बहुत दिनों से राजनीति में दो ही नाम थे राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी और दोनों की मीडिया का बहुत अच्छा कवरेज मिलता है, तो दोनों के ही सम्बोधन सदैव सुनता हूँ, लेकिन आज जब जंतर मंतर से अरविन्द केजरीवाल को सुना तो लगा कुछ तो है इसकी बातो में, कितना निश्छल, कितना निर्मल, एक एक शब्द जैसे कान से प्रवेश करके ह्रदय में समाता जा रहा हो, कही कोई अहंकार नहीं, इतनी बड़ी जीत के बाद भी वैसा का वैसा, मैं सोच रहा था शीला दीक्षित को हरा दिया तो जरुर कुछ तो गुरुर में बोलेगा, मगर नहीं आज भी वही सीधा साधा अरविन्द बोल रहा था, कुछ शब्द जो मेरे दिल को छू गये यहाँ लिख रहा हूँ,
"कुछ लोग कह रहे है हम आज जश्न मनाने यहाँ इकट्ठे हुए है"
"हम कैसे जश्न मना सकते है?"
"जब तक इस देश के अंदर भ्रष्टाचार रहेगा"
"जब तक इस देश के अंदर गरीबी रहेगी"
"जब तक इस देश के अंदर भुखमरी रहेगी"
"जब तक इस देश के अंदर लोग अशिक्षित रहेगे"
"जब तक इस देश के अंदर लोगो को पीने का पानी नहीं मिलेगा"
"जब तक इस देश के अंदर लोगो को स्वास्थ्य सेवाए नहीं मिलेगी"
"हम जश्न नहीं मना सकते"
"कोई चुनाव जीत के सता में आना हमारा मकसद थोड़े ही था"
"इस देश को एक ना एक दिन भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाकर ही रहेग"
"अभी लड़ाई शुरू हुयी है, अभी बहुत लम्बा सफ़र तय करना बाकी है"
"यहाँ पर हमारे जितने साथी बैठे है, विधायक बने है, मैं उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करूंगा घमंड में मत आ जाना"
"आज हम लोगो ने बीजेपी और कांग्रेस वालो का अहंकार तोड़ा है, कल ऐसा ना हो कि आम आदमी को खड़ा होकर हमारी पार्टी का अहंकार तोड़ना पड़े"
"आप लोगो के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है लोगो ने, आपको नेता नहीं बनना, आपको विधायक नहीं बनना, आपको लोगो की सेवा करनी है और आज से ही लग जाओ लोगो की सेवा करने में"
"मुझे पता चला की कुछ जगहो पर जश्न मनाया गया, पटाके चलाये गये
"मुझे पता चला की कुछ जगहो पर जश्न मनाया गया, पटाके चलाये गये
किस चीज का जश्न मना रहे है हम लोग?
किसकी जीत हुयी है, हमारी जीत हुयी है क्या?
इस देश के लोगो की जीत हुयी है, और आपका काम पटाखे फोड़ने का नहीं है, हमारा काम है जनता के बीच जाकर जनता की सेवा करना"
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