आज जब चुनाव परिणाम आ रहे थे तब तक ऐसा लग रहा था अब खेल पलटेगा, अब आम आदमी पार्टी बढ़त बनाकर बहुमत की तरफ जाएगी।
लेकिन जैसे जैसे काउंटिंग के राउंड बढ़ते गए वैसे वैसे ये उम्मीद केवल उम्मीद ही रह गई और परिणाम कुछ और सामने आये।
आम आदमी पार्टी के प्रमुख चेहरे सबसे काबिल और भरोसेमंद लोग एक के बाद एक की मामूली वोटो के अंतर से हार की खबर सामने आने लगी।
चूँकि लोकतंत्र है जनता का आदेश है तो सर माथे पर लेकिन लोकतंत्र है इसीलिए सवाल भी करने चाहिए और उनके जवाब भी तलाशने चाहिए।
मान सकते है की इतने साल सत्ता में रहने के बाद थोड़ा विरोध बनता है लेकिन इस तरह से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और सबसे काबिल लोगो का हार जाना सवाल तो खड़े करता है!
अब मैं आता हूँ सीधे मुद्दे पर
"ऐसा नहीं लग रहा की ये मैच फिक्सिंग सा है? जैसे कोई बैठा है जिसके पास में लिस्ट है और वो तय कर रहा है की इन इन लोगो को हराना जरुरी है? क्योंकि वो लोग या तो खुद अरविन्द केजरीवाल है या उनके सबसे भरोसेमन्द और सबसे नजदीकी लोगो है तो उनका विधानसभा में होना भाजपा के लिए खतरा है, या उनकी हार से ही भाजपा अपने मनसूबे पार्टी को ख़त्म करना (जो आम आदमी पार्टी के जन्म से देख रहे है) में कामयाब हो सकते है। "
कुल मिलाकर ऐसा लगता है इन सीटों पर भाजपा ने पूरा चक्रव्यूह तैयार किया है चाहे फिर वो वोटर लिस्ट से नाम कटवाना हो, नया नाम जुड़वाना हो या फिर बूथ मैनेजमेंट हो इन सबसे आखिर वो अपने मकसद में कामयाब हो पाए और आम आदमी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई।
अब काफी लोग इस पर अपनी अपनी प्रक्रिया दे रहे है और जैसे हर चुनाव के बाद और चुनाव से पहले मिडिया के कुछ लोग आम आदमी पार्टी के ख़त्म होने की बात करने लगते है वो एक बार फिर से सक्रीय हो गए और अपना वही पुराना राग अलापने लग गए।
लेकिन केवल आपकी जानकारी के लिए बता दूँ, जो भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दवा करती है, जिस भारतीय जनता पार्टी के बेशुमार धन है, बेशुमार संसाधन है, खुद प्रधानमंत्री जिस पार्टी के लिए प्रचार करते हो उस पार्टी को महज 1 -2 साल नहीं पुरे 27 साल इन्तजार करना पड़ा अपनी हार को जीत में बदलने में के लिए।
तो आम आदमी पार्टी तो क्या है जिनके पास ना इतने संसाधन है, ना धन है जिनका शीर्ष नेतृत्व लम्बे समय से जेल में था फिर भी पार्टी ने शानदार चुनाव लड़ा, तगड़ा मुकाबला किया और 70 में से 22 सीटों पर जीत दर्ज की।
मैं इसे हार नहीं मानता, हालांकि चुनाव में सत्ता में नहीं बैठना हार ही होता है तो उस हिसाब से ये हार है लेकिन अगर पिछले तीन २ चुनाव की ही बात करे तो जो दुर्गति भाजपा की हुई वो तो किसी की नहीं हुई जब पूरा देश भजपामयी हो गया था हर तरफ भाजपा दनादन चुनाव जीतते जा रही थी मोदी की लोकप्रियता अपने चरम पर थी तब भी भाजपा को महज 3 सीटों पर संतोष करना पड़ा था और उसके बाद दूसरे चुनाव में जब विश्व की सबसे पड़ी पार्टी ने अपना पूरा दल बल दिल्ली में लगा दिया था तब भी मात्र 7 सीट पर संतोष करना पड़ा तो उस हिसाब से देखे तो एक छोटी सी पार्टी ने भाजपा के पिछले चुनाव की तुलना में 300 प्रतिशत से ज्यादा सीट हासिल की है और उससे पिछले चुनाव में भाजपा की सीटों की तुलना में 800 प्रतिशत अधिक सीट प्राप्त की है और कांग्रेस की तो बात ही क्या करना! भारत की सबसे पुरानी पार्टी दशकों तक सत्ता में रहने वाली पार्टी लगातार तीसरी बार भी दिल्ली में अपना खाता तक खोल पाने समर्थ नहीं है तो इस हिसाब से आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा है।
तो हार से निराश होना स्वाभाविक है लेकिन इतना भी निराश होने की जरुरत नहीं है, हाँ समय है अपनी गलतियों को देखने का, उनसे सिखने का और फिर वापस मैदान में जमकर लड़ने का इस हार को इससे भी बड़ी जीत में बदलकर दिखाने का जो की अरविन्द केजरीवाल को बखूबी आता है।
अब जब इतना लिख ही दिया है मेरे विचार भी लिख देता हूँ की आखिर क्यों ऐसा परिणाम देखने को मिला।
- जो मैंने पहले लिखा भाजपा ने अपनी तरफ से पूरा प्लाट ऐसा तैयार किया की ऐसे परिणाम आ सके (वोटर लिस्ट में उनके नाम कटवाना जिनका पता है की ये आम आदमी पार्टी के कोर वोटर है और नए नाम जुड़वाना जो की भाजपा को ही वोट देने वाले है और EVM तो अपने आप में संशय के घेरे में सदा से रही है जब कांग्रेस सत्ता में थी तब भाजपा भी EVM मशीन में गड़बड़ी की बात करती थी)
- आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं को जेल में डालकर दिल्ली के काम काज रोकना।
- LG के जरिये दिल्ली के हर काम में रोड अटकाना।
- वोटिंग से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के विधायकों को तोडना (उनके पार्टी छोड़ने के लेटर देखंगे तो पता लग जायेगा स्क्रिप्ट एक ही जगह से लिखी गई थी)
- पार्टी के सांसद को तोडना है उससे चुनावों में बहुत निम्नस्तर की गन्दगी करवाना।
- प्लानिंग काफी लम्बे समय से की थी भाजपा ने सही से समझने की कोशिश करेंगे तो आपको साफ़ साफ़ मैच फिक्सिंग नजर आ जाएगी लेकिन माहौल इस तरह का तैयार किया गया की लगे जनता ने हराया है।
और भी कुछ कारण है जिन पर फिर कभी लिखेंगे
आज के लिए इतना ही
"यह हार एक विराम है जीवन महासंग्राम है"
राम किरोड़ीवाल