पूर्वी लद्दाख में जो हुआ, इसको लेकर आपने रक्षा मंत्री जी और विदेश मंत्री जी को सुना भी और Presentation को भी देखा । न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) June 19, 2020
दो किसान थे, दोनों की जमीन एक दुसरे से सटी हुई थी, दोनों ही अपने आप में काफी सामर्थ्यवान थे
जहाँ दोनों की सीमाए लगती थी वहां कभी कभी दुसरे किसान के बेटे इधर वाले किसान के खेत में घुस आते थे, फिर इधर वाले किसान के बेटे उन्हें समझा देते की भाई सीमा वहां पर आप हमारे खेत में घुस आये हो, कई बार बोलने पर मान जाते थे, कई बार थोड़ी तू तू मैं मैं हो जाती तो कई बार बड़ो को बीच में आना पड़ता लेकिन आखिर बात सुलट जाती थी, दुसरे वाले किसान के बेटे अपने खेत में चले और इधर वाले तो अपने खेत में थे ही।
जिंदगी चलती रही दोनों किसान खूब तरक्की करते रहे।
लेकिन अचानक से दोनों किसानो के बीच सम्बन्ध बढ़ने लगे, उधर वाला किसान इधर वाले किसान के घर आया तो इधर वाले किसान ने अपने बेटो से उस किसान की खूब आव भगत करवाई, उसकी जय जयकार के नारे लगवाये उसे मीठे मीठे पकवान खिलाये, झूला झुलाया, यहाँ तक की अपने बेटो को मजबूर कर दिया उस किसान के चेहरे के मास्क पहनकर उसके सामने बैठकर उसे खुश करने के लिए।
यहाँ तक की घर के एक काम करने वाले के मुहं से उधर वाले किसान के नाम का सही उच्चारण नहीं हुआ तो उसे नौकरी तक से निकाल दिया।
पूरे परिवार ने ये सब किया क्योंकि सबको लगता था की आपसी सम्बन्ध अच्छे हो तो दोनों की किसानो के लिए अच्छा है।
इधर वाला किसान बड़ी शान से सबको बताता कि उधर वाले किसान के साथ उसकी दोस्ती कितनी गहरी है, दोनों की बीच मिलने का सिलसिला जारी रहा।
एक दिन फिर से वैसा ही हुआ जो पहले होता था उधर वाले किसान के बेटे इधर वाले किसान की जमीन में घुस आये, और सदा की तरह इधर वाले किसान के बेटे उन्हें समझाने लगे की आप हमारी जमीन में आ गये हो, बात ज्यादा बढ़ गई और नौबत हाथा पाई पर आ गई, उधर वाले किसान के बेटे आक्रामक हो गए और इधर वाले किसान के कुछ बेटे इस झगड़े में मारे गए।
इधर वाले किसान के बेटे आश्वस्त थे की उनका बाप उधर वाले किसान को सबक सिखाएगा, लेकिन ये क्या इधर वाला किसान तो उधर वाले किसान की भाषा बोलने लग गया।
इधर वाले किसान ने अपने बेटो को कहाँ कि "उधर वाले किसान के बेटे ना तो हमारी जमीन में घुसे है, ना हमारी जमीन पर कब्जा किया है"
अब इधर वाले किसान के बेटे तो वैसे ही अपने परिवार के सदस्य की मौत से दुखी थे, ऊपर से उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था की उनके बाप ने उधर वाले किसान की भाषा क्यों बोली, जिस जमीन को सदा वो अपनी समझकर उसकी हिफाजत करते आये उसके लिए उन्ही का बाप ऐसा क्यों बोल रहा है?
अब जब इधर वाले किसान ने जो कहा उसका पता उधर वाले किसान को चला तो वो सीना चौड़ा करके उस जमीन पर अपना हक़ ये बोलकर जताने लग गया की इधर वाले किसान ने खुद कहा की जहाँ पर मेरे बेटे खड़े थे वो जमीन उसकी है ही नहीं।
दुनियाँ से शिकायत क्या करते जब तूने हमें समझा ही नहीं
गैरों को भला क्या समझाते जब अपनों ने समझा ही नहीं।
जो शहीद हुए है उनकी जरा याद करो कुर्बानी |
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