एक गाँव में दो जमींदार थे, एक के पास 10 बीघा जमीन थी, तो दूसरा 500 बीघा जमीन का मालिक था।
दोनों ही अपनी अपनी जगह मेहनत करते और अच्छी फसल तैयार करते।
एक साल पानी की कमी के कारण चारों तरफ फसलें बर्बाद हो रही थी लेकिन 10 बीघा जमीन वाले जमींदार ने इस खतरे को समय पर भांप लिया और उसके अनुसार तैयारी शुरू कर दी, फिर चाहे पानी का भंडारण हो या बूँद बूँद सिंचाई और अगर बारिश आये तो उस पानी का भी अलग से भंडारण ताकि समय पर उसे भी काम लेकर फसल को सूखने से बचाया जा सके और अच्छी पैदावार हो सके।
वहीँ दूसरी तरफ 500 बीघा जमींन वाला मालिक अपने घमंड में चूर रोज नए नए कपडे पहनकर अकड़ से गाँव में घूमता और यदि कोई उसे कहता की"भाई देख दूसरे जमींदार को कैसे उन्हें पहले से सारी व्यवस्था ली तुम भी कुछ तैयारी करो"
तो वो कहने वाले की हंसी उड़ाते हुए उस छोटे जमींदार पर भी ताना मारता।
समय निकल गया बड़े जमींदार ने पहले से कोई बंदोबस्त नहीं किया तो फसल सूखने लग गई, थोड़ा बहुत जो उसका इंतजाम था उससे सारी फसल को बचाया नहीं जा सकता था।
अब समय आया फसल कटाई का और अनाज निकलवाने का, छोटे जमींदार की सूझबूझ से उनकी फसल बच गई और शानदार फसल तैयार हुई तो उसके यहाँ 10 बीघा में 50 बोरी (50 क्विंटल) अनाज हुआ, उधर 500 बीघा वाले की आधी से ज्यादा फसल पानी की कमी से सूख गई, जो बची उसमे भी कुछ हिस्से में हल्का अनाज निकला और कुछ हिस्सा जिसे वो बचा पाया में शानदार अनाज निकला और उसके यहाँ भी 90 बोरी (90 क्विंटल) अनाज निकला।
सारे गाँव में ये चर्चा होने लगी की कैसे छोटे जमींदार ने समय रहते सारी तैयारी कर ली थी तो इस अकाल का भी असर उसकी फसल पर नहीं हुआ और उसके यहाँ 50 बोरी अनाज हुआ जबकि बड़े जमींदार ने अपनी फसल पर ध्यान नहीं दिया और उसके यहाँ बहुत सी फसल सूख गई, नष्ट हो गई।
अब बड़े जमींदार के अहंकार को ये कहाँ पसंद था की लोग छोटे जमींदार तारीफ़ करे और बड़े जमींदार को निक्कमा कहे।
तो बड़े जमींदार ने अपने सभी मजदूरों को कहा की सारे गांव में हर जगह इस बात का चर्चा करे की इस साल इतने अकाल के बावजूद भी गाँव में सबसे ज्यादा अनाज का रिकॉर्ड उसके नाम है उसके यहाँ 90 बोरी (90 क्विंटल)अनाज हुआ है जबकि बहुत से लोगो के यहाँ 1 बोरी भी नहीं हुआ और तो और उस छोटे जमींदार के यहाँ भी केवल 50 बोरी (50 क्विंटल) बोरी ही अनाज हुआ है।
जब उठते बैठते सब जगह हर व्यक्ति यहीं सुनने को मिलने लगा की सबसे ज्यादा अनाज बड़े जमींदार के यहाँ ही हुआ है लोगो की जुबान पर यही बात चढ़ गई की इस बार बड़े जमींदार ने अकाल को भी हरा दिया और उसके यहाँ इतना अनाज हुआ जितना किसी के यहाँ नहीं हुआ।
लोग असली बात को सोच ही नहीं पाते थे की उसके यहाँ 500 बीघा में 90 क्विंटल अनाज हुआ है जबकि छोटे जमींदार महज 10 बीघा में 50 क्विंटल अनाज हुआ है।
गाँव के लोग भोले थे उनके सामने जिस तरह की बात पूरे दिन होती सुनाई देती उससे आगे वो सोच भी कहाँ पाते थे और बड़ा जमींदार उसी अकड़ से गाँव में घूमता और अपनी वाह वाही सुनता की कैसे अकाल के बावजूद भी उसके यहाँ सबसे अधिक अनाज हुआ है।
जबकि वो खुद और उसके मजदूर भलिभांति ये बात जानते थे की उस बड़े जमींदार की अयोग्यता के कारण उनकी नजरों के सामने आधी से ज्यादा फसल सूख कर ख़त्म हो गई और वो उस सूखती फसल को बचाने के लिए कुछ नहीं कर पाए क्योंकि उस बड़े जमींदार ने समय रहते छोटे जमींदार की तरह इंतजाम नहीं किया था।
नोट:ये कहानी काल्पनिक है, इसे मोदी सरकार के टीकाकरण अभियान से जोड़कर ना देखा जाए। धन्यवाद