Monday, December 2, 2013

Anna Hajaare not with Arvind Kejrivaal Aam adami party - Delhi Election

वाह क्या बात है तो इन सत्ताधारियो ने एक और दांव चल ही दिया, और चलेंगे भी क्योंकि सदियों से चली आ रही उनकी ये राजाशाही, जनता के पैसो से उनके ठाठ बाठ ये सब छीनने वाले है और उन्हें छीनने वाले की खिलाफ अपना पूरा दम ख़म लगा देना ये तो उनका अधिकार बनाता है, लेकिन बात अब आ जाती है जनता है, वाही जनता जो ये सब खुली आँखों से देख रही है, वही जनता जो देख ही नहीं रही बल्कि वर्षो से सब कुछ सहन करते आ रहे है |

आज जो कुछ दिल्ली में हो रहा है, उसे देखकर मुझे बॉलीवुड की उन फिल्मो की याद आ गयी जब एक जमीदार पुरे गाँव को अपने कब्जे मैं रखता था और फिर कोई एक उसके खिलाफ आवाज उठाता तो वो सब कुछ करता उसकी आवाज को दबाने के लिए, यही सब कुछ तो हो रहा है दिल्ली मैं |
क्या खूब अब ये सत्ताधारी, जिनमे से आधे लोग बलात्कारी, हत्यारे है (ये मैं नहीं कह रहा, ADR की रिपोर्ट कर कह रही है, कोई भी व्यक्ति जाकर ADR की वेबसाइट पर खुद देख सकता है) ये उस गाँधीवादी परम सम्माननीय अन्ना हजारे को भी ले आये, और वो भी किस बात के लिए की कैसे भी करके लोगो को  ये विशवास दिला दे की केजरीवाल जो कर रहा है वो गलत कर रहा है?
अच्छा!! मानता हूँ कि राजनितिक पार्टी मैं अन्ना हजारे "आम आदमी पार्टी" के सदस्य नहीं है, लेकिन मुझे अच्छी तरह याद है अन्ना हजारे का वो व्यक्तव्य जो उन्होंने मीडिया को एक सवाल के जवाब में दिया था, वो सवाल उनसे तब पूछा गया था जब युग पुरुष अरविन्द केजरीवाल 15 दिनों के अनशन पर बैठे थे और परम सम्माननीय गांधीवादी अन्ना हजारे, अरविन्द से अनशन तोड़ने की अपील करने गए थे ! सवाल कुछ इस प्रकार था:


"संवाददाता : आप केजरीवाल से मिलने आये है, इससे क्या समझा जाये? क्या आप और अरविन्द अब फिर से एक हो रहे है? "

"अन्ना हजारे: नहीं साथ आने का सवाल ही पैदा नहीं होता, मेरा और उसका रास्ता अलग अलग है पर मंजिल एक है"

 

अन्नाजी के उस जवाब के बाद मुझे किसी और उत्तर, किसी और प्रतिक्रिया कि जरुरत नहीं, बात स्पष्ट है, दोनों ने रस्ते अलग अपनाये है पर दोनों का उद्देश्य एक है, दोनों कि मंजिल एक है |
आज अन्ना हजारे जी, ज्यादा नहीं बोलना चाहते थे, क्योंकि उनको पता है कि उनके हर एक शब्द को बिकाऊ मीडिया वाले घुमा फिराकर पेश करेंगे तो इससे अच्छा है ज्यादा नहीं बोलना और यही अन्ना हजारेजी ने किया है |
अन्ना हजारे जी और अरविन्द ने एक ही बीड़ा उठाया है और वो है इस देश से भ्रष्टाचार रुपी गंदगी को साफ करना, अब यदि अरविन्द ये सफाई अंदर जाकर करना चाहता है और अन्ना हजारे जी वो सफाई बाहर रहकर करना चाहते है तो उसमे बुराई क्या है?

हाँ बुराई एक ही है कि यदि ये सफाई आप अंदर जाकर करोगे तो आप पर लोग उंगलिया उठायेगे, और मुझे अच्छी तरह याद युवा दिलों कि धड़कन  कुमार विशवास के द्वारा कही गयी वो लाइने जो उन्होंने २ अक्टूबर को जब पार्टी का गठन हुआ था तब कही थी:


"एक बार जीवन का रथ, बढ़ा शुक्र के पथ पर, और राजनीति ने डोरे डाले फिर सेवा के व्रत पर !

लक्ष्मण रेखा बड़ी क्षीण है, बड़ी क्रूर है काई, कदम कदम पर फिसलायेगी रेशम सी चिकनाई !!

काजल के पर्वत पर चढ़ना, और चढ़ कर पार उतरना, बहुत कठिन है निष्कलंक रह करके ये सब करना !!!

पर जब जब आप सहारा देते, इनका सर सहलाते, जब जब इनको अपना कहकर अपने गले लगाते, तब तब मुझको लगता है, ये जीवन जी लेंगे, नीलकंठ कि तरह यहाँ का सारा विष पी लेंगे !!!!"


 

तो जब ये रास्ता इतना कठिन है तो ये तो सब तो होना ही है, वो सब कुछ करेंगे, नीचता कि हद तक चले जायेंगे इस सत्ता को बचाने के लिए, अपनी ऐशो आराम कि जिंदगी को बचाने के लिए लेकिन जब जब मैं फ़ोटो मैं अरविन्द का चेहरा देखता हूँ, जब जब उसकी आँखों मैं देखता हूँ, मुझे वो सच्चाई, वो बेबसी, और वो दृढ इच्छा इस देश को बदलने की दिखायी देती है, मुझे और क्या चाहिए, मुझे किसी के बयानो की, किसी के विचारो की जरुरत नहीं है, बस जब भी कोई सवाल उठता है तो अरविन्द की आँखों मैं पल रहे उस सपने को देख लेता हूँ जिसमे एक साफ ईमानदार राजनीति और भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना पल रहा है |

साथियों ये मौका है हमारे पास उस सपने को साकार करने का, और फिर सबसे बड़ा सवाल मैं आप सबसे करता हूँ कि क्या जरुरत थी अरविन्द को ये सब करने कि ? क्यों वो अपना सब कुछ दांव पर लगाकर हमारे लिए सड़को पर फिरते? तो जवाब एक ही आता है, अरविन्द ने ये सब किया है आप और मेरे बच्चो के लिए एक स्वच्छ भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए |
जिस भारत को हम फिर से कहेंगे सोने कि चिड़िया बस उसी भारत के सपने को सच होता देखने के लिए मैं भी इस क्रांतिकारी के साथ चल पड़ा हूँ, जो मुझसे हो सकता है वो कर रहा हूँ तांकि अपने आप से आँख मिलाकर बात कर सकूँ !
वंदे मातरम, जय हिन्द



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