प्यारे दिल्लीवासियों,
बहुत दिनों से आपसे एक बात कहने का मन कर रहा था, आशा करता हूँ कि आप सब तक मेरी बात पहुँच सकेगी |
समय चुनावों का है तो मैं भी इसी सन्दर्भ में बात कहना चाहता हूँ,
अभी दिल्ली के चुनावी मैदान में मुख्य रूप से तीन पार्टी है, १. भाजपा २. कांग्रेस ३. आप
आज से 4 महीने पहले ये परिस्थितियां नहीं थी जो आज है, और इसीलिए मैं आज ये बात आपसे कहना चाहता हूँ |
आज दिल्ली मैं माहोल परिवर्तन का बना हुआ है, लेकिन अभी भी एक वर्ग है जो इस डर मैं है कि क्या पता क्या होगा, कहीं मेरा वोट ख़राब तो नहीं हो जायेगा?
मैं आपको एक उदाहरण देना चाहूँगा, इटली के लोकसभा चुनाओ का जो इसी वर्ष हुए थे |
जैसे भारत मैं आम आदमी पार्टी ने राजनीति को बदलने और bhrashtachar को मिटने के लिए एक आंदोलन छेड़ रखा है और उसी आंदोलन से आम आदमी पार्टी का गठन भी किया है और आज उसी सपने को पूरा करने वो चुनावी मैदान मैं भी है, ठीक इसी प्रकार इटली में एक ऐसा ही आंदोलन और इन्ही मुद्दो पर एक पार्टी बनी बेप्पे ग्रिलो कि "मोविमेन्टो 5 स्टेले" सभी लोग उनको बहुत ध्यान से सुनते भी थे और सभी को आशा भी थी कि जरुर ग्रिल्लो की मोविमेन्टो 5 स्टेले परिवर्तन लाकर रहेगी और भ्रष्टाचार को मिटा कर रहेगी, लेकिन जब वोटो का समय आया तो जो एक वर्ग घबराया और डरा हुआ था कि कही मेरा वोट खराब ना हो जाए ने सोचा की ग्रिल्लो तो अच्छा है, उसकी सोच भी अच्छी है, हमें उस पर कोई शक नहीं है लेकिन क्या पता उसे बहुमत मिलेगा या नही और यदि उसे बहुमत नहीं मिला तो शायद हमारा वोट खराब हो जायेगा और ऐसा सोचकर एक बहुत बड़े बुद्धिजीवी वर्ग ने ग्रिल्लो को वोट ना देकर वाही पुरानी पार्टियों को वोट दे दिया, और साथियों जानते हो नतीजा क्या निकला?
दो बड़ी पुरानी पार्टी और एक ग्रिल्लो कि पार्टी तीनो पार्टियों को बराबर बराबर सीटे मिली, पूर्ण बहुमत किसी को नहीं मिला, अब जो एक वर्ग डरा हुआ था वो बहुत पछता रहा था, वो अब कह रहे थे, हमें पता नहीं था कि ऐसा होगा, वरना वोट ग्रिल्लो को ही देते और आज ग्रिलो कि सरकार होती !
अंततः सरकार बनाने के लिए बहुमत चाहिए तो जैसे आम आदमी पार्टी कह रही है कि हम सरकार बनाने के लिए समझोता किसी से नहीं करेंगे वैसे ही ग्रिलो कि पार्टी ने भी यही कहा था कि हम सरकार बनाने के लिए समझोता किसी से नहीं करेंगे तो बहुत प्रयाश किये गए आखिरकार जो दो बड़ी पार्टी थी आप मान सकते है भाजपा और कांग्रेस वो एक हो गयी और वो ही नहीं बाकी अन्य छोटे मोटे दल सभी एक हो गए केवल एक ही उद्देश्य से कि ग्रिलो को बाहर रखना है | अब ग्रिल्लो के तीस फीसदी सांसद होने के बावजूद भी वो कुछ नहीं कर पा रहा, उनके सांसदो को संसद मैं बहुत बार तो बोलने भी नहीं दिया जाता और इस प्रकार धीरे धीरे इन महीनों में इन बड़ी पार्टियों ने ग्रिलो कि पार्टी का मजाक भी बनाना शुरू कर दिया कि देख लो जो कहते थे हम बदल देंगे, हम बदल देंगे.... क्या किया? इन्होने क्या बदल दिया आदि आदि....
समय चुनावों का है तो मैं भी इसी सन्दर्भ में बात कहना चाहता हूँ,
अभी दिल्ली के चुनावी मैदान में मुख्य रूप से तीन पार्टी है, १. भाजपा २. कांग्रेस ३. आप
आज से 4 महीने पहले ये परिस्थितियां नहीं थी जो आज है, और इसीलिए मैं आज ये बात आपसे कहना चाहता हूँ |
आज दिल्ली मैं माहोल परिवर्तन का बना हुआ है, लेकिन अभी भी एक वर्ग है जो इस डर मैं है कि क्या पता क्या होगा, कहीं मेरा वोट ख़राब तो नहीं हो जायेगा?
मैं आपको एक उदाहरण देना चाहूँगा, इटली के लोकसभा चुनाओ का जो इसी वर्ष हुए थे |
जैसे भारत मैं आम आदमी पार्टी ने राजनीति को बदलने और bhrashtachar को मिटने के लिए एक आंदोलन छेड़ रखा है और उसी आंदोलन से आम आदमी पार्टी का गठन भी किया है और आज उसी सपने को पूरा करने वो चुनावी मैदान मैं भी है, ठीक इसी प्रकार इटली में एक ऐसा ही आंदोलन और इन्ही मुद्दो पर एक पार्टी बनी बेप्पे ग्रिलो कि "मोविमेन्टो 5 स्टेले" सभी लोग उनको बहुत ध्यान से सुनते भी थे और सभी को आशा भी थी कि जरुर ग्रिल्लो की मोविमेन्टो 5 स्टेले परिवर्तन लाकर रहेगी और भ्रष्टाचार को मिटा कर रहेगी, लेकिन जब वोटो का समय आया तो जो एक वर्ग घबराया और डरा हुआ था कि कही मेरा वोट खराब ना हो जाए ने सोचा की ग्रिल्लो तो अच्छा है, उसकी सोच भी अच्छी है, हमें उस पर कोई शक नहीं है लेकिन क्या पता उसे बहुमत मिलेगा या नही और यदि उसे बहुमत नहीं मिला तो शायद हमारा वोट खराब हो जायेगा और ऐसा सोचकर एक बहुत बड़े बुद्धिजीवी वर्ग ने ग्रिल्लो को वोट ना देकर वाही पुरानी पार्टियों को वोट दे दिया, और साथियों जानते हो नतीजा क्या निकला?
दो बड़ी पुरानी पार्टी और एक ग्रिल्लो कि पार्टी तीनो पार्टियों को बराबर बराबर सीटे मिली, पूर्ण बहुमत किसी को नहीं मिला, अब जो एक वर्ग डरा हुआ था वो बहुत पछता रहा था, वो अब कह रहे थे, हमें पता नहीं था कि ऐसा होगा, वरना वोट ग्रिल्लो को ही देते और आज ग्रिलो कि सरकार होती !
अंततः सरकार बनाने के लिए बहुमत चाहिए तो जैसे आम आदमी पार्टी कह रही है कि हम सरकार बनाने के लिए समझोता किसी से नहीं करेंगे वैसे ही ग्रिलो कि पार्टी ने भी यही कहा था कि हम सरकार बनाने के लिए समझोता किसी से नहीं करेंगे तो बहुत प्रयाश किये गए आखिरकार जो दो बड़ी पार्टी थी आप मान सकते है भाजपा और कांग्रेस वो एक हो गयी और वो ही नहीं बाकी अन्य छोटे मोटे दल सभी एक हो गए केवल एक ही उद्देश्य से कि ग्रिलो को बाहर रखना है | अब ग्रिल्लो के तीस फीसदी सांसद होने के बावजूद भी वो कुछ नहीं कर पा रहा, उनके सांसदो को संसद मैं बहुत बार तो बोलने भी नहीं दिया जाता और इस प्रकार धीरे धीरे इन महीनों में इन बड़ी पार्टियों ने ग्रिलो कि पार्टी का मजाक भी बनाना शुरू कर दिया कि देख लो जो कहते थे हम बदल देंगे, हम बदल देंगे.... क्या किया? इन्होने क्या बदल दिया आदि आदि....
तो मेरा आपसे अनुरोध यही है कि इस बार आम आदमी पार्टी को मौका दे, उस पर पूर्ण भरोसा करे, और भारी बहुमत के साथ आम आदमी पार्टी को विधान सभा में पहुचाये, और फिर देंखे कि वो क्या कर सकते है, आखिर एक बार उन्हें परखना तो चाहिए ना !!!
हम बिना उन्हें मौका दिए कैसे सोच सकते है कि वो कर पाएंगे या नहीं !!!
और सबसे बड़ी बात ये है, बाकी दो बड़ी पार्टी जो मैदान मैं है उन्हें आप और हम वर्षो से देख रहे है, वे हमे वो सब कुछ नहीं दे सके और ये पार्टी हमे आशा कि नयी किरण दिखा रही है तो जरुर एक बार इन पर भरोषा करना चाहिए |
ध्यान रहे जो इटली में हुआ वो ना हो जाए और इसीलिए सभी वोट देने जाए और दिल्ली में माहोल बना हुआ है, आम आदमी पार्टी का तो इस पार्टी को पूर्ण बहुमत से विजयी बनाये |
धन्यवाद आप सबने अपना अमूल्य समय दिया और मेरे लिखे को पढ़ा
और सबसे बड़ी बात ये है, बाकी दो बड़ी पार्टी जो मैदान मैं है उन्हें आप और हम वर्षो से देख रहे है, वे हमे वो सब कुछ नहीं दे सके और ये पार्टी हमे आशा कि नयी किरण दिखा रही है तो जरुर एक बार इन पर भरोषा करना चाहिए |
ध्यान रहे जो इटली में हुआ वो ना हो जाए और इसीलिए सभी वोट देने जाए और दिल्ली में माहोल बना हुआ है, आम आदमी पार्टी का तो इस पार्टी को पूर्ण बहुमत से विजयी बनाये |
धन्यवाद आप सबने अपना अमूल्य समय दिया और मेरे लिखे को पढ़ा
वंदे मातरम
मेरी भी आँखों में एक सपना है "भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त देखने का"
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