तब मेसेज भेजना आज की तरह फ्री नहीं था, ना ही सबके पास स्मार्टफोन और इंटरनेट होता था।
जिसे भी मेरा SMS मिलता वो उसकी प्रशंसा भी करता, मेरे विचारो की तारीफ़ करता या यों कहे की कई दोस्त तो मेरे SMS का इंतज़ार करते थे की इस बार क्या लिखकर भेजेगा।
आज भी स्वतंत्रता दिवस था, मेसेज भी फ्री है और लिखकर भेजना भी बहुत आसान है लेकिन मन में वो उत्साह नहीं था, कुछेक दोस्तों के मेसेज के जवाब के अतिरिक्त किसी को चलाकर मेसेज नहीं भेजा।
पिछले कुछ साल में बहुत कुछ बदल गया, पहले देशभक्ति का अर्थ वतन से प्यार ही होता था, सत्ता से हर रोज सवाल करते थे, महंगाई पर सरकार के खिलाफ बोलते थे पुतले जलाते थे, यदि कही कोई अवव्यस्था होती थी तो प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते थे ये सब तब देशभक्ति की श्रेणी में ही आता था।
अब देशभक्ति के मायने बदल गए, सरकार से सवाल करना देशद्रोह कहलाता है,सरकार के किसी निर्णय का विरोध करना देश के खिलाफ बोलना होता है, सीमा पर मेरे ही भाई बहन शहीद हो और उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए बोलने पर उसे शहीदों/सैनिको का अपमान समझा जाने लगा है।
अब देशभक्ति का अर्थ है दूसरे देश को गालियां निकालों, यदि मैं केवल अपने देश ही प्यार करू तो उसे देशभक्ति में शामिल नहीं किया जाता, जब तक की मैं बार बार अपने कथन से पलटने वाली सरकार के अनुसार दूसरे देश को गाली ना निकालूँ, अपने देश के नागरिकों में से कुछ एक को गद्दार न कह दूँ, या उन्हें पाकिस्तान चले जाओ कहकर धमका नहीं दूँ, या फिर ये साबित नहीं कर दूँ की वो भारत में जन्म लेकर भी पाकिस्तानी है तब तक मेरी देशभक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगा रहता है।
तो आज मेरा मन विचलित सा था, सवालों से उलझा हुआ था, किसे स्वतंत्रता दिवस की बधाई दूँ, उन्हें जिन्होंने आजादी गिरवी रखकर गुलाम रहना स्वीकार कर लिया।
"गुलाम" हाँ, गुलाम ही तो है यदि आप बढ़ती महंगाई पर 5-6 पहले तक बोलते थे और आज नहीं बोल पा रहे तो क्यों न इसे गुलामी कहा जाए।
जब आपके बच्चे को अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही हो, या फिर शिक्षा महंगी हो और आप केवल इसीलिए चुप रहते है की अब सरकार से इस पर सवाल करने का मतलब देश के खिलाफ बोलना है तो फिर ये गुलामी ही तो है।
और सबसे बड़ी बात आजकल जो एक नई प्रजाति पैदा हुई है जो हर किसी को पकड़कर बोलती है बोल "वन्दे मातरम" यदि कोई तुम्हे पकड़कर कहे की ये बोल और नहीं बोलो आपके साथ बदतमीजी से लेकर हाथापाई और कई बार हत्या तक की नौबत आ जाए तो कैसे कह सकते हो की तुम आजाद हो, ये तो गुलामी ही हुई ना।
बस इन्ही सवालों से पूरे दिन जूझता रहा और इस बार का स्वतंत्रता दिवस बीत गया।
इस बार मैं वो सन्देश नहीं भेज पाया जो हर बार भेजता था।
उम्मीद है अभी भी मैं देशभक्त ही कहलाऊंगा।
जय हिन्द
जय भारत
वन्दे मातरम
लेखक का नाम नहीं लिखा है
ReplyDeletelekhak me hi hu to kisi ka name kaise likhu :-)
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