जब भी आम आदमी पार्टी से कोई मिडिया को कुछ बोलता है तो तुरंत भक्तो की गैंग आ जाती है
इसी मिडिया ने तुम्हे खड़ा किया और आज इसके खिलाफ बोल रहे है|
मैं मेरा निजी विश्लेष्ण बताता हूँ, "आम आदमी पार्टी" को मिडिया ने खडा नहीं किया ऐसा मेरा मानना है, उलटे मिडिया ने तो मानो पहले ही दिन से "आप" को खत्म करने की सुपारी ले ली थी, मिडिया ने केवल "आन्दोलन" को पूरी तरह कवर किया था जिस समय आम आदमी पार्टी थी भी नहीं, और उस समय कवर किया गया था केवल और केवल तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रति लोगो में गुस्सा पैदा करने के लिए और वो हुआ भी, उसके बाद जैसे ही पार्टी बनाने की घोषणा हुई तब से मिडिया ने "आप" को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, अन्ना को धोखा दिया, अन्ना साथ नहीं है, अरविन्द को लालच आ गया, सत्ता का लालच आदि आदि|
मुझे तो किसी भी चेनल का कोई भी लाइव नहीं याद आता जिसमे पार्टी बनने के बाद किसी ने अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वाश या पार्टी की तारीफ़ में कसीदे पढ़े हो उलटे किसी ना किसी तरह ये कोशिश की गयी की इनको खत्म कर दिया जाए, रोज रोज टीवी डिबेट में कितने ही लोगो को टोपी पहनाकर बिठा दिया जाता था अन्ना सपोर्टर बनाकर और "आप" के प्रवक्ताओ को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता था| फिर आरोपों की बौछार, आंदोलन को धोखा क्यों दिया, क्या आपकी पहले से यही नियत थी, आंदोलन किसी ने किया मलाई कोई खा गया और ना जाने कितने ही अनगिनत सवाल| क्योंकि आम आदमी पार्टी उस आंदोलन की उपज थी तो उस समय तमाम कोशिशे की गई थी की आंदोलन से सहानुभूति रखने वाले लोग आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल से नफरत करने लगे लेकिन उनके इस बुरा चाहने से थोड़ा बहुत नुक्सान हुआ पर "आप" खत्म नहीं हुई खड़ी हो गई|
किरण बेदी और जनरल वी के सिंह भी इसी आंदोलन से निकले थे उनसे कभी सवाल नहीं किये गए, उन्हें किसी मिडिया हॉउस ने अपने डिबेट में कटघरे में खड़ा नहीं किया की आज उनके मन में लालच आ गया, कुर्सी के लिए मंत्री पद के लिए आंदोलन में आये थे, अन्ना को अकेला छोड़कर बीजेपी के दामन में चले गए| सवाल हुए केवल आम आदमी पार्टी में जो लोग आंदोलन से आ गए उनसे, यदि ये सब भी बीजेपी में चले जाते तो कोई सवाल नहीं होते इनसे|
ये सब मेरी निजी राय/आकलन है.... मुझे कभी भी नहीं लगता की मिडिया ने "आप" का साथ दिया है हाँ उन्होंने खत्म करने की जितनी कोशिश की उससे हमे ये फायदा हुआ की हम उस अवसर का फायदा उठाकर अपनी बात, अपने विचार लोगो तक पहुंचा पाए, उन्होंने खत्म करने की कोशिश की हम आबाद हो गये|
मिडिया आन्दोलन के समय भी बीजेपी के लिए काम कर रहा था और आज भी बीजेपी के लिए काम कर रहा है, वरना जिस आन्दोलन को मिडिया ने इतना उठाया 24 घंटे लाइव किया, आज उसी लोकपाल के लिए मिडिया में 1-2 रविश जैसो को छोड़कर किसी में हिम्मत तक नहीं है ये बताने की कि मोदी सरकार ने लोकपाल का विरोध किया है, SC ने जब लोकपाल की नियुक्ति का आदेश दिया तो SC को ही उलटे जवाब दिया की SC हमारे काम में दखल ना दे यदि सच में मिडिया ने उस समय आन्दोलन का साथ दिया,तो आज मिडिया के पास क्यों समय नहीं इस सरकार से सवाल करने का की लोकपाल की नियुक्ति क्यों नही हो रही? जिस लोकपाल कानून के लिए पूरा देश सड़क पर आ गया था और जिसकी बदौलत भाजपा आज पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ सत्ता में है आज 3 साल होने को आये लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही|
अभी हाल में रविश कुमार ने बहुत शानदार प्रोग्राम किया लोकपाल को लेकर इससे पहले भी १-२ बार रविश ने ये बात उठाई है मानो विपक्ष और जनता की आवाज अब केवल रविश ही हो|
तो जिन्हें भी लगता है "आप" को मिडिया ने खड़ा किया है वो गलतफहमी में है, मिडिया ने कांग्रेस के प्रति गुस्सा पैदा कर मोदी सरकार बनाई है,मिडिया तो पहले दिन से ही "आप" को कटघरे में खड़े किये रखता है और आज भी यही कर रहा है|
मैं मेरा निजी विश्लेष्ण बताता हूँ, "आम आदमी पार्टी" को मिडिया ने खडा नहीं किया ऐसा मेरा मानना है, उलटे मिडिया ने तो मानो पहले ही दिन से "आप" को खत्म करने की सुपारी ले ली थी, मिडिया ने केवल "आन्दोलन" को पूरी तरह कवर किया था जिस समय आम आदमी पार्टी थी भी नहीं, और उस समय कवर किया गया था केवल और केवल तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रति लोगो में गुस्सा पैदा करने के लिए और वो हुआ भी, उसके बाद जैसे ही पार्टी बनाने की घोषणा हुई तब से मिडिया ने "आप" को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, अन्ना को धोखा दिया, अन्ना साथ नहीं है, अरविन्द को लालच आ गया, सत्ता का लालच आदि आदि|
मुझे तो किसी भी चेनल का कोई भी लाइव नहीं याद आता जिसमे पार्टी बनने के बाद किसी ने अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वाश या पार्टी की तारीफ़ में कसीदे पढ़े हो उलटे किसी ना किसी तरह ये कोशिश की गयी की इनको खत्म कर दिया जाए, रोज रोज टीवी डिबेट में कितने ही लोगो को टोपी पहनाकर बिठा दिया जाता था अन्ना सपोर्टर बनाकर और "आप" के प्रवक्ताओ को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता था| फिर आरोपों की बौछार, आंदोलन को धोखा क्यों दिया, क्या आपकी पहले से यही नियत थी, आंदोलन किसी ने किया मलाई कोई खा गया और ना जाने कितने ही अनगिनत सवाल| क्योंकि आम आदमी पार्टी उस आंदोलन की उपज थी तो उस समय तमाम कोशिशे की गई थी की आंदोलन से सहानुभूति रखने वाले लोग आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल से नफरत करने लगे लेकिन उनके इस बुरा चाहने से थोड़ा बहुत नुक्सान हुआ पर "आप" खत्म नहीं हुई खड़ी हो गई|
किरण बेदी और जनरल वी के सिंह भी इसी आंदोलन से निकले थे उनसे कभी सवाल नहीं किये गए, उन्हें किसी मिडिया हॉउस ने अपने डिबेट में कटघरे में खड़ा नहीं किया की आज उनके मन में लालच आ गया, कुर्सी के लिए मंत्री पद के लिए आंदोलन में आये थे, अन्ना को अकेला छोड़कर बीजेपी के दामन में चले गए| सवाल हुए केवल आम आदमी पार्टी में जो लोग आंदोलन से आ गए उनसे, यदि ये सब भी बीजेपी में चले जाते तो कोई सवाल नहीं होते इनसे|
ये सब मेरी निजी राय/आकलन है.... मुझे कभी भी नहीं लगता की मिडिया ने "आप" का साथ दिया है हाँ उन्होंने खत्म करने की जितनी कोशिश की उससे हमे ये फायदा हुआ की हम उस अवसर का फायदा उठाकर अपनी बात, अपने विचार लोगो तक पहुंचा पाए, उन्होंने खत्म करने की कोशिश की हम आबाद हो गये|
मिडिया आन्दोलन के समय भी बीजेपी के लिए काम कर रहा था और आज भी बीजेपी के लिए काम कर रहा है, वरना जिस आन्दोलन को मिडिया ने इतना उठाया 24 घंटे लाइव किया, आज उसी लोकपाल के लिए मिडिया में 1-2 रविश जैसो को छोड़कर किसी में हिम्मत तक नहीं है ये बताने की कि मोदी सरकार ने लोकपाल का विरोध किया है, SC ने जब लोकपाल की नियुक्ति का आदेश दिया तो SC को ही उलटे जवाब दिया की SC हमारे काम में दखल ना दे यदि सच में मिडिया ने उस समय आन्दोलन का साथ दिया,तो आज मिडिया के पास क्यों समय नहीं इस सरकार से सवाल करने का की लोकपाल की नियुक्ति क्यों नही हो रही? जिस लोकपाल कानून के लिए पूरा देश सड़क पर आ गया था और जिसकी बदौलत भाजपा आज पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ सत्ता में है आज 3 साल होने को आये लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही|
अभी हाल में रविश कुमार ने बहुत शानदार प्रोग्राम किया लोकपाल को लेकर इससे पहले भी १-२ बार रविश ने ये बात उठाई है मानो विपक्ष और जनता की आवाज अब केवल रविश ही हो|
तो जिन्हें भी लगता है "आप" को मिडिया ने खड़ा किया है वो गलतफहमी में है, मिडिया ने कांग्रेस के प्रति गुस्सा पैदा कर मोदी सरकार बनाई है,मिडिया तो पहले दिन से ही "आप" को कटघरे में खड़े किये रखता है और आज भी यही कर रहा है|