दिल्ली में शनिवार को नये मुख्यमंत्री ने शपथ ली, पूरे देश और विदेशो में बसे मुझ जैसे भारतीयों में ख़ुशी का माहौल था
शायद देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री बनने की ख़ुशी देश और विदेशों में मनायी गयी ।
खैर इतिहास के बारे ज्यादा नहीं जानता इसीलिए पक्का नहीं कह सकता पर शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत के एक राज्य के मुख्यमंत्री बनने की खबर देश और विदेशों के अखबारो कि सुर्खियां बनी हो, बधाई हो अरविन्द आपने देश कि राजनीती में परिवर्तन का जिम्मा लिया है वो सकारात्मक दिशा में जा रहा है ।
शनिवार को शपथ लेने और कार्यभार सम्भालने के बाद यो तो अपना काम तुरंत ही शुरू कर दिया था, अपने चुनावी संकल्प पत्र में आम आदमी पार्टी ने संकल्प लिया था कि वो कोई सुरक्षा नहीं लेंगे और इसे पूरा किया पुलिस विभाग कि तरफ से आये सुरक्षा कर्मियों को बड़ी शालीनता से हाथ जोड़कर अरविन्द ने कहा "मेरी सुरक्षा नहीं दिल्ली की जनता की सुरक्षा करो" ये भी अपने आप में अनूठा ही रहा होगा जब एक मुख्यमंत्री पुलिसकर्मियों के सामने हाथ जोड़े खड़ा देखा गया, वरना तो केवल ऐसी ही तस्वीरे देखने को मिलती है जहां पुलिसकर्मी पैर छूते हो, या जूते चप्प्ल उठाते हो इन नेताओं की।
खैर वादे पुरे करने के क्रम में अगला कदम कोई VIP नहीं रहेगा, कोई लालबत्ती नहीं लेगा और ये लो तुरंत सभी गाड़ियों की लालबत्ती उतरवा दी गयी ।
अब भाजपा-कांग्रेस वाले चिल्ला रहे है ये कोई काम नहीं किया, लालबत्ती तो इलीगल थी तो उन्होंने कौनसा नया काम कर दिया वो तो पहले से ही इल्लीगल थी, मुझे हंसी निकल पड़ी जब टीवी पर बहस के दौरान भाजपा नेता को ये कहते सुना ।
"भाई जब ये इल्लीगल ही था तो पहली बात इतने वर्षो तो दिल्ली में कांग्रेस ये इल्लीगल काम करती रही? दूसरी बात बीजेपी की आँखों के सामने ये इल्लीगल काम होते रहे और वो आँखे बंद करके सोयी रही? फिर जरुरत क्या थी विपक्ष में बैठने की जब आप प्रमुख विपक्षी होकर कोई इल्लीगल कार्य नहीं रोक सकते?"
तो कुल मिलाकर जो बात समझ में आती है वो यही है कि बीजेपी ऐसी बयानबाजी कर रही है शायद इस डर के मारे कि इन अब कार्यो का श्रेय आम आदमी पार्टी ना ले जाए ।
अब जनता बेवकूफ थोड़े ही है जो समझती नहीं है? जनता सब कुछ समझती है और देखती है बस फर्क इतना था कि अब तक समझते हुए भी चुप चाप सब कुछ देखना पड़ता था क्योंकि जनता के पास कोई विकल्प नहीं था, आज उनके पास विकल्प है और वर्षो से जो कुछ भी गलत जनता के साथ हुआ है उसका गुस्सा वोट में तब्दील होकर एक नये विकल्प को इस देश कि बागडोर देने की और अग्रसर है ।
ये पुरानी पार्टियां अब भी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में ही लगी हुयी है, अभी भी समझ नहीं पा रहे कि समय आरोप प्रत्यारोप का नहीं है, समय है इस देश के लिए कुछ कर गुजरने का, वरना देश कि जनता दिल्ली जैसे परिणाम पूरे भारत में देने के लिए बहुत उत्साहित है, पता नहीं ये पुरानी पार्टियां इसे देख नहीं पा रही या जान बूझकर इसे नजर अंदाज कर रही है जैसे दिल्ली में चुनावो से पहले कर रही थी ।
आज इतना ही.………………………………
अगले पोस्ट में दिल्ली सरकार की उपलब्धि और लिखूँगा
इसी के साथ सभी को आने वाले नये साल कि हार्दिक बधाई
नये साल का कैलेंडर बिलकुल वैसा है जैसा 1947 का था, शायद कुछ सन्देश देना चाहता हो!!! दूसरी आजादी का !!!
वन्दे मातरम
भारत माता की जय "अबके बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे ………"
शायद देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री बनने की ख़ुशी देश और विदेशों में मनायी गयी ।
खैर इतिहास के बारे ज्यादा नहीं जानता इसीलिए पक्का नहीं कह सकता पर शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत के एक राज्य के मुख्यमंत्री बनने की खबर देश और विदेशों के अखबारो कि सुर्खियां बनी हो, बधाई हो अरविन्द आपने देश कि राजनीती में परिवर्तन का जिम्मा लिया है वो सकारात्मक दिशा में जा रहा है ।
शनिवार को शपथ लेने और कार्यभार सम्भालने के बाद यो तो अपना काम तुरंत ही शुरू कर दिया था, अपने चुनावी संकल्प पत्र में आम आदमी पार्टी ने संकल्प लिया था कि वो कोई सुरक्षा नहीं लेंगे और इसे पूरा किया पुलिस विभाग कि तरफ से आये सुरक्षा कर्मियों को बड़ी शालीनता से हाथ जोड़कर अरविन्द ने कहा "मेरी सुरक्षा नहीं दिल्ली की जनता की सुरक्षा करो" ये भी अपने आप में अनूठा ही रहा होगा जब एक मुख्यमंत्री पुलिसकर्मियों के सामने हाथ जोड़े खड़ा देखा गया, वरना तो केवल ऐसी ही तस्वीरे देखने को मिलती है जहां पुलिसकर्मी पैर छूते हो, या जूते चप्प्ल उठाते हो इन नेताओं की।
खैर वादे पुरे करने के क्रम में अगला कदम कोई VIP नहीं रहेगा, कोई लालबत्ती नहीं लेगा और ये लो तुरंत सभी गाड़ियों की लालबत्ती उतरवा दी गयी ।
अब भाजपा-कांग्रेस वाले चिल्ला रहे है ये कोई काम नहीं किया, लालबत्ती तो इलीगल थी तो उन्होंने कौनसा नया काम कर दिया वो तो पहले से ही इल्लीगल थी, मुझे हंसी निकल पड़ी जब टीवी पर बहस के दौरान भाजपा नेता को ये कहते सुना ।
"भाई जब ये इल्लीगल ही था तो पहली बात इतने वर्षो तो दिल्ली में कांग्रेस ये इल्लीगल काम करती रही? दूसरी बात बीजेपी की आँखों के सामने ये इल्लीगल काम होते रहे और वो आँखे बंद करके सोयी रही? फिर जरुरत क्या थी विपक्ष में बैठने की जब आप प्रमुख विपक्षी होकर कोई इल्लीगल कार्य नहीं रोक सकते?"
तो कुल मिलाकर जो बात समझ में आती है वो यही है कि बीजेपी ऐसी बयानबाजी कर रही है शायद इस डर के मारे कि इन अब कार्यो का श्रेय आम आदमी पार्टी ना ले जाए ।
अब जनता बेवकूफ थोड़े ही है जो समझती नहीं है? जनता सब कुछ समझती है और देखती है बस फर्क इतना था कि अब तक समझते हुए भी चुप चाप सब कुछ देखना पड़ता था क्योंकि जनता के पास कोई विकल्प नहीं था, आज उनके पास विकल्प है और वर्षो से जो कुछ भी गलत जनता के साथ हुआ है उसका गुस्सा वोट में तब्दील होकर एक नये विकल्प को इस देश कि बागडोर देने की और अग्रसर है ।
ये पुरानी पार्टियां अब भी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में ही लगी हुयी है, अभी भी समझ नहीं पा रहे कि समय आरोप प्रत्यारोप का नहीं है, समय है इस देश के लिए कुछ कर गुजरने का, वरना देश कि जनता दिल्ली जैसे परिणाम पूरे भारत में देने के लिए बहुत उत्साहित है, पता नहीं ये पुरानी पार्टियां इसे देख नहीं पा रही या जान बूझकर इसे नजर अंदाज कर रही है जैसे दिल्ली में चुनावो से पहले कर रही थी ।
आज इतना ही.………………………………
अगले पोस्ट में दिल्ली सरकार की उपलब्धि और लिखूँगा
इसी के साथ सभी को आने वाले नये साल कि हार्दिक बधाई
नये साल का कैलेंडर बिलकुल वैसा है जैसा 1947 का था, शायद कुछ सन्देश देना चाहता हो!!! दूसरी आजादी का !!!
वन्दे मातरम
भारत माता की जय "अबके बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे ………"
शपथ ग्रहण समारोह में उमड़ी भीड़