एक बार फिर भारत ने पहल की और हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान प्रधानमन्त्री को भारत आने न्यौता भेज ही दिया और बहादुरी पडोसी मुल्क के प्रधानमंत्री ने भी दिखाई कि वो हमारे न्योते पर भारत आ गए ।
लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ, ना ही हमारे निमंत्रण पर और ना ही उनके भारत आने पर कहीं पर भी किसी भी प्रकार का कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ, ना ही किसी ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए और ना ही किसी ने कोई धमकी दी, क्या हुआ? इस देश में खुद को हिंदूवादी समझने वाले जो चुनाव के कुछ दिन पहले तक फाड़ फाड़ कर कह रहे थे कि पाकिस्तान से कोई बात नहीं होगी, एक के बदले दस सर लाएंगे वो अचानक से कहाँ गायब गए?
सवाल तो बनता है? आखिर क्या बदल गया इस बार?
हाँ एक बात तो है सरकार बदल गयी, यानि जो लोग भारत पाक के रिश्तोके के खिलाफ हर बार विरोध करते थे, नारे लगाते थे, रास्ते बंद करते थे तत्कालीन सरकार को कायर नामर्द कमजोर बताते थे वो ही लोग अब उस कुर्सी पर बैठ गये है जहाँ बैठकर ये निमंत्रण भेजे जाते है, जो हर सम्भव प्रयास करते है दोनों देशों के बीच शांति बहाल हो।
इसका मतलब विरोध यही लोग करते थे जो आज न्योता भेज रहे है, अरे हाँ जिन्होंने ये निमंत्रण भेजा वो खुद ही तो वोट लेने के लिए बड़े जोर जोर से बोलते थे हम इस देश से कोई बात नहीं करेंगे, सर का बदला सर से लेंगे, एक के बदले दस सर लायेंगे आदि आदि ।
खैर मैं स्पष्ट करदूँ मैं इस निमंत्रण के खिलाफ नहीं हूँ, खिलाफ तो भाजपा के दोगलेपन के हूँ जो उन्होंने कुर्सी मिलते ही दिखाना शुरू कर दिया, बेचारे करोड़ो भारतीयों के साथ गद्दारी की, उन्हें कहा कुछ और ही था वोट लेने के लिए और अब कर कुछ और ही रहे है।
यानि जब जब भी भाजपा के अलावा किसी और सरकार ने पाक के साथ कभी बात करने की कोशिश की तो बीजेपी को सदा ही उससे परेशानी होती थी, नारे, हो हल्ला, प्रदर्शन शुरू हो जाते थे और बेचारी सरकार कुछ नहीं कर पाती थी, यानि भारत पाक मुद्दा ना होते हुए भी बीजेपी ने अपने निजी स्वार्थो के लिए इस मुद्दे को ज़िंदा रखा और जब जब किसी सरकार ने इसे हल करने की कोशिश की तो बीजेपी ने पुरजोर इसका विरोध किया, ताकि इस मुद्दे पर उन्हें वोट मिल सके और अब उन्हें वोट मिल चुके है कम से कम पाँच साल तो उन्हें कोई हिला नहीं सकता तो फिर अपने वादो से पलटने में बीजेपी को कोई परेशानी नहीं।
जो भी लोगो को एक बार फिर अपने वोट के इस्तेमाल पर निराशा ही हाथ लगी ।
देश यो ही चलता रहेगा, हम यो ही चिल्लाते रहेंगे लेकिन करेंगे भाजपा-कांग्रेस की सरकार वही जो वर्षो से करते आये है ।
अब एक आशावादी की तरह यही शुभकामना देता हूँ हमारे प्रधानमंत्रीजी को की देश में शान्ति स्थापित हो इसी में सबका भला है, विरोध केवल बीजेपी करती थी जो की अब सरकार में है तो कोई विरोध नहीं कर रहा खुल कर फैसले ले और दोनों देशो के बीच मित्रता कायम हो ।
वन्दे मातरम