Thursday, December 29, 2016

Shocking video allegedly from one of the Army training camp.




Saturday, December 17, 2016

कोशिश तो करे, उड़ान भरकर तो देखे

एक भाई का बहन के लिए प्यार और भावनाये जो शब्दों के सहारे बाहर निकल आई 
 
 "भाई" ये नाम जब तुम्हारे जहन में आता होगा 
तपती दुपहरी में जैसे मिल गयी हो छाँव 
ये अहसास दिलाता होगा। 

पुरुष की नजरो से निकलती वो धूप झुलसाने वाली 

तुझे उनसे बचा पाऊँ यही कोशिश में करता हूँ 
उन नजरो की आग जो पहुँचने वाली है तुम तक 
रोक तो लेता हूँ उन्हें पर मैं खुद भी डरता हूँ 

कब तक संग रहूँगा तेरे, 
बचा पाऊंगा में कितनी बार 
क्यों तेरा औरत होना ही 
बन जाती है तेरी सबसे बड़ी हार 

हिम्मत आये खुद तुझमे 
जो उस सुलसती आग से टकरा जाओ 
जो चाहती है झुलसाना तुझे 
उन्हें बनकर शोला जला आओ 

नारी हो ये सुनकर तुम 
कब तक अपने कदम रोकती रहोगी 
इस पुरुष प्रधान समाज के बंधन 
हर बार क्यों तुम ही सहोगी 

हूँ साथ तुम्हारे एक दोस्त की तरह, 
आओ मिलकर कदम बढ़ाते है 
है कुछ तो वजूद तुम्हारा भी 
इस दुनिया को अब दिखलाते है 

वो सपने वो कभी तुमने भी पाले होंगे 
आओ मिलकर उन सपनो को पंख लगाते है 
कोशिश तो करे, उड़ान भरकर तो देखे 
आखिर कहाँ तक पहुँच पाते है॥ 

Sunday, December 11, 2016

मेरी कविता-Tere naam se satta hathiya li

कृपया सुने और अपना फीडबैक जरूर दे, धन्यवाद



Friday, December 2, 2016

BJP leader arrested for raping daughter for 8 years




The Punjab police said a Bharatiya Janata Party leader has been arrested after his 20-year-old daughter complained he had sexually exploited her for the last eight years.

Source of news:
http://indiatoday.intoday.in/story/BJP+leader+arrested+for+raping+daughter+for+8+years/1/33933.html

Friday, November 11, 2016

Is Demonetisation really a Secret mission of Narendra Modi?

Is Demonetisation really a Secret mission या भाजपा नेता अपना काला धन पहले से ही सेट कर चुके?
जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद वो लंबा चौड़ा भाषण देकर 500 और 1000 के नोट को बंद करने की घोषणा की ये कहते हुए की यदि मैं इसकी घोषणा कर रहा हूँ तो आप समझ सकते हो किसी को इसका पता नहीं था शक तो यही से शुरू हो जाता है की आखिर प्रधानमंत्री को क्या जरुरत आ गयी अपने कीमती समय में समय निकालकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस (राष्ट्र के नाम सन्देश) करने की। वो उन्होंने इसीलिए किया ताकि लोगो को भरोसा हो सके की सच में इस मिशन के बारे में किसी को पता नहीं था।


लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा कुछ भी नहीं था, भाजपा नेता और तमाम पूंजीपति पहले से ही अपने काले धन को ठिकाने लगा चुके थे क्योंकि उन्हें पहले से सब बता दिया गया था। तभी तो पंजाब के भाजपा नेता और भाजपा के लीगल सेल के कन्वीनर संजीव कम्बोज के पास 5 नवम्बर को ही 2000 के नोट पहुँच चुके थे, उन्होंने अति उत्साह में उस समय ये ट्वीट भी कर दिया था जो की आज उन्ही के नेता नरेंद्र मोदी की पोल खोल रहा है।
हो सकता है अब ये ट्वीट वायरल हो गया है तो वो डिलीट कर दे, तो मैंने इसका स्क्रीनशॉट भी ले लिया है। ध्यान से देखिये इस ट्वीट को इसके वो टैग करते है ज़ी न्यूज को मानो कह रहे हो देख भाई मैंने तो लगा दिए ठिकाने आपने लगाए या नहीं अभी तक?


जागो देशवासियों ये भाजपा सरकार देश के आम आदमी, गरीब, किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी की दुश्मन है तभी तो बड़े कारोबारियों को राहत देकर आम आदमी को आज सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया।

Wednesday, November 2, 2016

Anna Hazare on ex-serviceman Ram kishan's suicide

आज भारत के इतिहास में एक और काला दिन लिखा जायेगा, जब सीमा पर लड़ने वाले एक सेवानिवृत सैनिक को आत्महत्या करनी पड़ी।
एक तरफ मोदी सरकार पूरे देश के साथ झूँठ बोल रही है की उन्होंने OROP लागू कर दिया है, वही दूसरी तरफ सैनिक राम किशन की आत्महत्या सरकार के इस दावे की पोल खोलती है।

खैर केवल राम किशन ही नहीं हजारो लाखो सैनिक अभी भी OROP के लिए आंदोलन कर रहे है, अगर सरकार ने OROP लागू कर दिया है तो फिर ये आंदोलन कैसे हो रहा है? अर्थात सरकार झूँठ बोल रही है, देश का प्रधानमंत्री सैनिको से झूंठ बोलने में जरा भी नहीं शर्म करता।
आज दिल्ली में मोदी सरकार द्वारा लोकतंत्र की जो धज्जियां उड़ाई गयी है वो आपको आने वाले खतरे से आगाह करवाता है, जागो अभी समय है इस देश को बचाना चाहते हो तो वरना ये हिटलर मोदी सब कुछ बर्बाद कर देगा।


AAP leader Dilip Pandey arrested and bad handled by Delhi Police 

Thursday, October 13, 2016

Police have seized country-made bombs and other weapons from a group of RSS/BJP workers


Original news link
http://www.thenewsminute.com/article/country-made-bombs-weapons-seized-near-bjp-office-kannur-party-member-arrested-51279



  
 
 
 
Police have seized country-made bombs and other weapons from a group of RSS/BJP workers in Chakkarakkal of Kannur near their party office on Tuesday.

Sunday, October 9, 2016

भांड पत्रकारिता के दौर में देश का मनोबल बढ़ा हुआ है

रविश कुमार का ये लेख बहुत कुछ कह जाता, समय निकालकर सभी जरूर पढ़े
कंटेंट की कॉपी पेस्ट नहीं कर रहा हूँ क्योंकि लेख रविश का है तो अच्छा होगा उन्ही के ब्लॉग पर जाकर पढ़े।
यही ईमानदारी होगी।

जब जनता ही साथ नहीं है तो पत्रकार क्या करे। बेहतर है अख़बार के उस कागज़ पर जूता रगड़ दिया जाए जिस पर लिखकर हम कमाते हैं। उसे न तो पत्रकारिता की ज़रूरत है न पत्रकार की। एक भांड चाहिए,सो हज़ारों भांड दे दो उसे। ठूंस दो इस देश के दर्शकों के मुंह में भांड।
Ravish Kumar - http://naisadak.org/desh-ka-manobal-and-journalism/

Ravish Kumar - http://naisadak.org/desh-ka-manobal-and-journalism/
Ravish Kumar NDTV - Blog Nai Sadak


केवल ये कुछ लाइन कॉपी पेस्ट की है बाकि सब रविश के ब्लॉग नई सड़क पर मिलेगा
धन्यवाद 

Hate In India replaces Make In India

Dadri accused wrapped in tricolor (like Bal Thackrey), Nawazuddin forced out of Ramlila Bcoz he's Muslim- HateInIndia replaces MakeInIndia


Narendra modi
#RSSBJPInsultIndianTricolor, BJP, Modi, Narendra Modi
#RSSBJPInsultIndianTricolor, Modi, Narendra Modi

#RSSBJPInsultIndianTricolor, Modi, Narendra Modi



Monday, October 3, 2016

रोहित सरदाना तुम हो किसकी तरफ?

आज सुबह सुबह अरविंदजी का एक वीडियो आया जिसमे उन्होंने कुछ दिनों पहले हमारी सेना द्वारा किये गए सर्जिकल स्ट्राइक की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा की मैं उन्हें सल्यूट करता हूँ।

ज्ञात रहे विधानसभा के विशेष सत्र में भी आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के सभी विधायको/मंत्रियो ने भारत सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए, हमारे देश की सेना, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री, सभी सेनाध्य्क्षो और भारत की जनता को बधाई सम्बंधित विधेयक भी पारित किया था।

लेकिन कुछ दिनों से जिस तरह पाकिस्तान विदेशी मिडिया को लेकर इस बात का भ्रम फैला रहा है की भारत ने ऐसा कुछ नहीं किया तो देश में बैठे हर देशभक्त के सीने में आग लगती है की कैसे कोई देश हमारे सैनिको की इस बहादुरी को झूंठा बता सकता है, वो नकारते रहे वो उनकी प्रॉब्लम है पर यदि विदेश मिडिया तक ये कहने लग जाए की भारत झूठ बोल रहा है तो हर देशभक्त का खून खौलने लग जाना चाहिए। हमारे सैनिक जो अपनी जान की परवाह किये बिना दुश्मन देश में घुसकर उसी की धरती पर उसे सबक सिखाकर आये जिससे हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हुआ और आज यदि पाकिस्तान के साथ साथ विदेशी मीडिया (CNN वीडियो लिंक) भी ये कहने लग जाए की भारत झूठ बोल रहा है तो ये मेरे उन बहादुर सैनिको की बहादुरी का अपमान है ऐसे में एक सच्चे देशभक्त का कर्तव्य बनता है की वो सारे फुटेज (जो की भारत सरकार कह रही है की हमने पूरी कार्यवाही को ड्रोन से फिल्माया भी है) को पाकिस्तान और इन विदेशी मीडिया के मुँह पर दे मारना चाहिए जिससे हमारे सैनिको का सीना भी गर्व से और चौड़ा हो।

सोचिये जब भारत वो वीडियो सबके सामने रखेगा तो उन तमाम विदेशी मिडिया की कितनी किरकिरी होगी, वो भारत के सामने नजर मिलाने लायक नहीं रहेंगे।

पर अरविंदजी के ऐसा कहने पर कुछ लोगो को बहुत दर्द हुआ (आप समझ रहे होंगे पाकिस्तानियों को? नहीं भाई पाकिस्तानियों को नहीं कुछ लोग हमारे ही देश में मौजूद है जिन्हें दर्द हुआ की अरविंदजी ने पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब करने की बात कैसे की) इनमे से एक है रोहित सरदाना

कहने को तो रोहित सरदाना भारतीय है और एक पत्रकार भी है लेकिन वो क्यों पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब नहीं करने देना चाहता? आखिर रोहित तुम हो किसकी तरफ जिस देश की धरती पर सांस ले रहे हो उसकी तरफ या उस झूंठे पाकिस्तान की तरफ?

तुमने सवाल किया की अरविन्द जी ने CNN पर सवाल क्यों नहीं किया? अरविन्द जी सवाल नहीं अरविन्दजी ने तो पूरे यकीन के साथ कहा है की वो झूठ बोल रहे है(दुबारा सुनना एक बार अरविन्द का वीडियो) और उसी के झूठ को बेनकाब करने की मांग देश के प्रधानमंत्री जी से कर रहे है। लेकिन तुम्हारे पास तो टीवी स्टूडियो है तुमने क्या किया CNN को बेनकाब करने के लिए? अरविन्द जी के वीडियो पर 3-4 ट्वीट भी कर दिए, एक लंबी छोड़ी पोस्ट लिख डाली, स्पेशल शो कर रहे हो अरविन्द की बात को गलत तरीके से पेश कर भारत के लोगो में जहर भरने के लिए लेकिन एक भारतीय न्यूज़ चेनल होने के नाते जब दुनिया का कोई चेनल मेरे देश की सेना की बहादुरी पर ऊँगली उठा रहा है तो उस चेनल का झूठ दुनिया को दिखाने के लिए तुमने क्या किया? यो तो सोमनाथ भारती के कुत्ते तक पूरे पूरे दिन टीवी स्टूडियो में बहस करते रहते हो आम आदमी पार्टी को बदनाम करने के लिए लेकिन आज पाकिस्तान के झूठ और विदेशी मिडिया के झूठ को दुनिया के सामने लाने के लिए तुमने क्या किया?

थोड़ा बहुत जमीर यदि अभी भी ज़िंदा है तो अपने आप से सवाल जरूर पूछना रोहित सरदाना तुम हो किसकी तरफ? 

राम किरोड़ीवाल

Friday, September 9, 2016

Chhattisgarh BJP Leader Mantu Ram’s son thrashed bikers who refused to give him his way

Chhattisgarh BJP Leader Mantu Ram’s son thrashed bikers who refused to give him his way


Chhattisgarh: In a shocking incident, the Chhattisgarh BJP leader Mantu Ram’s son thrashed bikers who refused to give him way.
Mantu Ram’s son was caught on camera punching and kicking two bikers when they refused to give him way.
The incident happened on August 15th.
Mantu Ram, however, said that such incidents are normal in road rage cases. He also said that police can take action against his son.
Meanwhile, Kanker police is yet to receive a complaint regarding the matter.


BJP, Gundagardi, Bhartiya Janta Party, Narendra Modi, Modi, India, BJP leader

Monday, August 15, 2016

आजादी अभी बाकी है

आजादी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाये

केवल अंग्रेज राज खत्म हुआ वो एक तरह की आजादी थी पर अभी भी हम हजारों तरह की गुलामियों में जी रहे है, जिनसे भी आजाद होना बाकि है।

उदाहरण के तौर पर हम सभी सोशल मिडिया यूजर यदि आज मानसिक तौर पर आजाद हो पाए तो बहुत बड़ी आजादी की जीत होगी।


आज ही के दिन तय करले की बिना किसी मेसेज की सत्यता का पता लगाए मैं उसे आगे फॉरवर्ड नहीं करूँगा।

ये जो हम जोश और भावुकता में बिना तथ्यों को जाने मेसेज एक ग्रुप से दूसरे में फॉरवर्ड करते है ये हमारी मानसिक गुलामी है आइये कम से कम इससे तो आजाद हो आज के दिन, ना किसी से लड़ना है, ना धरना प्रदर्शन करना, ना पुलिस की लाठियाँ खानी केवल अपने सोये हुए विवेक को जगाना है।

जय हिन्द। जय भारत। वन्दे मातरम
राम किरोड़ीवाल

Saturday, July 30, 2016

कौन हूँ मैं?

मातृभूमि से दूर
बड़ा मुश्किल होता है अपनी मातृभूमि से दूर रहना।
देश की बात करे तो लोग कहते है किस देश की बात करते हो उसे तो आपने कभी का छोड़ दिया, अगर देश से ही आपको प्यार होता तो कभी उसे छोड़कर ना जाते।
और जब जिस देश में रहते है उस देश की बात करते है तो लोग कह देते है तुम तो यहाँ के हो ही नहीं तुम्हे बोलने का कोई अधिकार ही नहीं है।
आखिर क्या है मेरी पहचान?
कौन हूँ मैं? मेरे भारतीय होने की पहचान कैसे होगी? मेरे इन्डियन पासपोर्ट से जो की मेरे पास है, मेरा परिवार जो अभी भी उसी धरती पर रहता है उनसे या मेरे सीने में भारत माँ के लिए प्यार है उससे?
जब जब भारत माँ के आचंल के साथ  कुछ भी गलत होता यहाँ इतनी दूर बैठा भी सिहर उठता हूँ, कई दिनों तक दिल में बैचैनी और तड़फ रहती है क्यों ऐसा हो रहा है मेरे देश में?
और जब जब देश में कुछ अच्छा होता है तो गर्व से सीना चार गुना चौड़ा हो जाता है, कई दिनों तक  भारतीय जो यहाँ रहते है और जो भी इटालियन (इटली में रहता हूँ तो इटालियन दोस्त भी बहुत है ) दोस्त है के साथ बखान करते रहता हूँ, बार बार उसे दोहराता हूँ और जितनी बार भी बताता हूँ उतना ही जोश और आँखों में चमक बढ़ती जाती है।
तो मैं कौन हुआ?
मुझे कहाँ और किसके पक्ष में बोलने का अधिकार है?
या सदा इसी तरह जीना पड़ेगा? वहाँ रहते नहीं तो वहाँ के अब है नहीं, और यहाँ रहता हूँ पर विदेशी हूँ तो यहाँ का हो नहीं सकता?

Friday, July 8, 2016

अपाहिज होते पत्रकार

एक समय था जब पत्रकार और पत्रकारिता अपने दम पर बड़े बड़े सिंहासन हिला देती थी, जब एक पत्रकार अपना कैमरा नेताओं की तरफ घुमाकर सवाल के लिए मुहँ खोलता था तो उससे पहले नेताजी मुँह फिराकर भागने की सोचने लग जाते, की कही ये कोई सवाल कर लगा तो क्या जवाब देंगे।

तब नेता कैमरे का सामना करने की हिम्मत तभी करते थे जब उन्होंने सच में बहुत अच्छा काम कर दिया होता था। जब इतनी ताकत थी मीडिया के उस कैमरे और पत्रकार की कलम में तो आज फिर क्यों पत्रकार की कलम और मिडिया का कैमरा अपने आप में लाचार बेबस सा नजर आने लगता है?

सभी पत्रकार और संवाददाता तब भी किसी ना किसी दल के समर्थक होते थे पर उस समय उनमे भक्ति नहीं होती थी, उन्हें अपने राजनैतिक झुकाव से कहीं ज्यादा अपने दावित्य अपनी जिम्मेदारियों का ख्याल रहता था, हाँ कोई कोई तब भी अपवाद निकल जाता था पर आजकल तो पत्रकारिता को सही मायने में ज़िंदा रखने वाले एक अपवाद के तरह मिलते है।

जब से टीवी स्टूडियों के एंकर सवाल करते करते अचानक से खुद को प्रवक्ता समझ जिस दल के प्रति उनका रुझान होता है उसकी तरफ से सवाल करना शुरू करते करते धीरे धीरे अपने एंकर वाले पद से प्रवक्ता पद पर आकर उसी दल की तरफ से राज्य सभा में मंत्री या लोकसभा की टिकट हासिल करने लगे तब से कमोबेश हर तरफ टीवी स्टूडियों में बैठे एंकर अंदर ही अंदर ये चाहत रखने लग गए की वो गया है तो हम भी जा सकते है और इसी चाहत को बल देने  के लिए अपने दावित्व को भूल उस दल विशेष के प्रति काम करना शुरू कर देते है और यही से शुरुआत होती है अपने शक्तियों को कम करने की, उस शक्तिशाली कैमरे को कमजोर करने की।
और ये फिर यहाँ तक ही सिमित नहीं रहता फिर वो अपनी चापलूसी और उस दल विशेष के प्रति अपनी आगाध शृद्धा को और मजबूत बनाने के लिए अपने ही पेशे में किसी अन्य एंकर के सवाल पर भी सवाल खड़े करने लग जाता है, उस दल विशेष से किये गए किसी भी एंकर के सवाल को तोड़ मरोड़ कर अपने टीवी स्टूडियों में पेश कर दूसरे एंकर की फजीहत करना ये लोग अपना परम कर्तव्य समझने लगते है और ऐसा करते करते हो वो एकदम से भूल जाते है की वो नेता नहीं एक जिम्मेदार पत्रकार/सवांददाता/एंकर है।

जब आप भूल जाते है की आप क्या है तो स्वतः ही आपकी सभी शक्तियाँ भी समाप्त हो जाती है जैसे पवन पुत्र हनुमान अपनी भूल गए थे की वो कौन है तो वो अपनी शक्तियाँ भी भूल गए थे फिर सभी वानरों ने उनकी स्तुति कर उन्हें उनकी शक्तियाँ याद दिलाई तो वही हनुमान जी जो समुद्र को देखकर ही डर रहे थे एक छलांग में की योजन लांघ गए थे।

कई बार तो मन में प्रश्न आता है की जब एक पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारी का सही तरीके से पालन नहीं करता तो उसे नौकरी से हटा दिया जाता है, किसी शिक्षक का परीक्षा परिणाम थोड़ा कम रहने पर उसे हजार सवालों का जवाब देना होता है, यहां तक की सीमा पर अपनी जान की परवाह किये बगैर हमारी सुरक्षा करने वाले सैनिकों से भी थोड़ी सी गलती पर उन्हें बड़ी से बड़ी सजा दे दी जाती है तो फिर ये पत्रकार/संवाददाता/एंकर जब अपना काम सही तरीके से नहीं करते है तो फिर इन्हे कोई सजा क्यों नहीं देता? क्यों इन्हे इनके पद पर बने रहने  दिया जाता है?

पत्रकारिता का विद्यार्थी तो नहीं रहा कभी पर इतना तो जानता हूँ की

"एक पत्रकार का कर्तव्य सत्ता से सवाल करना होता है सत्ता के गुणगान करना नहीं" 


जब तक इस देश का एक भी नागरिक भूखा सोता है, एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित रहता है, देश के किसी भी कौने में एक भी किसान आत्महत्या करने पर मजबूर होता है तो पत्रकार का दावित्य होता है की सत्ता से सवाल करे, उसे जब मौका मिले सत्तापक्ष को सामने पाने का अपने कैमरा उनकी तरफ घुमाए और सवाल करे की ऐसा उनके साशन काल में कैसे हो गया?
पर यदि वो सवाल करने के बजाय गुणगान करने लग जाए तो समझो पत्रकारिता अपनी साख खो रही होती है और पत्रकार खुद तो अपाहिज होता ही है साथ ही साथ आने वाली पीढ़ियों को भी अपाहिज कर जाता है।

पर इस दौर में भी कुछ पत्रकार ऐसे बचे हुए है जिनके दम पर ये पत्रकारिता  ज़िंदा है और आप और मुझ जैसे लाखो लोगो का पत्रकारिता पर भरोसा कायम रखे हुए है।
धन्यवाद उन सभी पत्रकारों का जो सत्ता की इस भेड़चाल के साथ ना होकर हजारो गालियाँ झेलते हुए भी पत्रकारिता को ज़िंदा रखे हुए है।

नाम लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि चाहे हम उन एंकर/संवाददाताओं के हितेषी हो या गाली देने वालो में से पता आखिर सभी को है की सच्चा पत्रकार/एंकर/संवाददाता कौन है और कौन सत्ता के आधीन होकर खुद को अपाहिज बनाये हुए है।

धन्यवाद
जय हिन्द

Tuesday, May 31, 2016

सवाल क्या किया हम देशद्रोही हो गए

कई बार जब सोचने लगता हूँ अतीत में खो जाता हूँ, सरकारें तो आजादी के बाद से अब तक बनती आई है, इस बार ऐसा क्या हो गया की अपने देश के प्रधानमंत्री और उनकी केबिनेट के मंत्रियों से सवाल पूछना ही आप पर ऐसा आरोप लगा सकता है जिस आरोप  के आधार पर यदि पुलिस एक्शन लेने लगे  तो आपको तुरंत जेल हो और वो भी बिना जमानत वाली।
अर्थात आपको देशद्रोह के जुर्म में गिरफ्तार किया जाएगा।
अब कुछ मंदबुद्धि लोग कह सकते देशभक्तों की सरकार ही इस बार बनी है इससे पहले तो सभी देशद्रोहियों की सरकारें थी इसीलिए अब आपको पता चल रहा है।
तो क्या ये तथाकथित फर्जी राष्ट्रवादी लोग ये कहना चाहते है की माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी देशद्रोही थे? उनकी सरकार देशद्रोही थी? जिन अटल बिहारी वाजपेयी ने इस भारतीय जनता पार्टी नाम के संगठन को खड़ा किया और देश के कोने कोने तक पहुंचाया क्या ये लोग उन पर भी सवाल खड़े कर रहे है?

यदि नहीं कर रहे है तो क्या कोई बता पाएगा की उस समय सरकार पर सवाल उठाने वालो को तो देशद्रोही नहीं कहा जाता था? अब ही ऐसा क्यों हो रहा है?
कहीं ऐसा तो नहीं अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए वर्तमान सरकार देशद्रोह, हिन्दू, भारत माता, गाय, गोबर आदि का सहारा ले रही है?
जब भी कोई इस सरकार से सवाल करता है तो उन्हें या तो हिन्दू विरोधी, या देश विरोधी करार दे दिया जाता है। पर ये लोग भूल रहे है हम किसी तालिबानी देश में नहीं रह रहे है हम विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकतंत्र में सवाल पूछना जनता का हक़ ही बल्कि कर्तव्य होता है की अपनी सरकारों से सवाल करे, जिन्हे हम चुनकर संसद में भेजते है उनसे समय समय पर सवाल पूछते रहे की हाँ बताइये आपने क्या किया, इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है, हमे ये परेशानी है और हमारी इस आवाज को संसद में आपको पहुँचाना है क्योंकि आप संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे है।
पर यहाँ तो जैसे ही हम ये सब बाते करते है तुरंत कुछ लोग अचानक से चिल्लाने लग जाते है ये देशद्रोही है, इसे मार डालो, इसे पिटो, इसे सजा दो, इसे पाकिस्तान भेज दो आदि आदि।
आम आदमी के पास अपनी बात इन सत्ता के मद में चूर हुए लोगो तक पहुँचाने के गिने चुने ही रास्ते है, पहले हम अपने नेताओ को पोस्टकार्ड भेजते थे, जब एक साथ हजारो पोस्टकार्ड सरकारों तक किसी एक ही बात को लेकर पहुँचते थे वो उन पर जरूर सोच विचार करती थी, फिर समय आया धरना प्रदर्शन का और अब सबसे बड़ा हथियार है सोशल मिडिया।

आप अपनी मांग, अपने सवाल सोशल मिडिया के द्वारा सरकार तक पहुंचा सकते है। पर ये क्या जैसे ही आप इस सरकार से सवाल करते है की किसान आत्महत्या क्यों कर रहे है तो अचानक से इनकी साइबर टीम का एक झुण्ड आप पर टूट पड़ता है (इसमें उस झुण्ड का कसूर बस इतना है की वो अपनी रोजी रोटी के लिए उनकी साइबर सेल में काम करते है और उन्हें इसी बात के पैसे मिलते है की कौन कितनी गालिया निकालता है पुरे दिन, कौन कितनी लोगो को देशद्रोही की धमकी देता है, कितने लोगो को पाकिस्तान भेजने के लिए कहता है।
ये कैसी सरकार चुन ली हमने जिससे सवाल पूछना ही गुनाह हो गया, और तो और कुछ लोग अपनी चमचागिरी चमकाने के चक्कर में जबरदस्ती ही इस सवाल जवाब की बहस में कूद पड़ते है और सवाल करने वालो पर तरह तरह के आरोप लगाकर कुछ लोगो की नजरो में आना चाहते है जिससे उन्हें भी सरकार कोई पद्म पुरस्कार दे सके आया किसी राज्य का राज्यपाल/उप राज्यपाल बना सके और वो इसमें बखूबी कामयाब भी हो रहे है, बोले तो चमचो की चाँदी हो रही है (आशा करता हूँ बिना नाम लिए ही आप समझ गए होंगे की मैं किनकी बार कर रहा हूँ)।
तो इस बार आपने और हमने सरकार चुनकर अपने मूलभूत अधिकारों को ही गिरवी रख दिया है, अब आप चुपचाप सहते रहो जो भी ये सरकार कहे उसे मानते रहो, पानी नहीं मिलता प्यासे मरते रहो पर सरकार से मत कहो की हमें पानी क्यों नहीं मिलता, कर्जे के तले दबा किसान आत्महत्या करले पर सरकार से ये मत पूछो की बड़े बड़े पूंजीपतियों का अरबो खरबों रूपये का लोन माफ़ कर दिया जाता है मुझ गरीब किसान का कुछ लाख रूपये का लोन माफ़ क्यों नहीं कर सकते?

अफ़सोस
दो साल तो निकल गए है तीन साल और झेलना ही पडेगा पर उम्मीद है की हम भारत के लोग इस बार सोच समझ कर सरकार चुनेंगे, जुमलों के बहकावों में नहीं आएंगे और नाही विज्ञापन देखकर प्रोडक्ट खरीदेंगे।
जय हिन्द! वन्दे मातरम! भारत माता की जय!


#देशद्रोही, #भारतमाता, #बीजेपी, #भाजपा, #नरेन्द्रमोदी, #मोदी,

Sunday, March 27, 2016

क्या गजब की देशभक्ति है मोदीजी में Pathankot attack

क्या आपने कभी सुना है की एक किसी ने किसी के परिवार के लोगो की ह्त्या करदी हो और फिर पीड़ित परिवार शिकायत करे की फलां आदमी ने मारा है और इनके इस आरोप पर वो फलां आदमी कहता है ठीक है मैं आपके घर में आऊंगा आपके घर का मौका मुआवना करूँगा और आपके लोगो से पूछताछ करूँगा की सच में मैंने ही मारा है क्या?

जोर लगाइए अपनी याद्दाश्त पर क्या कभी ऐसे कोई घटना सुनी है? जिसमे मुजरिम ही जांच करने आयेगा और फिर रिपोर्ट पेश  करेगा की सच में वो मुजरिम है या नहीं।
क्या अपेक्षा रखते है आप यदि ऐसा होता है तो? क्या वो मुजरिम ये स्वीकार करेगा की हाँ साहब मैं ही अपराधी हूँ?

आप कहेंगे पागल हो गए हो कैसे एक अपराधी/मुजरिम को आप अनुमति दे सकते है की वो जांच करे और फिर बताये की सच में वो मुजरिम है या नहीं? भला वो अपने आप को क्यों मुजरिम करार देगा, जब जांच ही उसके हाथ में है तो वो क्या मुर्ख है जो खुद को मुजरिम करार दे देगा, उलटे आपने से उसे पूरा अधिकार दे दिया है की वो खुद को बेगुनाह कह सकता है। ऐसा तो कोई पागल ही करेगा।

बिलकुल ठीक कह रहे है आप

पठानकोट तो सबको याद होगा
आखिर कैसे भूल सकते है हमारे 7 जवान शहीद हो गए, 5 दिन से भी अधिक पठानकोट ऑपरेशन चला और 7 जवानों के बलिदान के बाद भारत माँ के लाडलो ने आंतकियों को मार गिराया। केंद्र सरकार/रक्षा मंत्री/गृहमंत्री के वो जल्दबाजी में दिए गए बयान जिसमे उन्होंने पठानकोट ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने की घोषणा करदी दी थी जबकि असल में हमारे जवान अभी भी दुश्मनो(आतंकियों) से लड़ रहे है, पता नहीं किस आधार पर उन्होंने ये घोषणा की होगी, वो इस घटना की सच में जानकारी रख भी रहे थे या नहीं? (विस्तृत समाचार..... )
भारत में इस पूरे आतंकी हमले के सबूत पाकिस्तान को दे दिए की वो दोषी है, आतंकवादी पाकिस्तानी थे, और जैसा की सदा से होता आया है पाकिस्तान ने तुरंत इसे नकार दिया की सबूत पर्याप्त नहीं है, पाकिस्तान का कोई लेना देना नहीं है।

और आज (27/03/2016) पाकिस्तान की एक जांच टीम भारत पहुँच गयी है ये जांच करने की उन्होंने हमला किया था नहीं, हंसी आती है कैसे मोदी सरकार ने पाकिस्तान के आगे झुककर ये स्वीकार कर लिया की आइये आप अपने बेगुनाह होने के सबूत तलाशिए हमारे देश में? आखिर ये कौनसी देशभक्ति है? कल तक जिस पाकिस्तान से बात भी करने पर कांग्रेस सरकार को दुत्कारते थे, लव लेटर लिखना बंद करो, उनको उन्ही की भाषा में जवाब दो, एक के बदले दस सर लेकर आओ आदि आदि स्लोगन देने वाे लोग आज सत्ता में आते ही कैसे पाकिस्तान के सामने झुकते नजर आ रहे है?

अब पाकिस्तानी टीम पठानकोट को मौका मुआयना करेगी, हमारे है अधिकारियों से अपराधियों की भाँती पूछताछ करेगी? क्या सोच रहा होगा  हमारा वो जवान जो अपने देश हमारी भारत माँ की आन बान शान में अपनी जान की बाजी भी लगा देने को तैयार रहता है आज मोदी सरकार ने उसे भी पाकिस्तानी जांच एजेंसी के हवाले कर दिया है? कैसा महसूस करेगा वो सैनिक जब दुश्मन उससे पूछताछ करेगा और अपने पक्ष में सबूत जुटाएगा और रिपोर्ट में पेश करेगा की वो बेगुनाह है। (विस्तृत समाचार........)

बहुत खूब मोदीजी आपने देश को ये दिन भी दिखाये की हमारे ही दुश्मन हमारे देश में आकर हमारे ही सैनिकों से पूछताछ करेंगे एक अपराधी की भांति।

काश चुनावी रैलियों में जो मोदीजी गरजते थे वही मोदीजी इस देश के प्रधानमंत्री होते तो आज देश को ये दिन देखने नहीं पड़ते।

कोई लौटा दो वो चुनावी रैलियों वाला मोदी जो पाकिस्तान को उसकी की भाषा में जवाब देने की क्षमता रखता है।

जय हिन्द
वन्दे मातरम
भारत माता की जय

Sunday, March 13, 2016

क्या सच में अब आम आदमी पार्टी बदल गयी है?

 एक बार फिर कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी के समर्थक, वॉलिटियर्स पार्टी के खिलाफ बोल रहे है और  मुद्दा है "यमुना"।

यमुना किनारे हो रहे श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ़ लिविंग का विश्व स्तरीय आयोजन।

सभी आरोप लगा रहे है की अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध क्यों नहीं किया? उन्होंने क्यों इन सबसे समझोता कर लिया? तो क्या अब अरविन्द बदल गया है? बहुत से सवाल है और कई बार इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं होता है या यो कहे जवाब हमे खुद ही तलाशना होता है। अरविंदजी और आम आदमी पार्टी को तो हमने कटघरे में खड़ा कर ही दिया है तो अब वो तो आरोपी हो गए और इसके उत्तर में वो केवल जवाब ही दे सकते है और जो भी जवाब देंगे उसी जवाब से फिर नए सवाल खड़े होंगे और इसी तरह हम और ज्यादा उलझते जाएंगे। सवाल का जवाब ही नया सवाल बन जाएगा अतः कई बार ऐसे सवालों को नजर अंदाज भी करना जरुरी हो जाता है और इस परिस्तिथि में विशेष रूप से क्योंकि आप केवल उसका विरोध ही कर सकते थे उसे रोक नहीं पाते किसी भी हालत में। जब सीधे सीधे केंद्र सरकार और मोदीजी इसमें सरकारी पैसा, सरकारी संसाधन, हमारी सेना जो दुश्मनो से हमारी रक्षा करती है उसे भी श्री श्री रविशंकर की खिदमत में मोदीजी ने लगा दिया तो आप समझ सकते है अरविन्द केजरीवाल के विरोध करने से ये इवेंट कभी नहीं रूकता उलटे इसके कई नकारात्मक प्रभाव होते है।

खैर मैं आपको स्पष्ट करदु, ये केवल मेरे विचार है जैसा मैं सोच रहा हूँ, इसका पार्टी या पार्टी की विचारधारा या उनकी सोच से कहीं कोई सम्बन्ध नहीं है।

नकारात्मक प्रभाव की बात कर रहा था, जैसे की यदि आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती तो सबसे पहले तो हिन्दू विरोधी, पाकिस्तान प्रेमी, इस तरह के आरोपों की बौछार हो जाती, तरह तरह की कहानियाँ, कार्टून गालियाँ सोशल मीडिया पर चल जाती जिसमे एक बार फिर से अरविन्द जी को हिन्दू विरोधी के तौर पर पेश किया जाता, वैसे Art of living के इस आयोजन का विरोध नहीं किया तो भी कुछ एक मेसेज तो विरोधियों की मिडिया सेल ने सोशल मिडिया पर चला दिए ऐसा लगता है जैसे उन्होंने पहले से ही तैयार कर रखे थे जैसे की उन्हें भी पूरा भरोसा था की अरविंदजी यमुना के लिए इसका विरोध करेंगे तो विरोधियों की साइबर सेल ने इसके लिए पहले से मेसेज तैयार कर लिए थे और विरोध ना करने पर भी इन्हे चला दिया।

यानि अरविन्द जी के विरोध पर ये इवेंट तो नहीं रूकता लेकिन एक बार फिर मिडिया को अरविंदजी के खिलाफ नेगेटिव चलाने का अच्छा मौका मिल जाता, पूरे दिन मिडिया में यही बहस चलती "आखिर क्यों हिंदुओ के खिलाफ है आम आदमी पार्टी" जबकि इसमें वास्तिवकता या सत्य की कही कोई जगह नहीं है। आम आदमी पार्टी ही वो पार्टी है जो "सर्व धर्म समभाव" जो हमारे संविधान में है को पूरी तरह मानती है।

तो शायद इस बार अरविंदजी और आम आदमी पार्टी ने इन सब तरह के सवालों को रोकने के लिए ये निर्णय लिया होगा, हालाँकि सवाल तो खड़े हुए ही अब दूसरे सवाल खड़े हो गए पर शायद उन सवालो से कही कम? या यों कहे अपने इस निर्णय से पार्टी और पार्टी के तमाम प्रवक्ताओ को कई कठिन सवालों का सामना करने से बचा लिया?

एक और कारण हो सकता है इस आयोजन का विरोध ना करने का, की शायद इसी बहाने "यमुना" पर बात तो हुयी, और लोगो का "यमुना" की तरफ दिन आकर्षित हुआ और शायद "यमुना" को साफ़ करने और "गंगा" की तरह ही "यमुना के घाट" को विकसित करने और सुन्दर बनाने में मदद मिलेगी?

खैर जो भी हो केवल इस एक निर्णय से हम ना तो अरविंदजी पर सवाल खड़े कर सकते है और ना ही आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार पर। हमारे विचार भिन्न हो सकते है मेरे खुद के विचार भिन्न है पर जरूर कुछ अच्छे के लिए पार्टी और दिल्ली सरकार ने इसका विरोध ना करने निर्णय लिया होगा।

जय हिन्द
वन्दे मातरम

Saturday, March 5, 2016

BJP leader announces Rs 5 Lakh reward for one who can cut off Kanhaiya Kumar's tongue

आज सुबह सुबह जैसे ही मेरे भारत की खबरे जानने  के लिए इंटरनेट चालू किया तो देखा कन्हैया का सर काटने, कन्हैया की जीभ काटने पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा इनाम घोषित किया का चुका है।

भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष कुलदीप ने कन्हैया की जीभ काटकर लाने को पाँच लाख रूपये देने की घोषणा कर दी। (समाचार का लिंक)
उधर दूसरी खबर चल रही थी जिसमे किसी आदर्श शर्मा पूर्वांचल सेना ने पोस्टर लगवा दिए की यदि कोई कन्हैया को गोली मार देगा तो 11 लाख का इनाम देगा।
ज़रा सोचिये क्या चल रहा है ये देश में? कन्हैया सही ही कह रहा है की ये फर्जी राष्ट्रवादी है, और कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप केवल इसीलिए लगाया गया क्योंकि वो RSS/BJP की इसी फर्जी राष्ट्रवादिता के खिलाफ बोल रहा था या यो कहे वो इनके फर्जी राष्ट्रवादी होने की पोल खोल रहा था।


कन्हैया की इस बात को इन दोनों घटनाओ से और वजन मिलता है वो सत्य प्रतीत होती है, ज़रा सोचिये इन  भाजपा नेताओं ने कोई ऐसी घोषणा की जिसमे वो कह रहे है की जिन्होंने भारत विरोधी नारे लगाए जो की अभी भी कानून की पकड़ में नहीं है यदि कोई उन्हें गोली मार देगा तो वो इनाम देंगे?

कश्मीर में रोज पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते है और भारत विरोधी  नारे लगते है, किसी भी हिन्दू सेना, बजरंग दल, शिव सेना, भाजपा, आरएसएस किसी भी संगठन ने ऐसी घोषणा की हो की कोई उन्हें मार दे तो वो इनाम देंगे?

नहीं की, किसी ने ऐसी घोषणा नहीं की! क्यों?
क्योंकि वो भारत विरोधी नारे लगा रहे थे RSS विरोधी नहीं और जब कोई RSS विरोधी नहीं है तो इन्हे उनसे कोई लेना देना नहीं है चाहे फिर वो पाकिस्तान के झंडे लहराए, भारत विरोधी नारे लगाए या पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाये। बीजेपी और आरएसएस के लिए इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है हाँ यदि वो RSS के खिलाफ कुछ बोलेंगे तब ये सब बयान बाजी शुरू करेंगे।

देश की जनता के सामने इनके ढोंगी चेहरे एक के बाद एक सामने आ रहे है। इन्हे भारत विरोधी नारे वालो से तो प्यार है तभी तो ना गृह मंत्री जी कोई कार्यवाही करते है की अब तक जिन्होंने भारत विरोधी नारे लगाए वो पुलिस की पकड़ से दूर क्यों है और ना ही उनके किसी नेता का बयान आता है की जिन्होंने नारे लगाये उन पर इनाम की घोषणा करते है।

चलो आप और हम भी देखते है आखिर कहाँ तक गिरते है ये लोग, और इनके असली चेहरे भी धीरे धीरे सबके सामने आ ही रहे है।

जय हिन्द
वन्दे मातरम

Wednesday, March 2, 2016

"Free the Tree" campaign of Delhi Govt covered by ANSA Italian news agency

आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार किस तरह पर्यावरण और प्रदूषण के प्रति गंभीर है ये हमे दिल्ली सरकार द्वारा उठाये गए बहुत से कदमो से दिखाई देता है, चाहे फिर वो कठिन से कठिन निर्णय (वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है) सम विषम नियम हो या फिर कार फ्री डे या दिल्ली की सड़को की वैक्यूम क्लीनिंग।
एक के बाद एक लगातार प्रयास दिल्ली की आबो हवा को सुधारने का, इसी कड़ी में दिल्ली सरकार के पर्यटन मंत्री श्री कपिल मिश्रा द्वारा एक अभियान शुरू किया गया "फ्री द ट्री" (पेड़ो को आजाद करो, मुक्त करो) जिसको इटालियन समाचार एजेंसी ANSA ने भी अपनी वेबसाइट पर जगह दी है।

ओरिजिनल न्यूज़ लिंक 

हिंदी अनुवाद:


शहर के पेड़ो को नुकसानदायक वस्तुओं, बिजली के तार और होर्डिंग से "मुक्ति" के लिए नई दिल्ली का आदेश

Delhi Govt Aam Aadmi Party
 (ANSA) न्यू डेल्ही, 25 फरवरी -  नई दिल्ली के अधिकारियों द्वारा राजधानी जो की पिछले साल सूक्ष्म धुल कणो के स्टार के कारण विश्व का सबसे प्रदूषित शहर बन गया था की हरी सम्पति को नुकसान से बचाने के लिए "पेड़ो को मुक्त करो" फ्री द ट्री ग्रीन अभियान की शुरुआत की। दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने पेड़ो के तने और डालियों से "विज्ञापन बोर्ड, बिजली के तार और अन्य हानिकारक वस्तुओ" को हटाने के आदेश दिए। अक्सर गलियों और चौराहो पर पेड़ नाई, मोची, टैक्सी चालकों, मैकेनिकों आदि द्वारा अपने काम के लिए काम में लिए जाते है।

बहुत से पेड़ टेलेफोन या बिजली के तारो के जंजाल में घिरे होते है या पेड़ो पर ट्रेफिक सिग्नल सहित सड़क चिन्ह के बोर्ड लगे होते है। मंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा की पेड़ो के तने के इर्द गिर्द पर्याप्त स्थान हो और वे सीमेंट, डामर, या पगडण्डी से घिरे हुए ना हो।
 

Tuesday, March 1, 2016

Pakistan arrest 20 Indian fishermen

आज इटालियन समाचार एजेंसी ANSA की वेबसाइट पर समाचार देखने के लिए ओपन किया था मैं अचंभित रह गया!

पाकिस्तान में पिछले 10 दिनों में 108 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन ना सोशल मिडिया पर ना प्रिंट मिडिया, ना इलेक्ट्रिक मीडिया कही इसका कोई जिक्र ही नहीं था।

ANSA की वेबसाइट पर जो खबर है उसका हिंदी अनुवाद यहाँ लिख रहा हूँ।

Link of original News

अनुवाद:

पाकिस्तान ने 20 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया
एक सप्ताह पहले एक अन्य घटना में 88 को पकड़ा था 
(ANSA) इस्लामाबाद, 28 फरवरी - पाकिस्तान ने अपने जल क्षेत्र में घुसपैठ का आरोप लगाते हुए 20 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आज एक बयान जारी कर ये जानकारी दी। मछली पकड़ने गए भारतीय लोग जो चार नावों में सवार थे उन्हें समुद्र सुरक्षा एजेंसी (MSA) ने रोककर कराची ले जाया गया। "वे अरब सागर में पाकिस्तान जल क्षेत्र को पार कर चुके थे इसलिए उन्हें फिरफ्तार किया गया है" ऐसा बताया। एक सप्ताह पहले, ऐसे ही एक अन्य घटना में MSA ने 88 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया था।
 

Sunday, February 28, 2016

Rohith Vemula's body was used as a political tool Smriti Irani Speech

Smriti Zubin Iraani, HRD Minister in Rajya Sabha
राज्य सभा में स्मृति जुबिन ईरानी जी का भाषण सुना।

यही वो भाषण था  जिसे देखने और सुनने की फुरसत हमारे प्रधानमंत्री जी नरेन्द्र मोदी को भी थी और उस पर तुरंत ट्वीट भी कर दिया।

वरना तो पिछले दिनों में जो देश में हो रहा है उस पर ना कोई ट्वीट ना मोदीजी के मुँह से दो शब्द। वैसे तो उनसे कोई सवाल करे ये किसी पत्रकार की हिम्मत ही नहीं है पर यदि कोई पूछ भी ले तो उनका बयान होगा मैंने अभी वीडियो नहीं देखी है या मुझे अभी इसकी कोई जानकारी नहीं है बोल देते। जैसा की अक्सर सभी राजनैतिक दल जिस घटना पर नहीं बोलना चाहते उसके लिए इस्तेमाल करते है।
Rohith Vemula

सबसे पहले तो स्मृति जी रोहित वेमुला जो की एक 28 साल का नौजवान युवा है को बच्चा कहकर सम्बोधित किया यही से उनकी सोच पर हंसी आती है, चाइल्ड? ईरानी जी फिल्मो की तरह ही राज्य सभा में डायलॉग डिलिवरी कर रही थी।

चलो ये सब छोटी बाते है बच्चा बोला या बूढ़ा बोला उनकी सोच, यदि स्मृति समझती है की वो 150 साल की बुढ़िया है तो बेशक उन्हें हक़ है रोहित वेमुला को बच्चा कहने का।

लेकिन मैं यहाँ पर स्मृति जुबिन ईरानी जी का वो व्यक्तव्य कोट करना चाहूँगा जहां पर वो कहती है "रोहित वेमुला की बॉडी को राजनैतिक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है"

बिलकुल मैं आपसे सहमत हूँ स्मृति जी पर इसी पर मेरे कुछ सवाल है आपसे है क्या आप इस अवस्था में है की इनके जवाब दे पाएंगी?

 उस जीते जागते होनहार रोहित वेमुला को बॉडी किसने बनाया?  

कौन  जिम्मेदार है उस जीते जागते हँसते खेलते संघर्ष करते रोहित वेमुला को एक बॉडी बनाने के लिए?
आप खुद माननीया HRD मिनिस्टर जी आप खुद जिम्मेदार है उस जीवित इंसान को बॉडी में बदलने के लिए, यदि आप चाहती तो समय पर उस पर एक्शन लेकर एक युवा नौजवान जिसे आप बच्चा कहती है को  बचा सकती है, बल्कि इससे उल्ट आपने तो विश्वविद्यालय प्रशासन को बार बार पत्र लिखकर उस नौजवान रोहित वेमुला का जीवन दूभर कर दिया और आखिर उसने पानी हार मान ली वो हार गया इस गन्दी राजनीती से लड़ने में और उसने वो रास्ता चुन लिया जो किसी को नहीं चुनना चाहिए और वो बॉडी बन गया।

अब बात आती है उसकी बॉडी पर राजनीती की, हाँ!  हूँ उसकी बॉडी पर राजनीती हो रही है पर मेडम कौन नहीं कर रहा है उसकी बॉडी राजनीती? सबसे ज्यादा राजनीती किसी ने रोहित वेमुला पर की है तो वो खुद आप हो स्मृति ईरानी जी! हाँ यही वो कड़वा सत्य है की बीजेपी ने जितनी राजनीती है और मैं तो कहूँगा जितनी घटिया राजनीती की है उतनी किसी ने नहीं की।

कभी आप उनकी माँ की जाति अरु गोत्र लोगो को बताती है, कभी रोहित दलित नहीं है ये बयान देती है, कभी आप जिस राजनैतिक दल से सम्बन्ध रखती है वो उस पर दोशद्रोही होने का आरोप मंढने की कोशिश करता है। तो कुल मिलाकर अगर रोहित वेमुला की बॉडी पर किसी ने गन्दी राजनीति की है तो वो खुद भारतीय जनता पार्टी है

और हाँ एक बात और अगर आपको सच में दर्द  होता की रोहित की बॉडी पर राजनीती हो रही है तो आपके पास वो सारी पावर है जिससे ये राजनीति बंद की जा सकती है! दो रोहित वेमुला को न्याय, दो उन लोगो को सजा जिन्होंने रोहित को ये कदम उठाने पर मजबूर किया, स्वतः ही रोहित के शरीर पर राजनीति होना बंद हो जाएगी और ये नहीं आप एक अच्छा उदाहरण पेश कर पाएंगी की आपने एक दलित छात्र के न्याय किया। पर आप और केंद्र में बैठी भाजपा सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि आपको तो खुद उसके शरीर पर राजनीती करनी है, यही सत्य हा मैडम, आपको रोहित के शरीर पर राजनीति करनी है और इसलिए रोहित वेमुला की माँ न्याय की मांग में दर दर भटक रही है और केंद्र सरकार के इसारो पर दिल्ली पुलिस उस बेचारी रोहित की माँ को सड़क पर घसीटती है पीटती है।

डायलॉग बहुत अच्छा बोल लेती है स्मृति जी आप, पर शायद आप भूल गयी की राज्य सभा किसी धारावहिक की शूटिंग का सेट नहीं था वहाँ केवल डायलॉग के लिए शॉट ही नहीं देना था बल्कि कुछ करके भी दिखाना होता है और कुछ करके दिखाना आपके बस की बात नहीं है।

अगर आप सच में चाहती है की रोहित वेमुला की बॉडी पर कोई राजनीति नहीं हो तो कल ही उसे न्याय दीजिये और करवाइये बंद इस राजनीति को वरना आपके इन ढोंग और बनावटी चेहरों को अब जनता भली भांति जानने लग गयी है।

जय हिन्द
वन्दे मातरम


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Monday, February 22, 2016

#CongressBurningHaryana Jat agitation in Haryana तो फिर भाजपा ने हरियाणा को जलने क्यों दिया?

हरियाणा में जाट आरक्षण को लेकर जो कुछ हुआ वो बहुत ही निंदनीय है। प्रोटेस्ट करना लोकतंत्र में हमारा अधिकार है, सरकार को अपनी बात मनवाने के लिए प्रदर्शन करना, धरना देना ये सभी लोकतंत्र में हमारे अधिकार है पर इन आरक्षण की लड़ाई लड़ने वालो को किसी के घर जलाने का अधिकार किसने दिया?

एक विधवा औरत दो बेटियों की माँ अपना छोटा सा रोजगार का साधन लिए बैठी थी, इन प्रदर्शनकारियों का उस विधवा औरत ने क्या बिगाड़ा था की उसकी रोजी रोटी देनी वाली उसकी दुकान ही जला डाली? क्या उस महिला के पास अधिकार था उन्हें आरक्षण देने का और वो दे नहीं रही थी तो उसकी दूकान जला डाली?
जो भी प्रदर्शन के नाम पर गुंडा गर्दी हुयी  वो बहुत ही गलत है उसे इस देश का प्रबुद्ध नागरिक कभी स्वीकार नहीं करेगा।

जिन लोगो की आपने गाड़ियाँ जला डाली उन्होंने आपका क्या बिगाड़ा था? क्या पता कितनी मेहनत से किसी ने अपने सपनो को साकार करते हुए वो कार या मोटर साइकिल खरीदी थी जो आपके इस प्रदर्शन की भेंट चढ़ गयी। ऐसा करना भी देशद्रोह से कम नहीं है, आपने किसी और को नहीं अपने ही भाइयो को नुकसान पहुंचाया है।

एक तरफ जहाँ प्रदर्शनकारियों ने इसे हिंसक रूप दिया वो गलत है वही दूसरी तरफ भाजपा राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने जिस तरह इस मामले को हेंडल किया वो दोनों सरकारों की नाकामी को दर्शाती है, 12 लोग मर गए, अरबों रूपये की दूकान, फैक्ट्री, गाड़ी जला दी गयी और इस सबके बार राज्य सरकार घोषणा करती है की प्रदर्शनकारियों की मांग मान ली गयी है? सब कुछ जलाकर क्या माँग मान रहे हो साहब? क्या समय रहते सरकार अपने अहंकार को छोड़कर प्रदर्शनकारियों से बात कर लेती तो ये सब तबाही नहीं रोक सकती थी? लेकिन भाजपा सरकार जिस अहंकार में सत्ता में बैठी है उसने उन 12 का जीवन छीन लिया और हरियाणा में अरबो रूपये के कारोबार का नुक्सान हो गया तब जाकर सत्ता में बैठे लोगो की आँखे खुली।

अचंभित तो मैं तब रहा जब आज बीजेपी की IT cell सोशल मिडिया पर #CongressBurningHaryana ट्रेंड करवा रहे थे, ये क्या भाजपा कह रही है कांग्रेस ने हरियाणा को जला दिया? मैं यहाँ किसी का बचाव नहीं कर रहा हूँ मैं केवल ये बताना चाह रहा हूँ की ठीक है कांग्रेस ने हरियाणा जला दिया, मान लिया पर सत्ता में कौन बैठा है? भाजपा, केंद्र में सरकार किसकी भाजपा की, गृह मंत्रालय किसका भाजपा का सारी ताकत किसके पास है? भाजपा के पास?

तो फिर भाजपा ने हरियाणा को जलने क्यों दिया? 
 यही है मेरा सवाल!!

जब आपके पास सत्ता है, पुलिस है, सेना है सभी संसाधन है तो फिर आपने हरियाणा को जलने क्यों दिया? #CongressBurningHaryana ट्रेंड करवाकर आप भाजपा सरकार की कमजोरी ही लोगो को दिखा रहे है की उन्होंने जलाया पर हम हाथ में हाथ धरे बैठे रहे और तमाशा देखते रहे? या सरकार इतनी कमजोर है की वो हरियाणा को जलने से बचा नहीं सकी।

देश के प्रधानमंत्रीजी श्री नरेंद्र मोदी भाषण पर भाषण पेलने में लगे हुए थे पर उनके पास हरियाणा के लोगो को शांति बनाये रखने की अपील करने के लिए दो शब्द नहीं थे। हरियाणा के लोगो ने भी आपको वोट दिया था मोदीजी, और इन्ही प्रदर्शनकारियों ने भी आपको उस कुर्सी तक पहुचने में पूरा सहयोग किया था, ये ही नहीं उन्होंने तो केंद्र की सत्ता भी आपके हाथो में दे दी और राज्य की सत्ता भी आपकी लुभावनी बातो में आकर आपकी अपील पर आपके ही दल भारतीय जनता पार्टी को सौप दी, फिर भी अफ़सोस आपके पास अपने ही देश के उन नागरिको को सम्बोधित  करने के लिए दो शब्द  नहीं थे? ना आपने हरियाणा के लोगो से शान्ति बनाये रखने की अपील की और नाही हरियाणा में आपके द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री को कोई आदेश दिए की अपने ही राज्य के नागरिको को ऐसे  बर्बादी करने से रोके। या फिर सच में आप यही चाहते थे की  कैसे भी करके हिंसा फैले?

लानत है ऐसी  सरकार पर जो अपने ही देश के नागरिको को सुरक्षा नहीं दे सकती, कोई आपके देश को जलाएगा और आप जलने देंगे? हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे? बस ज्यादा से ज्यादा आप ट्वीटर पर उन लोगो को ट्रेंड करवा देंगे जिन्होंने देश जलाया? यही है सरकार चलाना? क्या ऐसे ही अब भाजपा सरकार काम करेगी?

जहाँ तक मुझे पता है हर पुलिस थाने में गाँव के हर इलाके से मुखबिर होते है(मुझे सही नाम याद नहीं आ रहा) पर गाँव के कुछ लोग मनोनीत होते है जो उनके इलाके में कुछ भी घटना होती है तो सच्चाई बता सके या कोई षड्यंत्र रचा जा रहा है तो पहले से उसकी खबर पुलिस तक पहुँचा सके ताकि समय रहते उसे रोका जा सके।
अब यदि हरियाणा में ये सब सिस्टम है तो हरियाणा की पुलिस को ये खबर क्यों नहीं मिली की कांग्रेस हरियाणा को जलाने वाली है? और यदि मिल गयी तो भाजपा सरकार ने उसे रोका क्यों नहीं?

यानी टोटल सिस्टम फेलियर? 

गजब के लोग को सत्ता में बैठा दिया भाई जिनसे ना प्रदेश की सुरक्षा हो रही है ना देश की।
भगवान देश की रक्षा करे।

जय हिन्द
वन्दे मातरम
भारत माता की जय
जय वीर बजरंग बलि हनुमान

Sunday, February 21, 2016

JNU विवाद और अचानक से जागी देशभक्ति

जो कुछ इन दिनों देश में चल रहा है क्या सच में कुछ ऐसा ही है? या कही इन सबके पीछे कोई और कारण है?

मैं भी कुछ दिनों से यही सोच रहा हूँ और मैंने अपने विवेक से जो कल्पना की वो आप सबके साथ शेयर कर रहा हूँ, जो लिख रहा हूँ वो मेरी सोच और मेरी मान्यता है। यदि कुछ गलत हो तो मुझे क्षमा करे मेरा उद्देश्य किसी का दिल दुखाना नहीं है, मैं एक सच्चा राष्टवादी हूँ, देश में नहीं रहता फिर भी खुद के भारतीय होने पर गर्व है और भारत माता के लिए दिल में उतना ही सम्मान और गर्व है जितना देश में बैठे एक देशवासी के दिल में है।

तो चलो शुरुआत यहाँ  से करते है!

आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार का एक साल पूरा होने वाला है, पार्टी ने बड़ा जश्न (जैसा की राजस्थान की भाजपा मुख्यमंत्री ने किया) ना करते हुए इसे अपने एक साल में किये गए कामो की उपलब्धि गिनाने में करने का निर्णय लिया था।

सारी तैयारी हो चुकी, शोशल मीडिया टीम जोश के साथ एक एक काम की लिस्ट बनाने में लग गयी, खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, सभी मंत्री अपने अपने विभाग में किये गए कामो की लिस्ट बना चुके ताकि दिल्ली की जनता ने जितने विशवास के साथ आम आदमी  पार्टी  की सरकार चुनी उन्हें एक साल का हिसाब दे सके।
आखिर जनता ही तो असली मालिक है इस लोकतंत्र की, तो उन्हें हक़ है ये जानने का की एक साल में उनके द्वारा चुनी हुयी सरकार ने क्या किया।

मीडिया में भी इसकी सुगबुगाहट होने लगी, चर्चाये होने लगी की वाह एक साल में इतने सारे काम कर दिए, बाकायदा मेनिफेस्टो उठा कर एक एक बिंदु की जांच करने लगे की कितने वादे पूरे हो चुके कितनो पर काम चल रहा है, बचे हुए कब तक पुरे हो जायेंगे।
जब ये सब तैयारी चल रही थी तो किसी एक सरकार को बहुत बड़ा संकट सामने दिखाई देने लगा, ऐसे सवाल सामने आते दिखाई देने लगे जिनके जवाब उनके पास नहीं है, क्योंकि जवाब के लिए केंद्र सरकार के पास केवल एक ही जवाब है 60 सालों का हिसाब ना देने वाले हमसे हिसाब मांगते है? यानि कुल मिलाकर मोदीजी के पास अपनी सरकार की उपलब्धि गिनाने के लिए कुछ नहीं था, जिन वादो के लेकर भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में उतरी थी उन सब पर  फ़ैल होती नजर आ रही थी, और मोदीजी और भाजपा को ये कतई मंजूर नहीं था की देश की जनता वो अधिकाँश भाग जो सोशल मिडिया पर एक्टिव नहीं है उन तक ये बात पहुँच जाए की मोदी सरकार हर वादे  फ़ैल हो चुकी है, चाहे वो फिर महंगाई का हो या पाकिस्तान का मसला, विदेश नीति हो या गिरता हुआ रुपया और सेंसेंक्स हर मुद्दे पर भाजपा सरकार की नाकामी। तो इसे छिपाना तो बहुत जरुरी है। बीजेपी और मोदी जी को डर हुआ की कहीं अब इस पर टीवी स्टूडियो में डिबेट ना होने लगे की अरविन्द केजरीवाल ने एक साल में इतने काम करके दिखा दिए तो अन्य राज्यों की सरकार  क्यों नहीं कर सकती, या केंद्र की मोदी सरकार क्यों नहीं कर रही है।
तो मेरा मानना है की अपनी ये चिंता उन्होंने अपने रक्षक दल(मिडिया, नजीब जंग, भीम बस्सी आदि) के सामने रखी और जैसे ही उन्होंने अपनी ये चिंता प्रकट की होगी इन सभी परम भक्त में होड़ लगी नंबर बनाने की, जो सबसे पहले इस मुद्दे से  भटकाकर दिखा देगा वही अपनी वफादारी ज्यादा दिखा पायेगा। तो मीडिया की नजर पड़ी JNU पर कन्हैया के उस भाषण पर जिसमे वो पूंजीपति, गरीबी, भुखमरी आदि से आजादी की बात कर रहा था, तो ये कुछ मिडिया वाले जो मोदी भक्त बने बैठे है अपनी कुटिल दिमाग से उस भाषण से बाकी बात काटकर केवल आजादी आजादी को जनता के सामने रखा और वो उसमे कामयाब रहे तुरंत चारो तरफ बाकि सभी मुद्दे भूलकर केवल  देशद्रोही और देशभक्त की बाते होने लग गयी।
अब बस्सी जी थोड़े  दिनों में सेवानिवृत होना है तो वो इस मौके पर किसी और को खुद से ज्यादा मोदी का वफादार होना कैसे स्वीकारते? तो वो भी तुरंत दौड़ पड़े और आनन फानन में कन्हैया कुमार को गिरफ्तार लिया और वो देशद्रोह के जुर्म में। जो आदेश थे वो तो पुरे कर दिए गए मीडिया और देश की जनता का सारा ध्यान अब देशद्रोही और देशप्रेमी की बहस पर केंद्रित हो गया, ना कोई अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली सरकार द्वारा किये गए कामो की बात कर रहा है और ना कोई मोदीजी की केंद्र सरकार से सवाल कर रहा है। अपने इस लक्ष्य में तो ये कामयाब हो गए पर जल्दबाजी में कदम गलत उठा लिए जो की उन्हें महंगा पड़ गया।
धन्यवाद ABP न्यूज़ जिसने पूरा विडियो जनता के सामने रखा वरना तो देश ने तो कन्हैया पर देशद्रोही का  ठप्पा लगा ही दिया था, बस यही से भाजपा और दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े होने लगे, और बस्सी बैकफुट पर नजर आने लगे, गिरफ्तारी के समय ठोस  सबूत होने के दावे करने वाले बस्सी जी मिडिया में आकर कहने लगे यदि कन्हैया अपनी जमानत की अर्जी लगाए तो दिल्ली पुलिस इसका विरोध नहीं करेगी, अरे ये क्या? जब आप कह रहे है कि आपके पास ठोस सबूत है तो फिर आप किसी देशद्रोही को  यों ही छोड़ देंगे? उन्हें किसी को छोड़ने से  मतलब नहीं था वो जल्द जल्द अपनी इस गलती से छुटकारा पाना चाहते थे। पर अब इस बहस ने कुछ ज्यादा ही जोर पकड़ लिया और ये केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के गले की हड्डी बन चुका था, अब इससे पीछा कैसे छुड़ाए? तो नंबर आया भाजपा की हरियाणा सरकार को अपनी वफादारी दिखाने का। शुरू हुआ जाट आरक्षण का मुद्दा, यदि राज्य सरकार चाहती तो आंदोलनकारियों से बात कर सहमति बना सकती थी पर ऐसा तो उन्हें करना ही नहीं था, उन्हें तो मीडिया जो अब कन्हैया पर केंद्रित हो गया  था को किसी दूसरी तरफ मोड़ना था। तो आंदोलनकारियों को ना विरोध किया और ना बात उन्हें छोड़ दिया मनमर्जी करने को, दुकाने लूटी गयी, मॉल लुटे गए, कार बसे आग की भेंट चढ़ गयी, कर्फ्यू लगा दिया गया, इंटरनेट सेवा हरियाणा में ठप्प कर दी इस बार भी बात नहीं बनी गोलीबारी के आदेश दिए गए और चार भारतीय इस आन्दोलन की भेंट चढ़ गए, शायद ही कोई ऐसा मौका हो जहां पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोलियाँ चलायी हो। खैर चार आदमियों की जान गयी पर खट्टर साहब अपनी वफादारी दिखाने में कामयाब हुए और एक बार टीवी बहस की दशा मोड़ दी गयी।
अब बजट सत्र में अपनी नाकामी फिर छिपानी है तो मेरा मानना है की उस समय कन्हैया को रिहा कर दिया जायेगा, शायद बस्सी या किसी मिडिया हॉउस को भी थोड़ा और अपनी वफ़ादारी दिखाने पड़े पर जुगाड़ पूरा है की कोई मोदी सरकार से सवाल ना कर बैठे की आपने दो साल  में क्या किया? जो पाँच साल के लिए आपने वादे किये थे उसमे से आपने अभी तक किसी पर भी काम क्यों नहीं किया? एक तरफ केंद्र शासित राज्य होने के बावजूद भी अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने अपने घोषणा पत्र से 70 में 17 वादे पूरे दिए है 30 पर काम चल रहा है।
हो सकता है मेरी समझ गलत हो पर जो मेरी सोच है मैंने यहाँ लिख दी, मेरा उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं है केवल अपने विचार व्यक्त करना है। मेरे इस लेख से मेरी देशभक्ति पर शक ना किया जाए, मैं इसी भारत माँ का लाल हूँ।
जय हिन्द
वन्दे मातरम
भारत माता की जय

|| वक्र-तुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघनम कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा ||

Thursday, February 11, 2016

है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर - Dr. Kumar Vishvash

Lance Naik Hanamanthappa Koppad


है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये है,
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये है.....
पिता,जिस के रक्त ने उज्जवल किया कुल-वंश-माथा,
माँ, वही जो दूध से इस देश की रज तोल आई ,
बहन,जिसने सावनों मे, भर लिया पतझर स्वयं ही,
हाथ ना उलझें, कलाई से जो राखी ख़ोल लाई
बेटियाँ,जो लोरियों मे भी प्रभाती सुन रही थीं,
"पिता तुम पर गर्व है" चुपचाप जा कर बोल आईं
प्रिया,जिस की चूड़ियों मे सितारे से टूटते थे,
मांग का सिंदूर दे कर जो उजाले मोल लाई
है नमन उस देहरी को जहाँ तुम खेले कन्हैया,
घर तुम्हारे, परम तप की राजधानी हो गये है....
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय ....
हमने लौटाए सिकन्दर सर झुकाए मात खाऐ,
हमसे भिडते है वे जिनका मन,धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी,
उन के माथों पर हमारी ठोकरों का ही बयाँ है
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे,
शीश देने की कला में क्या गजब है? क्या नया है?
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी,
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन,
काल-कौतुक जिनके आगे पानी-पानी हो गये है
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय........
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य-लेखे,
विजय के उदघोष! गीता के कथन! तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा! सिन्दूरदानों की व्यथाऒं!
देशहित प्रतिबद्ध-यौवन कै सपन! तुमको नमन है
बहन के विश्वास! भाई के सखा! कुल के सहारे!
पिता के व्रत के फलित! माँ के नयन! तुमको नमन है
कंचनी-तन, चाँदनी-मन, आह,आंसू,प्यार,सपने,
राष्ट्र के हित कर गए सब कुछ हवन ,तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन,
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये है.
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये....

Tuesday, February 2, 2016

Delhi Police brutally assaulting student protesters outside RSS office

बहुत ही दुःखद जो कुछ आज देश की राजधानी दिल्ली में हुआ।
शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा जब पुलिस और एक संगठन के लोग मिलकर एक दूसरे संगठन के लोगो को पीट रहे हो।
दिल्ली पुलिस की दरिंदगी का नंगा नाच जो इस वीडियो में दिखाई दिया और देखकर हर कोई बोल उठेगा, क्या? दिल्ली में आपातकाल लागू हो गया है? जिस तरह से दिल्ली पुलिस और आरएसएस के लोग मिलकर कुछ शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों पर अचानक लाठी, डंडे, लात घूंसे बरसाने लगते है उसे देखकर तो यही महसूस होता है जैसे दिल्ली में मोदी सरकार ने आपातकाल लागु कर दिया है।
चलो आज तक आंदोलन और पर्दशन में पुलिस का बल प्रयोग तो सुना था पर पुलिस की सुरक्षा में उनके सहयोग से सरेआम RSS के लोग प्रदर्शनकारियों को दौड़ा दौड़ा कर पीटे ये कहाँ और किस देश का न्याय है?
उन प्रदर्शनकारियों का दोष केवल यही था की उनकी रैली RSS के ऑफिस के सामने से गुजरनी थी? क्या अब आरएसएस देश  संविधान से भी बड़ा हो गया है?
और दिल्ली पुलिस ने ये किसके दबाव में आकर किया? या किसके आदेश पर ये सब किया? ऐसे ही तो ये सब नहीं हुआ है, मैं फिर कह रहा हूँ लाठीचार्ज पहले भी होते आये है और इस सरकार ने पहले की सरकारों से हटकर कुछ नहीं किया। मोदी सरकार ने भी आंदोलन की आवाज कुचलने की कोशिश की। पर उससे भी हटकर जो हुआ की पुलिस और आरएसएस के लोग मिलकर सरेआम किसी की पिटाई करे?
उससे भी शर्म की बात है पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओ के बाल पकड़कर घसीटे और लात घूंसों से छात्राओ की भी पिटाई करे, और पुलिस के सरक्षण में आरएसएस के गुंडे भी छात्राओ के कपड़े फाड़ दे ये कहाँ का न्याय है? ये तो सच में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जिस आपातकाल की तरफ इशारा कर रहे थे ये कहीं ये उसी आपातकाल की एक झलक तो नहीं है? जहां आप यदि आरएसएस और मोदी सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलेंगे तो पुलिस और आरएसएस के गुंडे आपकी पिटाई कर देंगे?
अफ़सोस छोटी से छोटी घटना पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले देश के सवा सो करोड़ भारतियों की बात करने वाले हमारे प्रधानमंत्री ही इस घटना पर चुप्पी साध लेते है, क्या देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उनकी जवाबदेही नहीं है की जिन पुलिसकर्मियों ने ये अमानवीय कार्य किया है उन्हें तुरंत सजा दे?
मोदीजी आपकी तो कथनी और करनी में रात दिन का अंतर आ गया, कहाँ आप बात करते है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और आज जब उन्ही बेटियों को दिल्ली पुलिस और आरएसएस के गुंडे सड़क पर दौड़ा दौड़ा कर पीट रहे है तो आप चुपचाप सब कुछ होने देते है, क्या आपकी चुप्पी इन सबको मौन स्वीकृति तो नहीं है?
सवा सो करोड़ का नाम भाषण में लेकर ताली बजवाना  आसान है मोदीजी पर  सवा सो करोड़  समान समझकर सबको न्याय और समान अधिकार दिलाने  की हिम्मत तो आपमें भी दिखाई नहीं देती है।
ये वो वीडियो है जिसमे आप साफ़ देख सकते है कैसे दिल्ली पुलिस बर्बरता पूर्वक आंदोलनकारियों को पीट रही है, कुछ युवक पुलिस की मौजूदगी में खुद भी प्रदर्शनकारियों को पीट रहे है, कैसे पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओ को पीट रही है और कुछ न्यूज़ रिपोर्टर ने भी ट्वीट कर बताया की उन्हें भी कवरेज करने के कारण पीटा गया।
गजब की गुंडागर्दी है भाई, यानी दिल्ली पुलिस की गुंडागर्दी?

 
 Delhi Police and RSS Goons brutally assaulting student protesters outside RSS office
 

Friday, January 29, 2016

तो क्या अब मोदीजी देश द्रोही हो गए?

चौंक गए पोस्ट का टाईटल देखकर?

बिलकुल मैं यही सवाल आपसे करना चाहता हूँ, क्या अब मोदीजी देश द्रोही हो गए? खैर मेरा ये सवाल एक ख़ास वर्ग के लिए है जो अत्यधिक भावुक वर्ग है, अपने आप को राष्ट्रवादी कहता है और राष्ट्रवाद के नाम पर उन्हें कोई कुछ भी कह दे वो बिना उस मामले को जाने, तुरंत भावावेश में आ जाते है, सोशल मिडिया पर गालियों की बौछार के साथ अपने देशभक्त होने का परिचय देने लगते है।
सामने वाले को पाकिस्तानी, देश्द्रोशी और बहुत ही अभद्र भाषा का प्रयोग केवल उस व्यक्ति ही नहीं बल्कि उसके पूरे खानदान को लेकर किया जाता है। इस पर भी यदि जिसे ये लोग कटघरे में खड़ा कर देते है उसका धर्म उनसे भिन्न हो तब तो मानो सामने वाले पर कहर टूट पड़ता है।
बस इस वर्ग विशेष की इसी भावुकता का फायदा कुछ राजनैतिक दल उठाते है और वो भी आग में घी डालने के लिए  संबंधित मुद्दे पर अभद्र कॉमेंट कर देते है।
बस अब क्या चाहिए इस भावुक जमात को हो जाते है अपने नेताओ के पीछे और सामने वाले की इज्जत की धज्जियाँ उड़ा देते है।
उनके ऐसा करने से सम्बंधित व्यक्ति थोड़ा हताश तो हो जाता है पर बेनकाब ये भीड़ हो जाती है जो बिना किसी तथ्य को जाने अंध भक्ति में मगन होकर अपना आपा खो बैठते है। यदि ये आपा  केवल सोशल  में ही खोते है तो कम से कम उन्हें कोई शारीरिक हानि नहीं होती है पर सोचो यदि  ये ऐसा वास्तविक जीवन में करने लगे तो अपना जीवन बर्बाद ही कर बैठेंगे और आपकी बर्बादी के दम पर ये राजनैतिक दल सत्ता हासिल कर जाते है और चाहकर भी वहाँ  वापस नहीं लौट पाते जहाँ पर आप इस भावुकता में बह गए थे।

ऐसा ही एक वाक्या 26 जनवरी 2015 को हुआ था।
अचानक से सोशल मिडिया के जरिये एक तस्वीर देश विदेश में सबके मोबाइल/कंप्यूटर पर शेयर होने लगी जिसमे भारत के उप-राष्ट्रपति महोदय हामिद अंसारी जी के तिरंगे को सलामी ना देने की तस्वीर दिखाई गयी और इस तस्वीर के जरिये इस भावुक वर्ग के दिलों में जहर घोलने की भरपूर कोशिश की गई।
शर्म तो तब आती है जब इसमें मिडिया भी शामिल हो जाता है, सुदर्शन चैनल ने इस पर पूरा 1 घंटे का प्रोग्राम कर डाला जिसमे वो उप राष्ट्रपति महोदय की देशभक्ति पर प्रश्न चिन्ह लगाते है।
सोशल मिडिया पर मानो आंधी आ गयी हो, ये भावुक वर्ग अँधा होकर उस आँधी के साथ उड़ने लगा और उप राष्ट्रपति महोदय के देश भक्ति पर एक बड़ा सा प्रश्न चिन्ह लगा दिया।
ये कुछ ट्वीट है जिनमे उप राष्ट्रपति महोदय को लेकर भद्दी टिप्पणी  की गयी



Is Narendra Modi insulted Tri Color, Modi deshdrohi hai? why Modi not salute Tiranga?
Is Narendra Modi Desh Drohi as he not salute TriColor?
अब आते है 26 जनवरी 2016 पर, वही स्थान, वही मौका और वही लोग पर इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने तिरंगे को सलामी नहीं दी!!!
तो यदि ये राष्ट्रभक्ति का ढोंग रचने वाले चंद लोग उस समय उप राष्ट्रपति महोदय को देशद्रोही और अन्य गलत शब्दों से सम्बोधित कर सकते है तो आज वही मापदंड नरेन्द्र मोदी के लिए क्यों नहीं? उस हिसाब से तो इस बार नरेंद्र मोदी देशद्रोही हो गए, उन्हें भारत में रहने का कोई हक नहीं रहा, वो तो पाकिस्तान जाकर वहाँ चरण वंदना करके आते है तो शायद इस बार उनके इस पाकिस्तान प्रेम ने उन्हें तिरंगे को अपमानित करने को उकसाया हो? शायद उन्होंने नवाज शरीफ के घर जाकर केक खाकर आये उसका कर्ज तिरंगे को सलामी ना देकर अदा किया हो? ऐसे हजारो बेहूदे सवाल हम भी उन अंध भक्तो और फर्जी राष्ट्रवादियों की तरह खड़े कर  सकते है पर हम ऐसा नहीं करेंगे।
हम केवल उन अंध भक्तो और फर्जी राष्ट्रवादियों को आइना दिखाना चाहेंगे की इस तरह गलत अफवाह फैलाकर देश में नफ़रत  का जहर मत घोलिये, इस भावुक वर्ग की भावनाओ के साथ मत खिलवाड़ करे, वरना जिस दिन ये भावुक वर्ग अपने आपे से बाहर आ गया तुम्हारे तख़्त और ताज को कोई बचाने वाला नहीं मिलेगा।
साथ ही साथ इस भावुक वर्ग से भी मैं अनुरोध करूँगा की किसी भी बात पर इतनी आसानी से आवेश में ना आये, कम से कम थोड़ा बहुत प्रयत्न सच्चाई जानने का भी करे, जितने देश भक्त आप है उतना ही देश भक्त भारत की धरती पर रहने वाला हर वो शख्स है जो इस मातृ भूमि से अपना पालन पोषण करता है।
धन्यवाद
वन्दे मातरम


"Jihadi sympathiser", "anti-India", "traitor", these were some of the names that the vice president of India was hurled at on the country's 66th Republic Day. Many tweeted demanding that Ansari be impeached, the more moderate ones wanted him to resign, the more outraged ones advised him to join the ISIS.

Line in english from the article: http://www.dailyo.in/politics/why-should-hamid-ansari-prove-his-patriotism-republic-day-narendra-modi-aamir-khan-pk-muslims/story/1/1684.html

Tuesday, January 26, 2016

Padma Bhushan Anupam Kher #Award used word BhenCho*** after getting Award

जैसे ही इन पदम अवार्ड की घोषणा हुयी एक गीत कानों में गूंजने लगा

ये जो पब्लिक है सब जानती है ..... ये जो पब्लिक है

ठीक ही तो कहा है और इन अवार्ड की लिस्ट देखे तो आप समझ ही गए होंगे की इनमे से अधिकतर लोगो को ये पुरस्कार इनकी काबिलियत पर कम और किन्ही और कारणों से ज्यादा मिला है।
मैं कतई ये नहीं कह रहा की इन लोगो में काबिलियत नहीं है, हाँ इनमे काबिलियत है पर अफ़सोस ये पुरूस्कार इन्हे इनकी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ने से मिला है।
खुद ये लोग अवार्ड लेकर खुश भले ही होंगे और अपने बायोडाटा में सोशल साइट पर प्रोफाइल में पदम भूषण, पदम विभूषण, पदम श्री लिख लेंगे लेकिन जब कभी आईने के सामने खड़े होकर खुद से बात करेंगे तो इनका जमीर यदि ज़िंदा रहेगा तो कभी ये गवाही नहीं देगा की ये अवार्ड अपनी काबिलियत के दम पर मिला है।
कैसे ये नजरे मिलाएंगे अपने आप से? क्या किस्से सुनाएंगे अपने बच्चों या भावी पीढ़ी को? यही की हममे काबिलियत तो बहुत थी पर जब हमने सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ा तो हमे ये अवार्ड मिला।

Anupam kher Padma Bhushan Award March protest
Anupam Kher Padma Bhushan Award
हम सब जानते है ये अवार्ड का केवल नाटक होता है जिन्हे दिया जाता है वो सब पहले से ही फिक्स होता है, और ऐसा मैं नहीं खुद अवार्ड पाने फ़िल्मी कलाकार और बीजेपी संसद किरण खैर के पति अनुपम खैर भी ये मानते है की अवार्ड पहले से फिक्स होते है और ये अवार्ड केवल एक मजाक बनकर रह गए।

अनुपम खैर का वो ट्वीट जिनमे वो खुद स्वीकार करते है की अवार्ड एक मजाक है और ये पहले से फिक्स होते है।

अवार्ड मिलने से ख़ुशी सबको होती है और होनी भी चाहिए ये गर्व की बात है चाहे फिर वो आपको अपने कार्य क्षेत्र में उपलब्धि से मिला हो या फिर किसी एक ख़ास राजनैतिक दल के लिए काम करने पर मिला हो।

अब आप कहेंगे नहीं भाई अनुपम खैर को उनके काबिलियत के दम पर ये अवार्ड मिला है, चलो कुछ पल के लिए मैं आपकी बात मान भी लेता हूँ, तो भाई ये पुरूस्कार उन्हें आज से पहले क्यों नहीं मिला?

अब आप कहेंगे पहले कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तो उन्होंने नहीं दिया! भाई पिछले साल तो भाजपा की ही सरकार थी यही मोदीजी प्रधानमंत्री थे फिर ये पुरूस्कार उन्हें पिछले साल क्यों नहीं मिला?

जब आप इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे की आखिर इस एक साल में इन जनाब ने ऐसा क्या कर दिया जिससे उन्हें पदम अवार्ड से सम्मानित किया गया? तो आपको जवाब में अपने आप पता लग जाएगा की ये अवार्ड उन्हें उनकी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि चापलूसी और सत्ता के हाथो नाचने के लिए मिला है। अभिनय तो खैर साहब है बहुत वर्षो तक किया है और कर भी रहे है बल्कि सत्ता के लिए किया गया अभिनय उन सभी फ़िल्मी दुनिया के अभिनय (जिनसे आप और हम अनुपम खैर को जानते है) पर भारी पड़ गया और आखिर ये अवार्ड उन्हें मोदी वफादारी के लिए मिल ही गया।

जिस समय देश में अहिष्णुता के खिलाफ समाज के जाने माने लेखक, कवि, फ़िल्मी कलाकार, समाज सेवी अपने अवार्ड वापस करने लगे और देश और दुनिया में मोदी सरकार की फजीहत होने लगी तब इन्ही अनुपम खैर ने मोदी की इज्जत एक मार्च निकालकर बचायी थी, उस इज्जत बचाने के बदले आखिर मोदीजी ने भी उन्हें इस इज्जत से नवाज ही दिया।

पर ये क्या अनुमप खैर साहब आप तो ये अवार्ड पाकर घमंड में आ गए? घमंड कभी भी किसी के लिए अच्छा नहीं होता और ना ही वो ज्यादा समय के लिए टिक पाता है।
अवार्ड मिलते ही आप जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पब्लिक के बीच खड़े होकर माँ बहन की गाली निकालने लगते हो? खुद की  इज्जत ना करते कम से कम इस अवार्ड की तो इज्जत करते जिससे आपको नवाजा गया है?  एक मंच से खड़े होकर बेहन्चो*** बोलना आपको कहाँ तक शोभा देता है?
यही नहीं क्या आपका ये ट्वीट एक पद्म भूषण अवार्ड प्राप्त व्यक्ति का सा लगता है? जिसमे आपके बेहद ही छिछोरे और गली के आवारा लड़के की भाषा का उपयोग किया?

अर्थात 2010 में और 2013 में जब आपने ये ट्वीट किये थे तब क्या आपने बरनोल का सारा स्टॉक अकेले ने खरीद कर काम में लिया था? तभी तो शायद आपको ये अनुभव होगा की ऐसे समय में बर्नोल को उपयोग होता है? इतने सालो तक आपने तो खूब बरनॉल का उपयोग किया होगा?

सत्ता की चौखट पर नाक रगड़ कर या उनके आदेश से दुम हिलाकर तो ये अवार्ड कोई भी हासिल कर लेता है सरजी, मजा तो तब आता जब आप अपनी काबिलियत के दम पर ये अवार्ड पाते और गर्व से सीना तानकर सबको कह सकते की मुझे पदम भूषण अवार्ड मिला है, नाकि इस घमंड भरी भाषा का उपयोग करते।

"AWARDS in our country have become a mockery of our system.There is NO authenticity left in any one of them.B it films, National or now PADMA"

"Happy, Humbled & Honoured to share that i have been awarded The PADMA BHUSHAN by the Govt. of India. Greatest news of my life:) "

, #PadmaBhushan, #Award, #AnupamKher, #KiranKher, #Kiran, #Jaipur, #LitFest, #LitratureFestival 

Sunday, January 17, 2016

Thanks Bhawana Arora #KejriwalTheatrics #IncompetentDelhiPolice

धन्यवाद भावना अरोड़ा जी,
आपने आज जो भी किया उससे भी कई लोगों  पोल खुल गयी और एक सबसे बड़ी बात जो अरविन्द केजरीवाल सदा कहता है कि ये सुरक्षा नहीं दे रखी है बल्कि पुलिस के भेष में जासूस छोड़ रखे है को और भी स्पष्ट कर दिया।

अरविन्द केजरीवाल ने एक बार नहीं हजार बार कहा है मुझे नहीं चाहिए ये सुरक्षा वापिस ले लीजिये, लेकिन हकीकत यही है की सुरक्षा का तो केवल बहाना है मोदीजी ने अपने जासूस लगा रखे है ये पता करने के लिए की अरविन्द से कौन कौन मिलने आते है वो कहाँ कहाँ जाते है आदि आदि।

यदि सच में जो ये पुलिस मोदीजी ने अरविंदजी  आगे पीछे लगा रखी है वो उनकी सुरक्षा के लिए होती तो क्या आज भावना जी अपने जेब में स्याही लेकर अरविंदजी के ठीक सामने पहुँच पाती? क्या सच में  सुरक्षा होती तो ये पुलिस वाले जो सुरक्षा के नाम पर तैनात थे वो उस भावना जी अरविन्द जी तक पहुँचने से पहले रोककर ये नहीं जानना चाहते की वो महिला कौन है क्यों वो अरविंदजी के पास जाना चाहती है?

लेकिन सुरक्षा के नाम पर तैनात दिल्ली पुलिस के इन जासूसों ने ऐसा कुछ नहीं किया और भावना अरोड़ा को आसानी से अरविंदजी तक पहुँचने दिया तो स्तिथि स्वतः स्पष्ट हो जाती है की दिल्ली पुलिस अरविन्द के इर्द गिर्द उनकी सुरक्षा में नहीं अपितु उनकी जासूसी में तैनात है।

भावना जी आपकी स्याही ने कईयों के चेहरे से नकाब उतार दिए आज, पहला तो इससे दिल्ली पुलिस पूर्णतया बेनकाब हो गयी।
Bhawana Arora BJP Supporter working for BJP in Aam Aadmi Sena
भावना अरोड़ा, Bhawana Arora, BJP Supporter
मैं तो अब आपके बारे में सोच रहा हूँ भावनाजी, आपने स्याही तो किसी के कहने पर या किसी लालच में आकर फेंक दी लेकिन अपने खुद के लिए एक मुसीबत पाल ली आपने, जिसके भी कहने से आपने ये स्याही फेंकी है कल को वो आपको इसी घटना को लेकर कोई और अपराध करने का दबाव बना सकता है, वरना आपको कहेगा की अब ये नहीं करोगी तो मैं सबके सामने तुम्हारा सच बता दूंगा की कैसे और कितने रूपये लेकर आपने उस समय अरविंदजी पर स्याही फेंकी थी। कुछ तो सोचती ऐसा करने से पहले भावना जी, आप एक औरत है कल को एक माँ भी बनेगी क्या आप यही शिक्षा अपने बच्चे को भी देंगी की स्कूल में टीचर पर स्याही फेंक देना, नौकरी करो तो बॉस पर स्याही फेंक देना?

चलो आप अपने बच्चे को ये शिक्षा नहीं देंगी पर कोई ना कोई तो उसे ये बता ही देगा की उसकी माँ ने कैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री पर स्याही फेंकी, और हो सकता है वो भी आपके नक्से कदम पर चले और एक दिन आपको अपने बच्चे के स्कूल की अनुशासन समिति से लेटर मिले की आपके बच्चे को टीचर पर स्याही फेंकने के कारण स्कूल से निष्काषित किया जाता है और उसके चरित्र वाले कॉलम में ये रिमार्क लगा दे तो आप क्या करोगी?
आप अपने बच्चे को किस मुहं से कहोगी की उसने ऐसा क्यों किया? उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था? यदि आप उसे ऐसा कहेंगी तो वो आपको कहेगा की ये सब तो उसने आपसे ही सीखा है!!!

भावना जी कुछ लोगों के बहकावे में आकर क्या आपने सच में एक बहुत बड़ी गलती कर दी है?

चलो आपने जो भी किया कभी न कभी आप जब शांत मन से इस बारे में सोचेंगी तो स्वतः खुद को लानत देने लगेंगी और समझ जायेगी की आपने एक अच्छे नागरिक होने का परिचय तो नहीं दिया है। मैं तो आपको फ्हिर भी धन्यवाद ही करना चाहूँगा क्योंकि आपने एक तो सारे दिल्ली वासियों और भारत वर्ष के लोगो को ये दिखा दिया है की जो दिल्ली पुलिस अरविन्द जी के आगे पिछे लगा रखी है वो उनकी सुरक्षा के लिए कतई नहीं है अपितु वो उनकी जासूसी के लिए है, सुरक्षा के लिए होती तो आप  अरविंदजी तक पहुँच पाती और यदि पहुँच पाती तो उससे पहले आपकी तलाशी होती जिसमे आपके पास स्याही मिलते ही आपको सवाल किये जाते और आपको अरविंदजी के पास जाने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया जाता।

खैर आपने एक और बात साबित करदी आज की अरविंदजी अब भी आम आदमी ही है और आम जनता उन तक अासानी से पहुँच सकती है जो की भारत के किसी भी मुख्यमंत्री के पास नहीं पहुँच सकती, अरविंदजी के पास आम आदमी तब भी पहुँच पाता था जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे और आज भी पहुँच पाता है जब वो मुख्यमंत्री है, ऐसा मुख्यमंत्री भारत को पहली बार मिला है जिस तक हर कोई  पहुँच सकता है, मिल  सकता है, जिस मुख्यमंत्री के पास पहुँचने से पहले आपको कोई रोकता या टोकटा नहीं है, कितना आम और साधारण है ना अरविंदजी आज भी जब वो एक राज्य के मुख्यमंत्री है॥

#KejriwalTheatrics #IncompetentDelhiPolice  #DelhiPolice, #Delhi, #Police, Police, Delhi police, BS Bassi, Arvind Kejriwal, Ink, Bhawana Arora, Who is Bhawana Arora