Wednesday, June 11, 2014

आसाराम बलात्कार प्रकरण में अहम गवाह की हत्या

Aasaaram baapu 
आसाराम प्रकरण बहुत लम्बे समय से हमारे सामने है, कुछ भी नया नहीं है और जिस तरह से आसाराम के खिलाफ गवाही देने वालो को डराया धमकाया जा रहा है वो भी सबको ज्ञात है । 

पिछले महीनों में आसाराम के खिलाफ गवाही देने वालो पर बहुत बार हमले हुए, उन्हें डराया जा रहा है की किसी भी तरह से वो आसाराम के खिलाफ गवाही ना दे लेकिन इस बार जो कुछ हुआ वो एक सोचे समझे षडयंत्र का हिस्सा लग रहा है । 

और षडयंत्र है आसाराम को गवाहों के अभाव में बाइज्जत बरी करवाने का । 

इसी के तहत दिनाँक 10 जून  2014, मंगलवार को आसाराम के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक अहम गवाह (अमृत प्रजापति) को जान से मार दिया गया । 

हालांकि अमृत प्रजापति बहुत वर्षो से आसाराम के काले कारनामो के खिलाफ आवाज उठाते आ रहे है लेकिन गत 23 मई को गुजरात के राजकोट में उन्हें गोली मर दी गई इसके बाद उनका अलग अलग अस्पताल में इलाज हुआ लेकिन सब व्यर्थ रहा अंततः मंगलवार 10 जून  को उनका देहावसान हो गया । 

हो सकता है इसमें कुछ भी ऐसा ना हो जो मैं सोच रहा हूँ लेकिन फिर भी सवाल तो पैदा हो ही जाते है । 

वर्षो से अमृत प्रजापति आसाराम के खिलाफ आवाज बुलंद किये हुए है । 

Amrit Prajaapti
आसाराम प्रकरण में अमृत प्रजापति एक अहम गवाह है । 
पिछले महीनो में कई गवाहों पर हमले किये गए । 
तो क्या प्रशाशन की जवाबदेही नहीं थी अमृत प्रजापति को सुरक्षा मुहैया करवाना?
चलो माना चूक हो गयी प्रसाशन से तो जब उन पर गोली लगी लेकिन क्या उसके बाद प्रसाशन की जिम्मेदारी नहीं थी उन्हें उचित चिकित्सा उपलब्ध करवाना?
और उससे भी बड़ा सवाल बनता है समय को लेकर । 
जब बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिल गया और नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद के शपथ की घोषणा हो चुकी उसके बाद उन पर हमला होना । 
हमला गुजरात में होना और गुजरात पुलिस द्वारा अब तक भी हत्यारे को नहीं पकड़ना । 

बहुत से सवाल खड़े हो जाते है । 

अमृत प्रजापति को मारना इसीलिए जरुरी था की वो केवल बलात्कार प्रकरण ही नहीं बल्कि आश्रम में होने वाली हर काली करतूत के बारे में जानता था, वो हर एक राज से वाकिफ था और उसकी गवाही आसाराम उसके बेटे नारायण साईं और आश्रम सबकी पोल खोल सकती थी, यदि वो केवल बलात्कार की घटना का ही गवाह होता तो इतना अहम नहीं था क्योंकि यदि जिसने बलात्कार का आरोप लगाया है उसे ही चुप करवा दिया जाए तो अमृत प्रजापति की गवाही कोई मायना नहीं रखती लेकिन वो तो आश्रम में होने वाली हर काली करतूत का प्रत्यक्ष गवाह था । 

तो कहीं ना कहीं ये मेसेज देने की कोशिश की गयी की देखो आसाराम के खिलाफ गवाही देने पर ये हाल होगा, अब सारे काले कारनामो का अहम गवाह नहीं रहा और अन्य गवाह इसी डर से शायद कोर्ट ही ना आये और आसाराम को गवाहों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया जाए । 

हो सकता है अब अन्य गवाहों को खरीद लिया जाए और वे अब कोर्ट में आसाराम के खिलाफ गवाही देने के बजाय ये गवाही दे दे की वो सब अब तक ये ऐसा कर रहे थे क्योंकि अमृत प्रजापति उनसे ये करवा रहा था, उसका आसाराम से झगड़ा हो गया था और वो आश्रम से अलग हो गया तब से वो आसाराम से बदला लेना चाहत था और इसके लिए प्रजापति ने इन सब गवाहों को आसाराम के खिलाफ गवाही देने पर मजबूर कर दिया । 

अगर ऐसा होता है तो हमारे कानून पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग सकता है । 

इस पूरे प्रकरण में यदि कोई गैर जिम्मेदार है तो वो है प्रसाशन, गुजरात में बीजेपी की सरकार है और अब तो देश में भी बीजेपी की सरकार है प्रसाशन की जिम्मेदारी थी अमृत प्रजापति और उनके ही जैसे अन्य सभी गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करवाना और जब प्रजापति को गोली लगी तो उनका उचित इलाज करवाना, और कम से कम प्रजापति को गोली लगने के बाद उनका बयान रेकॉर्ड करना जिससे आसाराम के खिलाफ उसकी गवाही कोर्ट में पेश की जा सकती । 

कहीं ना कहीं प्रसाशन की मिली भगत लगती है आसाराम को जेल से बाहर लाने में । 

खैर ये सब केवल मेरे मन में उठ रही शंकाए है हो सकता है इनमे अंश मात्र भी सच्चाई ना हो यदि ऐसा होता है तो मैं अपने लिखे हुए शब्दों के लिए पहले से ही माफ़ी मांगता हूँ, लेकिन फिर भी बार बार ये सवाल मन को झकझोरता है की बीजेपी के सत्ता में आते ही ऐसा क्यों हुआ की आसाराम के खिलाफ बने अहम गवाह को जान से मार दिया गया और जिस गुजरात की मोदीजी इतनी तारीफ़ करते है उस गुजरात पुलिस से अभी तक हत्यारों को पकड़ा नहीं गया हो?

Aasaaram baapu, baapu, Naaraayan saai, Ashram, Amrit prajaapati, GAvaah, Witness, Died, mout, hamlaa, Goli, Gavaah ki hatyaa, Gujraat, Rajkot, BJP, Narendra modi, Chikitsaa, Gujraat police

No comments:

Post a Comment