Monday, October 26, 2015

तो क्या अभी तक मोदी सरकार ने कोई काम नहीं किया?

हाँ, बिलकुल सही पढ़ा आपने, मैं अपने आप से यही सवाल पूछ रहा हूँ कि क्या मोदीजी ने सरकार बनने के डेढ़ साल में भी कोई काम नहीं किया?

अब आप पूछोगे कि आखिर मैं ऐसा क्या सोच रहा हूँ?

इसके पीछे भी कारण है बिहार की चुनाव रैली जिनमे प्रधानमन्त्री सब कुछ भूलकर एक पार्टी के प्रचारक के रूप में चुनावी सभा करते घूम रहे है, मैंने कुछ चुनावी सभाओ में मोदीजी का सम्बोधन सुना और उससे सुनने के बाद ही मेरे  मन में ये सवाल आया कि आखिर मोदीजी के पास ऐसा कुछ भी नहीं जिसे वे अपनी उपलब्धि के रूप में सबको बता सके?

यदि इन डेढ़ साल में कुछ काम किया होता तो आज बिहार की चुनावी सभाओ में मोदीजी को लालू और नितीश को गाली देने के बजाय अपने काम गिनाने से ही फुर्सत नहीं होती और बिहार की जनता से वोट भी यही कहकर माँगते की देखो आपने मुझे केंद्र की सत्ता दी तो मैंने ये ये काम केंद्र सरकार में किया है, ये देखिये मैंने कैसे देश में विकास की गंगा बहा दी है, ये देखिये हमने लोकसभा चुनाव से पहले जनता से ये वादे किये थे और जनता ने हमे इन्ही वादो को पूरा करने के लिए पांच साल  के लिए सत्ता सौपी थी और आज डेढ़ साल में हमने आपसे किये वादो में इतने वादे पूरे कर दिए है, इन वादो पर काम चालू हो चुका है, इन वादो पर अभी विचार विमर्श चल रहा है आदि आदि!

सच में यदि केंद्र में मोदी सरकार इन डेढ़ साल में कुछ काम करती तो  बिहार की जनता को उन्हें सुनाने के लिए गाली और व्यंग की जगह अपने कामो की लिस्ट होती जो की उनके पास नहीं है।
ना ही लोकसभा चुनाव के वादो का जिक्र है और उससे भी हैरानी की बात है सरकार बनने के बाद ज्यादातर समय विदेशो में बिताने वाले प्रधानमन्त्री के पास तो अपने विदेशी दौरों की भी कोई बताने लायक उपलब्धि नहीं है वरना तो वो इसी का बखान करते रहते।

हाँ उनके पास कुछ है  तो वो है झूठे वादे या अमित शाह की भाषा में  कहे तो उनके पास है जुमले हाजी वही जुमले जो लोकसभा चुनाव से पहले वादो के रूप में जनता से किये गए और चुनाव जितने के बाद एक पत्रकार को बुलाकर अपने वादो को जुमला घोषित कर दिया जाता है, आज वही खेल बिहार में कर रहे है, हम ऐसा कर देंगे, हम वैसा कर देंगे, अरे भाई कर देंगे, कर देंगे? ये भी  बताओ केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार है वहां पर आपके क्या किया है?

है कुछ बताने लायक? नहीं है ना?

बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार!!

सुन सुनकर कान पक चुके थे लोकसभा चुनाव से पहले लेकिन ख़ुशी थी जब केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा की मोदी सरकार बनी, एक तसल्ली थी की कम से कम अब महंगाई पर तो लगाम लगेगी, पर ये कैसे लगाम ऐसा लग रहा है जैसे लगाम तो लगादी मोदीजी ने महंगाई पर, लेकिन वो लगाम किसी और(कुछ पूंजीपतियों) को सौप दी तभी तो आज सब्जी, प्याज, दाल, टमाटर हर चीज के भाव आसमान छू रहे है, दाल तो मानो आम आदमी की पहुँच से बाहर की बात हो गयी है, हम हॉस्टल में थे तो अक्सर दाल ही बनाते थे क्योंकि यदि खाना खाते समय भी दो दोस्त और आ जाते तो चूल्हे पर पड़ी दाल में एक गिलास पानी और ज्यादा कर देते और हंसकर बोलते "दे दाल में पानी" अब तो दाल आम आदमी की पहुँच से बाहर हो गयी है और केंद्र की मोदी सरकार चुपचाप हाथ पर हाथ धरी बैठी है, आखिर कौनसी महँगाई कम करने की बात लोकसभा चुनाव से पहले मोदीजी करते थे?
खैर ऐसा लगता है इन डेढ़ सालो में वर्तमान मोदी सरकार के पास यदि कुछ है तो वो है विफलताओं की एक लम्बी लिस्ट और जाहिर है कोई भी सरकार अपनी विफलताएं किसी को  बताएगी, तो अब चुनावी सभा में कुछ बोलने को बचा है तो वो है सामने वालो को जी भरकर गाली निकालो, जनता के सामने झूठे वादो की झड़ी लगादो और ये काम मोदीजी बखूबी कर रहे है।

आशा है बिहार की जनता सब कुछ देख और सोच समझ रही होगी, और अपना वोट देने से पहले सही और गलत को परखकर बिहार के उज्जवल भविष्य के लिए सही आदमी को चुनेगी।

जय हिन्द॥

वन्दे मातरम॥


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Friday, October 16, 2015

ऐसी होती है माँ - Copied

एक माँ चटाई पर लेटी आराम से सो रही थी......
मीठे सपनों से अपने मन को भिगो रही थी.......

तभी उसका बच्चा यूँ ही घूमते हुये समीप आया....
माँ के तन को छूकर हल्के हल्के से हिलाया.....

माँ अलसाई सी चटाई से बस थोड़ा उठी ही थी....
तभी उस नन्हें ने हलवा खाने की जिद कर दी....

माँ ने उसे पुचकारा और अपनी गोदी में ले लिया.....
फिर पास ही रखे ईटों के चूल्हे का रुख किया....

फिर उसने चूल्हे पर एक छोटी सी कढाई रख दी...
और आग जलाकर कुछ देर मुन्ने को ताकती रही....

फिर बोली बेटा जब तक उबल रहा है ये पानी....
क्या सुनोगे तब तक कोई परियों बाली कहानी...

मुन्ने की आंखें अचानक खुशी से थी खिल गयी....
जैसे उसको कोई मुँह मांगी मुराद ही मिल गयी...

माँ उबलते हुये पानी में कल्छी ही चलती रही....
परियों का कोई किस्सा मुन्ने को सुनाती रही....

फिर वो बच्चा उन परियों में ही जैसे खो गया....
चटाई पर बैठे बैठे ही लेटा और फिर वहीं सो गया.....

माँ ने उसे गोद में ले लिया और धीरे से मुस्कायी.....
फिर न जाने क्यूँ उसकी आंख भर आयी.....

जैसा दिख रहा था वहां पर, सब वैसा नहीं था.....
घर में रोटी की खातिर एक पैसा भी नहीं था....

राशन के डिब्बों में तो बस सन्नाटा पसरा था....
कुछ बनाने के लिए घर में कहाँ कुछ धरा था....

न जाने कब से घर में चूल्हा ही नहीं जला था.....
चूल्हा भी तो माँ के आंसुओं से ही बुझा था......

फिर मुन्ने को वो बेचारी हलवा कहां से खिलाती....
अपने जिगर के टुकड़े को रोता भी कैसे देख पाती.....

अपनी मजबूरी उस नन्हें मन को मां कैसे समझाती....
या फिर फालतू में ही मुन्नें पर क्यों झुंझलाती.....

हलवे की बात वो कहानी में टालती रही.....
जब तक वो सोया नहीं बस पानी उबालती रही.....

ऐसी होती है माँ

नोट: ये रचना मेरी नहीं है, पर मुझे बहुत ही अच्छी लगी तो आप सभी के साथ शेयर करने के लिए यहाँ कॉपी-पेस्ट कर दिया। 

Wednesday, October 14, 2015

माता रानी स्वागत है आपका पूरे एक साल बाद

Maata Rani ka Darbar at Ram Kiroriwal House, 2015
माता रानी का दरबार, नवरात्रि 2015
सर्व मंगल मांगलेय, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्य त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥

शारदीय नवरात्रे यानि माता रानी से मिलने का मौका, वैसे तो माँ सदा बेटे के पास ही होती है पर ये 9 दिन कुछ ख़ास होते है, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक बस माता रानी ही दिलो दिमाग पर छायी रहती है।

आज सुबह जल्दी उठा और तैयारी शुरू करदी माता के आगमन की, अरे भाई माता रानी आने वाली है तो सब कुछ उनके स्वागत में तैयार तो करना ही है, वैसे तो तैयारी रविवार को शुरू हो गयी थी, जो आवश्यक चीजे है पूजा पाठ के लिए उनकी खरीददारी तो पहले ही कर ली थी, तो आज का काम रह गया था माता के लिए आसान सजाना और पूजा की शुरुआत करना।

तो उठते ही तैयारी शुरू, स्नान करने के पश्चात माता का कमरा सजा कर, पोंछा लगा दिया एक काम तो हुआ, अब पूजा के लिए फल एक एक को धोकर शुद्ध करना, फिर अखंड ज्योत का दीपक, कलश, नारियल व् अन्य सामग्री को एक एक कर रखना, अब बचा दूब और पुष्प तोड़कर लाना, रात से ही बारिश हो रही थी पर माँ आ रही है तो बारिश की क्या परवाह, उलटे मन में विचार आया वाह माता रानी दूब और पुष्प तो आप बारिश से धो रही है, तो जल्दी से सीढ़ियों से निचे उतरा कुछ दूर चलने पर गुलाब का पेड़ था और उससे थोड़ी आगे दूब एक एक तार चुनकर फिर फूल लिए और वापस घर की तरफ रवानगी।

और अब शुरू हुआ माँ का आवाहन, अब पूजन करना है तो सर्वप्रथम प्रथम पूजित विघ्न विनाशक गणेशजी महाराज को तो बुलाना ही था तो सर्वप्रथम गणेशजी का आवाहन कर आसान ग्रहण करने की प्रार्थना की और फिर माता रानी का आवाहन एक अजीब सी उमंग और उत्साह था, चेहरे पर मुस्कान तो ह्रदय माँ से मिलने के लिए भाव विभोर माता की तस्वीर को देखते ही फिर चेहरे पर मुस्कान दौड़ पड़ती और फिर बड़े प्यार से माँ को आसान ग्रहण करवाकर जैसे मुझे आती है वैसे पूजा शुरू की।

दिल बहुत खुश है, माँ घर में विराजमान है अब काम पर जाने से पहले रोज माँ को बोलकर जाना माँ मैं जा रहा हूँ और काम पर से आते ही हाथ मुहं धोकर सीधे माँ के दरबार में जाकर बोलना माँ मैं आ गया हूँ, इस सबमे कुछ और ही आनंद की अनुभूति होते है जो शब्दों के जरिये कहना बहुत मुश्किल है।

बस मन कर रहा था आप सबके साथ मेरा ये दिन साँझा करने का तो लिख दिया।
माता रानी अपने सभी बेटो की उनके हित में सभी मुरादे पूरी करे और हमे जीवन की कठिनाइयों से पार होने के लिए शक्ति प्रदान करे, इन्ही शुभ कामनाओ के साथ सभी आगंतुकों को नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये।

जय माता दी॥