Friday, June 20, 2014

मोदी का हिंदी के साथ खिलवाड़ - Modi playing with emotion of Indians and Hindi

मोदी का हिंदी के साथ खिलवाड़

राष्ट्रवाद, जातिवाद, धर्म की छवि बने बीजेपी और नरेंद्र मोदी बहुत से मुद्दो को लेकर सरकार में आये |

जब सत्ता संभाली तो इन सभी मुद्दो जिन पर वो चुनाव जीतकर आये है अभी तक एक भी काम नहीं किया, ऐसे लगता है जैसे बीजेपी और मोदी सरकार अपने हर वादे पर उलटे पाँव लौट रही है और अब उन्हीं के वोट बैंक में कुछ कमी आने लग गयी है तो लोगो को फिर से बेवकूफ कैसे बनाया जाए बिना अम्बानी अडानी को नुक्सान पहुंचाए तो एक अच्छा सी चाल उनके कुटिल दिमाग में आ ही गयी "हिंदी" हिंदी हिन्दुस्तान की माँ है और ये क्या बीजेपी और मोदी ने तो इसी माँ के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया?

बहुत अच्छा निर्णय है हिंदी को बढ़ावा देने का मैं इसका विरोध नहीं कर रहा है पर ये समझाने की कोशिश कर रहा हूँ की कैसे ये बीजेपी और मोदी की एक कुटिल चाल है लोगो को बेवकूफ बनाने के लिए |

मोदी कभी हिंदी से प्रेम नहीं करते और अब जो कर रहे है वो केवल और केवल दिखावे के लिए कर रहे है |

गुजरात विधानसभा

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि यदि मोदी को हिंदी से प्यार होता तो बताओ उन्होंने गुजरात में हिंदी के लिए क्या किया? गुजरात विधानसभा की वेबसाइट केवल दो ही भाषाओ में उपलब्ध है गुजराती और अंग्रेजी यानी मोदी के लिए अंग्रेजी हिंदी से भी बड़ी हो गयी?
यदि उन्हें हिंदी की इतनी ही चिंता थी तो आज तक गुजरात में हिंदी के लिए कुछ क्यों नहीं किया?



Blog Narendra Modi
चलो ये तो सरकारी है, नरेंद्र मोदी ब्लॉग भी लिखते है उसमे क्यों वो केवल अंग्रेजी में लिखते है? कभी हिंदी में नहीं लिखा? तो क्या मोदी के लिए हिंदी माँ केवल खिलवाड़ करने के लिए है और अंग्रेजी से मोदी को प्यार है?
मोदी सोशल नेटवर्क पर भी है और सब जगह केवल अंग्रेजी काम में लेते है तो ये सब क्या साबित करता है? मोदी का हिंदी के लिए आदर या हिंदी के साथ खिलवाड़?


जो आदमी हिंदी को सम्मान देने की बात करता है वो खुद तो उसका हर रोज अपमान कर रहा है |

ये तो वही हो गया की आप दूसरों को कहे की रोज सुबह अपने माता पिता की चरण स्पर्श करे और खुद उठते ही माता पिता को दो चार गालिया निकालते हो |

अब कोई आपको ये कहते सुने की माता पिता के चरण स्पर्श करने चाहिए तो जरूर यही कहेगा की देखो कितना आदर्शवादी इंसान है पर आपकी करतूत को भी तो कोई जाने |


हिंदी को सम्मान के लिए आपके आदेश की जरुरत नहीं है प्रधानमंत्रीजी, उसे अपनाओ सबसे पहले अपने जीवन में अपनाओ और लोगो को दिखाओ की आपने अपनाया लोग स्वतः ही उसे अपना लेंगे |

तो ये हिंदी के नाम पर नाटक करना बंद करे और कृपया हिंदी माँ के साथ खिलवाड़ ना करे |

मेरा उद्देश्य किसी को आहात करना नहीं है और यदि मेरे इस लेख से किसी को चोट पहुंचती है तो क्षमा चाहता हूँ पर सच्चाई तो आपके सामने रख ही सकता हूँ |

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