एक बार फिर हमारे राजनेताओं ने धारा ३७०, अनुच्छेद ३७० का सुर्ख़ियों में ला दिया है, ये ऐसे मुद्दे है जिन्हे ये सरकारे, ये पार्टियां ऐसे ही मौको के लिए बचा कर रखते है ।
सबसे पहले तो हम ये जानने की कोशिश करे कि वास्तव में ये धारा ३७० है क्या?
तो मोटे मोटे शब्दों में इसे समझे तो हम कह सकते है कि
"धारा ३७० हमारे संविधान का वो अनुच्छेद है जो जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है"
अर्थात भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून इस राज्य में लागू नहीं होते हैं। यानि हमारी संसद जम्मू कश्मीर के लिए कानून नहीं बना सकती ।
इस अनुच्छेद के अनुसार रक्षा, विदेश से जुड़े मामले, वित्त और संचार को छोड़कर बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य से मंजूरी लेनी पड़ती है।
इस प्रकार राज्य के सभी नागरिक एक अलग कानून के दायरे के अंदर रहते हैं, जिसमें नागरिकता, संपत्ति खरीदने का अधिकार और अन्य मूलभूत अधिकार शामिल हैं।
इसी धारा के कारण देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। (अर्थात यदि आज मैं कश्मीर में जाकर बसना चाहू तो अपना घर खरीद कर नहीं रह सकता, मुझे कोई अधिकार नहीं है वहाँ पर सम्पति खरीदने का)
धारा 370 के कारण केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर राज्य पर आर्थिक आपातकाल (अनुच्छेद 360) जैसा कोई भी कानून नहीं थोप सकती है।
"केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर राज्य पर युद्ध और बाहरी आक्रमण के मामले आपातकाल लगा सकता है।"
लेकिन केंद्र सरकार राज्य के अंदर की गड़बड़ियों के कारण इमरजेंसी नहीं लगा सकता है, (जब्कि अन्य राज्यो पर ये करने का अधिकार केंद्र सरकार को है) उसे ऐसा करने से पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
क्या आज जब पूरा देश, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार से दुःखी है, हमारे लिए ये जरुरी है कि हम इस मुद्दे पर बहस करे कि कश्मीर से धारा ३७० हटाई जाए? या हमारे राजनेताओं के लिए ये जरूरी है कि वो इस बात पर चर्चा करें कि हर भारतीय कैसे स्वाभिमान से अपना सर ऊंचा कर दो समय का खाना खा सके और एक छत के निचे सो सके?
देश की जनता को सोचना होगा, और जो सही मुद्दो की अनदेखी करते है उन्हें नकारना होगा ।
आज मोदी जी को, कश्मीर और धारा ३७० याद आ रहे है, यही सरकारे यही नेता कहाँ पर थे जब पूरा देश सड़क पर उतर आया था और वो भी केवल इसीलिए कि देश चाहता है एक कानून, एक ऐसा मजबूत कानून जो हमे भ्रष्टाचार से राहत दिलाये, जो भ्रष्टाचारियों को सजा दिला सके चाहे वो कोई भी हो, कितने ही ऊँचे पद पर हो, कितने ही ऊँचे घराने का हो लेकिन सजा सब को मिल सके और ऐसा हो सके इसके लिए हमने मांग कि थी कि सब इसके दायरे में आने चाहिए, क्या ये सरकार, ये पार्टियां अंधी थी जिन्होंने नहीं देखा कि पूरा देश सड़क पर था और चिल्ला चिल्ला कर मांग कर रहा था एक मजबूत कानून की "जनलोकपाल कीं " और आज वो कह रहे है कि कश्मीर में धारा ३७० में मुद्दे पर फैसला देश कि जनता करेगी। मुझे तो जब ऐसे बयान सुनता हूँ तो हंसी आ जाती है
"क्या कहा देश कि जनता फैसला करेगी?? सच में आप वो ही करना चाहते है जो देश कि जनता चाहती है?"
तो श्रीमान जी, कहाँ पर थे आप जब पूरा देश सड़क पर था एक मजबूत जनलोकपाल के लिए?
मजाक बना रखा है!!"
आखिर कब तक ऐसा ही चलता रहेगा? कब बदलेगा ये सब?
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