मेरी नजर में किरण बेदी में कोई प्रशासनिक क्षमता नहीं है, हाँ उसमे जो क्षमता मुझे दिखाई दी वो है मौका परस्ती और महत्वाकांक्षी होना और अपनी महत्वाकांक्षा को पूरी करने के लिये वो किसी भी हद तक गिर सकती है ये हाल ही मैं उनके राजनीति में आने के निर्णय से साफ़ झलकता है।
जिस आन्दोलन की वजह से उन्हें दुनिया में पहचान मिली वो इन सभी भ्रष्ट राजनैतिक दलों के भ्रष्टाचार के खिलाफ था और आज वो खुद इन्हीं भ्रष्ट दलों में से एक दल भारतीय जनता पार्टी की सदस्य है।
आखिर कौनसे ऐसे कारण थे जिनकी वजह से उन्होंने अपने जमीर को भी गिरवी रख दिया? शायद पैसा? या फिर उनके द्वारा किया गया ऐसा कोई भ्रष्टाचार जो की बीजेपी के हाथ लग गया और जैसे की अब बीजेपी की सरकार है सम्भवतः बीजेपी ने उन्हें ऑफर रख दिया होगा कि या तो उनकी पार्टी में शामिल हो या फिर उन्हें उस कथित भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा जाएगा।
कुछ तो जरूर हुआ है, वो केवल सेवा करने के लिए तो बीजेपी में नहीं आई है ये काम तो बखूबी वो पार्टी से बाहर रहकर भी कर सकती थी। जो भाजपा अपने सभी पुराने बड़े नेताओ को किनारे करकर किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद सकती है क्या वो किरण बेदी कोई सुझाव बिना पार्टी में शामिल हुए देती तो बीजेपी उस पर गौर नहीं करती क्या? यदि नहीं करती तब तो सवाल बीजेपी पर भी खड़े होते है कि क्या इस देश के नागरिक से भी बड़ी उनके लिए पार्टी हो गयी?
जो कार्यकर्ता भाजपा में वर्षो से अपना खून पसीना बहा रहे थे उनपर एकदम पानी फेर दिया और उन सब नेताओं और कार्यकर्ताओं को ताक पर रखते हुए किरण बेदी को लाकर सबके ऊपर बैठा दिया।
और मजे की बात है की किसी ने इसका खुलकर विरोध भी नहीं किया क्योंकि सबको पता है उसके ऊपर मोदी और अमित शाह का हाथ है और इसका विरोध करना यानी खुद ही अपनी मौत को बुलावा देना।
शुरुआत में मैंने बेदी के प्रशासनिक क्षमताओं पर सवाल खड़ा किया क्योंकि जो मैंने उन्हें जाना है वो शोशल मीडिया पर जाना है और सोशल पर उनका व्यवहार उनकी अपरिपक्वता को दर्शाता है। यदि कोई बेदी से सवाल करले तो वो उन्हें ब्लॉक कर देती है जिससे आप उन्हें सवाल नहीं कर सकते, उनसे बात केवल वो ही कर सकते है जो उनकी प्रशंसा करते हो।
तो क्या कल को वो अपने क्षेत्र में निकलेंगी और कोई उनसे कहेगा मैंने आपको वोट दिया मेरे घर पानी क्यों नहीं आता है तो वो उसे जेल में डाल देंगी क्योंकि यहाँ पर ब्लॉक करने वाला ऑप्शन तो है नहीं तो जरूर वो उन्हें जेल डालेंगी,यानी जनता उन्हें कोई सवाल करेगी तो वो सब को जेल में ब्लॉक कर देंगी?
एक अच्छा प्रशानिक अधिकारी यह नहीं करता,वो जनता के सवाल सुनेगा और उनके सवाल का जवाब देने की कोशिश करेगा, उनकी समस्याओं का निदान करेगा।
सवालों से भागना आपकी कायरता को दर्शाता है नाकि आपकी क्षमताओं को। ।
वन्दे मातरम ॥ जय हिन्द ॥
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