मुझे कल आठ दिसंबर को आने वाले परिणाम कि कोई चिंता नहीं है
चाहे परिणाम कैसा भी आये, आप की जीत तो उसी समय हो गयी
जब ये भाजपा और कांग्रेस वाले, ये मानने लग गए की उनका मुकाबला आप से,
कल तक जो शीला कह रह थी "नाम मत लो उसका, वो कुछ नहीं"
जब NDTV कि एंकर ने जैसे ही कहा अरविन्द केजरीवाल तो शीलाजी ऐसे
तिमतिमा कर बोली, "नाम मत लो मेरे सामने उसका, वो कुछ भी नहीं है,
आप लोग उसे ना जाने क्या बनाकर पेश कर रहे है, वो कुछ भी नहीं है"
जो गडकरी कहता था "कुछ नहीं दम है इनमे, एक भी सीट नहीं मिलेंगी"
कम से कम आज वही बीजेपी कहती है की आप नहीं होती तो हमारी सरकार बनती
और अभी तो ठहरो आगे और भी बयान बदलेगा भाजपा और कांग्रेस वालो,
क्योंकि ये तो इन दोनों पार्टियों (भाजपा - कांग्रेस ) के सविंधान में लिखा है
"पहले कुछ कह देना और फिर अपनी बात से बदल जाना"
जो अपने कहे हुए बात पर नहीं रह सकते वो क्या इस देश के साथ रहेगे !!
बहुत गौर से सुनता था हर डिबेट टीवी पर और जैसे ही भाजपा और कांग्रेस वालो से ये पूछा जाता,
इस बार एक नयी पार्टी आम आदमी पार्टी भी चुनाव में है, क्या इससे कोई फर्क पडेगा,
और दोनों ही पार्टियों का एक जैसा ही बयान होता था,
नहीं नहीं, वो कुछ भी नहीं, उनका कही कोई नाम ही नहीं है, एक दो सीट भी नहीं आएंगी उनकी,
आज कम से कम सब कह रहे है, नहीं हमारी टक्कर आम आदमी से ही है, हुआ परिवर्तन!!!!
उससे भी बड़ा परिवर्तन और हुआ -
कल शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज आपस में गले मिल रही थी,
और सुषमा ने शीला को सखी कह कर सम्बोधित किया,
अरविन्द और आम आदमी की जीत तो उसी समय हो गयी
यही तो होती है जीत, कल तक जिन्हे आपस में गालियां निकालते थे,
एक दूसरे (भाजपा - कांग्रेस) के लिए केवल अपशब्द ही निकलते थे,
आज कम से कम आपस में सखी कह कर बुला रहे है,
और फिर बड़े ही प्यार से सुषमा स्वराज शीला दीक्षित को गले लगा रही है,
यही है वो परिवर्तन, अरविन्द हमेशा गाता है
"इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा"
वाह अरविन्द वाह, वाह भारत में सच्चे सपूत कमाल कर दिया आपने,
अब वो गले चाहे निजी स्वार्थ से ही मिले होंगे, लेकिन आखिर गाली को छोड़कर गले मिलने पर आ गए !!
परिवर्तन शुरू हो चुका, राह बड़ी मुश्किल है लेकिन देश आपके साथ खड़ा है,
और जब देश साथ खड़ा है तो घबराना कैसा
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