Thursday, October 9, 2014

PM Modi on Cease fire violation - पाक की गोलीबारी पर पहली बार बोले मोदी

मेरे इस लेख से यदि किसी की भावना आहत होती है तो मैं उनसे हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगता हूँ, पर आज जो कुछ भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है उससे देश और सीमा पर लड़ रहे जवानों की भावनाए जो आहत हुयी उसके आप गुनाहगार हो प्रधानमन्त्री मोदीजी ।

आपने कहा
बयानबाजी से जवानो का हौसला गिरता है? क्या मैं आपने जो कहा उस पर यकीन करके उसे सच मान लूँ ?
चलो मान लिया मैंने सच, तो कुछ महीने पहले तक जब बीजेपी विपक्ष में होती थी तो बीजेपी ने एक भी ऐसा मौका नहीं चुका जब सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर बयानबाजी ना की हो, हर बार जुलुस, प्रदर्शन और बयानबाजी आपका दैनिक कार्यक्रम होता था, जितने हमले सीमापार से नहीं होते थे उससे कही ज्यादा बीजेपी के नेता कांग्रेस सरकार पर करते थे, तो आपके वर्तमान कथनानुसार बीजेपी उस समय हमारे सैनिको को हौसला गिराने का काम करती थी? यदि ऐसा है तो बीजेपी सबसे बड़ी देशद्रोही हुयी, हालाँकि मैं ऐसा नहीं मानता हूँ की भारत का कोई भी राजनितिक दल देशद्रोही है पर आपने जो कुछ आज कहा है उसके अनुसार बीजेपी जब विपक्ष में थी और पाक की गोलीबारी पर बयानबाजी करती थी तो हमारे सैनिको का हौसला गिरता था? और बीजेपी ये जानबूझकर करती थी?

अपने कहा

आपके इस बयान ने तो हमारे सैनिको पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है मोदीजी, क्या आप या बीजेपी ने विपक्ष में रहकर कभी भी पाक की गोलीबारी पर ऐसा बयान दिया था की हमारे सैनिको ने पाकिस्तान को सही जवाब दिया? यदि आपने  या बीजेपी ने इससे पहले ऐसा कभी नहीं कहा तो आप ये कहना चाहते है इससे पहले हमारे सैनिक पाकिस्तान को कभी जवाब नहीं देते थे?

आपने कहा
तो चुनाव से पहले आपने और बीजेपी ने क्या किया था? आपकी हर चुनावी सभा में आपने क्या किया था? क्या आपने इसे राजनितिक लाभ के लिए मुद्दा नहीं बनाया था? इसके उल्ट आपको अधिकांश वोट ही इस वजह से  मिले थे की आपने इसे राजनितिक मुद्दा बनाया और उपचुनाव में बीजेपी की हार भी इसीलिए हुयी की आपने इसे केवल चुनावी मुद्दे तक ही सिमित रखा, जैसे बीजेपी सदा से करती है हर बार चुनाव के लिए एक मुद्दा बनाती है और चुनाव के बाद उसे भूल जाती है, जैसे राम मंदिर को आपने मुद्दा बनाया और चुनाव जीतने के बाद उसे भूल गए ।

आपके आज के व्यक्तव्व पर क्या कहूँ, आपको देशद्रोही आपके खुद ही की कथन ने साबित कर दिया हालाँकि  मैं ऐसा नहीं मानता हूँ पर फिर भी आपने जो कहा उसका क्या अर्थ है श्रीमानजी?

क्या आपको तनिक भी शर्म नहीं आती जो आप बोलते है उस पर?
सोचा था देश को एक मजबूत प्रधानमन्त्री मिला है पर आप तो पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह से भी कमजोर और कायर सिद्द होते जा रहे है ।
जागो और अपनी आँखे खोलो मोदीजी, जिस जोश के साथ चुनावी सभा में पाकिस्तान पर वार करते थे वो अब कहाँ गायब हो गया?


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Friday, September 19, 2014

चीन की दादागिरी और मोदी की मेहमाननवाजी- Is this proove Modi is a weak PM

BJP leaders on Chinese incursion when not in Power
अभी पिछले ही साल की बात है जब भारतीय जनता पार्टी बीजेपी के समस्त बड़े बड़े पदाधिकारी एक साथ मिलकर देश के राष्ट्रपति महोदय मिलने जा रहे थे और सन्दर्भ था चीनी सेना हमारे देश की धरती पर आ गयी थी । उधर पार्टी के बड़े पदाधिकारी राष्ट्रपति महोदय से मिल रहे थे, इधर कार्यकर्ताओं की टीम सरकार  प्रति अपना गुस्सा सड़क पर जाहिर कर रही थी कि ये सरकार चीन के खिलाफ कुछ कर क्यों नहीं रही ।



सोशल मिडिया पर भी भाजपा के नेटवीर तत्कालीन प्रधानमन्त्री को बहुत कुछ भला बुरा कह रहे थे, यहाँ तक की कुछ लोग तो उन्हें नपुंसक तक बता बैठे । 



पर आज चारो तरफ शांति है, चीनी सैनिक फिर से हमारी सीमा में घुस चुके है, हजारो की संख्या में चीनी सैनिक और नागरिक भारत की सीमा में घुस चुके है और हमारे ही सैनिको को बंधक भी बनाये हुए है पर ना ही मिडिया को इस बात का दर्द है और ना ही बीजेपी समर्थक जो हर छोटी सी बात पर सड़को पर आ जाते थे उन्होंने कोई शिकायत है, आज चीन की ये घुसपैठ भी उन्हें अच्छी लगती है, इसके उल्ट यदि सोशल मिडिया पर कोई इस बार में बोले की चीनी सैनिक हमारी सीमा में है और सरकार कुछ नहीं कर रही तो बीजेपी के नेटवीर तुरंत गाली गलोच शुरू कर बन्दे को देशद्रोही करार दे देते है, पता नहीं चीनी सैनिको का विरोध करने पर एक आदमी देशद्रोही कैसे हो जाता है?

Narendra Modi, Indian PM with Xi jinping India visit
नजारा तो और भी घटिया तब लगता है जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति को दावत देते है, उनके लिए शाही इंतजाम करते है, उन्हें खड़े होकर खुद झूला झुलाते है । उनकी आवभगत इस तरह करते है जैसे वो ही हमारे देवता हो और ना जाने क्या देकर जाएंगे भारत को । जबकि वो भारत को देने कुछ नहीं आये थे उलटे भारत से लेने आये थे, जितना वो निवेश करेंगे उसका सारा मुनाफ़ा कहाँ जाएगा? 
चीन में जाएगा!! और बदले में भारत को क्या मिलेगा घटिया किस्म के उत्पाद?

उनकी बहुत जबरदस्त आवभगत की जाती है, अरे भाई किस उपलक्ष में ये मेहमाननवाजी? क्योंकि उनके सैनिक हमारी धरती पर तम्बू गाड़े बैठे है?

अब प्रधानमंत्रीजी कहते है वो हमारे देश में निवेश करेंगे!!!!



गरज है चीन को तो निवेश कर रहा है कोई उपकार नहीं कर रहा भारत पर, हमारे प्रधानमन्त्री को चाहिए था की चलो उन्हें बुला लिया थोड़ी मेहमाननवाजी भी करली पर अब तो उन्हें ये कहते है की यदि आप चाहते है की भारत और चीन के बीच व्यापारिक रिस्ता हो तो सबसे पहले अपने सैनिको को सीमा से वापिस बुलाओ, यदि वो विवादित क्षेत्र भी है तो बात करो जब तक विवाद नहीं सुलझता उस क्षेत्र में कोई नहीं जाएगा और किसी भी समझौते से पहले इस विवाद को निपटाना होगा, मोदीजी आपके पास सुनहरा मौका था, आप चाहते तो भारत के मजबूत होने का सबूत पूरी दुनिया को दे सकते थे और देशवासियों का सर गर्व से ऊंचा कर सकते थे पर आपने ऐसा नही किया । 

उलटे आपने दुनिया को बहुत गलत सन्देश दिया है की थोड़े से रुपयो के लिए हमने सीमा पर घुसपैठ को भी नजरअंदाज कर दिया है, वाह मोदीजी कहाँ तो आप चुनाव से पहले गाते थे " मैं देश नहीं झुकने दूंगा" और कहाँ आपके ये कार्य जो देश को झुकाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे । 

एक सशक्त प्रधानमंत्री के रूप में पेश आते, भारत को चीन की गरज नहीं है, चीन को भारत की गरज है आज अरबो खरबो रुपयो का उनका माल भारत में बिकता है यदि चीन ज्यादा हेंकड़ी करे तो चीन के सब माल पर प्रतिबंध लगा सकते थे और इस मामले को आसानी से सुलझा सकते थे पर आप तो इसके उल्ट कर रहे थे । 

इधर आप खातिरदारी में लगे  हुए थे और उधर चीनी सैनिक भारत माँ की अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, हमारे देश के सैनिक  आपको और आपले लाडले चीनी राष्ट्रपति को सुरक्षा दे रहे थे और दूसरी और चीनी सैनिको सामने खड़े हुए थे, क्या आपको तनिक भी ये सोच नहीं आया की कैसे मैं उस इंसान की खातिरदारी कर रहा हूँ जो खुद तो आया ही है साथ में अपने सैनिको को भी लेकर आया है की चलो करलो कब्जा भारत पर, खैर कब्जा तो चीन ने भारत पर कर ही रखा है देश के हर कोने में चीनी सामन मिल जाएगा और आपने इसमें और सहयोग कर दिया चीन को न्योता देकर की आओ  और खूब बेचो अपना सामान हमारे देश में । 

कुछ भी हो आपके समर्थक शायद मुझे गालिया दे पर आज मुझे आप एक बेहद कमजोर प्रधानमन्त्री लगे, जब आप चुनाव प्रचार में हुंकार भरते थे "एक इंच भी नहीं दूंगा" तो लगता था एक मजबूत प्रधानमन्त्री देश को मिलेगा लेकिन आज आपने जो कुछ किया इससे तो आप एक बेहद कमजोर प्रधानमंत्री साबित हुए है माननीय मोदीजी । 

Some Links of Chinese incursion:








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Thursday, September 4, 2014

Teacher's day or Prime minister's day?

Modi order students to listen him on Teacher's day
मोदीजी की शिक्षक दिवस पर क्लास 
ये कैसे देश के सेवक है जिन्होंने मासूम बच्चो को भी अपने निजी स्वार्थ के लिए काम में लेना शुरू कर दिया है । 

शिक्षक दिवस के उपलक्ष में भारत सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दे दिया है की शिक्षक दिवस के दिन भारत के प्रधानमन्त्री देश के बच्चो को सम्बोधित करेंगे और इसके लिए सभी स्कूलों को पर्याप्त सुविधा करेंगे ताकि बच्चे प्रधानमन्त्री का भाषण सुन सके । 

ये कैसी जिद करली प्रधानमन्त्री जी आपने? क्या आपको पता भी है शिक्षक दिवस का मतलब क्या है जो आप अपना भाषण लेकर बीच में घुस गए? शिक्षक दिवस के दिन बच्चे और शिक्षक के बीच मधुर वार्तालाप होता है, बच्चे अपने प्रिय शिक्षक को उपहार देते है आदि आदि । 

लेकिन  HRD मिनिस्टर ने ये क्या आदेश दे दिया, स्कूलों को व्यवस्था करनी पड़ेगी, आप जेनेरेटर लाइए, स्पीकर लाइए, टीवी, कंप्यूटर, आदि आदि और पूरी व्यवस्था करनी पड़ेगी और इसकी सारी जानकारी 2 सितम्बर से पहले सभी प्रधानाध्यापको को  जिला मुख्यालय पर सूचित करना पडेगा की सभी तैयारी करली गयी है, और भाषण के दिन सभी जिला शिक्षा अधिकारी गाड़ी से चक्कर लगाएंगे और देखेंगे ये सुनिश्चित करेंगे की जैसा आदेश दिया गया है वैसा ही हो रहा है या नहीं । 

यदि इसमें लापरवाही हुयी तो इसे गम्भीरता से लिया जाएगा । 

सरकारी स्कूल में इस सबके लिए को खर्चा आएगा वो VKS fund (विद्यालय कल्याण समिति) के फंड से लिया जाएगा और निजी स्कूल ये अपने स्तर पर करेंगे । 

अब सवाल ये है कितना खर्चा आएगा इस सब पर, कितने शिक्षक पढ़ाई छोड़कर इन सब व्यस्था में लगे रहेंगे, रिपोर्टिंग करना की सभी तैयारी हो गयी है और कार्यक्रम होने के बाद फिर रिपोर्टिंग फीडबैक के लिए फिर सभी शिक्षा अधिकारी गाड़ियों से चक्कर लगाएंगे आदि आदि क्या ये सब उचित है इतना खर्चा केवल इस लिए करना क्योंकि आज हमारे प्रधानमंत्री बच्चो को भाषण देना चाहते है । 

क्या इससे ज्यादा अच्छा ये नहीं होता की आप आदेश देते की इतना खर्चा उन स्कूल में शौचालय बनाने में किया जाए, या विधालय के ब्लेकबोर्ड की मरम्मत की जाए, बच्चो के लिए बैठने के लिए दरी या मेज खरीदते आदि आदि, क्या जरूरत आ गयी इतना सब खर्चा करने का आप टीवी पर भाषण देते सभी अपने आप अपने अपने घर पर देख लेते, बच्चे भी देखते अभिभावक भी देखते सारा देश आपका भाषण सुन लेता लेकिन इसमें इतना सब खर्चा करने की जरुरत क्या हो गयी?

क्यों नन्हे मुन्हे बच्चो का उपयोग आप अपने निजी स्वार्थ या राजनीति के लिए कर रहे है?

   

 

 

 

 

 

 



Key word: टीचर डे, शिक्षक दिवस, मोदी, स्मृति ईरानी, HRD, Modi, Teacher's day, India, Circular on teacher's day, Smriti Iraani, Minister 



Friday, August 22, 2014

Rape is Small for BJP - भाजपा के लिए अब रेप एक छोटी घटना हो गयी है

अभी कुछ ही महीने पहले की बात है  जब नजारा कुछ और था
हजारों की भीड़ में खड़े होकर महान भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री बड़े ही जोश से बोलते थे
"रेप जैसे जघन्य अपराध को हम कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे"
"महिला सुरक्षा हमारे लिए सबसे ऊपर है" आदि आदि

लेकिन ये क्या ?
अभी से इतना बदलाव इनकी कथनी और करनी में?
मोदी सरकार के वित्त मंत्री अब रेप जैसे जघन्य अपराध को बिजनेस के रूप में देखने लग गए है?
अब वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए महिलाओ की सुरक्षा से ज्यादा जरुरी विदेशी पर्यटक हो गए है?
और अफ़सोस उनके ऐसे बयान पर मोदीजी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं? क्या अपनी सरकार में मुख्य प्रतिनिधि होने के कारण उनका नैतिक दायित्व नहीं बनता की अपने मंत्री के साथ जनता के सामने खड़े होकर माफ़ी मांगे और ऐसी गंदी सोच पर अपने मंत्री को एक जोरदार लताड़ लगाए?

शर्म भी नहीं आये अरुण जेटली को ऐसा बयान देते हुए? जिस निर्भया रेप घटना ने पूरी दुनिया और मानवता को हिलाकर रख दिया था उसी पर मोदी सरकार के वित्त मंत्री ने इतना घटिया बयान दिया!!! क्या यहीं इन लोगो की मानसिकता है? क्या यहीं है इन लोगो की सोच? तो फिर कैसे इस देश में महिलाये सुरक्षित महसूस करेगी?
ये है अरुण जेटली का बयान
Arun Jaitley BJP, Modi Sarkaar Rape is small thing
Arun Jaitley says "Rape is small thing"

Arun Jaitley BJP says Rape is small thing
Arun jaitley have no problem on rape but very serious for turism in India

मुझे अच्छी तरह याद है जब वसुंधरा राजे ने कुछ घायलो को अस्पताल पहुँचाया (जो की एक सच को छुपाने के लिए किया गया था पढ़े पूरी कहानी Here link Vasundhra Raje Motorcade ) तो मोदी ने ४-५ ट्वीट किये उनकी तरफदारी में, तो क्या आज उनका कर्तव्य नहीं बनता की अपने मंत्री को लताड़ भी लगाए और भी एक ऐसी मुद्दे पर जिस पर बीजेपी ने बड़े जोर शोर से चुनाव से पहले प्रचार किया था?

#ArunJaitley #BJP #Modi #RapeSmall4BJP #BigMinisterSmallRape, Narendra modi, PMO India, Vasundhra raje, Rape in India, BJP no seriuos on Rape


Friday, June 27, 2014

Vasundhara raje motorcade hit motorcyclist 2 died - वसुंधरा राजे के काफिले से मोटर साइकिल सवार की टक्कर दो की हादसे में मौत

वसुंधरा राजे के काफिले से कल एक मोटर साइकिल सवार की टक्कर हो गयी और अफ़सोस मोटर साइकिल पर सवार दोनों व्यक्ति इस दुर्घटना में अपना जीवन खो चुके, टक्कर इतनी भयंकर थी की मोटर साइकिल सवार दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया । 

दुर्घटना से भी ज्यादा बड़ी दुर्घटना तो ये हुयी की टक्कर राजस्थान के बीजेपी की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काफिले के साथ हुयी और इसे मिडिया में तोड़ मरोड़ कर सच को छुपाते हुए बहुत ही अलग तरह से प्रस्तुत किया । 
वसुंधरा की जान लेने वाली ना बताकर बचाने वाली के रूप में पेश किया गया । 

इसका तो पता भी नहीं चलता वो तो दैनिक भास्कर ने ट्वीट कर दिया जिससे पता चला की कार वसुंधरा के काफिले से हुयी हो सकता है खुद वसुंधरा की कार से हुयी हो, जो भी इन दो लोगो की मौत की जिम्मेदार वसुंधरा राजे है ।  

अब दैनिक भास्कर ने ट्वीट तो कर दिया पर मुझे लगता है उन पर तुरंत दबाव, धमकी या लालच का डंडा चलाया गया होगा और आनन फानन में दैनिक भास्कर ने अपना वो ट्वीट डिलीट कर दिया, बस शक की सुई यही से घूमती है यदि वो ट्वीट भूल में हो गया था तो भास्कर को एक और ट्वीट में माफ़ी मांगनी चाहिए थी ये कहते हुए की पहले गलती में ट्वीट हो गया लेकिन वाकई में हादसा ये था । 

लेकिन इस मामले पर दैनिक भास्कर की चुप्पी यही दर्शाती है की मामले को दबाया गया है, अब राजस्थान में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है तो कौन हिम्मत कर सकता है उनके खिलाफ लिखने की, परिणाम ये हुआ की एक बार फिर सच ने सत्ता और ताकत के सामने घुटने टेक दिए ।

ये केवल पहली बार नहीं हुआ है पहले भी ऐसे कई समाचार जो बीजेपी के काले कारनामो को उजागर करते हो डिलीट करवाये गये है और इसीलिए मैंने मौका रहते भास्कर के उस ट्वीट का स्क्रीनशॉट ले लिया था जिसमे उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी की राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काफिले से टक्कर में दो मोटर साइकिल सवारों की मौत । 

ये है वो ट्वीट जो दैनिक भास्कर ने किया था 
Tweet dainik bhaskar, vasundhra raje
#DainikBhaskar #Raje #VasundharaRaje #BJP #Rajsthaan #CM #Truth

अब इस मामले को दबाने के लिए तुरंत हमारे प्रधानमंत्रीजी नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया राजे की प्रशंशा में की उन्होंने एक्सीडेंट में घायलों के लिए अपना काफिला रोका और मानवता का उदाहरण पेश किया, वसुंधरा राजे ने भी अपने बचाव में तुरंत ट्वीट किया की एक्सीडेंट ETV की वैन से हुआ था । 

ये है वसुंधरा राजे के ट्वीट 
#वसुंधराराजे #दैनिकभास्कर #श्रीगंगानगर #एक्सीडेंट #राजस्थान 

अब यदि ये हादसा Etv की वैन से हुया तो क्यों दैनिक भास्कर ने दुबारा ट्वीट कर इस घटना में माफ़ी माँगते हुयी सत्य सामने रखा, क्यों Etv की तरफ से कोई ट्वीट नहीं है की दुर्भाग्यवश उनकी वैन से टक्कर हो गयी जिसने दो जिंदगियां लील ली? इसके उलट Etv ने वसुंधरा राजे की प्रशंसा में ट्वीट किये । 

ये है etv, राजस्थान के ट्वीट 

अब जिस तरह से वसुंधरा अपने मंत्री चिकित्सा मंत्री को आदेश देती है, इन सब से यही लगता है की कहीं ना कहीं मामले को दबाने की कोशिश की गयी है और गलत जानकारी लोगो के सामने रखी गयी है । 


राजस्थान में क्या पूरे देश में रोज एक्सीडेंट होते है पर कितने एक्सीडेंट ने वसुंधरा राजे चिकित्सा मंत्री को आदेश देती है? कितने दुर्घटना ने घायलो से मिलने जाती है? अब तो वो पूरे  राज्य ने घूम रही है कितनी बार अब तक वो किसी दुर्घटना ने घायल लोगो से मिलने गयी है ? इस मामले में ही क्यों नरेंद्र मोदी भी ट्वीट करते है, क्या और कोई मुख्यमंत्री कोई सराहनीय कार्य नहीं कर रहे? जिस तरीके से ये सब हुआ है इसीसे स्पष्ट होता है की मामला कुछ और था उसे दबाकर किसी और तरह से पेश किया गया है । 

मैंने दैनिक भास्कर को भी ट्वीट किया की वो इस मामले में अपना ट्वीट डिलीट कर चुप क्यों है, उसका भी कोई जवाब दैनिक भास्कर की तरफ से नहीं आया, चुप रहने से सत्य को छुपाया नहीं जा सकता । 


अब किस पर विशवास करे जब भारत का मीडिया भी सच को झूठ और झूठ को सच दिखाने लग जाए, इस बार तो सच और झूठ से ऊपर उठकर दो जिंदगियां थी, किस माँ-बाप ने अपना बेटा खोया है और गुनाहगार खुला घूम रहा है, उलटे गुनाहगार को देवता के रूप में पेश किया जा रहा है, कब तक मीडिया यों ही चुप रहेगा, ताकत और सत्त्ता के सामने घुटने टेकता रहेगा?

यदि दैनिक भास्कर इस मामले में कुछ स्पष्टीकरण देता तो शायद ये शक इतना गहरा नहीं होता , लेकिन दैनिक भास्कर की चुप्पी और मंत्रियों की इस मामले इतनी गहरी दिलचस्पी इसी बात को दर्शाती है की मामले को पूरी तरह से दबाया गया और असली गुनाहगार को बचाया गया है । 

#BJP #Rajsthaan, #VasundhraRaje, accident victims, emergency care, Vasundhara Raje, Narendra modi, Dainik Bhaskar, Midia not show truth, Sriganganagar

Friday, June 20, 2014

मोदी का हिंदी के साथ खिलवाड़ - Modi playing with emotion of Indians and Hindi

मोदी का हिंदी के साथ खिलवाड़

राष्ट्रवाद, जातिवाद, धर्म की छवि बने बीजेपी और नरेंद्र मोदी बहुत से मुद्दो को लेकर सरकार में आये |

जब सत्ता संभाली तो इन सभी मुद्दो जिन पर वो चुनाव जीतकर आये है अभी तक एक भी काम नहीं किया, ऐसे लगता है जैसे बीजेपी और मोदी सरकार अपने हर वादे पर उलटे पाँव लौट रही है और अब उन्हीं के वोट बैंक में कुछ कमी आने लग गयी है तो लोगो को फिर से बेवकूफ कैसे बनाया जाए बिना अम्बानी अडानी को नुक्सान पहुंचाए तो एक अच्छा सी चाल उनके कुटिल दिमाग में आ ही गयी "हिंदी" हिंदी हिन्दुस्तान की माँ है और ये क्या बीजेपी और मोदी ने तो इसी माँ के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया?

बहुत अच्छा निर्णय है हिंदी को बढ़ावा देने का मैं इसका विरोध नहीं कर रहा है पर ये समझाने की कोशिश कर रहा हूँ की कैसे ये बीजेपी और मोदी की एक कुटिल चाल है लोगो को बेवकूफ बनाने के लिए |

मोदी कभी हिंदी से प्रेम नहीं करते और अब जो कर रहे है वो केवल और केवल दिखावे के लिए कर रहे है |

गुजरात विधानसभा

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि यदि मोदी को हिंदी से प्यार होता तो बताओ उन्होंने गुजरात में हिंदी के लिए क्या किया? गुजरात विधानसभा की वेबसाइट केवल दो ही भाषाओ में उपलब्ध है गुजराती और अंग्रेजी यानी मोदी के लिए अंग्रेजी हिंदी से भी बड़ी हो गयी?
यदि उन्हें हिंदी की इतनी ही चिंता थी तो आज तक गुजरात में हिंदी के लिए कुछ क्यों नहीं किया?



Blog Narendra Modi
चलो ये तो सरकारी है, नरेंद्र मोदी ब्लॉग भी लिखते है उसमे क्यों वो केवल अंग्रेजी में लिखते है? कभी हिंदी में नहीं लिखा? तो क्या मोदी के लिए हिंदी माँ केवल खिलवाड़ करने के लिए है और अंग्रेजी से मोदी को प्यार है?
मोदी सोशल नेटवर्क पर भी है और सब जगह केवल अंग्रेजी काम में लेते है तो ये सब क्या साबित करता है? मोदी का हिंदी के लिए आदर या हिंदी के साथ खिलवाड़?


जो आदमी हिंदी को सम्मान देने की बात करता है वो खुद तो उसका हर रोज अपमान कर रहा है |

ये तो वही हो गया की आप दूसरों को कहे की रोज सुबह अपने माता पिता की चरण स्पर्श करे और खुद उठते ही माता पिता को दो चार गालिया निकालते हो |

अब कोई आपको ये कहते सुने की माता पिता के चरण स्पर्श करने चाहिए तो जरूर यही कहेगा की देखो कितना आदर्शवादी इंसान है पर आपकी करतूत को भी तो कोई जाने |


हिंदी को सम्मान के लिए आपके आदेश की जरुरत नहीं है प्रधानमंत्रीजी, उसे अपनाओ सबसे पहले अपने जीवन में अपनाओ और लोगो को दिखाओ की आपने अपनाया लोग स्वतः ही उसे अपना लेंगे |

तो ये हिंदी के नाम पर नाटक करना बंद करे और कृपया हिंदी माँ के साथ खिलवाड़ ना करे |

मेरा उद्देश्य किसी को आहात करना नहीं है और यदि मेरे इस लेख से किसी को चोट पहुंचती है तो क्षमा चाहता हूँ पर सच्चाई तो आपके सामने रख ही सकता हूँ |

#Modi, #Hindi, #ModiSarkar, #AchchheDin, #Hindustaan, #BJP, #AAP, #NarendraModi

Wednesday, June 11, 2014

आसाराम बलात्कार प्रकरण में अहम गवाह की हत्या

Aasaaram baapu 
आसाराम प्रकरण बहुत लम्बे समय से हमारे सामने है, कुछ भी नया नहीं है और जिस तरह से आसाराम के खिलाफ गवाही देने वालो को डराया धमकाया जा रहा है वो भी सबको ज्ञात है । 

पिछले महीनों में आसाराम के खिलाफ गवाही देने वालो पर बहुत बार हमले हुए, उन्हें डराया जा रहा है की किसी भी तरह से वो आसाराम के खिलाफ गवाही ना दे लेकिन इस बार जो कुछ हुआ वो एक सोचे समझे षडयंत्र का हिस्सा लग रहा है । 

और षडयंत्र है आसाराम को गवाहों के अभाव में बाइज्जत बरी करवाने का । 

इसी के तहत दिनाँक 10 जून  2014, मंगलवार को आसाराम के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक अहम गवाह (अमृत प्रजापति) को जान से मार दिया गया । 

हालांकि अमृत प्रजापति बहुत वर्षो से आसाराम के काले कारनामो के खिलाफ आवाज उठाते आ रहे है लेकिन गत 23 मई को गुजरात के राजकोट में उन्हें गोली मर दी गई इसके बाद उनका अलग अलग अस्पताल में इलाज हुआ लेकिन सब व्यर्थ रहा अंततः मंगलवार 10 जून  को उनका देहावसान हो गया । 

हो सकता है इसमें कुछ भी ऐसा ना हो जो मैं सोच रहा हूँ लेकिन फिर भी सवाल तो पैदा हो ही जाते है । 

वर्षो से अमृत प्रजापति आसाराम के खिलाफ आवाज बुलंद किये हुए है । 

Amrit Prajaapti
आसाराम प्रकरण में अमृत प्रजापति एक अहम गवाह है । 
पिछले महीनो में कई गवाहों पर हमले किये गए । 
तो क्या प्रशाशन की जवाबदेही नहीं थी अमृत प्रजापति को सुरक्षा मुहैया करवाना?
चलो माना चूक हो गयी प्रसाशन से तो जब उन पर गोली लगी लेकिन क्या उसके बाद प्रसाशन की जिम्मेदारी नहीं थी उन्हें उचित चिकित्सा उपलब्ध करवाना?
और उससे भी बड़ा सवाल बनता है समय को लेकर । 
जब बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिल गया और नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद के शपथ की घोषणा हो चुकी उसके बाद उन पर हमला होना । 
हमला गुजरात में होना और गुजरात पुलिस द्वारा अब तक भी हत्यारे को नहीं पकड़ना । 

बहुत से सवाल खड़े हो जाते है । 

अमृत प्रजापति को मारना इसीलिए जरुरी था की वो केवल बलात्कार प्रकरण ही नहीं बल्कि आश्रम में होने वाली हर काली करतूत के बारे में जानता था, वो हर एक राज से वाकिफ था और उसकी गवाही आसाराम उसके बेटे नारायण साईं और आश्रम सबकी पोल खोल सकती थी, यदि वो केवल बलात्कार की घटना का ही गवाह होता तो इतना अहम नहीं था क्योंकि यदि जिसने बलात्कार का आरोप लगाया है उसे ही चुप करवा दिया जाए तो अमृत प्रजापति की गवाही कोई मायना नहीं रखती लेकिन वो तो आश्रम में होने वाली हर काली करतूत का प्रत्यक्ष गवाह था । 

तो कहीं ना कहीं ये मेसेज देने की कोशिश की गयी की देखो आसाराम के खिलाफ गवाही देने पर ये हाल होगा, अब सारे काले कारनामो का अहम गवाह नहीं रहा और अन्य गवाह इसी डर से शायद कोर्ट ही ना आये और आसाराम को गवाहों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया जाए । 

हो सकता है अब अन्य गवाहों को खरीद लिया जाए और वे अब कोर्ट में आसाराम के खिलाफ गवाही देने के बजाय ये गवाही दे दे की वो सब अब तक ये ऐसा कर रहे थे क्योंकि अमृत प्रजापति उनसे ये करवा रहा था, उसका आसाराम से झगड़ा हो गया था और वो आश्रम से अलग हो गया तब से वो आसाराम से बदला लेना चाहत था और इसके लिए प्रजापति ने इन सब गवाहों को आसाराम के खिलाफ गवाही देने पर मजबूर कर दिया । 

अगर ऐसा होता है तो हमारे कानून पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग सकता है । 

इस पूरे प्रकरण में यदि कोई गैर जिम्मेदार है तो वो है प्रसाशन, गुजरात में बीजेपी की सरकार है और अब तो देश में भी बीजेपी की सरकार है प्रसाशन की जिम्मेदारी थी अमृत प्रजापति और उनके ही जैसे अन्य सभी गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करवाना और जब प्रजापति को गोली लगी तो उनका उचित इलाज करवाना, और कम से कम प्रजापति को गोली लगने के बाद उनका बयान रेकॉर्ड करना जिससे आसाराम के खिलाफ उसकी गवाही कोर्ट में पेश की जा सकती । 

कहीं ना कहीं प्रसाशन की मिली भगत लगती है आसाराम को जेल से बाहर लाने में । 

खैर ये सब केवल मेरे मन में उठ रही शंकाए है हो सकता है इनमे अंश मात्र भी सच्चाई ना हो यदि ऐसा होता है तो मैं अपने लिखे हुए शब्दों के लिए पहले से ही माफ़ी मांगता हूँ, लेकिन फिर भी बार बार ये सवाल मन को झकझोरता है की बीजेपी के सत्ता में आते ही ऐसा क्यों हुआ की आसाराम के खिलाफ बने अहम गवाह को जान से मार दिया गया और जिस गुजरात की मोदीजी इतनी तारीफ़ करते है उस गुजरात पुलिस से अभी तक हत्यारों को पकड़ा नहीं गया हो?

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Thursday, May 29, 2014

BJP invite Pakistan PM Navaaj Sarif - U turn BJP

एक बार फिर भारत ने पहल की और हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान प्रधानमन्त्री को भारत आने  न्यौता भेज ही दिया और बहादुरी पडोसी मुल्क के प्रधानमंत्री ने भी दिखाई कि वो हमारे न्योते पर भारत आ गए ।

लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ, ना ही हमारे निमंत्रण पर और ना ही उनके भारत आने पर कहीं पर भी किसी भी प्रकार  का कोई विरोध प्रदर्शन  नहीं हुआ, ना ही किसी ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए और ना ही किसी ने कोई धमकी दी, क्या हुआ? इस देश में खुद को हिंदूवादी समझने वाले जो चुनाव के कुछ दिन पहले तक  फाड़  फाड़ कर कह रहे थे कि पाकिस्तान से कोई बात नहीं होगी, एक के बदले दस सर लाएंगे वो अचानक  से कहाँ गायब गए?

सवाल तो बनता है? आखिर क्या बदल गया इस बार?

हाँ एक बात तो है सरकार बदल गयी, यानि जो लोग भारत पाक के रिश्तोके के खिलाफ हर बार विरोध करते थे, नारे लगाते थे, रास्ते बंद करते थे तत्कालीन सरकार को कायर नामर्द कमजोर बताते थे वो ही लोग अब उस कुर्सी पर बैठ गये है जहाँ बैठकर ये निमंत्रण भेजे जाते है, जो हर सम्भव प्रयास करते है दोनों देशों के बीच शांति बहाल हो।

इसका मतलब विरोध यही लोग करते थे जो आज न्योता भेज रहे है, अरे हाँ जिन्होंने ये निमंत्रण भेजा वो खुद ही तो वोट लेने के लिए बड़े जोर जोर से बोलते थे हम इस देश से कोई बात नहीं करेंगे, सर का बदला सर से लेंगे, एक के बदले दस सर लायेंगे आदि आदि ।

खैर मैं स्पष्ट करदूँ मैं इस निमंत्रण के खिलाफ नहीं हूँ, खिलाफ तो भाजपा के दोगलेपन के हूँ जो उन्होंने कुर्सी मिलते ही दिखाना शुरू कर दिया, बेचारे करोड़ो भारतीयों के साथ गद्दारी की, उन्हें कहा कुछ और ही था वोट लेने के लिए और अब कर कुछ और ही रहे है।

यानि जब जब भी भाजपा के अलावा किसी और सरकार ने पाक के साथ कभी बात करने की कोशिश की तो बीजेपी को सदा ही उससे परेशानी होती थी, नारे, हो हल्ला, प्रदर्शन शुरू हो जाते थे और बेचारी सरकार कुछ नहीं कर पाती थी, यानि भारत पाक मुद्दा ना होते हुए भी बीजेपी ने अपने निजी स्वार्थो के लिए इस मुद्दे को ज़िंदा रखा और जब जब किसी सरकार ने इसे हल करने की कोशिश की तो बीजेपी ने पुरजोर इसका विरोध किया, ताकि इस मुद्दे पर उन्हें वोट मिल सके और अब उन्हें वोट मिल चुके है कम से कम पाँच साल तो उन्हें कोई हिला नहीं सकता तो फिर अपने वादो से पलटने में  बीजेपी को कोई परेशानी नहीं।

जो भी लोगो को एक बार फिर अपने वोट के इस्तेमाल पर निराशा ही हाथ लगी ।

देश यो ही चलता रहेगा, हम यो ही चिल्लाते रहेंगे लेकिन करेंगे भाजपा-कांग्रेस की सरकार वही जो वर्षो से करते आये है ।

अब एक आशावादी की तरह यही शुभकामना देता हूँ हमारे प्रधानमंत्रीजी को की देश में शान्ति स्थापित हो इसी में सबका भला है, विरोध केवल बीजेपी करती थी जो की अब सरकार में है तो कोई विरोध नहीं कर रहा खुल कर फैसले ले और दोनों देशो के बीच मित्रता कायम हो ।

वन्दे मातरम

Wednesday, May 21, 2014

Arvind Kejriwal arrested and sent to Tihad Jail - अरविन्द केजरीवाल को बीजेपी नेता के खिलाफ बोलने पर जेल

आज आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल को बीजेपी के पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ मानहानि के केस में जेल भेजा गया |

चलो ये सब एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत नितिन गडकरी को लगा की अरविन्द केजरीवाल ने उनकी मानहानि की है तो स्वाभाविक है की वो अरविन्द के खिलाफ कोर्ट में केस करे, इसमें कही कोई गलत नहीं है |

आज जब अरविन्द कोर्ट में केस की सुनवाई पर गए तो कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया की आप 10000 का बांड भरे और जमानत ले ले, अरविन्द ने मना कर दिया की मैं जमानत नहीं लूंगा तो कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया | जो की सही है हमारी न्याय व्यवस्था ने अपना काम किया कानून के तहत |

अब साहब मीडिया और बीजेपी को परेशानी हो गयी की अरविन्द ने जमानत की अर्जी क्यों नहीं लगाईं? 

अरविन्द अपराधी है तो मिडिया और बीजेपी को तो इस पर गर्व होना चाहिए की आखिरकार हमने एक अपराधी को जेल भेजा है और उसे कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए | भारतीय जनता पार्टी और भारत के प्रधानमन्त्री को तो एक राष्ट्र के नाम सन्देश देना चाहिए की देखिये हमारी सरकार में हम अपराधी को छोड़ेंगे नहीं, सरकार में आते ही भाजपा ने अपराधी को सजा देने का काम किया है |

लेकिन इसके उल्ट बीजेपी और मीडिया लगे हुए है अरविन्द ने बेल लेने से मना किया, सभी ऐसे केस के बेल ले लेते है पर अरविन्द ने बेल नहीं ली, अरविन्द राजनितिक स्टंट कर रहे है, क्या अरविन्द के पास केवल 10000 हजार रूपये भी नहीं है अपनी बेल नहीं लेने के लिए? 

बात यहां पर बेल या 10000 रूपये की नहीं है, बात ये है की यदि अरविन्द अपराधी है तो बहुत अच्छी बात है की भाजपा सरकार ओह सॉरी मोदी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था ने एक अपराधी को जेल भेज दिया, और मिडिया को हमारी न्याय व्यवस्था और मोदी
सरकार (भाजपा सरकार) का गुणगान करना चाहिए की देश में न्याय व्यवस्था कायम है और एक अपराधी को जेल भेज दिया गया और यदि अरविन्द अपराधी नहीं है तो मीडिया को ये दिखाना चाहिए की अरविन्द को जेल भेजना गलत है, बीजेपी ने सत्ता में आते ही एक ईमानदार आदमी को जेल भेज दिया |

मीडिया कैसे आम आदमी पार्टी को ख़त्म करने में लगा हुआ है इसका एक और नमूना आज देखने को मिला अब मिडिया किसके इसारे पर ये सब कर रहा है ये तो ऊपर वाला ही जाने वैसे जानते सब है पर यदि मैं नाम ले लूंगा तो मुझे भी कल जेल भेज देंगे
 
खैर अच्छे दिन आ गए लगते है 


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Monday, April 14, 2014

Gujraat model is really an ideal model of development?

गुजरात मॉडल, गुजरात मॉडल मीडिया और बीजेपी ने इस नाम को इतना उछाला है की देश विदेश में रहने वाले सभी भारतीय सुन सुनकर बोर हो चुके है, अब बीजेपी इसी गुजरात मॉडल पर इस विशाल भारत देश के चुनाव लड़ रही है, मेरे मन में भी कई तरह के सवाल आये क्या वाकई में ये गुजरात मॉडल ऐसा है जिसे पूरे देश में लागू करना चाहिए और इस मॉडल से पूरे देश का भला हो जाएगा? बीजेपी का हर नेता टीवी पर बड़ी शान से बोलता है गुजरात मॉडल के बारे और गर्व से कहता है हमारे नेता नरेंद्र मोदी ने गुजरात का विकास किया है और हम यही गुजरात मॉडल पूरे देश में अपनाना चाहते है जिससे देश का विकास होगा, पर क्या हकीकत में ये गुजरात मॉडल इतना अच्छा है? क्या इसी से देश का उद्दार हो जाएगा?

यदि ऐसा ही है तो फिर ये गुजरात मॉडल भाजपा शाषित अन्य प्रदेशो ने क्यों नहीं अपनाया? अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय और नरेंद्र मोदी से भी ज्यादा चुनाव जीतने वाले शिवराज सिंह चौहान इसे अपने राज्य में क्यों नहीं अपनाना चाहते? उन्हें इसमें कौनसी बुराई लगती है? क्या मोदी और बीजेपी नहीं चाहती की मध्य प्रदेश का भी गुजरात की तरह विकास हो? या शिवराज सिंह को पता है की जैसा मॉडल वो पेस कर रहे है उसमे कोई दम नहीं है? कुछ तो बात जरूर है, यदि शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में तीसरी बार सरकार में है और वो तो सांसद भी है तो फिर क्यों भाजपा कभी उनके कार्यो का बखान नहीं करती? क्या शिवराज सिंह ने अपने राज्य में ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिसका श्रेय भाजपा पूरे देश में नहीं लेना चाहती? जिस तरह गुजरात मॉडल को पूरे देश में प्रचारित कर रही है वैसे ही क्या कोई भी ऐसा काम मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने नहीं किया जिसका उल्लेख मोदी और बीजेपी देश में हो रही अपनी सभाओ में कर सके और देश और दुनिया को बता सके की भाजपा शासित अन्य राज्य भी बहुत ही उल्लेखनीय कार्य कर रहे है, या फिर केवल मोदी और गुजरात का ही गुणगान एक बार फिर इस बात को सिद्ध करता है की बीजेपी अब कोई संगठन या पार्टी नहीं रही यह केवल और केवल मोदी ही के इर्द गिर्द घूम रही है?

क्या इस देश को ऐसा प्रधानमन्त्री चाहिए जो संगठन से भी ऊपर खुद को समझता हो? जो अपनी ही पार्टी के अन्य उच्च पदाधिकारियों का सम्मान नहीं करता हो? जिस तरह से पार्टी के पुराने नेता अपनी ही पार्टी में खुद को इन दिनों घुटा हुआ महसूस कर रहे है क्या ये साबित नहीं करता की मोदी जब अपने संगठन में लोगो का आदर नहीं कर सकते तो इस देश के दबे कुचले आम आदमी का आदर कहाँ से करेंगे? कुछ नेता जो अपने आप को पार्टी में व्यर्थ समझ रहे थे उन्होंने बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया और बहुत ही दुखद शब्दों में अपना दर्द भी व्यक्त किया की अब भाजपा वो भाजपा नही रही जिसके नेता कभी अटल बिहारी वाजपेयी जी थे, जिस संगठन को श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे लोगो ने खड़ा किया आज वो संगठन अपने सिद्धांत से भटक गया है जैसे की पूरे संगठन की किसी एक आदमी ने हाई जेक कर लिया हो |

हमे ऐसे प्रधानमंत्री की जरुरत है जो केवल और केवल खुद को ही सबसे ऊपर रखना चाहताा है या ऐसे प्रधानमंत्री की जो देश के दबे कुचले हर वर्ग हर तबके को सबसे आगे रखकर इस देश में हर उस आदमी, हर उस ओरत का नेतृत्व करना चाहता है जो आज तक वंचित और उपेक्षित रहा है?

निर्णय हमे लेना है, ये ताकत हमारे पास है इस देश की बागडोर किसके हाथो में देनी है, तो सोच समझकर निर्णय ले, वोट चाहे किसी भी पार्टी के सदस्य को दे लेकिन कम से कम एक संकल्प तो ले की मेरा वोट ईमानदार आदमी को जाएगा, भ्रष्ट और अपराधी व्यक्ति को वोट नहीं दूंगा चाहे फिर वो किसी भी पार्टी का उम्मीदवार क्यों ना हो!
वन्दे मातरम
जय  हिन्द 


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Friday, April 11, 2014

Tuesday, March 25, 2014

Kejriwal In Kashi-Is BJP and Modi afraid? - क्या मोदी और बीजेपी अरविन्द से डरी हुयी है?

आज अरविन्द केजरीवाल काशी में है और कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओ ने उनकी गाड़ी पर अंडे फेंके, उनके खिलाफ विरोध परदर्शन किया, केमरो के सामने ये भी बोलने नजर आये की यहाँ सभी केवल और केवल मोदी को चाहते है, अरविन्द की तो जमानत भी जब्त हो जायेगी, उसे कोई नहीं चाहता, पूरा काशी मोदी के साथ है |

चलो मैं बिलकुल यही मान लेता हूँ, पूरा काशी मोदी के साथ है, अरविन्द की जमानत जब्त हो जायेगी, तो भाई फिर ये विरोध क्यों? जब उसका कोई वजूद ही नहीं तो फिर विरोध किसका? उलटे बीजेपी को खुश होना चाहिए और कुछ ऐसा करना चाहिए अरविन्द काशी से ही चुनाव लड़े और फिर उसकी जमानत जब्त करवा दे, सदा के लिए झंझट ही ख़त्म, हार कर एक कोने में बैठ जाएगा, कम से कम मोदी प्रधानमन्त्री बनेगा तो उसे परेशान तो नहीं करेगा लोकसभा
में, क्योंकि जमानत जब्त हो जायेगी अरविन्द की तो अरविन्द लोकसभा में बतौर MP जा नहीं पायेगा और मोदी और बीजेपी चैन से अपना काम कर सकेंगे |

पर जिस तरह से कुछ लोग अंडे फेंक रहे है, विरोध में नारे लगा रहे है, उससे ये साफ़ है की बीजेपी अंदर से हिली हुयी है की यदि अरविन्द काशी से चुनाव लड़े तो मोदी को हरा देंगे और तमाम बीजेपी की पूरे भारत में बुरी तरह मिटटी होगी, तो कैसे भी करके अरविन्द को डराया जाए, जो लोग "आप" का समर्थन करते है उन्हें डराया धमकाया जाए, मार पीट करे और किसी भी तरह ये दिखाओ की लोग अरविन्द के साथ नहीं है, पर ये कहाँ की समझदारी है भाई, जब हकीकत में ऐसा है की काशी में केवल मोदी की ही हवा है और काशी के लोग अरविन्द की जमानत जब्त करवा देंगे तो बीजेपी के लिए एक बहुत ही सुनहरा अवसर है "आप" को ख़त्म करने का की अरविन्द और "आप" कार्यकर्ताओ का कोई विरोध ना करके उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से न्योता दे की आओ लड़ो चुनाव मोदी के खिलाफ |

बीजेपी अभी भी ये मानती है की लोगो को बेवकूफ बना देगी? शायद अभी वो सपनो की दुनिया में जी रही है |
देश जाग उठा है और इस बार पूरे भारत में एक ही लहर है भ्रषटाचारी को लोकसभा में नहीं जाने देंगे |
वंदे मातरम
जय हिन्द
"अपनी आजादी को हम हरगिज भुला सकते नहीं ...."

People at Benia Bag Varanasi
 
 

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Tuesday, March 11, 2014

Is Ram Kripal Yadav supporting a Killer Narendra Modi according his previous speech?

कल तक रामकृपाल यादव जिसे हत्यारा कह रहे थे

 
आज उसी के साथ मिलकर किसकी ह्त्या करना चाहते है ?

ऐसी  कौनसी मज़बूरी हो गयी यादव साहब की उन्हें आज उसी से समझौता करना पड़ा,
जिन्हे (नरेंद्र मोदी) कल तक वे हत्यारा, 4000 लोगो को मौत के घाट उतारने वाला बता रहे थे?
चलो राम कृपाल यादव की तो समझ में आयी की उनकी पार्टी ने उन्हें टिकेट नहीं दी तो वे बगावत का अपना सुर आलाप रहे है,
पर बीजेपी को ऐसी क्या मजबूरी आ गयी कि कल तक जो व्यक्ति उनके नेता को सरेआम हत्यारा बता रहा था आज उसी को साथ ले लिया?
क्या राजनीती और कुर्सी के लिए नेता कुछ भी करेंगे?
तो फिर किस पर विशवास करे और क्यों करे?

अब या तो जो उन्होंने पहले बयान दिया था वो झूठा है और यदि वो झूठा है तो तुरंत राम कृपाल यादव पर मानहानि का केस करके उन्हें तिहाड़ पहुंचाना देना चाहिए,

और यदि वो सही है तो हमे ये स्वीकार करना पडेगा कि आज राम कृपाल यादव को एक हत्यारे से हाथ मिलाकर उन्हें देश का राज सौपने में कोई बुराई नजर नहीं आती





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Saturday, February 22, 2014

Is India governed by Ambani and reliance-देश में क्या वाकई अम्बानी का राज है?

क्या भारत सरकार केवल कुछ पूंजीपति ही चलाएंगे?

पिछले कुछ दिनों से जब से "आम आदमी पार्टी" ने रिलायंस और अम्बानी पर सवाल खड़े किये है और दोनों बड़ी पार्टियों पर इस पर उनकी राय जाननी चाही, लेकिन किसी भी पार्टी और भारत सरकार से कोई जवाब नहीं आ रहा इससे मेरे मन में जो डर और शंका थी और ज्यादा हो गयी |

सोचता हूँ शायद यही वो वक्त है जब हम इस देश को बचा सकते है, गेस के दामो को जो सौदा रिलायंस ग्रुप और भारत सरकार के बीच हुआ हम सब उससे वाकिफ है, कि सौदा एक डालर में हुआ था और आज वो आठ डालर करने पर आ गए और मजे की बात है कि भारत सरकार इस पर सहमत है, जब "आम आदमी पार्टी" ने हिम्मत की इन बड़ी शक्तियों के सवाल पूछने की तो किसी का कोई जवाब नहीं आ रहा, अर्थात वो सहमत है इससे, वो चाहते है कि गेस के दाम बढे, और परिणाम क्या होगा? देश के दाम बढ़ना अर्थात हर चीज के दाम बढ़ना, किराया, भाड़ा, अनाज, सब्जी, रोजमर्रा कि वस्तुए सभी के दामो में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होना, और इन सबका परिणाम क्या होगा? देश का गरीब भुखमरी से मर जाएगा और मध्यम वर्गीय परिवार जब महीना का खर्चा नहीं चला पायेगा तो आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएगा, बचेगा कौन इस देश में? केवल अमीर ? और फिर कहेंगे भारत में एक भी गरीब नहीं है? क्या यही सब कुछ करना चाहते भारत देश कि दो बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस?

इस गेस सौदे का सबसे बड़ा सवाल तो यही से पैदा होता है ये सौदा डालर में क्यों हुआ? क्या हम किसी विदेशी से सौदा कर रहे है? ये तो वाही बात हुयी कल आप सब्जी खरीदने जाए और सब्जी वाला कहे पेमेंट डालर में करो? क्यों भाई?? मैं मानता हूँ यदि आप विदेश से कोई सौदा कर रहे है तो वो डालर में किया जा सकता है, खैर होना तो वो भी नहीं चाहिए लेकिन चलो उसको छोड़ भी दे, तो मेरे ही देश में मेरी ही चीज खरीदने में डालर में सौदा क्यों?

और फिर रूपये में हर रोज बेतहाशा गिरावट, सरकार रूपये को स्थिर करने में विफल, हा हा हा विफल नहीं हुयी है वो पूर्ण रूप से सफल हुयी है अपने उद्देश्य में, सौदा डालर में और भुगतान करना है यदि रुपया मजबूत होगा तो थोड़े रूपये के भुगतान से ही अगले का हिसाब किताब हो जाएगा पर रूपये को कमजोर करने से बहुत सारे रूपये देंगे तब जाकर उनका उसी डालर का भुगतान होगा, और सारा दोष किसका? रूपये की कीमते गिरने का? बहुत तगड़ी चाल है इन सियासत दानो की, एक आम आदमी जितना समझेगा उतना उलझता जाएगा, क्यों विपक्ष इन पर चुप रहा की सौदा रूपये में ही होना चाहिए, अब तो खैर वो गेस की कीमत ही बढ़ा रहे है, पर वो गेस की कीमत ना भी बढाए तो भी रूपये में जो गिरावट हुयी है उससे ३० प्रतिशत का फ़ायदा तो उन्हें बिना किसी रेट बढाए ही हो रहा है, फिर दाम बढ़ाने पर तो सीधा मुनाफ़ा ४००-५०० प्रतिशत पहुंचता है और बीजेपी-कांग्रेस इस पर बिलकुल मौन धारण किये हुए है|

कल टीवी डिबेट में देख रहा था, एंकर और अन्य समाज सेवी जो मौजूद थे डिबेट में ने बीजेपी-कांगेस से दस बार सवाल किया, जो गेस की कीमत बधाई जा रही है उस पर आपका क्या विचार है? और मजाल है जो बीजेपी या कांग्रेस में से कोई भी कुछ बोले इस मुद्दे पर? जैसे किसी ने उनके किसी निजी जिंदगी से जुड़ा कोई ऐसा सवाल पूछ लिया हो जिसको वो जनता के सामने कभी जवाब नहीं दे सकते! अरे भाई सौदा कांग्रेस की सरकार है , बीजेपी के पास तो आम आदमी पार्टी द्वारा तैयार किया प्लेटफार्म मिल रहा है क्यों नहीं इस मुद्दे को आगे बढ़ाती, क्यों नहीं जनता के हित कि बात करती अर्थात दोनों पार्टियां मिली हुयी है, भाजपा-कांग्रेस दोनों आपस में मिली हुयी है और दोनों ने मिल बाँट कर इस सौदे में पैसे खाये है? 

सब केवल शक है मेरा, पर मेरे शक को विशवास में बदलने का काम बीजेपी और कांग्रेस ही कर रही है, मैं ये शक नहीं करना चाहता, मैं चाहता हूँ मेरा शक गलत निकले पर इन दोनों पार्टियों के रवैये से मेरा शक धीरे धीरे विशवास में परिवर्तन हो रहा है|


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Saturday, February 15, 2014

AAP in International Media-अंतर्राष्ट्रीय समाचारो में आम आदमी पार्टी

इटली के सबसे विश्वसनीय समाचार एजेंसी (ANSA) ने क्या कहा सरकार के इस्तीफे पर 

 

भारत: भ्रष्टाचार के विरोधी नेता ने इस्तीफा दिया

 

"भारतीय ग्रिलो" ने 48 दिन सरकार चलाकर दिल्ली सरकार से इस्तीफा दिया



ANSA - नयी दिल्ली 14 फरवरी- केवल 48 दिन बाद भारत की राजधानी दिल्ली की सरकार चलाने वाले आम आदमी पार्टी के लीडर, भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्टिविस्ट अरविन्द केजरीवाल "भारतीय बेप्पे ग्रिलो" ने अपना इस्तीफा दिया. जब भ्रष्टाचार के खिलाफ उसके द्वारा प्रस्तावित उपाय(बिल) को राज्य की विधानसभा ने प्रस्तुत नहीं होने दिया तो उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया. अब पार्टी राष्ट्रिय चुनाव पर अपना ध्यान देगी, जिसमे वो राष्ट्रवादी बीजेपी  और सोनिया गांधी की कांग्रेस पार्टी के मंसूबो को जटिल कर सकती है (मंसूबो पर पानी फेर सकती है "ये भावार्थ है, अनुवाद जो पहले लिखा वो है")


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Saturday, February 8, 2014

आम आदमी पार्टी का लोकपाल बिल असंवैधानिक है !!! Jan Lokpal Bill by Delhi Government unconstitutional

कल से सभी टीवी चेनल पर बीजेपी कांग्रेस बड़ी जोर शोर ये प्रचार प्रसार करने में लगी है कि "आम आदमी पार्टी" द्वारा दिल्ली में जिस लोकपाल बिल कि बात हो रही है वो पास हो ही नहीं सकता क्योंकि वो असंवैधानिक है, अर्थात हमारे संविधान के खिलाफ है, उनकी पूरी कोशिश यही है कि कैसे भी करके देश में ये हवा बना दो कि अरविन्द सत्ता में आने के बाद इस देश के संविधान की भी कदर नहीं करता और अब संविधान से भी ऊपर होकर गलत तरीके से कोई बिल लाने की कोशिश कर रहा है!

मैंने भी एक दो बहस इन विद्वानो की सुनी और जो कुछ समझ में आया वो आप सबके साथ सांझा करना चाहता हूँ

पहली बात तो ये क्या अरविन्द और उनके मंत्री मंडल सदस्यों में किसी के पास ये दिमाग नहीं है कि गलत काम नहीं कर सकते? क्या सभी कानून के जानकार, संविधान के जानकार जिनसे "आप" ने विचार विमर्श किया किसी को पता नहीं की संविधान के खिलाफ काम हो रहा है?

और चलो किसी को भी पता नहीं होगा, केवल बीजेपी-कांग्रेस को ही पता है कि ये सब संविधान के खिलाफ है, तो भाई मेरे ये समझ में नहीं आ रहा कि इससे बीजेपी-कांग्रेस इतनी बौखलाई हुयी क्यों है, यदि हकीकत में ये सब संविधान के खिलाफ है तो बीजेपी.कांग्रेस को चाहिए की वो चुपचाप अभी तमाशा देखे और जैसे ही अरविन्द ये बिल पास कराये तुरन्त उस पर मुकदमा चला कर उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए क्योंकि उसने हमारे अखण्ड, विशाल भारत देश के संविधान के खिलाफ कोई काम किया है!

ऐसा क्यों नहीं कर रही ये पार्टियां? बात बिलकुल साफ़ है की ये कानून पास हो ना हो, बने ना बने पर ये तो स्पष्ट है कि असंवैधानिक नहीं है वरना यही बिल बीजेपी.कांग्रेस का हथियार बन जाता अरविन्द और उनके कैबिनेट के सदस्यो को जेल भेजने का !

तो फिर ये घबराहट क्यों? बात साफ़ है कि इस कानून का विरोध करेंगे तो जनता के सामने उनकी पोल खुल जायेगी कि बीजेपी-कांग्रेस ये कानून पास नहीं कराना चाहती क्योंकि दोनों ही पार्टियां भ्रष्टाचार में लिप्त है और यदि कानून पास हो गया तो सबसे पहले वो ही जेल में जायेंगे तो कानून का विरोध गलत तरीके से क्यों ना किया जाए, कहने को सबको कहेंगे हाँ हम चाहते है कि ऐसा कानून बने को भ्रष्टाचारियों को कड़ी से कड़ी सजा दे पर करेंगे ऐसा की इस तरह का कोई कानून पास ही ना सके, तो सबसे अच्छा फार्मूला है ना उनके हाथो में जो अब तक काम में लेते आये है भ्रान्ति फैलाना, जनता में भ्रान्ति फैलाओ कि अरविन्द जो कुछ कर रहा है वो असंवैधानिक है वो भारत के संविधान का अपमान है!

चलो मैं तो ये भी मान लेता हूँ कि ये अरविन्द दिल्ली में लोकपाल नहीं ला सकता क्योंकि ये अंसवैधानिक है और बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही बहुत अच्छी पार्टी है और देश की जनता को अच्छा लोकपाल देना चाहती है, तो फिर करके क्यों नहीं दिखाते?

राजस्थान में बीजेपी की सरकार है सम्पूर्ण बहुमत है, खूब बीजेपी के भी 8-10 विधायक खिलाफ हो जाए तो भी उनके पास बहुमत है तो फिर क्यों ना राजस्थान में एक सशक्त लोकपाल लाये जिसके दायरे मुख्यमंत्री से लेकर चपरासी तक सभी आये और देश कि जनता को दिखाए कि वो वास्तव में भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते है लेकिन दिल्ली में "आप" के लोकपाल का साथ नहीं दे सकते क्योंकि ये संवैधानिक नहीं है!

या फिर कही ऐसा तो नहीं है कि भ्रष्टाचारियों को सजा दिलाना ही बीजेपी-कांग्रेस के अनुसार संवैधानिक नहीं है? 

हा हा हा, क्या करूँ हँसू या रोऊँ उनकी इस चाल पर कि कैसे वो भारत की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे है !

दोस्तों जरुरत है की हम इन बहकावों में ना आये, कुछ चिंतन खुद भी करे!

आज कोई खड़ा हुआ इस देश हम जैसे करोडो आम आदमियों की आवाज को बुलंद करने के लिए, आपको आपका सम्मान दिलाने के लिए, इस देश से उस विप तंत्र को खत्म करने के लिए जिनके आप और हम हर कही शिकार हो रहे है!


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Jan Lokpal Bill by Delhi Government unconstitutional: Solicitor General Mohan Parasaran tells Najeeb Jung

Saturday, February 1, 2014

Rahul Gandhi raise the voice of People or हम किसी घराने के गुलाम बन गए है?

Cylnders Rahul gandhi
कुछ दिनों पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओ की राष्ट्रीय बैठक में राहुल गांधी ने भरी सभा में भारत के प्रधानमन्त्री जो की कांग्रेस के ही है के सामने बड़े जोर से बोलते हुए कहा कांग्रेस को 9 नहीं 12 सिलेंडर चाहिए, 9 में काम नहीं चलता है !

केवल एक बार ये कहा, और ये लो कांग्रेस सरकार ने आज इसे मंजूरी दे दी तुरंत प्रभाव से 9 की जगह 12 सिलेंडर दिए जाये, अब सभी कांग्रेस के लोग इसका गुणगान कर रहे है की राहुल जी ने ये मुद्दा उठाया भारत की जनता के हक़ में और भारत की महिलाओ को 9 की जगह 12 सिलेंडर दिलाये !

वाह क्या जोरदार तमाशा बनाया है, सरकार किसकी है भाई? क्या भारत में अब भी किसी को नहीं पता की भारत सरकार में वही होता है जो सोनिया गांधी चाहती है, तो फिर जरुरत ही क्यों आयी की पहले लो भरी जनता में आप ये कहे और फिर उसके कुछ दिन बाद इस नाटक को असली जामा पहनाने की नकली कोशिश करे, आपको ही तो करना था तो फिर मांग किससे की? खुद मांग करते है वो भी खुद से ही?

फिर सवाल एक और खड़ा होता है क्या भारत की जनता की आवाज केवल तभी सुनी जायेगी जब राहुल गांधी वो मुद्दा उठाएंगे वरना किसी की नहीं सुनी जायेगी? सारा देश लोकपाल के लिए सड़क पर उतरा था लेकिन वो नहीं सूना गया और केवल एक राहुलजी ने कह दिया की 9 नहीं 12 सिलेंडर चाहिए तुरंत घोषणा भी हो गयी!

पूरी कांग्रेस ने मिलकर भ्रष्टाचारी नेताओ वाला अध्यादेश पारित किया था, और फिर राहुलजी ने उसे फाड़ दिया तो वो अध्यादेश वापस ले लिया गया, वाह यानि इस देश में केवल राहुलजी कहेंगे वो ही होगा?

अभी थोड़े दिन पहले संजय निरुपमजी ने मुम्बई में बिजली की दरो को कम कराने के लिए अनशन किया था, बेचारे वो तो भूखे भी रहे, उनके साथ पार्टी के अन्य कार्यकर्ता भी थे, अनशन से पहले उन्होंने सरकार से आग्रह भी किया था की बिजली की रेट कम की जाए, आम आदमी के लिए ये रेट बहुत ज्यादा है लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी और संजय निरुपंजी को अपना अनशन केवल एक भरोसे के सहारे तोड़ना पड़ा, वो बिजली दरे कम नहीं हुयी क्योंकि ये मुद्दा राहुलजी ने नहीं उठाया? क्या हम यहाँ तक आ पहुंचे की इस देश में अब किसी की नहीं चलेगी केवल और केवल राहुल गांधी की चलेगी?

क्यों किसी और की बात को कभी महत्व नहीं दिया जाता, चाहे वो आम जनता हो या फिर स्वयं कांग्रेस पार्टी के ही बड़े बड़े नेता?

हमे एक बार सोचने की फिर से जरुरत है, कही हम फिर से गुलाम तो नहीं हो गए है किसी एक घराने के? जिसमे हमे अपनी हर बात मनवाने के लिए घराने के किसी आदमी द्वारा ही कहलाना पडेगा?

खैर अपनी अपनी सोच है, अपना अपना नजरिया है मुझे इस सारे प्रकरण में दिखायी दिया वो आप सभी के साथ सांझा कर दिया

देश को किसी घराने का गुलाम बनाने के जिम्मेदार कौन है??

हम अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते, हमे ये स्वीकार करना होगा की इसके जिम्मेदार कोई और नहीं केवल और केवल हम है तो क्यों ना अपनी जिम्मेदारी निभाये और देश को इस गुलामी से आजाद कराये!

वंदे मातरम
भारत माता की जय

Wednesday, January 22, 2014

CM sleeping on Road-अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री सर्दी की रात में खुली सड़क पर

अरविन्द मेरी नजरो में एक बार और महान हो गया है

20 दिसंबर की दिल्ली की सर्द रात में एक देशभक्त अपने सैकड़ो साथियों के साथ खुली सड़क पर धरने पर बैठा हुआ, और वो भी किसके लिए? इस देश की जनता को सुरक्षित करने के लिए, दिल्ली पुलिस के अमानवीय रवैये के खिलाफ, अब शायद ये लिखना तो जरुरी नहीं होगा की दिल्ली पुलिस अमानवीय कैसे हो गयी? खैर शायद दिल्ली पुलिस खुद अमानवीय ना हो उन्हें भी अपने आकाओ के हुकुम का पालन करना पड़ता है पर आखिरकार जवाबदेह तो वही होगा ना जो कार्यवाही करता है!

बीते तीन सालो में दिल्ली पुलिस ने अपनी अमानवीयता को प्रदर्शित करने का एक भी अवसर हाथ से नहीं जाने दिया, चाहे वो बाबा रामदेव का आंदोलन हो, दामिनी और गुड़िया का रैप हो या आज का "आम आदमी पार्टी" का शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन, हर बार उन्होंने अपनी लाठियो का जमकर प्रयोग किया है दिल्ली की जनता को ये दिखाने के लिए "उखाड़ लो जिसे उखाड़ना है" हम तो ऐसा ही करेंगे !

लेकिन इस बार एक देशभक्त ने ये सब चुपचाप सहन नहीं किया और जिसे लोग जिद्दी कहते है वो अपनी उसी जिद्द के साथ गृह मंत्रालय के बाहर धरना देने अपने पुरे मंत्री मंडल के साथ पहुँच गया, सियासी ताकतो ने उन्हें रेल भवन के पास ही रोक लिया और ये देशभक्त वही पर बैठ गया धरने पर, दिल ढलने लगा, रात का अन्धेरा और दिल्ली की सर्दी अपना पाँव पसार रही थी मुझे यहाँ इटली में भी उस देशभक्त को सर्दी की रात में सड़क पर लेता देखकर ना नींद आ रही थी और ना ही कुछ खाने की इच्छा हो रही थी, दो बार कोशिश की खाने की पर कुछ भी गले से नीचे नहीं जा रहा था, आखिर क्यों ये आदमी इस सर्दी में दिल्ली की सड़क पर सोने को मजबूर हो रहा है, किस चीज की कमी है, एक परिवार है, पत्नी है, बच्चे है, माँ बाप है ये भी मेरे और लाखो लोगो के जैसे मस्ती से गर्म रजाई में अपने बच्चो के पास सो सकता था लेकिन उससे दिल्ली पुलिस की ये ज्यादती स्वीकारी ना गयी और भीड़ गया अपने विशवास और जनता के मुद्दो पर पूरी सियासत से, और मजे की बात है की जैसे ही अरविन्द ने धरने की घोषणा की, वे सभी लोग जो दिल्ली पुलिस को निकम्मी और भ्रष्ट बताते थे वो अचानक से दिल्ली पुलिस को सही बताने लग गए और अरविन्द के धरने को गलत, इनमे एक नाम खुद पुलिस में रह चुकी किरण बेदी का भी है, बाकी बीजेपी की तो बात ही क्या करनी वो तो हर उस काम को गलत बताएँगे जो अरविन्द करेगा और फिर ये भी कहेगे की वो तो ये सब पहले से ही कर रहे है इसमे अरविन्द ने नया क्या कर दिया, कई बार तो मुझे हंसी आ जाती है बीजेपी के लोगो को टीवी दिबते पर सुनता हूँ तो|

खैर अरविन्द का धरना जारी था सर्दी बढ़ रही थी और ये लो कांग्रेस की एक और चाल, धरनास्थल के आस पास की स्ट्रीट लाइट बंद करवा दी गयी, कम से कम ये स्ट्रीट लाइट कुछ गर्माहट का आभास तो करवा रही थी और कुछ नहीं तो उजाला ही था, लेकिन वो भी अब नहीं रहा, लेकिन इन देशभक्तो का जज्बा कहाँ कम होने वाला था |

हाँ कांगेस और बीजेपी जिस तर्क से "आप" को घेर रही थी "इस धरने की वजह से दिल्ली में जाम लग रहा है, आम आदमी परेशान हो रहा है" वो भी कांग्रेस की ही एक सुनियोजित चाल थी, जिसके तहत उन्होंने दिल्ली मेट्रो के चार स्टेशन बंद कर दिए, तो जाहिर सी बात है को लोग मेट्रो से जाते थे, वे सब अपनी कार से जा रहे है और ट्राफिक का बढ़ना स्वाभाविक था, पर बड़ी चतुराई से ये भी "आप" के मत्थे मढ दिया गया |

देशभक्तो को इन आरोपो की कहाँ चिंता थी, वो तो वही डटे हुए थे अपने और आम आदमी के हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए, करते करते सुबह हो गयी, और ये लो मौसम ने रही सही कसर पूरी करदी बारिश शुरू हो गयी पर ये देशभक्त वही डटे रहे अपनी मांगो के साथ |

धीरे धीरे दिन चढ़ने लगा, दिल्ली के लोग धरने को अपना समर्थन देने खुल कर सामने आने लगे, और केंद्र सरकार को थोड़ा सोचने पर मजबूर कर दिया, किसी तरह दिल्ली के उप राजयपाल महोदय की मदद से जिन पुलिस अधिकारियो पर इल्जाम था उन्हें लम्भी छुट्टी पर भेजा गया और गणतंत्र दिवस को मध्य नजर रखते हुए उप राज्यपाल महोदय के आग्रह को स्वीकार कर अपना धरना समाप्त किया|

बहुत से सवाल अब भी बीजेपी.कांग्रेस ने खड़े कर दिए क्या मिला इस धरने से, मिला ये की इन सरकारो को पता चल गया की देश का यवा अब गुस्से में है और अब भी नहीं सुधरी ये सरकारे तो आने वाले लोकसभा चुनाव में यही जनता इन सबका जवाब अपने वोट से देगी |

दोस्तों अरविन्द जैसा देशभक्त मैंने आज तक नहीं देखा और वो खुद ही नहीं उनके सभी साथी, मंत्री मंडल के सभी साथी, ऐसे ही देशभक्त है, एक मंत्री आम जनता की आवाज पर खुद जनता के साथ आधी रात को निकल जाता है, उन्हें ये जवाब नहीं देता आप अपनी शिकायत लिखकर दे दो हम कार्यवाही करेगे वो तो उसी समय जनता के साथ निकल पड़ते है |