका वास्तव में उन्हें सजा दे रही है या खुद अपने ही ऊपर प्रश्न चिन्ह लगा रही है? क्या हमारी न्यायपालिका संजय दत्त को जेल में भेजकर न्यायपालिका पर लोगो का विशवास अर्जित कर रही है या फिर उन्हें पेरोल पर बार बार बाहर भेजकर ये सिद्ध करना चाहती है कि हमारे यहाँ गरीब और अमीर, कमजोर और ताकतवर, आम आदमी और पहुँच वाले आदमी ये दो तरह कि व्यवस्था है और दोनों के लिए अलग अलग कानून है?
मन में विचार थे, बाहर जाकर चिल्लाऊंगा तो लोग पागल समझकर आगरा भेज देंगे तो अपने मन में जो चल रहा था वो आप लोगो के साथ सांझा कर लिया l
बहुत बहुत धन्यवाद आपने अपना समय निकालकर मेरे इस पोस्ट को पढ़ा, अपने विचार निचे कमेंट में शेयर कर सकते है, आपके सुझावो और विचारो का सदैव स्वागत है l

Tuesday, December 3, 2013

what is Dhaaraa (Annuchhed 370) क्या है संविधान की धारा- 370

एक बार फिर हमारे राजनेताओं ने धारा ३७०, अनुच्छेद ३७० का सुर्ख़ियों में ला दिया है, ये ऐसे मुद्दे है जिन्हे ये सरकारे, ये पार्टियां ऐसे ही मौको के लिए बचा कर रखते है । 

सबसे पहले तो हम ये जानने की कोशिश करे कि वास्तव में ये धारा ३७० है क्या? 

तो मोटे मोटे शब्दों में इसे समझे तो हम कह सकते है कि 
"धारा ३७०  हमारे संविधान का वो अनुच्छेद है जो जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है"
अर्थात भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून इस राज्य में लागू नहीं होते हैं। यानि हमारी संसद जम्मू कश्मीर के लिए कानून नहीं बना सकती । 
इस अनुच्छेद के अनुसार रक्षा, विदेश से जुड़े मामले, वित्त और संचार को छोड़कर बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य से मंजूरी लेनी पड़ती है। 
इस प्रकार राज्य के सभी नागरिक एक अलग कानून के दायरे के अंदर रहते हैं, जिसमें नागरिकता, संपत्ति खरीदने का अधिकार और अन्य मूलभूत अधिकार शामिल हैं। 
इसी धारा के कारण देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। (अर्थात यदि आज मैं कश्मीर में जाकर बसना चाहू तो अपना घर खरीद कर नहीं रह सकता, मुझे कोई अधिकार नहीं है वहाँ पर सम्पति खरीदने का)

धारा 370 के कारण केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर राज्य पर आर्थिक आपातकाल (अनुच्छेद 360) जैसा कोई भी कानून नहीं थोप सकती है। 
"केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर राज्य पर युद्ध और बाहरी आक्रमण के मामले आपातकाल लगा सकता है।"
लेकिन केंद्र सरकार राज्य के अंदर की गड़बड़ियों के कारण इमरजेंसी नहीं लगा सकता है, (जब्कि अन्य राज्यो पर ये करने का अधिकार केंद्र सरकार को है) उसे ऐसा करने से पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी।

क्या आज जब पूरा देश, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार से दुःखी है, हमारे लिए ये जरुरी है कि हम इस मुद्दे पर बहस करे कि कश्मीर से धारा ३७० हटाई जाए? या हमारे राजनेताओं के लिए ये जरूरी है कि वो इस बात पर चर्चा करें कि हर भारतीय कैसे स्वाभिमान से अपना सर ऊंचा कर दो समय का खाना खा सके और एक छत के निचे सो सके? 

देश की जनता को सोचना होगा, और जो सही मुद्दो की अनदेखी करते है उन्हें नकारना होगा । 


आज मोदी जी को, कश्मीर और धारा ३७० याद आ रहे है, यही सरकारे यही नेता कहाँ पर थे जब पूरा देश सड़क पर उतर आया था और वो भी केवल इसीलिए कि देश चाहता है एक कानून, एक ऐसा मजबूत कानून जो हमे भ्रष्टाचार से राहत दिलाये, जो भ्रष्टाचारियों को सजा दिला सके चाहे वो कोई भी हो, कितने ही ऊँचे पद पर हो, कितने ही ऊँचे घराने का हो लेकिन सजा सब को मिल सके और ऐसा हो सके इसके लिए हमने मांग कि थी कि सब इसके दायरे में आने चाहिए, क्या ये सरकार, ये पार्टियां अंधी थी जिन्होंने नहीं देखा कि पूरा देश सड़क पर था और चिल्ला चिल्ला कर मांग कर रहा था एक मजबूत कानून की "जनलोकपाल कीं " और आज वो कह रहे है कि कश्मीर में धारा ३७० में मुद्दे पर फैसला देश कि जनता करेगी। मुझे तो जब ऐसे बयान सुनता हूँ तो हंसी आ जाती है 

"क्या कहा देश कि जनता फैसला करेगी?? सच में आप वो ही करना चाहते है जो देश कि जनता चाहती है?"
तो श्रीमान जी, कहाँ पर थे आप जब पूरा देश सड़क पर था एक मजबूत जनलोकपाल के लिए? 
मजाक बना रखा है!!"
आखिर कब तक ऐसा ही चलता रहेगा? कब बदलेगा ये सब?

Monday, December 2, 2013

Anna Hajaare not with Arvind Kejrivaal Aam adami party - Delhi Election

वाह क्या बात है तो इन सत्ताधारियो ने एक और दांव चल ही दिया, और चलेंगे भी क्योंकि सदियों से चली आ रही उनकी ये राजाशाही, जनता के पैसो से उनके ठाठ बाठ ये सब छीनने वाले है और उन्हें छीनने वाले की खिलाफ अपना पूरा दम ख़म लगा देना ये तो उनका अधिकार बनाता है, लेकिन बात अब आ जाती है जनता है, वाही जनता जो ये सब खुली आँखों से देख रही है, वही जनता जो देख ही नहीं रही बल्कि वर्षो से सब कुछ सहन करते आ रहे है |

आज जो कुछ दिल्ली में हो रहा है, उसे देखकर मुझे बॉलीवुड की उन फिल्मो की याद आ गयी जब एक जमीदार पुरे गाँव को अपने कब्जे मैं रखता था और फिर कोई एक उसके खिलाफ आवाज उठाता तो वो सब कुछ करता उसकी आवाज को दबाने के लिए, यही सब कुछ तो हो रहा है दिल्ली मैं |
क्या खूब अब ये सत्ताधारी, जिनमे से आधे लोग बलात्कारी, हत्यारे है (ये मैं नहीं कह रहा, ADR की रिपोर्ट कर कह रही है, कोई भी व्यक्ति जाकर ADR की वेबसाइट पर खुद देख सकता है) ये उस गाँधीवादी परम सम्माननीय अन्ना हजारे को भी ले आये, और वो भी किस बात के लिए की कैसे भी करके लोगो को  ये विशवास दिला दे की केजरीवाल जो कर रहा है वो गलत कर रहा है?
अच्छा!! मानता हूँ कि राजनितिक पार्टी मैं अन्ना हजारे "आम आदमी पार्टी" के सदस्य नहीं है, लेकिन मुझे अच्छी तरह याद है अन्ना हजारे का वो व्यक्तव्य जो उन्होंने मीडिया को एक सवाल के जवाब में दिया था, वो सवाल उनसे तब पूछा गया था जब युग पुरुष अरविन्द केजरीवाल 15 दिनों के अनशन पर बैठे थे और परम सम्माननीय गांधीवादी अन्ना हजारे, अरविन्द से अनशन तोड़ने की अपील करने गए थे ! सवाल कुछ इस प्रकार था:


"संवाददाता : आप केजरीवाल से मिलने आये है, इससे क्या समझा जाये? क्या आप और अरविन्द अब फिर से एक हो रहे है? "

"अन्ना हजारे: नहीं साथ आने का सवाल ही पैदा नहीं होता, मेरा और उसका रास्ता अलग अलग है पर मंजिल एक है"

 

अन्नाजी के उस जवाब के बाद मुझे किसी और उत्तर, किसी और प्रतिक्रिया कि जरुरत नहीं, बात स्पष्ट है, दोनों ने रस्ते अलग अपनाये है पर दोनों का उद्देश्य एक है, दोनों कि मंजिल एक है |
आज अन्ना हजारे जी, ज्यादा नहीं बोलना चाहते थे, क्योंकि उनको पता है कि उनके हर एक शब्द को बिकाऊ मीडिया वाले घुमा फिराकर पेश करेंगे तो इससे अच्छा है ज्यादा नहीं बोलना और यही अन्ना हजारेजी ने किया है |
अन्ना हजारे जी और अरविन्द ने एक ही बीड़ा उठाया है और वो है इस देश से भ्रष्टाचार रुपी गंदगी को साफ करना, अब यदि अरविन्द ये सफाई अंदर जाकर करना चाहता है और अन्ना हजारे जी वो सफाई बाहर रहकर करना चाहते है तो उसमे बुराई क्या है?

हाँ बुराई एक ही है कि यदि ये सफाई आप अंदर जाकर करोगे तो आप पर लोग उंगलिया उठायेगे, और मुझे अच्छी तरह याद युवा दिलों कि धड़कन  कुमार विशवास के द्वारा कही गयी वो लाइने जो उन्होंने २ अक्टूबर को जब पार्टी का गठन हुआ था तब कही थी:


"एक बार जीवन का रथ, बढ़ा शुक्र के पथ पर, और राजनीति ने डोरे डाले फिर सेवा के व्रत पर !

लक्ष्मण रेखा बड़ी क्षीण है, बड़ी क्रूर है काई, कदम कदम पर फिसलायेगी रेशम सी चिकनाई !!

काजल के पर्वत पर चढ़ना, और चढ़ कर पार उतरना, बहुत कठिन है निष्कलंक रह करके ये सब करना !!!

पर जब जब आप सहारा देते, इनका सर सहलाते, जब जब इनको अपना कहकर अपने गले लगाते, तब तब मुझको लगता है, ये जीवन जी लेंगे, नीलकंठ कि तरह यहाँ का सारा विष पी लेंगे !!!!"


 

तो जब ये रास्ता इतना कठिन है तो ये तो सब तो होना ही है, वो सब कुछ करेंगे, नीचता कि हद तक चले जायेंगे इस सत्ता को बचाने के लिए, अपनी ऐशो आराम कि जिंदगी को बचाने के लिए लेकिन जब जब मैं फ़ोटो मैं अरविन्द का चेहरा देखता हूँ, जब जब उसकी आँखों मैं देखता हूँ, मुझे वो सच्चाई, वो बेबसी, और वो दृढ इच्छा इस देश को बदलने की दिखायी देती है, मुझे और क्या चाहिए, मुझे किसी के बयानो की, किसी के विचारो की जरुरत नहीं है, बस जब भी कोई सवाल उठता है तो अरविन्द की आँखों मैं पल रहे उस सपने को देख लेता हूँ जिसमे एक साफ ईमानदार राजनीति और भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना पल रहा है |

साथियों ये मौका है हमारे पास उस सपने को साकार करने का, और फिर सबसे बड़ा सवाल मैं आप सबसे करता हूँ कि क्या जरुरत थी अरविन्द को ये सब करने कि ? क्यों वो अपना सब कुछ दांव पर लगाकर हमारे लिए सड़को पर फिरते? तो जवाब एक ही आता है, अरविन्द ने ये सब किया है आप और मेरे बच्चो के लिए एक स्वच्छ भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए |
जिस भारत को हम फिर से कहेंगे सोने कि चिड़िया बस उसी भारत के सपने को सच होता देखने के लिए मैं भी इस क्रांतिकारी के साथ चल पड़ा हूँ, जो मुझसे हो सकता है वो कर रहा हूँ तांकि अपने आप से आँख मिलाकर बात कर सकूँ !
वंदे मातरम, जय हिन्द



Not to read below this line:
Anna Hajare, Arvind Kejrivaal, AAP, Aam adami party, Anna is not with arvind, main arvind ke saath nahi hoon, BJP-congrss, AAJ Tak, delhi election

Sunday, December 1, 2013

Kranti film Song: Yaro toot bhale hi jaana ...

  यारो टूट भले ही जाना लेकीन कभी ना झुकना
कदम कदम पर मौत मिलेगी लेकिन तुम मत रुकना
बहुत सह लिया अब ना सहेगे सीने भड़क उठे है
नस नस में बिजली जागी है बाजू फड़क उठे है
सिहासन की खैर करो जुल्मो के ठेकेदारों
देश के बेटे जाग उठे,तुम अपनी मौत निहारो
अंगारों का जश्न मानेगा हर शोला जागेगा
बलिदानों की इस धरती से हर दुश्मन भागेगा
हमने कसम निभानी है, देनी हर कुर्बानी है
अपने सरो अपने सरो अंतिम निशानी कर देंगे
अब के बरस , अब के बरस अब के बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे अब के बरस